सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

जल्द ही हाइवे पर लैंडिंग कर सकेंगे विमान!

सरकार की 22 राजमार्गो को रनवे में बदलने की योजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भारत व पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच आखिर भारत को सेना की ताकत बढ़ाने की योजना को केंद्र सरकार ने अमल लाने का फैसला कर लिया है, जिस पर रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर सड़क परिवहन मंत्रालय ने देश में ऐसे 22 राष्टÑीय राजमार्गो की पहचान की है, जिन्हें रनवे में तब्दील किया जाएगा। ऐसे हाइवे को युद्ध या दैवीय आपदा जैसे संकट की स्थिति में भारतीय वायु सेना रनवे के रूप में इस्तेमाल करके जरूरी विमानों की उड़ान और लैंडिंग कर सकेगी।
दरअसल ऐसा एक प्रस्ताव करीब डेढ़ साल पहले भारतीय वायु सेना ने केंद्र सरकार को दिया था, जिसमें केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा रक्षा मंत्रालय मिलकर कुछ चुनिंदा हाइवेज का चौड़ा करके रनवे के रूप में तब्दील करना शामिल था। इसके लिए दोनों मंत्रालयों के अधिकारियों की एक समिति भी गठित की गई थी, जिसे ऐसे राजमार्ग खंडों के लिए औपचारिकताएं तय करने की जिम्मेदारी दी गई थी। जो रनवे या हवाई पटटी के रूप में बदले जा सकते हैं। अभी तक समिति ने ऐसे 22 हाइवे चिन्हित करके मंत्रालय को रिपोर्ट दी है, जिसमें ऐसे राजमार्ग खंडों की व्यावहार्यता, उनकी लंबाई व अन्य मुद्दों का भी आकलन भी किया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने के लिए जल्द ही दोनों मंत्रालय के अधिकारियों की एक बैठक होगी, जिसमें इस प्रस्ताव की रणनीति तय करके इस महत्वपूर्ण परियोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। प्रस्ताव में अधिकांश हाइवे वायु सेना के नक्शे में शामिल कर लिये जाएंगे। इसी मकसद से पिछले साल यमुना एक्सप्रेसवे पर मिराज-2000 की सफल लैंडिंग करवाकर एक सफल परीक्षण किया जा चुका है।
पाक से सटे हाइवे पर फोकस
भारतीय वायु सेना खासकर पाकिस्तान से जंग जैसे हालात बनने पर देश के हाईवेज का इस्तेमाल करना चाहती है। वायु सेना चाहती है कि देश के चुनिंदा हाईवे ऐसे हों जहां से फाइटर जेट्स लैंडिंग और टेकआॅफ कर सकें। इसके लिए वायुसेना ने एनएचएआई के साथ बातचीत करके प्रस्ताव को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। सूत्रों के अनुसार ऐसी सडकों या राजमार्गो को खासकर राजस्थान,गुजरात और पंजाब में विकसित करने की योजना है, जहां सर्वाधिक हाइवे को रनवे में तब्दील करने के लिए पहचाना गया है। दरअसल इन राज्यों की सीमा पाकिस्तान से लगती है। सूत्रों के अनुसार गठित की गई दोनों मंत्रालय की समिति द्वारा चिन्हित किये गये ज्यादातर राजस्थान, पंजाब और गुजरात के राजमार्गों वह कुछ प्रमुख सड़को पर फोकस किया है, जिनमें जरूरी बदलाव कर उन्हें रनवे की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा।
इसलिए जरूरी हुई योजना
भारत-पाक के बीच वर्ष 1971 के युद्ध की एक रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी वायुसेना के कुछ विमान आगरा तक आ गए थे। हालांकि वे बम बरसाने में नाकाम रहे, जिन्हें भारतीय वायुसेना उन्हें खदेडने में कामयाब रही थी। पिछले कई दशकों से भारत-पाक की आतंकवाद के कारण तनातनी को देखते हुए भारतीय सेना एवं सुरक्षा एजेंसियों को महसूस हुआ कि देश के भीतर लडाकू विमान उतारने के लिए विकल्प होना जरूरी है। जिस तरह से अन्य कई देशों में हाइवे को रनवे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है उसी तरह भारत में सेना को ताकत देना जरूरी है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि दुश्मन के हमले के वक्त रोड को भी रनवे बनाना पड सकता है। दूसरे देशों में ऐसे परीक्षण होते रहते हैं, पर भारत में आगरा में यह पहला मौका था, जब रोड पर लडाकू विमान की लैंडिंग कराई गई। पाक ने खुद पहले से ही ऐसे दो मार्गो को इमरजेंसी रनवे घोषित किया हुआ है
अमेरिका के साथ बनी थी योजना
सूत्रों के अनुसार इस योजना को मोदी सरकार के आमंत्रण पर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत भ्रमण के दौरान तैयार की गई थी। आगरा के भ्रमण के दौरान अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों तथा भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की एक संयुक्त बैठक के दौरान ऐसी योजना का खाका बनाने में यह भी निर्णय लिया गया था, कि जरूरत पड़ने पर यमुना एक्सप्रेस-वे को रनवे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय इस प्रस्ताव पर रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर पहले से ही काम कर रहा है। लेकिन भारत-पाक के मौजूदा तनाव के बीच केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसके जल्द परियोजना का रूप देने की दिशा में कहा कि राजमार्ग खंडों का विकास ऐसी तकनीक और तौर तरीकों से किया जाएगा, जिन्हें चौड़ा कर हवाई पटटी बनाई जा सके, इससे दुर्गम इलाकों में सड़क के साथ हवाई संपर्क की सुविधा भी मिल सकेगी।
17Oct-2016

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