सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

आम बजट: किसी पर मेहरबान तो किसी पर पडी मार

मध्‍यम, गरीबों व किसानों का पक्ष
नई दिल्‍ली
वित्‍त मंत्री ने बजट में जहां टैक्‍स स्‍लैब में कोई बदलाव नहीं किया वहीं कारों पर अतिरक्‍त टैक्‍स लगा दिया गया। इसके अलावा कुछ टैक्‍सेस बढ़ा दिए जिसके बाद हर तरह की कारें महंगी, गहनें और रेडिमेड कपड़े महंगे हो जाएंगे।
आम बजट में सरकार ने सभी पक्षों पर ध्यान देने की कोशिश की है। एक नजर विभिन्न सेक्टर्स से जुड़ी बजट की अहम बातों पर -
महंगा-सस्ता: बैटरी चलित कारों को छोड़ कर सभी कारें महंगी। सोने के गहने व ब्रांडेड कपड़े महंगे हुए। छोटी कारों पर 1 फीसदी सेस। एसयूवी पर 4 फीसद और डीजल गाड़ियों पर 2.5 फीसद टैक्स बढ़ा। तंबाकू और उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी 10-15 फीसद बढ़ी। बीड़ी छोड़ अन्य तंबाकू उत्पाद महंगे। 10 लाख से ज्यादा कीमत की कार होंगी और महंगी। 35 लाख तक के होम लोन पर 50,000 रु. की अतिरिक्त छूट, दिव्यांगों के लिए आयातित उपकरण सस्ते, सीमा शुल्क दरों में कमी, कॉर्पोरेट टैक्स को 30 फीसद से घटा कर 29 फीसद किया गया, मकान किराया छूट 24,000 की जगह 60,000 रुपए की गई।
टैक्स प्रावधान: आयकर के स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया, एक करोड़ से ज्यादा आय वालों पर सरचार्ज बढ़ा, 2 करोड़ रु. टर्नओवर टैक्स कम किया गया, 5 लाख की आय पर 3000 रुपए की अतिरिक्त छूट।
हाउसिंग: सरकारी-निजी भागीदारी में सस्ते मकानों के निर्माण को बढ़ावा, पहली बार मकान खरीदने वालों को 50 लाख से कम की खरीद पर ब्याज में रियायत, किराये पर रहने वालों को बड़ा फायदा।
स्टार्टअप्स पर जोर: स्टार्टअप्स की मदद केे लिए कंपनी कानून में सशोधन किया जाएगा। कंपनी अधिनियम में संशोधन करते हुए स्टार्ट अप्स को मदद की जाएगी। इसके लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल होगा।
यातायात: आम आदमी के लिए यातायात को बेहतर बनाया जाएगा, इन्फ्रास्ट्रक्चर योजनाओं पर 2,21,000 करोड़ का खर्च।
ईपीएफ: पहले तीन साल तक कर्मचारियों का पैसा सरकार ही देगी। कर्मचारियों का पीएफ का पैसा नहीं काटेगी सरकार। ईपीएफ का दायरा बढ़ाने का सरकार ने लिया फैसला।
स्टार्टअप्स: स्किल डेवलेपमेंट के लिए 17000 करोड़ रुपए का फंड। 1500 स्किल डेवलेपमेंट सेंटर खुलेंगे।    उद्यमिता विकास के लिए विशेष काम होंगे। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का विस्तार।
शिक्षा-बिजली: 62 नए नवोदय विद्यालय स्थापित होंगे, उच्च शिक्षा के विकास के लिए नई हेफा, आम भारतीयों को उच्चस्तरीय शिक्षा के लिए स्कीम, 1 मई 2018 तक सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य।प्राथमिक शिक्षा के लिए सर्वशिक्षा योजना के लिए आबंटन बढ़ाया जाएगा।
स्वास्थ्य: डायलिसिस उपकरणों पर ड्यूटी खत्म, ग्रामीणों के लिए नेशनल डायलिसिस सेवा योजना की घोषणा। जेनेरिक दवाओं की बिक्री को बढ़ावा दिया जाएगा।
ग्रामीण विकास: ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम। 5 करोड़ बीपीएल परिवारों को गैस कनेक्शन दिया जाएगा, गरीब परिवारों के रसोईघरों की दशा सुधाररने के लिए 2200 करोड़ का आवंटन, ग्रामीण विकास के लिए 87765 करोड़ रुपए का आवंटन, नेशनल डिजिटल लिट्रेसी मिशन के तहत 6 करोड़ घरों को कवर किया जाएगा।
क्‍या सस्‍ता हुआ और क्‍या महंगा
कार खरीदना, सिगरेट का धुआं उड़ाना, ब्रांडेड कपड़े खरीदना और हवाई यात्रा करना, अब पहले से ज्‍यादा महंगा हो गया है। वहीं जूते-चप्‍पल, सौर लैम्‍प और राउटर्स की कीमतें नए बजट की वजह से कम हो जाएंगी।
ऐसे उत्‍पाद और वस्‍तुओं के बारे में जानें, जो बजट 2016-17 में महंगे हो गए हैं: 
यह हुआ महंगा
तंबाकू उत्‍पाबिड़ी को छोड़कर हर तरह के तंबाकू उत्‍पाद सिगरेट सिगार हुए महंगे
10 लाख रुपये से ज्‍यादा कीमत वाली हर तरह की गाड़‍ियां महंगी
डीजल कारों पर 2.5 प्रतिशत और एसयूवी पर चार फीसद टैक्‍स बढ़ने ने कारें महंगी
सोने के गहनें महंगे हुए
रेडिमेड कपड़े महंगे हुए
सर्विस टैक्‍स 14.5 से बढ़कर 15 प्रतिशत हुआ
हर तरह की सेवाएं हुई महंगी।
टेलिफोन बिल बढ़ेगा।
रेस्‍टोरेंट में खाना, ब्‍यूटी पार्लर जाना हुआ महंगा।
कार
सिगरेट
सिगार
तंबाकू
कागज के पैक में मिलने वाली बीड़ी और गुटखा
रेस्‍टोरेंट में खाना
हवाई यात्रा
1000 रुपए से ज्‍यादा कीमत के रेडीमेड और ब्रांडेड कपड़े
सोना-चांदी (चांदी के आभूषण नहीं)
मिनरल वाटर, एरेटेड (वातित) पानी, जिसमें शकर या मिठास के लिए तत्‍व मिलाए जाते हैं।
एलुमिनियम फॉयल
प्‍लास्टिक से बने बैग और थैला
रोप-वे और केबल कार की यात्रा
आयातित नकली आभूषण
औद्योगिक सौर पानी हीटर
कानूनी सेवाएं
लॉटरी टिकट
यात्रा के लिए किराए पर लिए गए वाहन
पैकर्स तथा मूवर्स की सेवाएं लेना
इलेक्‍ट्रॉनिक रीडिंग डिवाइस
वीओआईपी (वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल) उपकरण
आयाति‍त गोल्‍फ कार
सोने की सिल्लियां और ईंटें
दो लाख रुपए से ज्‍यादा की वस्‍तुएं और सेवाएं, जिनके लिए नगद भुगतान किया जाए।
वो सभी सेवाएं जिनका बिल भुगतान किया जाता है
कोई बदलाव नहीं
इलेक्‍ट्रॉनिक उत्‍पादों की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
यह हुआ सस्‍ता
डायलासिस उपकरण हुए सस्‍ते
दिव्‍यांगों के लिए उपकरण हुए सस्‍ते
जूते-चप्‍पल
सौर लैम्‍प
राउटर, ब्राडबैंड मॉडम, सेट टॉप बॉक्‍स
डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर तथा सीसीटीवी कैमरा
हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन
स्‍टरलाइज्‍ड डायलिसर
60 वर्ग मीटर से कम कारपेट क्षेत्रफल के सस्‍ते मकान
लोक कलाकार तथा लोक आयोजन
फ्रिज युक्‍त कंटेनर
पेंशन प्‍लान
माइक्रोवेव अवन
सैनिटरी पैड
ब्रेल पेपर

29Feb-2016

जेटली की पोटली पर लगी जनता की आस!


किसानों-निवेशकों को खुश करने की चुनौती
महंगाई थमे, आयकर छूट बढ़े और किसानों का हित सधे तो बने बात
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली सोमवार को राजग सरकार का दूसरा मुख्य बजट पेश करने जा रहे हैं। मध्यम वर्ग, नौकरी पेशा और गरीब तबके को बजट से बहुत उम्मीदें और जेटली के बजट की पोटली से क्या मिलेगा इस पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई। माना जा रहा है कि इस बार सरकार सामाजिक क्षेत्र में सुधार को पटरी पर उतारने के प्रयास में है। इसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि में सुधार,गांवों और किसानों की हालत में सुधार पर जेटली के बजट में फोकस होने की संभावना जताई जा रही है।
संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद रेल बजट और आर्थिक समीक्षा के जरिए मोदी सरकार ने के अच्छे दिनों के संकेत दिये हैं, तो जाहिर है कि आम बजट में अर्थव्यवस्था में सुधार करने की प्राथमिकता में सामाजिक और स्वास्थ्य के साथ कृषि क्षेत्र में सुधार पर ज्यादा हो सकता है। आर्थिक विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में अभी किसानों, कृषि और खेती की भूमि पर किसी प्रकार के टैक्स लगाने का समय नहीं है, इसलिए बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना जैसी केई कृषि और किसानों को प्रोत्साहन देने वाली योजनाओं का ऐलान हो सकता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के तहत ग्रामीण सड़कों के विकास और मनरेगा में ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर जोर दिये जाने की संभावना है। दूसरी ओर उद्योग जगत की उम्मीदों को देखते हुए आम बजट में इंफ्रा, पावर, बैंक्स, डिफेंस, स्टील, आॅयल एंड गैस के क्षेत्र के अलावा आम आदमी के लिए राहत की योजनाओं का ऐलान हो सकता है। इसके अलावा मैट की दरों में कटौती मुमकिन है। इस बजट में अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए सस्ती दर पर लोन, टैक्स छूट और ज्यादा एफएसआई के ऐलान की उम्मीद पर लोगों की नजरे टिकी हुई हैं।

रविवार, 28 फ़रवरी 2016

राग दरबार: पढ़ा-लिखा जरूरी या कढ़ा होना

‘सास भी कभी बहू थी
किसी ने सही ही कहा है कि किसी का ज्यादा पढ़ा लिखा होना इतना जरूरी नहीं, जितना जरूरी है कढ़ा होना। कढ़ा होने का सबूत संसद के दोनों सदनों में मोदी सरकार की उस केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने जिस आक्रमक तरीके से दिया, इसका अंदाजा तो शायद स्वयं प्रधानमंत्री या उसकी सरकार को भी नहीं होगा, विपक्ष तो शायद इसके बारे में सोच भी नहीं सका होगा। दरअसल इसकी नींव तो सरकार की रणनीति से पहले ही रखी जा चुकी थी। इसीलिए संसद के बजट सत्र में विपक्ष के हमले को माकूल जवाब देने के लिए दोनों सदनों में सबसे पहले जेएनयू और हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला की मौत पर बहस कराने की पहल की गई। जाहिर सी बात है कि इस मामले पर गृहमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री को विपक्ष के इन मुद्दों पर जवाब देना ही था, क्योंकि ये दोनों मुद्दे गृहमंत्रालय के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कार्यक्षेत्र के दायरे में आते हैं। लेकिन विपक्ष का तो सरकार पर हमला बोलना शायद नीयती में शामिल है। उच्च सदन में तो स्मृति ईरानी का सीधा मुकाबला बसपा सुप्रीमो मायावती से हो गया। सोशल मीडिया पर संसद में विपक्ष पर भारी पड़ी स्मृति ईरानी को लेकर जो टिप्पणियां सामने आ रही है कि जिस प्रकार की आक्रमक भूमिका स्मृति ने संसद में निभाई है शायद ऐसी तो उन्होंने टीवी सीरियल ‘सास भी कभी बहू थी’ में भी नहीं दिखाई होगी। स्मृति की शैक्षिक योग्यता पर उनके मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होते ही उंगलियां उठने लगी थी, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को सही माना जाए तो पीएम मोदी ने यह मंत्रालय देकर सही चुनाव किया था, भले हीं उनके पास तमाम डिग्रियां हो या नहीं लेकिन उनके आक्रमक ने सरकार पर इन मुद्दो पर लग रहे तमाम आरोपों को तथ्यों और तर्क के आधार पर सिलसिलेवार जवाब देकर विरोधियों का मुंह बंद कर साबित कर दिया है कि पढ़े लिखे होने से ज्यादा कढ़ा होना यानि व्यवहारिक जानकारी होना जरूरी है।
ये हंगामा है क्यों बरपा?
बीते कुछ दिनों से देश के अलग-अलग भागों से आ रही हिंसक घटनाआें की खबरों के कें द्र में राजधानी दिल्ली नजर आ रही है। यहां के एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान से देश विरोधी गतिविधियों की आहट आई, जिसे भांपकर पुलिस सक्रिय हो गई और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई। स्थानीय अदालत में लोगों का देशविरोधियों के खिलाफ आक्रोश फूटा। इस हो हंगामे के बीच अब कुछ सुकुन देने वाली खबर भी आ रही है। वो यह कि देशविरोध के बीच देश के समर्थन की गूंज भी भी सुनाई पड़ने लगी है। सुरक्षाबल जो दिनरात देश की सीमाआें से लेकर देश के अंदर अराजक तत्वों से लड़ रहे हैं। वो भी एक स्वर में देश का अपमान करने वालों का ना सिर्फ घोर विरोध कर रहे हैं। बल्कि पुलिसिया कार्रवाई को सही बता रहे हैं। इस स्थिति में जब हर कोई देशविरोधी गतिविधियों की एक स्वर में निंदा कर रहा है तो फिर ये हंगामा है क्यों बरपा, समझ से परे है।

शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

संसद में पेश हुई आर्थिक समीक्षा:अच्छे दिनों के संकेत !

भारतीय अर्थव्यवस्था: मजबूत जमीन की उम्मीद
दो साल में विकास दर 8% से ज्यादा का अनुमान
सरकार के सामने चुनौतियों की भी कमी नहीं
ओ. पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने आर्थिक परिस्थितियों में भारतीय अर्थव्यवस्था को वृहद आर्थिक स्थिरता, दृढता और उम्मीदों की जमीन करार देते हुए अनुमान लगाया है कि अगले वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि सात से 7.75 प्रतिशत के दायरे में होगी। वहीं अगले दो साल में यह विकास दर आठ प्रतिशत से भी अधिक होने की उम्मीद जताई गई है।
संसद में शुक्रवार को वर्ष 2015-16 की आर्थिक समीक्षा पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली कहा कि प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों और लगातार कमजोर मानसून से कृषि क्षेत्र पर पड़े प्रभाव के बावजूद चालू वित्त वर्ष में 7.6 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का अनुमान अच्छे दिनों के संकेत है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार देश में वैश्विक आर्थिक स्थिरता में सुधारो के प्रयासों और देश में वृहत-आर्थिक स्थिरता का माहौल को देखते हुए आर्थिक वृद्धि के अगले कुछ सालों में आठ प्रतिशत से भी ज्यादा होने की उम्मीद है। हालांकि समीक्षा में उच्च आर्थिक वृद्धि की राह में विश्व अर्थव्यवस्था में लगातार नरमी का रूख रहा तो भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ी चुनौती का मुकाबला करना पड़ सकता है। वर्ष 2016-17 के परिदृश्य को ध्यान में रखते हुये हमें समग्र मांग, निर्यात, खपत,निजी निवेश और सरकार से जुड़े हर पहलू पर गौर करना होगा। समीक्षा में अनिश्चित वातावरण और कमजोर मांग से वैश्विक अर्थव्यवस्था में विश्वास की कमी और दुनिया के उभरते बाजारों में भी साफ तौर पर सुस्ती होने का जिक्र भी किया गया, जिसमें निवेश और खपत गतिविधियों को नये सिरे से संतुलित किये जाने से ज्यादा चिंता दर्शाई गई है। ऐसे माहौल में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता को जुझारुपन और आशावाद के नजरियों को देखें तो आने वाले सालों सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी में 7 से 7.75 प्रतिशत के दायरे में वृद्धि होने की उम्मीद जताई गई। समीक्षा के मुताबिक वर्ष 2015 के दौरान दुनिया की कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सुधार आया है। लेकिन कुछ विकसित और विकासशील देश ऐसे भी रहे हैं जिनमें लगातार पांचवे साल गिरावट रही है। कुल मिलाकर 2015 में वैश्विक आर्थिक गतिविधियां कमजोर रही। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2015 में विश्व अर्थव्यवस्था की वृद्धि 3.1 प्रतिशत से बढ़कर 2016 में 3.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इनमें विकसित देशों की वृद्धि 2016 में 2.1 प्रतिशत और 2017 में भी इसी दर पर रहने का अनुमान व्यक्त किया है। समीक्षा के अनुसार यदि विश्व अर्थव्यवस्था में लगातार नरमी बनी रहती है तो भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ी चुनौती का मुकाबला करना पड़ सकता है। वर्ष 2016.17 के परिदृश्य को ध्यान में रखते हुये हमें समग्र मांग, निर्यात, खपत, निजी निवेश और सरकार से जुड़े हर पहलू पर गौर करना होगा।
ये होंगी प्रमुख चुनौतियां
भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष खतरों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि तीन प्रमुख चुनौतियां हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में उठापटक से निर्यात और सख्त वित्तीय स्थिति का परिदृश्य और बिगड़ेगा। दूसरा कच्चे तेल के दाम यदि अनुमान से ज्यादा बढ़ जाते हैं, तो इसका खपत पर असर पड़ेगा। यह असर एक तो सीधे होगा और दूसरे मौद्रिक नरमी की संभावनायें भी इससे कम होंगी। अंत में यदि दोनों ही बातें हो जातीं हैं तो यह काफी गंभीर जोखिम होगा। तेल उत्पादक देश यदि उत्पादन में कटौती का समझौता कर लेतीं हैं तो स्थिति बिगड़ सकती है।
जीएसटी बनेगा सुधार का आधार
वित्त मंत्री जेटली द्वारा पेश समीक्षा में वस्तु एवं सेवाकर यानि जीएसटी को आधुनिक वैश्विक कर इतिहास में असाधारण उपाय करार दिया गया। खासतौर से जीएसटी दीर्घकाल में भारत की आर्थिक वृद्धि आठ से दस प्रतिशत तक बढ़ाने की संभावनाओं का प्रबल करेगा। लेकिन अल्पकाल में वास्तविक आर्थिक वृद्धि वैश्विक वृद्धि और मांग पर निर्भर करेगी। विनिर्मित वस्तु और सेवाओं का भारत का निर्यात देश के जीडीपी का 18 प्रतिशत हिस्सा है, जो एक दशक पहले यह करीब 11 प्रतिशत था।
7वें वेतन आयोग का होगा यह असर
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक समीक्षा में आम आदमी को प्रभावित करने वाले 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों पर कहा कि इसके लागू करने से बाजार की कीमतों से अस्थिरता नहीं आएगी, लेकिन वेतन वृद्धि लागू करने से महंगाई पर थोड़ा असर पड़ेगा, लेकिन कीमतें अस्थिर होने की कोई संभावना नहीं है। मसलन वेतन वृद्धि से कीमतों में अस्थिरता की संभावना नहीं है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार रेलवे सहित अनुमानित वेतन का बिल सातवें वेतन आयोग के तहत करीब 52 प्रतिशत बढ़ जाएगा, जबकि छठे वेतन आयोग में यह 70 प्रतिशत बढ़ा था। इससे कहा गया है कि चूंकि सरकार राजकोषीय घाटे को कम करने को प्रतिबद्ध है इस लिए वेतन में बढोतरी होने के बावजूद कीमतों का दबाव कम होगा।

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

मेक इन इंडिया से होगा रेलवे का कायाकल्प!

रेलवे नेटवर्क को विश्व स्तर पर ले जाने की कवायद
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
रेल मंत्री सुरेश प्रभु के रेल बजट में प्रधानमंत्री के शुरू किये गये मेक इन इंडिया, डिजीटल इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान की ऐसी झलके देखने को मिली, जिनके जरिए रेलवे का कायाकल्प करने का प्रयास है।
संसद में पेश किये गये रेल बजट-2016-17 में देश को विकास करने वाली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मिशन की झलक साफतौर से नजर आई, जिसके जरिए रेल मंत्री प्रभु भी रेलवे के विकास और उसके कायाकल्प करने की योजनाओं को आगे बढ़ाने की राह पर हैं। रेल मंत्री की प्राथमिकता रेलवे को बेहतर बनाकर वैश्विक स्तर तक ले जाने की है, जिसके लिए उन्होंने आम आदमी की जेब पर कतई कोई बोझ नहीं ड़ाला, बल्कि रेलवे को विश्वस्तरीय बनाने के लिए रेलवे के कायाकल्प की परिकल्पना के सामने खड़ी चुनौतियों को ‘चलो मिलकर कुछ नया करें’ जैसे स्लोगन के रूप में यात्रियों की उम्मीदों के पंख के सहारे पार करने का प्रयास है। रेल बजट पेश करते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु का यह कहना कि इसी प्रयास का द्योतक है कि वह ड्राईविंग सीट पर जरूर हैं, लेकिन उनके साथ देश की पूरी जनता सफर कर रही है, इसलिए जनता का ख्याल रखने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। इसलिए टेÑनों में ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने, कोच बढ़ाने और ट्रेनों की गति बढ़ाने के अलावा ई-टिकटिंग, प्लेटफॉर्म टिकट वेंडिंग मशीन, एसएमएस से कोच की सफाई, हर कोच में इंफॉर्मेशन डिस्पले बोर्ड, बायो-टायलेट, सोलर एनर्जी, वाई-फाई, रेलवे कोचों में मोबाइल चार्जिंग और स्वच्छ शौचालयों जैसी सुविधाएं देने का वादे के अलावा रेलवे सुरक्षा में तकनीक प्रणाली से जोडने के लिए रेलवे को सुधारने की ही कवायद है। वहीं बजट में यात्रयिों की सुरक्षा खासकर महिलाओं की सुरक्षा को रेलवे की प्राथमिकता करार देते हुए रेल मंत्री ने के तौर पर रेलवे की द्वारा सभी बड़े स्टेशनों को चरणबद्ध तरीके से सीसीटीवी सर्विलांस के दायरे में लाने की घोषणा भी यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। यही नहीं बजट में रेलवे की आर्थिक सहेत सुधारने के उपायों पर भी जोर दिया गया है, जिसके लिए अंतर्राष्टÑीय और राज्यों के साथ करार करना भी यही संकेत दे रहा है कि मोदी के विजन के तहत रेलवे की कायाकल्प करने की तैयारी है।

रेलवे ऐसे बढ़ाएगी अपनी की आमदनी

रोजगार के अवसर बढ़ाने में भी मिलेगी मदद
नई दिल्ली

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस बार बजट 2016 में यात्री और मालभाड़े में कोई इजाफा करने के बजाए रेलवे कमाई अन्य दूसरे स्रोतों से करने की योजना बनाई है। मसलन जमीन को मोनेटाइज करना, खाली जमीनों का कमर्शियल यूज, विज्ञापन आदि के जरिए बढ़ाने पर फोकस किया है। इसमें रेलवे की योजना रोजगार सृजन करने की भी योजना है।
संसद में प्रभु ने रेल बजट 2016-17 को पेश करते हुए कहा कि मौजूदा रेवेन्यू को अगले पांचसाल के दौरान 10 फीसदी बढ़ाने का ऐलानप किया है। जबकि जमीन का मोनेटाइजिंग करते हुए रेलवे के आसपास बड़े पैमाने पर खाली पड़ी जमीन को लीज पर देने ताकि हॉटिकल्चर और पौधों के प्लांटेशन को प्रोत्साहन दिया जाए। रेलवे का मानना है कि इससे पिछड़े बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा। इतना ही नहीं इससे फूड सिक्योरिटी को बढ़ावा मिलेगा और जमीन और जमीन कब्जे पर रोक लगेगी। अगले तीन महीनों के दौरान कम से कम 20 स्टेशनों में रेवेन्यू की संभावनाएं तलाशकर कमाई बढ़ाने का एक मॉडल तैयार किया जाएगा।
खाली जमीनों का यूज स्टेशन रीडेवलपमेंट के लिए एक प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। रेलवे की खाली पड़ी जमीन का कमर्शियल यूज तलाशा जाएगा। इसके अलावा, स्टेशन बिल्डिंग और स्टेशन के बाहर की जमीनों का कमर्शियल यूज किया जाएगा। सर्विसेज से बढ़ाएंगे कमाई रेलवे पैसेंजर की प्राथमिकता, टिकटिंग,कमोडिटी, ट्रेन रनिंग पर विभिन्न सर्विसेज और आॅपरेशन पर डाटा कलेक्ट कर रेवेन्यू बढ़ाने का मॉडल तैयार करेगी। इसके अलावा रेलवे ई-कॉमर्स की फैसिलटी भी देना शुरू करेगी, जिससे रेलवे की कमाई बढ़ेगी। इतना ही नहीं, आईआरटीसी पैसेंजर की प्राथमिकता के आधार पर फूड सर्विसेज भी देगी। मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी से 2020 तक मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों से 4 हजार करोड़ करोड़ रुपए का रेवेन्यु हासिल करने के लिए कमाई करने की योजना है। इसके लिए अपनी यूनिट्स को सशक्त बनाते हुए इंसेंटिव्स दिए जाएंगे। इसके अलावा डोमेस्टिक और इंटरनेशनल की बड़ी कंपनियों के जरिए बेहतर मैन्युफैक्चरिंग और उत्पादन बढ़ाने पर फोकस करने पर बल रहेगा।

दिल्ली को मिली रिंग रेल की सौगात
सड़क परियोजना के बाद रेलवे बनेगा वरदान
नई दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के यातायात को आसान बनाने के लिए जहां केंद्र सरकार ने कई सड़क योजनाओं को शुरू कराया है, वहीं मेट्रो के बोझ को कम करने के लिए रिंग रेल नेटवर्क बनाने का ऐलान करके दिल्लीवासियों को बड़ी सौगात दी है।
लोकसभा में गुरुवार को रेल बजट के भाषण के दौरान रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने दिल्ली को यह एक बड़ी सौगात देते हुए रिंग रेल नेटवर्क बनाने की योजना का ऐलान किया है। केंद्र सरकार का यह निर्णय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के यातायात को नियंत्रण करने और प्रदूषण की समस्या से निपटने की दिशा में लिया गया है। मसलन दिल्ली में ज्यादातर जनता मेट्रो नेटवर्क के सहारा ले रही है, रेलवे की इस घोषणा से मेट्रो पर क्षमता से ज्यादा बढ़ रहे बोझ से भी राहत मिल सकेगी। वहीं दिल्ली से बाहर से दिल्ली से होकर एक दूसरे राज्य में जाने वाले वाहनों को बिना दिल्ली में घुसे एक-दूसरे राज्य में जाने की व्यवस्था पहले ही कर दी गई है, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच नवंबर को फरीदाबाद, गाजियाबाद, बागपत से होते हुए सोनीपत तक बाहरी राजमार्ग की नींव रख चुके हैं। दूसरे दिल्ली में यातायात और प्रदूषण की विकराल होती समस्या के कारण दिल्ली सरकार को आॅड-ईवन फॉम्यूर्ले का सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसी समस्या को देखते हुए रेलवे ने दिल्ली वालों को एक सौगात के रूप में रेल बजट में रिंग रेल नेटवर्क योजना दिल्ली के लोगों के लिए एक वरदान साबित होगा, जो प्रदूषण के साथ ही जाम और मेट्रो की बढ़ती भीड़ को भी निजाद दिलाएगा। रेल बजट में की गई घोषणा के अनुसार दिल्ली के 21 स्थानीय स्टेशनों को रिंग रेल से आपस में जोड़ने की योजना है। हालांकि मौजूदा समय में भी दिल्ली में रिंग रेल नेटवर्क चलाया जा रहा है, लेकिन इसकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। दैनिक यात्रियों का कहना है कि इस रूट पर ईएमयू बहुत कम हैं और जो हैं भी वह बहुत देरी से चलती हैं। रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इसी नेटवर्क को बेहतर बनाने के लिए 4 महीने का समय मांगा है और इसके लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत विकसित करने की बात कही है।
इन स्टेशनों को जोड़ने की योजना
रेलमंत्री सुरेश प्रभु के अनुसार करीब 36 किलोमीटर लंबे इस रिंग रेल नेटवर्क के तहत 21 स्टेशनों को शामिल किया जाएगा। यह नेटवर्क स्थानीय परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में भी मददगार होगा। यह रिंग रेल नेटवर्क हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से शुरू होकर लाजपत नगर, सेवा नगर, लोधी कॉलोनी, सरोजनी नगर, चाणक्यपुरी, सफदरजंग,सरदार पटेल मार्ग, बराड़ स्क्वैयर, इंद्रपुरी हाल्ट, नारायणा विहार, कीर्ति नगर, पटेल नगर, दया बस्ती, विवेकानंदपुरी, किशनगंज, सदर बाजार, शिवाजी ब्रिज और प्रगति मैदान होते हुए दोबारा हजरत निजामुद्दीन स्टेशन पर खत्म होता है। फिलहाल इस नेटवर्क पर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 90 मिनट का समय लगता है।
26Feb-2016

अब सहायक कहना जनाब, कुली नहीं!

प्रभु ने सम्मान में बदला 200 साल पुराना शब्द 'कुली'
नई दिल्ली

आखिरकार रेलवे ने रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों के सामान को ढ़ोने वाले कुलियों को सम्मान देकर अंगे्रजी हकूमत की 200 साल से जारी परंपरा को खत्म करने का ऐलान कर दिया। मसलन अब रेलवे स्टेशन पर कुली शब्द सुनाई नहीं देगा।
लोकसभा में गुरुवार को पेश किये गये रेल बजट में रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने रेलस्टेशन पर यात्रियों के सामान को ट्रेनों में चढ़ाने र उताकर कर ढोने वाले कुलियों को सम्मान देते हुए उनके ‘कुली’ के स्थान पर ‘सहायक’ पद का दर्जा देने का ऐलान किया है। यही नहीं रेलवे ने उनके शब्द में बदलाव नहीं किया, बल्कि उनकी वर्दी बदलने का भी फैसला किया है। अब रेलवे स्टेशनों पर कुलियों को सहायक कहकर पुकारा जाएगा। रेल बजट में प्रभु ने कहा कि कुली का काम करने वाले सहायकों को एक विशेष तरह
का प्रशिक्षण देने और उन्हें सामूहिक बीमा सुविधाएं देने के लिए संभावनाओं को तलाशने की भी घोषणा की है। बजट पेश करते हुए रेलमंत्री ने कहा कि इसका मकसद रेलवे की छवि सुधारने के तहत कुलियों को यात्रियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिसके लिए उन्हें समुचित प्रशिक्षण देने की व्यवस्था भी की जाएगी। गौरतलब है कि रेलवे के इतिहास में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वर्ष 1807 में यूरोपियन देशों में ‘कुली’ शब्द की शुरूआत हुई थी, जो अंग्रेजों के साथ भारत आया। भारत में कुली शब्द को उर्दू की जुबान माना जाता है।

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

जनता की उम्मीदों को पूरा करना प्रभु

आज पेश होगा संसद में रेल बजट
रेल बजट में रेलवे सुधार पर रहेगा जोर
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु कल गुरुवार को संसद में रेल बजट पेश करेंगे, जिस पर जनता की उम्मीदें भरी नजरे लगी हुई हैं। इस बार रेल बजट में सुरेश प्रभु का जहां रेलवे को घाटे से उबारने पर जोर रहेगा, वहीं रेल यात्रियों को कई तरह की राहत दे सकते हैं, जबकि रेलवे के आधुनिक सुधार और उसके बुनियादी ढांचे को सुधारने की भी घोषणाएं होने की संभावना है।
सरकार को दुनिया के दूसरे सबसे बड़े नेटवर्क रेलवे को विश्वस्तरीय पहचान देने के लिए आगे बढ़ रही मोदी सरकार का प्रयास है कि यात्रियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं और सुरक्षा सुनिश्चित कराई जाए। सरकार रेलवे को घाटे से बाहर भी निकालने की कवायद में लगी हुई है। रेलवे और रेलवे स्टेशनों पर आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के साथ रेलवे के बुनियादी ढांचे को भी मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। लिहाजा सरकार की ऐसी योजनाओं को देखते हुए गुरुवार को लोकसभा में पेश होने वाले रेल बजट पर पूरे देश की नजरें लगना स्वाभाविक है। मसलन मोदी सरकार के तीसरे रेल बजट में यात्रियों की ज्यादा से ज्यादा सुविधाओं का ख्याल रखते हुए सुरेश प्रभु की रेल सुधारों की पटरी पर दौड़ाने की ज्यादा संभावना है। हालांकि इस बजट में वातानुकूलित प्रथम श्रेणी में तकरीबन सभी रियायतें समाप्त हो सकती हैं। इसके अलावा विभिन्न रियायतों को तर्कसंगत बनाने, उनमें कमी लाने तथा उनके दुरूपयोग को रोकने के उपायों की घोषणा हो सकती है। देश में बुलेट ट्रेन और सेमी बुलेट टेÑन चलाने की योजनाओं का खुलासा होने की भी संभावना बनी हुई है। राज्यों के साथ संयुक्त उपक्रम बनाकर रेलवे ढांचे को मजबूत करने वाली कई योजनाएं सामने आ सकती हैं।

बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

बुजुर्गो को मिलेगा कैशलेस स्वास्थ्य बीमा!

सरकार के बजट में हो सकता है ऐलान
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र की मोदी सरकार वरिष्ठ नागरिकों के लिए कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम (नकदी रहित स्वास्थ्य बीमा योजना) पर काम कर रही है जिसकी घोषणा संसद में 29 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट में हो सकती है।
सूत्रों के के अनुसार देशभर के विभिन्न बैंकों, बीमा कंपनियों, ईपीएफओ और लघु बचत योजनाओं में 10 हजार करोड़ रुपए की ऐसी धनराशि पड़ी हुई है, जिसके लिए कोई दावा करने के लिए आगे नहीं आ रहा है। सरकार की योजना है कि कि इस राशि का इस्तेमाल देश के बुजुर्गो को स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करने के लिए किया जाए। सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ नागरिकोें के लिए इस बीमा योजना लाने का मकसद है कि उन्हें अपने स्वास्थ्य के लिए बच्चों या परिवार पर आश्रित न रहना पड़े। सरकार की इस प्रस्तावित योजना के जरिए वरिष्ठ नागरिकों की द्वितीयक और तृतीयक स्तर की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। इसके लिए केंद्र सरकार एक नेशनल हेल्थ एजेंसी बनाने पर भी विचार कर रही है, जो इस योजना को प्रभावी तरीके से लागू कराएगी। नेशनल हेल्थ मिशन जैसी सरकारी योजनाएं भी इस एजेंसी की निगरानी में ही चलेंगी।
कैसी होगी स्वास्थ्य बीमा योजना
सरकार की कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस योजना के तहत 60 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों को 50 हजार रुपए से अधिक का हेल्थ इंश्योरेंस कवर दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार सरकार बिना दावे वाली इस धनराशि को जब्त करने के बजाए इसका उपयोग सामाजिक व स्वास्थ्य सेवाओं में करना चाहती है। इसी मकसद से सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना कम प्रीमियम वाली प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना के विस्तार के रूप में इस योजना को लागू कर सकती है। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि यदि इस राशि में कोई दावेदार सामने भी आता है तो उसे उसके दावे की राशि भुगतान किया जाएगा।

हिंसा का सबसे बुरा रूप गरीबी

संसद का बजट सत्र शुरू
लोकतंत्र में वाद विवाद और चर्चा बेहद जरूरी
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने केंद्र सरकार के सर्वोपरि लक्ष्य गरीबी उन्मूलन अभियान को एक नैतिक जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि देश में गरीबी ही हिंसा का सबसे बुरा रूप है। वहीं उन्होंने संसद को जनता की सर्वोच्च आकांक्षाओं का प्रतीक बताते हुए कहा कि
लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद विवाद और चर्चा जरूरी है, न कि अवरोध पैदा करना।
संसद के बजट सत्र की शुरूआत में संयुक्त बैठक में बोलते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार का गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य सर्वोपरि है। उन्होंने गांधी के कहे शब्दों का अनुसरण करते हुए कहा कि गरीबी हिंसा का सबसे बुरा रूप है। देश की प्रगति का सार इसी में है कि जो गरीब, वंचित और समाज के हाशिए पर है उनमें भी परितोष का भाव हो। उन्होंने कहा कि देश के संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार सबसे गरीब व्यक्ति का है और गरीबी और अभाव को दूर करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार संसद के सुचारू और रचनात्मक कार्य संचालन के लिए निरंतर प्रयासरत है। लोकतांत्रिक प्रणाली में संसद हो अवरोध करने के बजाए वाद विवाद और चर्चा की जरूरत है। उन्होंनें सांसदों से अनुरोध किया कि संसद में उन्हें सहयोग और आपसी सद्भावना के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करके एक समृद्ध भारत बनाने का प्रयास करना चाहिए। केंद्र सरकार की परिकल्पनाओं का आशय ऐसे भारत का निर्माण करना है जो भविष्य में पूरे आत्मविश्वास के साथ अग्रसर होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा सशक्त और दूरदर्शी भारत जो लोगों को विकास विकास का यह सिद्धांत ‘सबका साथ, सबका विकास’ में निहित है और यही केंद्र सरकार का मूलभूत सिद्धांत है। राष्टÑपति ने अपने अभिभाषण में सरकार की अर्थव्यवस्था, कारोबारी, बिजली, सभी को घर मुहैया कराने जैसी योजनाओं का जिक्र भी किया और कहा कि सरकार एक समृद्ध भारत निर्माण की ओर अग्रसर है।
भ्रष्टाचार खत्म करने के उपाय
मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने जहां एक ओर भ्रष्टाचार की गुंजाइश समाप्त करने के उपाय किये हैं, वहीं भ्रष्ट पाये गए व्यक्तियों को दंड देने में भी कोई नरमी नहीं बरती है। इसके लिए भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम में ऐसे कड़े संशोधन हो रहे हैं, ताकि भ्रष्टाचार विरोधी कानून में बचाव की कोई गुंजाइश ही न हो। सरकार ने बेहतर प्रशासन के लिए किये गये उपायों के तहत संस्थाओं को बेहतर बनाने, प्रक्रियाओं को सरल बनाने तथा करीब 1800 पुराने कानूनों को हटाने हेतु महत्वपूर्ण कदमों में प्रक्रिया जारी है।
किसानों का कल्याण
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किसानों की समृद्धि को राष्ट्र की समृद्धि का आधार बताते हुए कहा कि सरकार ने किसान कल्याण के लिए अनेक उपाय किये हैं और नयी फसल बीमा योजना पेश करने के साथ प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होने वाले किसानों को मिलने वाली सहायता में 50 प्रतिशत की वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि मार्च 2017 तक देश के सभी 14 करोड़ जोत धारकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दे दिये जायेंगे। इस योजना के तहत किसान अपनी जमीन के पोषक तत्वों की स्थिति का पता लगा सकेंगे जिससे उन्हें उचित उर्वरक का चुनाव करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ शुरू की गई है।

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

वार रूम बना वित्त मंत्रालय: सुरक्षा चाकचौबंद

अंतिम चरण की तैयारी आम बजट
 नई दिल्ली

संसद के बजट सत्र में 29 फरवरी को वित्त मंत्री आम बजट पेश करेंगे। बजट की तैयारी अंतिम चरण में पहुंचते ही उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, जिसके लिए नॉर्थ ब्लाक स्थित वित्त मंत्रालय कड़ी सुरक्षा और खुफिया तंत्र की निगरानी में वार रूम बना हुआ है।
नॉर्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय में शुक्रवार को बजट दस्तावेज की छपाई प्रक्रिया शुरू हो गई थी। इस बजट दस्तावेज की गोपनीयता बजट पेश होने तक रखना परंपरागत नियम है। बजट दस्तावेज की छपाई प्रक्रिया में मंत्रालय के एक सौ अधिकारी व कर्मचारी ही छपाई खाने में होते हैं, जिन्हें किसी भी व्यक्ति, यहां तक परिजन से मिलने की भी इजाजत नहीं होती। आम बजट में सरकार की रणनीतियों की गोपनीयता को कायम रखने के मकसद से ही वित्त मंत्रालय कड़ी सुरक्षा घेरे में हैं जहां आईबी यानि खुफिया की भी नजरे लगी हुई है, ताकि बजट की गोपनीयता कायम रखी जाए।
ऐसी होती है नार्थ ब्लाक की सुरक्षा
नॉर्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय के क्षेत्र की सुरक्षा में खुफिया विभाग (आईबी), दिल्ली पुलिस और सीआईएसएफ आदि सुरक्षा बल लगे हुए हैं। आमतौर पर बजट की तैयारी में लगी नार्थ ब्लाक के संबंधित हिस्से में जनवरी के शुरू से ही पत्रकारों और आम जनता का प्रवेश बंद कर दिया जाता है। वहीं नार्थ ब्लाक में आने वाली और यहां से बाहर जाने वाली हर चीज को विशेष एक्स-रे स्कैन से गुजार कर उस पर पैनी नजर रखी जाता है। वहीं शक्तिशाली मोबाइल फोन जैमर यंत्र लगा दिये जाते हैं, ताकि मोबाइल फोन काल से किसी सूचना को बाहर न किया जा सके। वरिष्ठ अधिकारियों व प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों के कार्यालयों में इंटरनेट कनेक्शन बंद कर दिए जाते हैं और नार्थ ब्लाक की बजट शाखा एक वार-रूम की तरह काम करने लगती है। लोकसभा में बजट पेश होने तक नार्थ ब्लाक में सुरक्षा के उच्चतम स्तर के उपाय लागू रहते हैं।
क्या है नीला जैकेट
इन सभी दस्तावेजों की सुरक्षा एक ‘नीला जैकेट’ करता है। इसे नीला जैकेट इसलिए भी कहते हैं क्योंकि इसमें बजट के लिए महत्वपूर्ण संख्या होते हैं। मंत्रालय का संयुक्त सचिव बजट इसका प्रभारी होता है और वह किसी को भी यहां तक कि वित्त मंत्री को भी इसे नार्थ ब्लाक से बाहर ले जाने नहीं देता। बजट बनाने की संपूर्ण प्रक्रिया के दौरान मंत्रालय के कुछ ही अधिकारी इस दस्तावेज को देख पाते हैं। वित्त मंत्री का भाषण, बजट पेश होने से कुछ घंटे पहले ही तैयार किया जाता है। इस बार का बजट इस लिहाज से अहम है कि जेटली को वृद्धि दर में तेजी लानी है और देश में कम निवेश को लेकर आ रही समस्याओं का समाधान करना है। उन्हीं पर राजकोषीय घाटा और राजस्व घाटे पर भी नियंत्रण करने की जिम्मेदारी है।
पहली बार अनुमान
हालांकि बजट की तैयारियों लगे नार्थ ब्लाक (वित्त मंत्रालय) में परंपरागत गोपनीयता बरती जा रही है, लेकिन इस साल ऐसा पहला मौका है, जब वित्त मंत्रालय में सचिवों ने आम बजट 2016-17 की दिशा का संकेत देने के लिए यूट्यूब का सहारा लिया है। अपने खुद के यूट्यूब चैनल का उपयोग करते हुए मंत्रालय ने बजट का महत्व दशार्या हैं। मंत्रालय ने बजट को प्रस्तुत करने के लिए वित्त मंत्री द्वारा बजट पत्रों को चमड़े के एक ब्रीफकेस में ले जाने की परिपाटी को भी प्रदर्शित किया है।
23Feb-2016

जीएसटी जैसे मुद्दों पर भारी पड़ेगा जेएनयू प्रकरण!

सर्वदलीय बैठक: नरम नहीं पड़े विपक्षी दलों के तेवर
 नई दिल्ली

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण के साथ मंगलवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में जहां सरकार जीएसटी और रियल एस्टेट जैसे विधेयकों को पारित कराने पर जोर दे रही है, वहीं विपक्षी दल जेएनयू और हैदराबाद यूनिवर्सिटी में छात्र की आत्महत्या तथा जाट आरक्षण के मुद्दे को जोरशोर से उठाने का राग अलाप रहे हैं। हालांकि सरकार ने इन मुद्दों पर चर्चा कराने का भरोसा दिया है, लेकिन इसके बावजूद इस सत्र की शुरूआत हंगामेदार होने के आसार बने हुए हैं।
सरकार की ओर से सोमवार को संसद भवन में संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू ने सर्वदलीय बैठक में मंगलवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र को सुचारू रूप से चलाने में विपक्षी दलों से सहयोग की अपील की है। विपक्षी दलों की मांग पर सरकार ने विपक्ष को भरोसा दिया है कि वह जेएनयू और हैदराबाद यूनिवर्सिटी में छात्र की आत्महत्या तथा जाट आरक्षण जैसे सभी मुद्दों पर संसद में चर्चा कराने को तैयार है। वहीं सर्वदलीय बैठक में सरकार ने विपक्षी दलों से जीएसटी और रियल एस्टेट जैसे देश के लिए महत्वपूर्ण विधायी कार्यो में सहयोग करने और सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग मांगा है। बैठक में सरकार और विपक्ष के विचार विमर्श के बावजूद संसद का बजट सत्र की शुरूआत हंगामेदार होने के आसार हैं। वहीं सरकार के लिए राज्य सभा में प्रमुख विधेयकों को पारित कराने की चुनौती है जिसके लिए सरकार को विपक्ष के समर्थन की दरकार है।
बजट सत्र में 32 विधेयक
सर्वदलीय बैठक के बाद एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि संसद के बजट सत्र के दौरान सरकार जीएसटी विधेयक, रियल एस्टेट विधेयक, दिवालिया संबंधी विधेयक, आंतरिक जलमार्ग विधेयक, भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता के बाद लोगों को मताधिकार देने से संबंधित निर्वाचन विधेयक को आगे बढ़ाने का प्रयास करेगी। इस सत्र में इन महत्वपूर्ण और आर्थिक सुधारों संबन्धी विधेयकों समेत एजेंडे में 32 विधायी कार्य शामिल हैं। सरकार का प्रयास है कि इन महत्वपूर्ण कार्यो में विपक्ष सकारात्मक भूमिका निभाते हुए सहयोग दें। उन्होंने कहा कि एजेंडे में शामिल विधेयकों के अलावा उन सभी उन मुद्दों पर भी नियमानुसार चर्चा की जाएगी, जिन्हें विपक्ष उठाना चाहता है।
सरकार का बचाव
नायडू ने विपक्ष द्वारा जेएनयू और रोहित वेमुला मुद्दा उठाने की संभावना पर कहा कि सरकार का बचाव करते हुए कहा कि इन मामलों में कहीं भी कोई गलती नहीं की और वह सभी मुद्दों पर चर्चा कराने के पक्ष में है। नायडू ने कहा कि जेएनयू हो या हैदराबाद विश्वविद्यालय या कोई अन्य मुद्दा, सरकार को उन पर चर्चा कराने में कोई हिचक नहीं है। सरकार का मकसद है कि संसद में हंगामा न हो और सदन सुचारू रूप से चले ताकि देशहित के कार्यो का निपटान हो सके।
23Feb-2016

सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

संसद में सरकार को घेरने को तैयार विपक्ष!

हंगामेदार शुरूआत सरकार की चुनौती
23 फरवरी को होगी संसद सत्र की शुरूआत
लोकसभा अध्यक्ष ने आज बुलाई सर्वदलीय बैठक
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
संसद का 23 फरवरी से शुरू हो रहा बजट सत्र सरकार की मुश्किलों का सबब बन सकता है। मसलन जेएनयू, जाट आरक्षण आंदोलन, हैदराबाद यूनिवर्सिटी में छात्र की आत्महत्या जैसे अनेक मुद्दों को लेकर संसद में सरकार की घेराबंदी करने के लिए लामबंद होता नजर आ रहा है। हालांकि सरकार भी विपक्ष के हमले का जवाब देने के लिए आक्रमक तेवरों के साथ संसद में आने के लिए पूरी रणनीति तैयार कर चुकी है। देश में ऐसे मुद्दों पर गरमाई सियासत के मद्देनजर संसद के बजट सत्र की शुरूआत हंगामेदार होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
मंगलवार को संसद के बजट सत्र की शुरूआत संयुक्त सदन की बैठक में राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण से होगी। विपक्षी दलों के सरकार के खिलाफ आक्रमक तेवरों से अभिभाषण के दौरान भी हंगामा होने की संभावना बनी हुई है। हालांकि सरकार विपक्ष के हरेक मुद्दे पर चर्चा कराने का भरोसा दे चुकी है। वहीं एक दिन पहले राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने भी सर्वदलीय बैठक बुलाकर संसद के सत्र को सुचारू रूप से चलाने का आव्हान किया है। इन बैठकों में हालांकि सरकार को विपक्ष ने कुछ जरूरी बिलों पर समर्थन करने का भी वादा किया है, लेकिन कुछ पेचीदा मुद्दों पर विपक्ष सरकार से सहमत होने को तैयार नहीं है। सत्र शुरू होने से एक दिन पहले 22 फरवरी को इसी मकसद से लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
विपक्ष की आक्रमक रणनीति
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस, वाम दलों, जद-यू, राजग और राकांपा जेएनयू विवाद तथा रोहित वेमुला की आत्महत्या के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर चुके हैं। वहीं इन मुद्दों पर आक्रमक रणनीति में इन दलों द्वारा सरकार के खिलाफ अन्य दलों को भी अपने पाले में लाकर लामबंदी कर रहे हैं। इनके अलावा विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए जाट आरक्षण आंदोलन, पठानकोट आतंकवादी हमला, अरुणाचल के राजनीतिक घटनाक्रम जैसे अनेक ऐसे मुद्दे है, जिनका जिक्र करते हुए विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी द्वारा बुलाई गयी बैठकों में खुला ऐलान कर दिया है कि वे संसद में इन मुद्दों को जोर शोर से उठाएंगे और सरकार को जवाब देना होगा। इसके अलावा हाल में शेयर बाजारों में भारी उथल पुथल और डालर की तुलना में रुपए की कीमत में गिरावट के लिए भी विपक्ष मौजूदा सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराने में लगे हैं।

रविवार, 21 फ़रवरी 2016

राग दरबार: सेक्युलर स्यापों की देशभक्ति..

जेएनयू का जिन्न या सियासत
एक विशालकाय हाथी भी चींटी से मात खा जाता है, ऐसा ही देश के सेक्युलर स्यापों को जेएनयू में राजद्रोह पर हो रही सियासत का नतीजा देखना पड़ सकता है, लेकिन जेएनयू का जिन्न जो गरमाई सियासत का पिंड छोड़ने को तैयार ही नहीं है। दिलचस्प बात है कि इस सियासत में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता अपनी रगो में देशभक्ति का खून दौडने की दुहाई देने के बावजूद देश को बर्बाद करने का मंसूबा पालने वालों की हौंसलाअफजाई करने में सबसे आगे है। देशभक्ति का गुणगान करके मौजूदा सरकार पर सवाल खड़े करने कांग्रेस नेताओं की जुबान भी फिसल रही है, जो आतंकवादी अफजल को शहीद मानकर शायद सम्मान में जी का संबोधन कर गये। राजनीतिक गलियारों में ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी ऐसी चर्चा जोर पकड़ रही है कि कांग्रेस प्रवक्ता यदि अफजल को गुरू जी कह रहे हैं, तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि उनकी इस जुबानी होने के साथ कांग्रेस युवराज ने जेएनयू पहुंचकर देश को बर्बाद करने का मंसूबा पालने वालों की हौसलाअफजाई की, वहीं रुड़की आईआईटी में एक अन्य बड़बोले कांग्रेसी नेता अय्यर ने खुलकर जेएनयू में देशद्रोही नारेबाजी करने वालों की जमकर पैरवी की। भले ही मणिशंकर को छात्रों की खरी-खोटी सुननी पड़ी हो। सोशल मीडिया पर ऐसी टिप्पणियां भी सुर्खियां बन रही हैं कि कांग्रेसी, वामपंथी और देश के तमाम सेक्युलर सूरमा गुरू ही नहीं,अफजल को अब्बा भी कह सकते हैं..। इशरतजहां के एनकाउंटर पर जी भरकर स्यापा हुआ था, वहीं नितीश कुमार ने इशरत को बेटी बताया, तो अब हेडली ने उसे आतंकी मानव बम बताकर देश की सियासत में छाए ऐसे सेक्युलरिस्टों का चेहरा बेनकाब ही कर दिया है..जिसके नतीजे आने वाली राजनीति में कितने घातक हो सकते हैं इसका अंदाजा लगाना कठिन होगा।
मुख्यमंत्री बनने के सपने
उत्तराखंड भाजपा में चुनाव से पहले ही कई नेता मुख्यमंत्री बनने के सपने देखने लगे हैं। अगले साल इस पहाड़ी राज्य में विधानसभा चुनाव है। फिलहाल उत्तराखंड में कांग्रेस सत्ता पर काबिज है। भाजपा ने चुनावी जंग जीतने के लिए तैयारियों पर मंथन शुरू किया तो नेताओं के मन में सीएम की कुर्सी पाने के लिए लड्ढू फूटने लगे। इसी हμते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में उत्तराखंड भाजपा कोर ग्रुप की बैठक बुलाकर लंबी चर्चा इस बात पर की कि चुनाव कैसे जीता जाए। खबर है कि जब राष्टÑीय अध्यक्ष रणनीति पर चर्चा कर रहे थे तो कुछ बड़े नेताओं की इच्छा थी कि मुख्यमंत्री का चेहरा भी तय कर देना चाहिए। शाह भी राजनीति अच्छी तरह समझते है लिहाजा उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले और सभी को हिदायत दी कि प्रदेश में लोगों के बीच समय बिताओ। कोई कसर नहीं रहनी चाहिए। दरअसल सूबे में भाजपा के पास कई पूर्व मुख्यमंत्री हैं। भगत सिंह कोश्यारी और भुवन चंद्र खंडूरी से लेकर निशंक तक। सभी पार्टी हाईकमान को बता रहे हैं कि चुनाव जीतना है तो उनको बागडोर सौंपो। पार्टी में चर्चा है कि नेताओं का उतावलापन अपनी जगह ठीक है पर फैसला समय आने पर ही होगा।

शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

हलवा खाते ही टूटा इनका बाहरी नेटवर्क!

बजट पेश होने तक वित्त मंत्रालय के मेहमान रहेंगे नौकरशाह
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
संसद के सत्र के दौरान आगामी 29 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट से जुड़े दस्तावेजों छपाई का काम शुक्रवार से शुरू हो गया है, जिसका शुभारंभ परांरागत हलवा कार्यक्रम से हुआ। मसलन संसद में बजट से पहले दस्तावेजों को तैयार और छपाई के जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मंत्रालय में ही बंद रहना होगा और किसी को भी अपने घर या बाहर जाने की इजाजत नहीं होगी। वहीं ये लोग इंटरनेट या मोबाइल या किसी अन्य के जरिए परिजनों समेत किसी भी बाहरी लोगों से संपर्क कर सकेंगे।
वित्त मंत्रालय के अनुसार संसद में 29 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट 2016-17 के लिए दस्तावेजों की छपाई का काम शुक्रवार को शुरू हो गया। इस कार्य की शुरूआत परंपरागत रस्म ‘हलवा कार्यक्रम’ से की गई। मसलन नॉर्थ ब्लॉक में हुए इस हलावा कार्यक्रम में वित्त मंत्री अरुण जेटली और वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा की मौजूदगी में अरसों से चली आ रही इस परंपरा के तहत एक बड़ी कढ़ाही में हलवा बनाया गया, जिसे वित्त मंत्रालय के हरेक स्टाफ को परोसा गया है। कार्यक्रम में वित्त सचिव रतन वतल, राजस्व सचिव हसमुख अधिया, आर्थिक मामलों के सचिव के अलावा बजट निर्माण से जुड़े दूसरे अधिकारी और कर्मचारी तथा अन्य स्टाफ भी मौजूद रहा। इस कार्यक्रम के तहत बजट निर्माण और इसकी छपाई की प्रक्रिया से सीधे तौर पर जुड़े अधिकारी और कर्मचारी अब मंत्रालय के ही मेहमान बनकर रहेंगे। मसलन वित्त मंत्री द्वारा संसद में बजट पेश किए जाने तक अब इनका अपने परिवार और अन्य लोगों के संपर्क में नहीं हो सकेगा। नियमों के मुताबिक इन लोगों को अपने जानकारों से ईमेल, फोन या अन्य किसी दूसरे माध्यम से संपर्क करने की भी सख्त मनाही रहेगी। केवल वित्त मंत्रालय के बेहद वरिष्ठ अधिकारी को ही घर जाने की इजाजत दी जाती है। मंत्रालय के अनुसार बजट की छपाई प्रक्रिया में करीब 100 कर्मचारी शामिल हैं, जो बजट पेश होने तक अब नॉर्थ ब्लॉक स्थति वित्त मंत्रालय के कार्यालय में ही बंद रहेंगे। इस प्रक्रिया का मकसद बजट के तथ्यों की गोपनीयता को कायम रखना है।
ये है बजट और हलवे का कनेक्शन
बजट का इंतजार हर कोई करता है आम बजट हो या रेल बजट। देश खास आदमियों के साथ आम आदमी को भी इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। सभी यह जानना चाहते है कि इस साल सरकार उनकी झोली में क्या डालेगी। पर आम बजट के बारे में कुछ खास बातें ज्यादातर लोगों को पता नहीं होती हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आम बजट के लिए सबसे खास है हलवा। जी हां भारत की यह खास मिठाई बजट से जुड़ी सबसे खास चीजों में एक है।
क्या है आम बजट?
बजट किसी सत्तारुढ़ पार्टी का दस्तावेज होता है जिसमें सरकार के द्वारा प्रस्तावित राजस्व और अलग अलग योजनाओं पर किए जाने वाले खर्चों का लेखा जोखा पेश किया जाता है। यह बजट भारत के वित्त मंत्री द्वारा हर साल संसद में पेश किया जाता है।

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

भारतीय बने बांग्लादेशियों को जल्द मिलेगा मताधिकार!

संविधान में संशोधन लाएगी सरकार, कैबिनेट से मिली मंजूरी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भारत और बांग्लादेश की सीमावर्ती इलाकों में चार दशकों से खानाबदोश की जिंदगी जी रहे करीब 51 हजार लोगों को भारतीय नागरिकता देने के बाद केंद्र सरकार ने अब उन्हें मौलिक अधिकार और मताधिकार देने की पहल की है। इसके लिए सरकार ने पश्चिमा बंगाल में संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के बारे में परिसीमन अधिनियम 2002 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत संसद में एक विधेयक पेश होगा। 
पिछले चार दशकों से ज्यादा समय से दोनों देशों के बीच लंबित विवादित जमीन की अदला-बदली का ऐतिहासिक समझौता साढे छह माह पहले एक अगस्त को लागू कर दिया गया था। इस समझौते में दोनों देशों की सीमाओं पर एक दूसरे देशों में खानाबदोश की जिंदगी जी रहे लोगों की इच्छा के अनुसार देश चुनने की छूट दी गई थी, जिसके बाद भारत में रहने के इच्छुक बांग्लादेशियों को भारतीय नागरिकता दे दी गई। सूत्रों के अनुसार इस अदला-बदली समझौते के तहत भारतीय सीमा में भारतीय क्षेत्र में 51 बांग्लादेशी बस्तियों के 14,215 लोगों ने भारत में रहना पसंद किया था, जबकि बांग्लादेश के भीतर रह रहे भारतीय बस्तियों में 37,369 में से 223 परिवारों के 163 मुस्लिमों समेत 1057 लोगों ने भारतीय नागरिकता को चुना। यानि करीब 16 हजार से ज्यादा इन नागरिकों को मौलिक अधिकार और मताधिकार देने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
संसद में पेश होगा विधेयक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। प्रस्ताव के अनुसार भारत और बांग्लादेश के बीच क्षेत्रों के आदान-प्रदान के बाद पश्चिम बंगाल में संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के बारे में ‘परिसीमन अधिनियम-2002 की धारा 11 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 की धारा 9 में संशोधन करना शामिल है, ताकि इन लोगों को मताधिकार के साथ मौलिक अधिकार हासिल हो सकें। इसके लिए सरकार जल्द ही संसद में इन कानूनों में संशोधन के अलावा निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक-2016 पेश करेगी। हालांकि यह संविधान (100वां संशोधन) अधिनियम-2015 के अनुरूप है। इस कानून के तहत भारत और बांग्लादेश के बीच क्रमश: 51 बांग्लादेशी और 111 भारतीय इनक्लेव के आदान-प्रदान के बाद पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले में विधानसभा और संसदीय क्षेत्र का सीमित परिसीमन करने में चुनाव आयोग को मदद मिलेगी।

बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

देश के बांधो के खतरे दूर करेगी सरकार

सुरक्षा सुनिश्चित करने को तैयार होगी योजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार नदियों से जुड़े मुद्दों के साथ देशभर के बांधों परियोजनाओं के खतरों की आशंकाओं से निपटने की भी योजना पर आगेबढ़ती नजर आ रही है। इसके लिए सरकार ने बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजनाओं से सबक लेने के सुरक्षा सुनिश्चित करने की योजना तैयार करने का निर्णय लिया है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसर देश के सभी राज्यों में बदहाल स्थिति में मौजूद कई विशाल बांधों के पुनर्वास की तत्काल आवश्यकता के बारे में विविध मंचों पर चिंता जाहिर की जाती रही है, ताकि उनकी सुरक्षा और प्रचालन संबंधी दक्षता सुनिश्चित की जा सके। इसलिए देश में बांधों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए मोदी सरकार ने बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना यानि डीआरआईपी की शुरूआत की है। यह परियोजना विश्व बैंक से प्राप्त ऋण सहायता के साथ सात राज्यों में लगभग 250 बांधों की स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रारंभ की गई है। हालांकि छह वर्षीय डीआरआईपी परियोजना अप्रैल 2012 में प्रारम्भ हो चुकी थी, जिस पर काम जारी है।
खस्ता हालत में 80 फीसदी बांध
मंत्रालय के अनुसार देश में करीब 4900 विशाल बांधों में 80 फीसदी बांध 25 साल से भी ज्यादा पुराने होने के कारण उनसे बाढ़ और भूकंप जैसी आपदा के खतरे की आशंकाएं बनी रहती है। इनके पुराने प्रचलित डिजाइन की कार्यप्रणालियां और सुरक्षा की स्थितियां भी डिजाइन के वर्तमान मानकों और सुरक्षा मानदंडों से मेल नहीं खा रही हैं। बांधों के आकलन और सर्वे के तहत नींव की अभियांत्रिकी संबंधी सामग्री अथवा बांधों का निर्माण में उपयोग की गयी सामग्री भी समय के साथ नष्ट होने के कगार पर है। मसलन उनके रखरखाव से जुड़े इन पृथक कारकों और मामलों के कारण कुछ बांध खस्ता हालत में हैं, जिनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा उनकी प्रचालन संबंधी विश्वसनीयता बहाल करने के लिए उन बांधों की तत्काल मरम्मत करना जरूरी है।

सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

रेल यात्रियों को सुविधाएं देने की तैयारियां!


रेल बजट में किराया नहीं, बढ़ सकती है ट्रेने एवं उनकी गति 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के बजट सत्र में आम बजट के साथ रेल बजट को लेकर भी तरह-तरह की अटकले लगाई जा रही है। रेल बजट में हालांकि सरकार का जोर रेल यात्रियों की सुविधओं को बढ़ाने पर रहेगा, जिसमें ट्रेनों और उनकी गति में वृद्धि के अलावा रेल किराए में राहत देना शामिल है।
रेल मंत्रालय में रेल बजट तैयार करने की गतिविधियां तेजी पर हैं। मोदी सरकार का यह तीसरा रेल बजट होगा, जिसमें यात्रियों की सुविधा को प्राथमिकता देने के संकेत दिये जा रहे हैं। रेल बजट में सरकार का प्रयास होगा कि यात्रियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देते हुए भारतीय रेल को सुधारों की पटरी पर दौड़ाया जाए। रेलवे के सूत्रों के अनुसार यात्रियों की सुविधाओं के ख्याल के साथ सरकार यात्री किरायों में वृद्धि करने के बजाए मालवहन, पार्सल, विज्ञापन और खानपान व्यवस्था की नयी नीतियों के माध्यम से राजस्व बढाने की नीतियों का रेल बजट में ऐलान करेगी। सूत्रों के अनुसार इस बार के रेल बजट में दोहरीकरण, तिहरीकरण,विद्युतीकरण, सिंगनल एवं संचार आधुनिकीकरण जैसी क्षमता वृद्धि की नयी योजनाओं के अलावा प्रमुख रेल मार्गों पर तकनीकी उन्नयन करके पटरियों पर रेल गाड़यिों की गति में दस किलोमीटर प्रति घंटा तक की वृद्धि करने की योजना का ऐलान होने की उम्मीद है। यही नहीं देशभर में मोबाइल के जरिये अनारक्षित टिकट की सुविधा एवं अन्य सूचना प्रौद्योगिक आधारित सेवाओं का विस्तार करने पर ज्यादा जोर देगी। मसलन रेलवे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर रेलवे को पेपरलैस करने की कवायद में जुटा हुआ है।

रविवार, 14 फ़रवरी 2016

राग दरबार: सियाचिन पर चिकचिक


कांग्रेस की सियासत
जब रोम जल रहा तो नीरो बंसी बजा रहा था..यह कहावत शायद कांग्रेस पर सटीक बैठती है। मसलन जब पूरा देश सियाचिन मेें हिमस्खलन का काल बने सैनिकों की मौत पर गमगीन हो, तो भी कांग्रेस की चिकचिक करने वाली सियासत पैर पसारती नजर आई। यानि जो अपने राज में देश की सीमाओं के प्रहरियों के हित में कुछ ज्यादा कदम नहीं उठा पाई, उस कांग्रेस ने राजग सरकार पर तोहमंद मंढने का ऐसा प्रयास किया, जैसे इस दुखद घटना के लिए मोदी सरकार ही जिम्मेदार हो। यही नहीं जांबाज हनुमंथप्पा की जिंदगी को लेकर देशभर में जारी दुआओं के बीच कांग्रेस प्रमुख ने भी हनुमंथाप्पा की मां को एक पत्र लिखकर दुखी परिवार के प्रति सहानुभूति पेश की, जिसमें कोई गलत नहीं है, लेकिन शायद कांग्रेस को इस आपदा में ज्यादा ही सहाहनुभूति लेने का श्रेय लेने की टीस थी। तभी तो कांग्रेस की एक राज्यसभा सदस्य ने सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन से जवानों की मौत के मुद्दे को संसद में उठाने का कुछ इस तर्ज पर ऐलान कर दिया, जैसे जांबाजों की मौत के लिए केंद्र की सरकार ही जिम्मेदार हो। सियासी गलियारों में चर्चा है कि रक्षा मामलों की संसदीय समिति में सदस्य इस कांग्रेस नेत्री ने सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में तैनात सैनिकों को नियमों में छूट और अन्य सुविधाओं का राग अलापने से पहले यह भी नहीं सोचा कि सैनिकों की मौत पर देश का माहौल गमगीन है। राजनीतिकारों का कहना है कि ऐसी सियासत करने से पहले कांग्रेस को गिरेबान में भी छांकना चाहिए, जिसने देश में सबसे ज्यादा राज किया है। जहां तक संसद में इस मामले का सवाल है वह तो परंपरा के अनुसार वैसे भी उठना तय है।
बर्थ-डे ब्वाय विश्वास
आम आदमी पार्टी भी शायद दूसरे दलों के रंग में रंगने लगी है। आप नेता और कवि कुमार विश्वास के जन्मदिन की पार्टी में जब भाजपा और कांग्रेस के नेताओं का जमवाड़ा लगा तो तमाम तरह के कयास लगने शुरू हो गये। चर्चा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पहले से ही पता था कि वहां कुछ ऐसे चेहरे जुटेंगे जो राजनैतिक तौर पर उन्हें पसंद नहीं है लिहाजा आप पार्टी के सर्वेसर्वा अपने साथी को जन्मदिन की मुबारकबाद देने पहुंचे ही नहीं। इतना ही नहीं केजरीवाल ने विश्वास के जन्मदिन पर कोई बधाई ट्विट भी नहीं किया। पार्टी में कुमार विश्वास भाजपा और कांग्रेस नेताओं की आवभगत में जुटे रहे लेकिन उनके चेहरे पर सबसे ज्यादा खुशी तब देखी गई जब राष्टÑीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डाभोल का आगमन हुआ। डाभोल इस तरह के कार्यक्रमों में कम ही शिरकत करते हैं। उनका पहुंचना इस बात का संकेत था कि विश्वास की पैठ प्रधानमंत्री मोदी के अति करीबी लोगों तक है। कुछ ही दिन हुए हैं जब दिल्ली पुलिस ने एक महिला द्वारा कुमार विश्वास पर लगाये गये आरोपों को लेकर एक स्थानीय अदालत में उनको क्लीन चिट दी है। पार्टी में दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी भी थे। अब कहा जा रहा है कि विश्वास की पहुंच वहां तक है जहां उनके साथी और नेता केजरीवाल को लेकर नाराजगी पसरी रहती है। विश्वास के एक नजदीकी ने चुटकी लेते हुए कहा कि ऊंचे ओहदों पर बैठे इतने लोग आये कि केजरीवाल के नहीं आना खला नहीं। कुछ भी हो अब आप में भी राजनैतिक लड़ाई एक तरफ और निजी संबंध दूसरी तरफ का युग शुरू हो गया है।
जब फिल्मी सितारे बन जाते हैं ‘ब्रैंड एंबेसडर’...
फिल्मी सितारों के बाजार में मौजूद उत्पादों का मूल्य बढ़ाने के लिए उनका ब्रैंड एंबेसडर बनना एक आम बात है। उत्पाद लोगों में पॉपुलर हो जाता है और कलाकारों को उनके काम की अच्छी खासी धनराशि भी मिल जाती है। लेकिन जब ये कारनामा सशस्त्र सेनाआें में होने लगे तो चर्चा होना तो तय है। जी हां कुछ ऐसा ही नजारा देश की समुद्री सीमाआें की रक्षक कही जाने वाली नौसेना के एक कार्यक्रम में देखने को मिला कार्यक्रम शाखापट्टनम में हुआ अंतरराष्टÑीय μलीट रिव्यू 2016 था जिसमें इसके आगाज के दौरान बैं्रड एंबेसडर के रूप में बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार और अभिनेत्री कंगना रनौत न सिर्फ पहुंचे बल्कि उन्होंने नौसेनाप्रमुख के साथ मंच भी साझा किया। इसे देखकर सभी हैरान रह गए। नौसेना के कार्यक्रम में बॉलीवुड हस्तियों का भला क्या काम। क्या बल में ऐसा कोई जाबांज या शूरवीर नहीं है जिसे कार्यक्रम के दौरान एंबेसडर बनाया जाता। इससे भी रोचक यह तथ्य कि यह सबकुछ इतने गुपचुप अंदाज में हुआ कि मीडिया को भी इसकी कानो कान भनक तक नहीं लगी। लेकिन सितारे पहुंचे भी और उनकी चमक धमक सभी ने देखी भी। ऐसा तभी होता है जब फिल्मी सितारे बन जाते हैं ‘ब्रैंड एंबेसडर’।
उपर वाला साथ है
एक अहम मंत्रालय का जिम्मा संभाल रही महिला मंत्री जी की उपर वाले पर बहुत गहरी आस्था है। वह इसको जाहिर करने में भी नहीं हिचकती। अब हाल ही का वाकया है। मंत्रीजी के कार्यालय में कुछ पत्रकार मिलने पहुंचे। बात-बात में एक पत्रकार ने कहा कि, कैबिनेट में फेरबदल होने वाली है। आपका भी मंत्रालय बदल रहा है क्या? पहले तो उन्होंने इंकार किया। फिर कहा कि, अभी कोई फेरबदल नही होने वाली। इतना कह वह मुस्कुरा दी। फिर उन्होंने अपनी सीट के पीछे की दीवार पर उपर की तरफ टंगी एक तस्वीर को ध्यान से देखा। उसके बाद कहा कि, मैं इस मंत्रालय से कहीं नहीं जा रही। जब तक उपर वाला साथ है मैं यही रहूंगी। उनके इतना कहते ही सबने दीवार की तरफ देखा। जो तस्वीर दिखी उसके बाद सभी ने चुप्पी साध ली।
14Feb-2016

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

राज्य ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन को राहत देने की तैयारी!

प्रदूषण से निपटने को केंद्र ने तैयार किया प्रस्ताव
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार सड़क परियोजनाओं में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने और वाहनों के कारण प्रदूषण की बढ़ रही समस्या से निपटने के लिए बजट में रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन को राहत देने की तैयारी में है। केंद्रीय भूतल मंत्रालय ने राज्यों में बसों की μलीट बढ़ाने के लिए राज्यों के परिवहन निगमों के लिए 2500 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान करने का प्रस्ताव किया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार ऐसा एक प्रस्ताव मंत्रालय से तैयार होकर वित्त मंत्रालय को भेजा जा चुका है, जिसमें देश में सड़क परिवहन की व्यवस्था में सुधार के लिए संसद के बजट में शामिल करने का अनुरोध किया गया है। वर्ष 2016 के बजट में में यदि यह प्रस्ताव पारित कर दिया जाता है तो राज्य परिवहन निगमों के लिए एक अच्छी खबर होगी। मंत्रालय के अनुसार इस बजट में बसों की μलीट को बढ़ाने के लिए 2500 करोड़ रुपए का बजट संसद में पारित होने की संभावना है। मंत्रालय का इस प्रस्ताव को तैयार करने का मकसद है कि राज्यों में बसों की संख्या बढ़ सके और नई बसें आने से जहां सड़क हादसों में कमी आएगी, वहीं प्रदूषण की समस्या को भी कहीं हद तक कम किया जा सकेगा। वित्त मंत्रालय को भेजे इस प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया है कि रोड ट्रांसपोर्ट के लिए 2500 करोड़ रुपए के बजट में ऐसा प्रावधान किया जाए जिसमें हर राज्य को बराबर राशि मिल सके। ऐसा करने से बसों की संख्या में इजाफा होगा और हर राज्य में ई-बसों की योजना को बढ़ावा मिल सके। केंद्र सरकार इस प्रस्ताव के जरिए देश में राज्य परिवहन निगमों की बसों को इलेक्ट्रिक बसों में तब्दील करने का लक्ष्य भी पूरा करने का प्रयास करेगी, जिसके लिए वाहनों के प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए भी ऐसी योजनाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
ई-बसों पर रहेगा फोकस
सड़क मंत्रालय के प्रस्ताव के अनुसार केंद्र सरकार देशभर में स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन की करीब 1.50 लाख बसों को इलेक्ट्रिक बस के रूप में बदलने का प्रयास कर रही है। वहीं क्रूड और पेट्रोलियम का आठ लाख करोड़ रुपए के बोझ को भी कम किया जा सकेगा। सरकार चाहती है कि राज्य निगमों को इस बजट के जरिए मिलने वाली धनराशि के जरिए जहां राज्य परिवहन निगमों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और बसों को बेहतर बनाया जाए। वहीं क्रूड और पेट्रोलियम का आठ लाख करोड़ रुपए के बोझ को भी कम हो सकेगा। प्रस्ताव में भारत को प्रदूषण रहित बनाने की दिशा में इस दिशा में ई-वाहन परियोजना पर जोर देने की बात कही गई है। इसके आलवा केंद्र सरकार वाहनों को बायो डीजल और एथनॉल मोड पर लाने का भी प्रयास कर रही है।

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र में फिर चूका भारत!

यूएन की समिति में मनोनीत नहीं कर सका विशेषज्ञ
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
पठानकोट एयरबेस हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को संयुक्त  राष्ट्र की प्रतिबंधित आतंकियों की सूची में शामिल कराने की मुहिम में भारत फिर चूक गया है। मसलन भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध लगाने वाली समिति में अपना विशेषज्ञ नियुक्त करने का पहला मौका गंवा दिया।
सूत्रों के अनुसार भारत को यूएन की इस समिति में अपना विशेषज्ञ नियुक्त करने के लिए जनवरी तक का समय दिया गया था, लेकिन समयसीमा के भीतर विशेषज्ञ की नियुक्ति न होने के कारण पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को कालीसूची में शामिल करने की कोशिश पहले दौर में अटक गई है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार विशेषज्ञ मनोनीत करने के लिए यूएन ने नाम भेजे जाने के लिए भारत को एक पखवाड़े का समय दिया था। गृहमंत्रालय के सूत्रों की माने तो यूएन में ऐसे नामांकनों हेतु भारत की आंतरिक प्रक्रिया काफी लम्बी है, जिसमें कई निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है। हालांकि भारत मसूद अजहर को पठानकोट का गुनाहगार मानते हुए उसे यूएन की प्रतिबंधों की सूची में डाले जाने के लिए लगातार प्रयास में जुटा है। इसका कारण यह भी है कि पाकिस्तान पठानकोट हमले में मसूद अजहर को क्लीनचिट दे रहा है। गृहमंत्रालय ने संकेत दिये हैं कि यूएन की आतंकियों को प्रतिबंधित करने वाली इस महत्वपूर्ण कमेटी के लिए किसी योग्य सेवानिवृत्त और विशेषज्ञ नौकरशाह की तलाश जारी है और गृह मंत्रालय ने एक ऐसे नौकरशाह की नियुक्ति का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया है, जिस पर जल्द ही निर्णय होने की उम्मीद है।

बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

अदालतों में लंबित मामलों का निपटान चुनौती

ढाई करोड़ से ज्यादा मामलों का अंबार
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट में हजारो और देश के उच्च न्यायालयों में लाखों मुकदमें लंबित हैं, तो निचली अदालतों में ऐसे लंबित मामलों की संख्या करोड़ो में पहुंच गई है, जो कानून सुधार की कवायद में जुटी केंद्र सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
देश में न्यायिक सुधार के लिए पिछले साल मोदी सरकार की पहल पर उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन के दौरान तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने सम्मेलन में आए सुझावों के बूते पर कहा था कि अगले पांच साल में अदालतों में कोई भी मामला लंबित नहीं रहेगा। लेकिन इसके विपरीत देश के शीर्ष अदालत से लेकर निचली अदालतों पर मुकदमों को बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। विधि एवं न्याय मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक देश के सभी राज्यों की जिला अदालतों में दो करोड़ 61 हजार मामलें लंबित हैं। चिंताजनक बात है कि इनमें करीब 21.73 लाख मुकदमें तो पिछले दस साल से निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। जबकि 83 लाख 462 यानि 41.38 फीसदी मामले केवल पिछले दो वर्षों से कम समय से लंबित हैं। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि लंबित मामलों का अंबार ऐसे ही लगता रहा तो सैकड़ो साल में भी इनका निपटारा करना संभव नहीं हो सकता।

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

अन्नदाताओं की नई जीवन रेखा
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में अन्नदाता यानि किसानों की दुदर्शा को पटरी पर उतारने के लिए मोदी सरकार ने एक सौगात देते हुए बड़ा फैसला लिया है,जिसमें देश में लगातार दो साल से सूखे और कम बारिश जैसी मौसम की मार के कारण किसानों की फसले चौपट होती रही हैं और उन्हें आर्थिक तंगी के दौर से गुजरना पड़ रहा है। किसानों की आत्महत्या की कहानी भी उनकी इसी बदहाली के पन्नों में जुड रही है। यह भी नहीं है कि देश की सरकार किसानों के लिए फसल बीमा योजना नहीं चला रही है, लेकिन उनके प्रीमियम को लेकर किसानों की झोली में नुकसान की भरपाई होना संभव नहीं था।
इसलिए किसानों की जीवन रेखा को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की केंद्र सरकार ने एक नई बीमा योजना के रूप में‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ को मंजूरी देकर देश के अन्नदाताओं की झोली भरने का प्रयास किया है।
इस बहु-प्रतीक्षित नई फसल बीमा योजना में खासबात यह भी है कि इसमें किसानों की अनाज एवं तिलहनी फसलों के बीमा संरक्षण के लिए अधिकतम दो प्रतिशत और उद्यानिकी तथा कपास की फसलों के लिए अधिकतम पांच प्रतिशत तक प्रीमियम रखा गया है। इतना कम प्रीमियम आजाद भारत में इससे पहले कभी नहीं रखा गया। किसानों को तत्काल राहत देने की दिशा में मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को इस साल खरीफ सत्र से लागू कर दिया है।दरअसल मोदी सरकार को इस नई फसल बीमा योजना पटरी पर लाने के लिए इससे पहले चल रही राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में आमूल-चूल परिवर्तन करना पड़ा है, जिसमें कहीं ज्यादा ही अंतर्निहित खामियां थी। किसानों को राहत देने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने अभी तक चली आ रही योजना की समीक्षा के बाद कृषि विशेषज्ञों द्वारा कराये गये अध्ययन के बाद नई बीमा योजना के प्रस्ताव को मंजूरी दिलाई है। मोदी सरकार ने अगले तीन वर्षों में देश की 50 फीसदी फसलों को बीमे का सुरक्षा कवच देने का लक्ष्य तय किया है। नई फसल बीमा योजना में इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि किसानों को बर्बाद हुई फसल के बीमे की रकम देने में कंपनियां अपनी तरफ से कोई अड़चन पैदा न करें। इसके लिए सरकार ने तय किया है कि कैमरा, स्मार्टफोन्स और टैबलेट कंप्यूटर में रिकॉर्ड किए गए वीडियो और तस्वीरें क्लेम लेने के लिए मान्य होंगे। इसके अलावा नई योजना में दावों का निपटारा नुकसान के आकलन के 30 से 45 दिनों के अंदर किये जाने को जरूरी बनाया गया है। मौजूदा फसल बीमा योजना में क्लेम का 33 फीसदी हिस्सा बीमा कंपनी देती है लेकिन नई बीमा योजना के तहत किसानों को खराब हुई फसल की 50 फीसदी रकम बीमे के तौर पर देने का प्रावधान है।
कैसा होगा बीमा का दायरा
मोदी सरकार ने किसानों के लिए रबी के अनाज और तिलहनी फसलों के लिए 1.5 और खरीफ के अनाज तथा तिलहनों के लिए दो प्रतिशत प्रीमियम देना होगा। जबकि उद्यानिकी तथा कपास की फसलों के बीमा के लिए पांच प्रतिशत तक प्रीमियम रखे जाने का प्रावधान किया है। उद्यानिकी और कपास की फसल के लिए दोनों सत्रों मौसम में पांच प्रतिशत तक प्रीमियम तय किया गया है। मसलन इस नई बीमा योजना के तहत धान-मक्का और बाजरे जैसी खरीफ फसलों का बीमा कराने के लिए ढाई फीसदी प्रीमियम देना होगा। गेहूं छोड़कर बाकी सभी रबी फसलों का बीमा करवाने के लिए दो फीसदी का प्रीमियम देना होगा। गेहूं और दालों की फसलों के लिए डेढ़ से दो फीसदी प्रीमियम पर बीमा हो जाएगा। जबकि फल-सब्जियों और अन्य फसलों का बीमा करवाने के लिए 5 फीसदी प्रीमियम देना होगा। इससे पहले किसानों को फसलों का बीमा करवाने के लिए बीमे की रकम का पांच से 15 फीसदी तक का हिस्सा बतौर प्रीमियम भरना पड़ता था। यही नहीं कुछ मामलों में तो फसल बीमे का प्रीमियम 25 फीसदी तक देना होता था, जो किसानों के लिए मुमकिन नहीं हो सकता। इस नई योजना के तहत बाकी का प्रीमियम सरकार अपनी तरफ से भरेगी, जिसके लिए सरकार ने 7500 करोड़ रुपये का बजट भी तैयार किया है। कृषि मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से फसल बीमा संरक्षण का दायरा कुल 19.44 करोड़ हेक्टेयर फसल क्षेत्र के 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा, जो फिलहाल इसके 25-27 प्रतिशत रकबे तक ही है। इससे इस योजना पर व्यय बढ़कर करीब 9,500 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। इस योजना में प्रीमियम पर काई सीमा नहीं होगी और बीमित राशि में भी कमी नहीं की जाएगी। वहीं संभावित दावे के 25 प्रतिशत के बराबर राशि का भुगतान सीधे किसानों के खाते में किया जाएगा और पूरे राज्य के लिए एक बीमा कंपनी होगी।
प्रीमियम सब्सिडी से भरपाई
भारतीय कृषि बीमा कंपनी लिमिटेड के साथ निजी बीमा कंपनियां इस योजना का कार्यान्वयन करेंगी। दावों से जुड़ा सारा उत्तरदायित्व बीमाकर्ता का होगा और सरकार शुरू में ही प्रीमियम सब्सिडी देगी। यही कंपनी स्थानीय जोखिम के लिए कृषि पर नुकसान और फसल के बाद नुकसान का आकलन भी करेगी। मोदी सरकार की लागू की जा रही यह नई फसल बीमा योजना इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि देश मानसूनी बारिश में कमी के कारण लगातार दूसरे साल सूखे का सामना कर रहा है और किसान आर्थिक तंगी के दौर से गुजरने को मजबूर है। इसलिए केंद्र सरकार चाहती है कि बीमा के दायरे में कुछ और फसलों को भी शामिल किया जाए, ताकि किसानों को मानसून की अनिश्चितता से बचाया जा सके।

फास्‍ट ट्रैक पर आएगी नदियों को जोडने की परियोजना।

नदियों को आपस में जोड़ने पर गंभीर सरकार 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में सूखे और बाढ़ तथा जल संकट जैसी समस्या से निपटने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की नदियों को आपस में जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को फास्ट ट्रैक पर लाने की तैयारी शुरू हो गई है। इन परियोजनाओं में आ रही अड़चनों और समस्याओं के समाधान के लिए राज्यों के साथ मंथन का आधार भी फास्ट ट्रैक होगा।
मोदी की केंद्र सरकार को नदियों को आपस में जोड़ने वाली परियोजनाओं को अंजाम देने के लिए जो कदम उठाए हैं उसमें केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती की अध्यक्षता में एक विशेष समिति गठित की थी, जिसके सदस्यों के रूप में राज्यों के मुख्यमंत्री स्वयं भी शामिल हैं। जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार इस विशेष समिति की अभी तक आठ बैठकें हुई है और केवल उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के हित में केन-बेतवा नदी को जोड़ने की परियोजना ही अभी तक अंतिम चरण की प्रक्रिया में आ सकी है। इसके बाद इस परियोजना के तहत केंद्र के लक्ष्य में दमनगंगा-पिंजाल और पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजनाएं गुजरात और महाराष्ट्र के बीच जल बंटवारे के मुद्दे पर अटकी है, हालांकि बकौल उमा भारती दोनों राज्यों की सरकारों ने जल बंटवारे के मुद्दे पर सहमति बना ली है और इन परियोजनाओं की डीपीआर रिपोर्ट पर राज्यों से अंतिम मंजूरी का इंतजार है। इसी प्रकार ओडिशा में महानदी-गोदावरी लिंक परियोजना के संबंध में आ रही अड़चनों के लिए केंद्र और राज्य सरकार के संबन्धित अधिकारियों का एक दल संपर्क में है जिसकी छह माह में रिपोर्ट आते इस परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री के साथ स्वयं उमा भारती मंथन करेगी।
अंतर्राज्यीय लिंक चुनौती
देश में नदियों को आपस में जोड़ने वाली परियोजनाओं के तहत सरकार लक्ष्य अंतर्राज्यीय लिंक परियोजनाओं में बिहार की बूढ़ी गंडक-नून-बया-गंगा लिंक परियोजना को शुरू करना भी लक्ष्य में शामिल है, जिसके लिए मंत्रालय ने डीपीआर तैयार हो चुकी है। ऐसी ही पंचेश्वर-शारदा लिंक परियोजना पर भी काम किया जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार सरकार के एजेंडे में नदियों को जोड़ने वाली ऐसी ही 35 परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की चुनौती है, जिन पर आगे बढ़ने की दिशा में विशेष समिति की बैठक में विचार विमर्श किया गया है।

सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

बासमती चावल वार में औंधेमुहं गिरा पाकिस्तान!

भारत से आगे निकलने की होड़ में नाकाम पाक
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
पाकिस्तान से बेहतर संबन्ध बनाने की कवायद के बावजूद पाकिस्तान की भारतीय बासमती चावल को ना-पाक चुनौती देने के माममले में भी मुहं की खानी पड़ी है। मसलन व्यापारिक स्पर्धा में भारत को पछाड़ने के प्रयास में भारत का विरोध करके पाकिस्तान की अपने बासमती चावल पर जीई टैग लेने की कोशिश नाकाम हो गई है।
भारत के बासमती चावल के विरोध के सामने इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी अपीलेट बोर्ड ने पाक की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें पाकिस्तान ने अपने बासमती चावल के लिए भारत के मुकाबले जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानि जीई टैग हासिल करने का प्रयास किया था। बासमती चावल के मामले में आईपीएबी का यह फैसला भारत को पछाड़ने के लिए पाकिस्तान के प्रयास को एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पाक के बजाए अब जीआई टैग अब भारत को मिलने की संभावना प्रबल हो गई है। दरअसल पाकिस्तान में लाहौर स्थित बासमती ग्रोवर्स असोसिएशन यानि बीजीए ने भारतीय संस्था कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानि एपीडा के जीआई टैक आवेदन को चुनौती देते हुए आईपीएबी में दस्तक दी थी और अपने बासमती चावल पर जीआई टैग हासिल करने का दावा किया था। पाकिस्तान की इस अपील को एक दिन पहले ही आईपीएबी ने दलील देते हुए खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि भारत की ओर से एपीडा ने पहले ही पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड जैसे सात राज्यों में उत्पादित बासमती चावल के लिए जीआई टैग की मांग की थी।

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

पांच लाख करोड़ की सड़कों रोडमैप तैयार!


सड़क पर  50 लाख को रोजगार देने का लक्ष्य
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में सड़कों का जाल बिछाकर विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने अगले तीन सालों में पांच लाख करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाएं पूरी करने का लक्ष्य तय किया है। सरकार का दावा है कि इस दौरान सड़क क्षेत्र से 50 लाख से ज्यादा रोजगार अवसर पैदा किये जाएंगे।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के सूत्रों ने देश में चल रही सड़क परियोजनाओं के अलावा अगले तीन साल में करीब पांच लाख रुपये की लागत वाली सड़क परियोजनाओं को शुरू करने का फैसला किया है, जिसके लिए रोड़मैप अंतिम चरणों में हैं। सरकार का लक्ष्य आने वाले सालों में 96 हजार किलोमीटर वाले सड़क नेटवर्क का 1.5 लाख किलोमीटर तक विस्तार करना है। ऐसी उम्मीद है कि संसद के बजट सत्र में प्रधानमंत्री गा्रम सड़क योजना के आवंटन में इजाफा होगा। मोदी सरकार अभी तक डेढ़ लाख करोड़ रुपये की लागत वाली सड़क परियोजनाओं को मंजूरी दे चुकी है, जिनको पूरा करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग और अन्य सड़कों को निर्माण तेजी से काम हो रहा है। उधर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है कि सरकार का प्रतिदिन 30 किमी सड़क निर्माण करने का लक्ष्य मार्च तक हासिल हो जाएगा और फिलहाल 18 किमी लंबी सड़कें रोजाना बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जब राजग सरकार सत्ता में आई थी, तो उस समय प्रतिदिन दो किमी सड़क बनाने का औसत था। विश्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए गडकरी ने कहा कि सड़क परियोजनाओं में एक करोड़ रुपए के निवेश से करीब 800 लोगों को रोजगार मिलता है। यानि सरकार की सड़क परियोजनाओं पर अगले तीन साल में पांच लाख करोड़ का निवेश करने की योजना से इस क्षेत्र में 50 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी के अवसर प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब राजग सरकार सत्ता में आई थी, तो उस समय प्रतिदिन दो किमी सड़क बनाने का औसत था।

राग दरबार: यह कैसा मजाक है जनाब

माननीय के गले की फांस
सरकारी बंगलों पर अपनी सुविधानुसार बसने की चाह में माननीय न जाने क्या-क्या कह जाते हैं, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के एक कांग्रेसी सांसद की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने सरकारी बंगले को खाली न कराए जाने की गुजारिश की थी। दरअसल कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के बदलने के बाद केंद्र की नई सरकार ने उन्हें कुछ माह बाद ही दूसरा बंगला आवंटित किया गया था, लेकिन उन्होंने कुछ बहाना बनाते हुए वहां जाने से इंकार कर दिया था, बल्कि सरकार पर मजाक करने जैसी टिप्पणी करके कई तरह के नियमों को धत्ता तक करार दे दिया। सरकारी बंगले की सुविधाओं की खातिर यह मामला अदालत तक भी जहां पहुंचा, जहां दिल्ली हाई कोर्ट ने माननीय को अंतरिम राहत देते हुए केंद्र सरकार से कहा कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक बंगला खाली न कराया जाए। जबकि केंद्र सरकार की दलील रही कि इन सांसद महोदय ने सरकारी आवास में रहने के लिए तीन बार अलग अलग तरह की बातें कही हैं जिसके साथ ही आवास में ठहरने की उनकी सारी योग्यता खत्म हो गई है। लेकिन हाई कोर्ट से मिली इस राहत पर अतिउत्साहित माननीय ने मीडिया के समक्ष यहां तक कह दिया कि 'ये क्या मजाक है। मसलन केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उनका कहना था कि उन्हें ऐसा बंगला तो दिया जाए, जो रहने लायक तो होना चाहिए। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया तो कांग्रेस के इन माननीय का मजाकिया लहजा गले की हड्डी बन गया यानि सुप्रीम कोर्ट ने माननीय को गरिमा का ख्याल रखने जैसी टिप्पणियां करते हुए बंगला खाली करने का फरमान दे दिया है। राजनीति गलियारों में चर्चा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी अब क्या ये माननीय मजाक करार देंगे?

शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

‘नमामि गंगे’ मिशन में ऐसे बढ़ेगी सहभागिता!

कार्यान्वयन में वेतन आधारित होगी निजी भागीदारी
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी मिशन के रूप में नमामि गंगे कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाने की दिशा में सार्वजनिक व निजी भागीदारी को मिश्रित वेतन आधारित बनाने की पहल शुरू कर दी गई है, ताकि इस मिशन को जनांदोलन के रूप में गंगा और सहायक नदियों की स्वच्छता को स्थायी रूप दिया जा सके।
राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता अभियान के तहत कई मंत्रालयों की भागीदारी में नमामि गंगे मिशन की तेजी से शुरूआत करने की कवायद की जा रही है, जिसके लिए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने जनता, स्थानीय प्रशासन और शासन के अलावा अन्य संस्थाओं को भी जोड़ते हुए इस कार्यक्रम को जनांदोलन बनाने की रणनीति अपनाई है। मिशन को स्थातित्व देने की दिशा में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत मिश्रित वार्षिक वेतन आधारित सार्वजनिक-निजी भागीदारी शुरू करने के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार अपनी मुहर लगा चुकी है। मिश्रित वेतन आधारित सार्वजनिक निजी साझेदारी यानि पीपीपी मॉडल अपनाने का मकसद मिशन में तेजी लाने की दृष्टि से एक नया बदलाव है।
नीति बदलाव से होगा लाभ
मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार के फैसले के अनुसार इस मॉडल में पूंजीगत निवेश के एक हिस्से यानि 40 प्रतिशत तक का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा और शेष भुगतान वार्षिक के रूप में 20 वर्षों तक किया जाता रहेगा। इस कदम के तहत कार्य प्रदर्शन मानकों को वार्षिक भुगतान के साथ जोड़ने से समुचित मानक वाले शोधित जल का उद्देश्य सुनिश्चित होगा, ताकि कार्य प्रदर्शन,सक्षमता, व्यावहारिकता तथा निरंतरता को सुनिश्चित किया जा सके। जिसमें भारत में अपशिष्ट जल क्षेत्र में सुधार लाने की भी तैयारियां शामिल होंगी। इसके लिए रेलवे की तर्ज पर विद्युत, पेट्रोलियम तथा उद्योग आदि केंद्रीय मंत्रलायों के साथ भी करार किये जा रहे हैं।