रविवार, 30 अक्तूबर 2016

राग दरबार: उल्टा चोर कोतवाल को डांटे..

संघर्ष विराम का उल्लंघन
भारत के खिलाफ आतंकवाद और फिर संघर्ष विराम का उल्लंघन कर आए दिन सीमा पर गोलाबारी, फायरिंग करने की हरकत से बाज आने को तैयार नहीं पाकिस्तान के लिए ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ वाली कहावत सटीक बैठती है। मसलन अंतर्राष्टÑीय स्तर पर आतंकवाद का हिमायती के रूप में पहचाने जा रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का भारत को संघर्ष विराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाकर दी जा रही चेतावनी इसी बात को साबित करती है। पाकिस्तान की ओर से अरसे से भारतीय सीमा पर निरंतर होते आ रहे ‘संघर्ष विराम’ उल्लंघन की जिस बात को दुनिया जान चुकी है, अब उसका ठींकरा पाकिस्तान अपने आपको ‘एक शांतिप्रिय देश’ साबित करने के प्रयास में भारत के सिर फोड़ने का प्रयास कर रहा है। मसलन चोरी और ऊपर से सीना जोरी पर उतारी पाकिस्तान यहां तक हिमाकत करने से नहीं चूका कि पाक के धैर्य की भी कोई सीमा है। विदेश और रक्षा मामलों के विशेषज्ञों का पाकिस्तान के इस पैंतरे पर यही कहना है कि दुनियाभर के नक्शे पर आतंकवाद के पनाहगार के रूप में पहचाने जा चुके पाक के इस पैंतरे पर कोई विश्वास करने वाला नहीं है, भले ही वह भारत को संघर्ष विराम का उल्लंघन करने के आरोप पर सजा दिलाने की गीदड़ भभगी देता रहे। कश्मीर राग अलापने वाले पाकिस्तान की नीयत इतनी ही पाक साफ होती तो पहले वह आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत दिखाए, जो उसी के घर में आग लगाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। विशेषज्ञ तो यही मान रहे है कि सीमा पर तनाव के बीच संघर्ष विराम के उल्लंघन और आतंकवादी घुसपैठ की कौशिशों को भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा मुहंतोड़ जवाब देने से अपने भारी नुकसान से हतप्रभ पाक पीएम शरीफ जो दावं अजमाने का प्रयास कर रहा है उसमें उसे अपनो से ही उल्टे मुहं की ही खाना पड़ेगी, जो भारत के खिलाफ अपनी नापाक हरकते करने की आदत में शुमार हो चुके पाक को भारी पड़ना तय है, इसलिए पाक की ऐसी धमकी इसी कहावत का पर्याय है कि ‘उल्टे चोर कोतवाल को डांटे..!
तो आज भी जावड़ेकर हैं पर्यावरण मंत्री...
मोदी कैबिनेट में फेरबदल को गुजरे करीब पांच महीने हो चुके हैं। सभी मंत्रियों ने अपने-अपने विभाग की जिम्मेदारी भी संभाल ली है। लेकिन बावजूद इसके सरकार में कई मंत्री ऐसे हैं जिन्हें उनके पुराने विभागों के नाम से ही आज भी जाना-पहचाना जा रहा है। यह वाकया बीते दिनों म्यांमार की लोकतंत्र समर्थित नेता आंग सान सू की के भारत दौरे के वक्त सामने आया। पड़ोसी मेहमान का राष्टÑपति भवन में औपचारिक स्वागत किया जाना था। इसके लिए राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर मौजूद थे। मेहमान के आगमन के साथ ही उनका परिचय मंत्रियों के करवाते वक्त प्रोटोकाल अधिकारी ने जावड़ेकर को एचआरडी के बजाय केंद्रीय पर्यावरण मंत्री बताकर परिचय करवा दिया। इसे जावड़ेकर ने तुरंत ठीक कर अपना नया परिचय उनके सामने रखा। परिचय की इस भूलचूक में और कुछ हुआ हो या नहीं लेकिन पर्यावरण के रूप में काम करने को लेकर जावड़ेकर की बनी पहचान तो जरूर उजागर हो गई।
नेता का सबसे बड़ा धर्मसंकट
उत्तर प्रदेश की सियासत में देश के राजनितिक पहलवान माने जाने वाले सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव परिवारिक कलह को लेकर शायद पहली बार सबसे बड़े धर्मसंकट के दौर में हैं। कारण साफ है कि एक ओर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पिता होने के नाते मुलायम सिंह यादव ने बेटे को कुनबे के कई दूसरे लोगों को पार करके मुख्यमंत्री पद पर बैठाया। तो दूसरी ओर नेताजी की परछाई कहे जाने वाले शिवपाल यादव ने अपना जीवन मुलायम सिंह का हनुमान बनकर काट दिया है। या कुछ यूं कहिए कि झगडालू सियासी जमात में अभी भी पुराने संस्कार कुछ हद तक हैं। फिलहाल समाजवादी पार्टी का चेहरा अखिलेश हैं और मोहरा शिवपाल। इस सियासी संकट में देखा जाए तो समाजवादी विचारधारा से भले डिग गये पर व्यवहार बिल्कुल पुराना। एका, आरोप-प्रत्यारोप, टूट और फिर मिलन सब कुछ पहले जैसा। फिर भी फिलहाल यह कलह सुलझती नजर नहीं आई, लेकिन इसके प्रयास में ढकी-छिपी बातें जरूर सामने आ रही हैं। फिर भी देखा जाए तो विधायक दल का संख्या बल अखिलेश यादव के साथ है और इसी वजह से मुलायम सिंह कोई कठोर फैसला लेने के बजाए धर्मसंकट में फंसे हुए हैं, जिनकी राजनीतिक सूझबूझ का आकलन करना हर किसी की समझ से परे है। राजनीतिकारों की माने तो ऐसे राजनीतिक संकट में शिवपाल यादव ने आगामी चुनाव में गठजोड़ की सुगबुगहाट तेज करके संकेत दिये हैं, तो अखिलेश अलग रहा पकड़ सकते हैं। यही तो है नेता का सबसे बड़ा धर्मसंकट..।
-ओ.पी. पाल व कविता जोशी
30Oct-2016

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