सोमवार, 24 अक्तूबर 2016

विदेशी तकनीक से मजबूत होगा बुनियादी ढांचा!

सड़क व बंदरगाह के साथ हाईस्पीड ट्रेन में भी मदद करेगा जर्मनी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश के बुनियादी ढांचे को विश्वस्तरीय मजबूत बनाने की दिशा में विदेशी तकनीक का इस्तेमाल करने पर बल दिया है। खासतौर पर देश के सड़क, रेल, जल परिवहन के साथ बंदरगाह क्षेत्र की परियोजनाओं में सुरक्षा व गुणवत्ता को प्राथमिकात देने हेतु अंतर्राष्ट्रीय मानक अपनाने का फैसला किया है। इस बुनियादी ढांचे में भारत ने जर्मनी से समझौता कर लिया है, जो हाईस्पीड ट्रेन के अलावा सड़क व बंदरगाह क्षेत्र में तकनीकी व वित्तीय मदद करेगा।
केद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार हाल ही में बंदरगाहों तक रेल लाइन नेटवर्क बिछाने में सहयोग के लिए जर्मनी के साथ हुए एक समझौते के तहत देश के बंदरगाहों के आधुनिक विकास और बंदरगाहों तक सड़क व रेल संपर्क बनाने की योजनाओं को आगे बढ़ाया जाएगा। मसलन अब सरकार ने सभी प्रमुख बंदरगाहों के रेल संपर्क में सुधार करने के लिए जर्मनी की तकनीक अपनाने का फैसला किया गया है। हालांकि इस साल अप्रैल में हुए समुद्री भारत शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय पोर्ट रेल निगम लिमिटेड और जर्मन रेल डॉयचे बान के बीच भारतीय बंदरगाहों की रेल पोर्ट कनेक्टिविटी और बंदरगाह पर रेल सुविधाओं के आधुनिकीकरण में सहयोग हेतु एक महत्वपूर्ण करार पर हस्ताक्षर किये जा चुके हैं। इस करार के तहत देश में बंदरगाहों में रेल संपर्क में सुधार के लिए भारत और जर्मनी ने भारतीय पोर्ट रेल निगम लिमिटेड द्वारा कार्यान्वित की जा रही एक लाख करोड़ रुपये की परियोजना का लक्ष्य पूरा हो सकेगा। इसके अलावा जर्मनी सड़क व जल परिवहन के क्षेत्र में भी तकनीकी मदद देने का तैयार है।
पुराने वाहनों में ईको फ्रेंडली तकनीक
सड़क मंत्रालय के अनुसार देश में सड़क पर दौड़ते वाहनों के प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए पुराने वाहनों को हटाने की योजना में भी जर्मनी मदद करने के लिए तैयार हो गया है। भारत ऐसे पुराने वाहनों को स्क्रैप में बदलने के लिए केंद्रीय सड़क मंत्रालय ने व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी में जर्मनी की तकनीकी मदद लेने का फैसला किया है। जर्मनी भी भारत में पुराने वाहनों को स्क्रैप कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है। मसलन अब ईको फ्रेंडली तरीके के साथ वाहनों को स्क्रैप करके प्रदूषण की समस्या से निपटा जाएगा। सरकार ने पिछले साल मार्च में 15 साल पुराने वाहनों को हटाने के लिए वॉलंट्री व्हीकल μलीट मॉडेर्नाइजेशन प्रोग्राम यानि वीवीएमपी का नामक अभियान शुरू किया था।
केंद्र व राज्यों का मिलेगा आर्थिक फायदा
सूत्रों के अनुसार भारत और जर्मनी के इस तकनीकी सहयोग से अभी तक स्क्रैपिंग पॉलिसी हेतु 14 हजार करोड़ की लागत आने का अनुमान है। इसमें करीब 28 मिनियन वाहनों को स्क्रैप किया जाना है। इस पॉलिसी को अंतिम रूप मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा, जिससे एक साल में व्यर्थ होने वाले करीब 3.2 बीलियन लीटर तेल के रूप में वाहन उपयोगकर्ताओं 25 से 30 प्रतिशत तक के र्इंधन की बचत होने का अनुमान लगया गया है। यहीं नहीं इस तकनीक से राज्यों में आॅटो इंडस्ट्री की ग्रोथ 22 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना प्रबल होगी। केंद्र सरकार इससे 4 हजार करोड़ का फायदा लेगी और 10 हजार करोड़ का फायदा राज्य सरकारों को होगा।
हाई स्पीड ट्रेन का विस्तार
मैसूर-बंगलूर-चेन्नई हाईस्पीड ट्रेन के प्रस्तावित अध्ययन को विजयवाड़ा तक विस्तार करने के साथ वाहनों की तकनीक में जर्मनी मदद देगा। एक करार के तहत जर्मनी ने मैसूर से बेंगलुरु व चेन्नई होते हुए विजयवाड़ा तक हाईस्पीड ट्रेन गलियारे के निर्माण हेतु अपने खर्च पर अध्ययन करने का फैसला किया है। जिसके लिए भारतीय रेल व जर्मन रेल का एक संयुक्त कार्यदल जल्द ही काम शुरू कर देगा। यह दल देश में अतिरिक्त ट्रेनों की यात्री व मालवहन क्षमता बढ़ाने, ऊर्जा खपत में कमी लाने, कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने तथा स्टेशनों का विकास करने का भी तकनीकी अध्ययन करेगा। यही नहीं रेल दुर्घटनाओं को पूरी तरह खत्म करने के मकसद से भारतीय रेल व जर्मन रेल का यह संयुक्त कार्यदल अध्ययन करेगा। इसके लिए रेल संरक्षण प्रणालियां समझने के लिए भारतीय दल जर्मनी का दौरा भी करेगा।
24Oct-2016

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