गुरुवार, 20 अक्तूबर 2016

अनिवार्य मतदान व्यवहारिक नहीं: जैदी

मतदाता जागरूकता पर अंतर्राष्ट्रीय मंथन शुरू
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भारतीय निर्वाचन आयोग की मेजबानी में बुधवार को यहां शुरू हुए मतदाता जागरूकता पर शुरू हुए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में दुनिया के 28 देशों ने चुनाव प्रक्रिया को दुरस्त करने के लिए मंथन मंथन शुरू कर दिया है। सम्मेलन में मतदाता जागरूकता पर बल देते हुए भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त डा. नसीम जैदी ने कहा कि मतदान को अनिवार्य बनाने का विचार किसी भी तरह व्यवहारिक नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर भारत निर्वाचन आयोग की मेजबानी में मतदाता जागरूकता पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त डा. नसीम जैदी ने भारत में मतदान को अनिवार्य बनाने को लेकर पिछले कई सालों से चल रही राजनीतिक बहस और मांग को एक सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में अनिवार्य मतदान व्यवहारिक नहीं है, लेकिन मतदान के प्रति मतदाताओं को जागरूक करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में इसी तरह की मांग को सरकार ने भी खारिज कर दिया था। जैदी ने कहा इससे पहले यूपीए के शासनकाल में भी इस अनिवार्य मतदान चर्चा का विषय रहा है, लेकिन ऐसा विचार इतना व्यावहारिक नहीं लगता। इस मौके पर भारत के चुनाव आयुक्त ए.के. जोती और ओपी रावत के अलावा उप चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा अन्य देशों के सामने भारतीय चुनाव प्रक्रिया की प्रस्तुतिकरण भी पेश किया।
लोकसभा में हुई थी चर्चा
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा इसी साल फरवरी में बजट सत्र के दौरान भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल द्वारा लोकसभा में लाये गये ऐसे एक निजी विधेयक पर चर्चा हो चुकी है, जिसका जवाब देते हुए तत्कालीन केंद्रीय कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने मतदान को अनिवार्य बनाने को अव्यवहारिक करार देते हुए कहा था कि कि लोकतंत्र में मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी जरूरी है लेकिन मतदान एक स्वैच्छिक अधिकार है और किसी को इसके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। ऐसा करना मानवाधिकार का उल्लंघन होगा। किसी को मतदान न करने के लिए दंडित करना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ होगा। यहीं नहीं विधि आयोग ने मार्च महीने में चुनाव सुधारों पर अपनी रिपोर्ट में अनिवार्य मतदान की सिफारिश नहीं करने का फैसला किया था। विधि आयोग ने इसे कई कारणों से अत्यंत अनुपयुक्त बताया था।
दुनिया के 32 देशों में अनिवार्य मतदान
केंद्र सरकार का मत है कि भले ही ब्राजील समेत दुनिया के 32 देशों में अनिवार्य मतदान की व्यवस्था है, लेकिन भारत जैसे विविधताओं से भरे लोकतांत्रिक देश में ऐसा संभव नहीं है। कानून मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी जरूरी है, लेकिन मतदान एक स्वैच्छिक अधिकार है और किसी को इसके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। इस सम्मेलन में भारत और ब्राजील समेत 28 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
एक साथ चुनाव की कवायद
मुख्य चुनाव आयुक्त जैदी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कवायद पर कहा कि इस बारे में चुनाव आयोग ने एक संसदीय समिति और कानून मंत्रालय को बताया है कि जब राजनीतिक दल सर्वसम्मति से संविधान में संशोधन करें और नयी ईवीएम खरीदने जैसी आयोग की कुछ मांगों को पूरा किया जाए, तो ऐसा संभव हो सकता है। मई में इस मुद्दे पर कानून मंत्रालय को अपने जवाब में आयोग ने कहा था कि वह प्रस्ताव का समर्थन करता है, लेकिन इसमें 9000 करोड़ रुपये से अधिक लागत आएगी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल मार्च को भाजपा के पदाधिकारियों की एक बैठक में पांच साल में एक बार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने की वकालत की।
रास आई भारत की चुनाव प्रणाली
इस सम्मेलन के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त जैदी ने पिछले एक दशक में हुए चुनाव सुधार के बारे में अपनाई गई चुनाव प्रणाली और प्रक्रियाओं की जानकारी दी, जिसे इस दौरान एक प्रदर्शनी के जरिए प्रदर्शित भी किया गया है। इस प्रदर्शनी में हालांकि सभी देशों ने अपनी चुनाव प्रक्रियाओं का प्रदर्शन किया है, लेकिन भारत की प्रदर्शनी और चुनाव प्रणाली सभी देशों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इस प्रदर्शनी में सूचनात्मक सामग्री, मॉडल मतदान केंद्र, ईवीएम पर लाइव वोटिंग के प्रावधान, मतदाता शिक्षा उपकरण और सामग्री के अलावा फोटो, वीडियो, 3डी मॉडल, ईसीआई द्वारा विकसित इंटरैक्टिव स्वीप अभियान का भी प्रदर्शन किया गया है।
20Oct-2016

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