रविवार, 23 अक्तूबर 2016

राग दरबार: सबके सामने मोदी का दिल...

जानते सबकुछ हैं, लेकिन मानते नहीं.
देश की राजनीति ही कुछ ऐसी है कि जानते सबकुछ हैं, लेकिन मानते नहीं..। मसलन मौजूदा सुरतेहाल में देश के विकास, सुरक्षा, आतंकवाद, सामाजिक समरसता, भ्रष्टाचार के अलावा अंतर्राष्टÑीय मुद्दों पर कौन खरा उतर रहा है यह सबकी नजर में है। तभी तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करने वाली पार्टियों के समझदार नेता अपने दलों में अलग-थलग देख अपना दामन छुड़ाने में लगे हैं। मोदी की आलोचना करने वालों की फेहरिस्त में शामिल रही यूपी कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी का पलटा मारना ऐसी ही देशभक्त वाली सियासत का जीताजागता उदाहरण सामने आया है, जो देश की सुरक्षा और सैनिकों के अपनी पार्टी के स्यापो द्वारा किये जा रहे अपमान को सहन नहीं कर पायी। मोदी के सुरक्षा के मामले पर आतंकवाद के खिलाफ इस कड़े फैसले से प्रभावित हुई रीता ने उन फैसलों का भी समर्थन करना शुरू कर दिया है, जिसकी कांग्रेस संस्कृति में रहते आलोचना करती रही है। मसलन केंद्र की राजग सरकार के इन दो साल से ज्यादा शासनकाल में सत्ता में आने से पहले किये गये कई वादों पर प्रधानमंत्री के रूप में मोदी कसौटी पर खरे उतरते नजर आ रहे हैँ। एक ताजा उदाहरण ने तो मोदी से स्वार्थ की सियासत करने वालों को चौंका ही दिया, जिसमें सरकार ने रक्षा संबंधी सूचना लीक करने के आरोपों से घिरे अपनी ही पार्टी के वरुण गांधी के खिलाफ कार्यवाही तेज करते हुए साबित कर दिया है। राजनीतिकारों की माने तो मोदी के जमाने में देश की राजनीति भी करवट बदली और तीस साल बाद केंद्र में एक बार फिर पूर्ण बहुमत वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने अपनो के अलावा नौकरशाही को पारदर्शी व जवाबदेह बनाए रखने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, जिनके सकारात्मक प्रभाव सामने आने लगे हैं। कालेधन पर चली आ रही बहस में जितना इस सरकार ने अघोषित रकम बाहर निकलवाई है ऐसा अब तक कोई सरकार नहीं कर सकी। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें मोदी के दिल और उनके साहस को पूरा देश देख चुका है कि वह अपने फैसलों पर किस कदर अड़िग है, लेकिन उनके खिलाफ सिसासी दल हैं कि सबकुछ जानते हुए भी मानने को तैयार नहीं हैं।
कैबिनेट की मीटिंग से नहीं होंगे लीक...
कैबिनेट की मीटिंग को सरकार की शीर्ष बैठकों में शुमार किया जाता है, जिसमें सरकार अपने तमाम अहम फैसले लेती है। लेकिन अगर बैठक से पहले ही इसमें लिए जाने वाले अहम फैसलों की सूचना पब्लिक हो जाए तो हड़कंप मचना लाजÞमी है। ऐसा ही कुछ घटनाक्रम बीते कुछ समय से मौजूदा सत्तासीन सरकार की केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठकों के दौरान भी देखने को मिल रहा था। इसमें किसी मामले पर कैबिनेट की सहमति से पहले ही सूचना सार्वजनिक हो रही थी। इसके संकेत मिलते ही पीएम एक्शन मोड में आ गए और उन्होंने सभी कैबिनेट मंत्रियों को निर्देंश दिया कि वो बैठक के दौरान अपने मोबाइल फोन बैठक स्थल से बाहर जमा करेंगे और फिर अंदर दाखिल होंगे। पीएम के इस कदम से आने वाले वक्त में ही यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि कैबिनेट की मीटिंग से सूचनाएं लीक होंगी या उनपर लगाम लगेगी।
बैठकों से कैसे जीतेंगे चुनाव...
वर्तमान में कांग्रेस पार्टी की खस्ता हालत को लेकर पार्टी के कार्यालय में चर्चा जोरो पर है। चाहे बड़ा नेता हो या छोटा कार्यकर्ता सब इसी सोच में लगे हुए है कि पार्टी फिर कैसे खड़ी हो सकती है। नेताओं का मनाना है कि यूपी के चुनाव पार्टी के लिए अहम है। यूपी चुनाव को लेकर पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी यूपी के नेताओ की लगातार बैठके भी ले रहे है। लेकिन पार्टी के कई नेता बैठकों पर अलग ही राय रखते है। उनका मानना है कि बंद कमरे में दो से तीन घंटे बैठक करने से कोई चुनाव नहीं जीते जाते। आज पार्टी की जो देशभर में जो स्थिति है कि उसके लिए बड़े नेता से लेकर कार्यकर्ताओ को जमीन पर उतरना होगा। लोगों की नब्ज को समझना होगा। इसके बाद ही पार्टी मजबूत स्थिति में पहुुंच सकेंगी। बैठक करने से मैदान की स्थिति को समझा नहीं जा
सकता।
-ओ.पी.पाल, कविता जोशी व राहुल
23Oct-2016

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