शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

मिशन मोड़ पर आई सिंचाई परियोजनाएं!

नाबार्ड ने केंद्र को सौंपी 1500 करोड़ की रकम
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश के कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने की दिशा में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत लंबित 99 सिंचाई परियोजनाओं को मिशन मोड़ पर शुरू करते हुए तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इन परियोजनाओं को पूरा करके 76 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा सिंचाई क्षमता सृजित करने हेतु सरकार ने नाबार्ड का वित्तीय सहारा लिया है, जिसने केंद्र सरकार को पहली किश्त के रूप में 1500 करोड़ रुपये की रकम सौंप दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि और किसानों की अर्थव्यवस्था में सुधार की दिशा में देश में दो दशक पहले शुरू की गई त्वरित सिंचाई कार्यक्रम की लंबित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई परियोजना का ऐलान किया था। इसके तहत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत 27 जुलाई चयनित की गई 99 प्राथमिकता वाली इन परियोजनाओं को पूरा करने और नाबार्ड के माध्यम से धन की व्यवस्था के लिए एक मिशन की स्थापना को अपनी मंजूरी दी गई थी। इसमें विभिन्न राज्यों में सूखा एवं बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए लंबित 99 परियोजनाओं के लिए करीब 77 हजार करोड़ रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया। इसके लिए पिछले महीने नाबार्ड और केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के बीच हुए करार के तहत नाबार्ड ने देश के इतिहास में पहली बार सिंचाई परियोजनाओं के लिए ऋण के रूप में शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्रालय के जरिए जल संसाधन मंत्रालय को 1500 करोड़ रुपये का चेक सौंप दिया है। इस संबन्ध में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सरंक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने बताया कि इस रकम को नौ राज्यों में जरूरत के हिसाब से भेजने की प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि इन लंबित सिंचाई परियोजनाओं को दिसंबर 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके तहत 76 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा सिंचाई क्षमता का सृजन हो सकेगा। इन परियोजनाओं को पूरा करने के बारे में उन्होंने कहा के इस साल 23 और वर्ष 2017-18 में 31 तथा बाकी बची 45 सिंचाई परियोजनाओं को दिसंबर 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा।
देश में यह पहली बार
केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि देश के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि देश के कृषि और किसानों के लिए केंद्र सरकार इस परियोजनाओं को पूरा करने में नाबार्ड आर्थिक मदद के लिए आगे आया है, जिसमें वित्त मंत्रालय, निति आयोग और कृषि मंत्रालय और अन्य संबन्धित मंत्रालयों व विभागों ने एक मेगा योजना के तहत ऐसी योजना तैयार की है। देश में सिंचाई परियोजना को पहली बार मिशन मोड पर लाया गया है। पहली बार ही केंद्र के अलावा राज्यों को भी नाबार्ड ऋण मुहैया कराएगा। उनका दावा है कि जब सिंचाई क्षमता का विकास होगा तो निश्चित तौर पर गांवों से शहर की ओर पलायन में भी कमी आएगा और देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान भी बढ़ेगा। उन्होेंने इस सिंचाई परियोजना की विशेषताएं गिनाते हुए कहा कि जहां इस परियोजना के दायरे में देशभर के वे सभी जिले शामिल किये गये हैं, जहां सूखा या बाढ़ के कारण किसान आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा है। इसके लिए सरकार ने पहले ही एक सर्वे कराने के बाद ही इस परियोजना को पटरी पर उतारा गया है।
छग के पांच जिलों में तीन परियोजना
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत छत्तीसगढ़ के मनियारी टैंक, केलो तथा खरुंग नामक तीन सिंचाई परियोजनाओं को प्राथकिता में रखा है, जिसमें बिलासपुर में दो, रायगढ़ जांजगीर, चंपा में इस योजना को कार्यान्वित करके सिंचाई क्षमता में वृद्धि करने की योजना है। इसके मध्य प्रदेश में ऐसी 14 सिंचाई परियोजनाएं शुरू की जा रही है, जिसमें राज्य के कई दर्जन जिलों में इसका कार्यान्वयन किया जाएगा।
22Oct-2016

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