शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2016

जीएसटी बन सकता है पुराने वाहनों का अभयदान!

ऐसी अड़चन हटाने को विकल्प तलाशने में जुटी सरकार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार देश में एक समान कर व्यवस्था कायम करने की दिशा में जीएसटी कानून लागू करने की कवायद में जुटी हुई है। जहां जीएसटी से करो को लेकर फायदे का सौदा माना जा रहा है, वहीं प्रदूषण फैलाने का सबब बने पुराने डीजल वाहनों को सड़क से हटाने की मुहिम में जीएसटी स्पीड़ ब्रेकर का काम करेगा। हालांकि इस अड़चन को हटाने के लिए सरकार विकल्प की तलाश कर रही है।
मोदी सरकार ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन समझौते को स्वीकृति दी है और देश में पर्यावरण की खातिर प्रदूषण के खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ है। इसके बावजूद पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले पुराने डीजल वाहनों को सड़कों से हटाने के अभियान में सरकार के सामने जीएसटी का स्पीड़ ब्रेकर आ रहा है। मसलन जीएसटी कानून लागू होते ही इससे जुड़े वॉलंटरी वीइकल μलीट मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (वी-वीएमपी) पर सरकार के सामने पुनर्विचार करने की नौबत आती नजर आ रही है। हालांकि सरकार अपने उस उस विकल्प की समीक्षा कर रही है, जिसमें वाहन मालिकों को ऐसे निर्णय देने का प्रस्ताव था, जो अपनी पुरानी गाड़ियों को छोड़कर कम प्रदूषण फैलाने वाली नई गाड़ी खरीदने को सहमत हों। मंत्रालय के अनुसार स्कीम के तहत वीएमपी में खरीदी गाड़ियों पर कम एक्साइज टैक्स लगना था, लेकिन वित्त मंत्रालय जीएसटी में ऐसे निर्णय देने का समर्थन नहीं कर रहा है। इसलिए वित्त मंत्रालय ने सड़क परिवहन मंत्रालय से इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने की सलाह देते हुए कहा है कि वह लोगों को पुरानी गाड़ियां छोड़ने को प्रोत्साहित करने के लिए किसी अन्य विकल्प तलाशना शुरू करे। इसके लिए हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली व सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के बीच जीएसटी के तहत पुराने वाहनों को सड़क से हटाने में आ रही बाधा को दूर करने के लिए प्रस्तावित पॉलिसी पर गहन मंथन भी हुआ है।
क्या थी पहली योजना
सरकार का प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए पहले बनाई गई योजना के अनुसार वी-वीएमपी के तहत खरीदी जाने वाली नई गाड़ियों पर कम एक्साइज टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया गया था। हालांकि इसे अगले वित्त वर्ष से संभावित नई कर प्रणाली यानी जीएसटी में एक्साइज टैक्स का विलय करने का विचार है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी प्रस्तावित पॉलिसी में पुरानी गाड़ी छोड़कर नई गाडी खरीदने वालों को फायदा देने के पक्ष में हैं, जिसके लिए इस वित्तीय फायदा किस रूप में दिया जाए इसके विकल्प की तलाश की जा रही है। मंत्रालय के एक अधिकारी की माने तो वित्त मंत्री के सुझावों के तहत ही फिर से इस प्रस्ताव पर काम किया जा रहा है और सचिवों की समिति की जल्द होने वाली एक बैठक में इस मुद्दे को प्रस्तुत किया जाएगा। इस समिति में सड़क परिवहन के अलावा स्टील, हेवी इंडस्ट्रीज और पर्यावरण मंत्रालय के सचिव शामिल हैं। इस पॉलिसी के मौजूदा ड्राμट में पुरानी गाड़ी को हटाकर नई खरीदने पर एक्साइज ड्यूटी घटाकर आधा करने का प्रस्ताव में फेरबदल करने की संभावना है। इस इंसेटिव में इसके अलावा पुरानी गाड़ी के स्क्रैप की उचित वैल्यू और आॅटो कंपनियों से विशेष छूट देने का भी प्रस्ताव है।
कम की जा सकती है छूट
मंत्रालय के अनुसार इस इंसेंटिव से खरीदार के लिए नई गाड़ी की लागत 8-12 प्रतिशत तक कम हो जाने का अनुमान है। वहीं रोजाना सफर करने वाले लोगों को नई और हाई कपैसिटी वाली बसों में शिμट करने की खातिर प्रोत्साहित करने के लिए राज्य ट्रांसपोर्ट की बसों को एक्साइज ड्यूटी में पूरी तरह से छूट दिए जाने का सुझाव दिया गया है। सूत्रों की माने तो मुख्य गाइडलाइंस एक जैसी हैं और इस स्कीम के तहत हम शुरूआती 2-3 साल तक इंसेंटिव देने का प्रस्ताव है, जिसका मकसद खासतौर पर पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों और बसों को सड़कों से हटाना है।
07Oct-2016

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