गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

भारतीय बने बांग्लादेशियों को जल्द मिलेगा मताधिकार!

संविधान में संशोधन लाएगी सरकार, कैबिनेट से मिली मंजूरी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भारत और बांग्लादेश की सीमावर्ती इलाकों में चार दशकों से खानाबदोश की जिंदगी जी रहे करीब 51 हजार लोगों को भारतीय नागरिकता देने के बाद केंद्र सरकार ने अब उन्हें मौलिक अधिकार और मताधिकार देने की पहल की है। इसके लिए सरकार ने पश्चिमा बंगाल में संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के बारे में परिसीमन अधिनियम 2002 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत संसद में एक विधेयक पेश होगा। 
पिछले चार दशकों से ज्यादा समय से दोनों देशों के बीच लंबित विवादित जमीन की अदला-बदली का ऐतिहासिक समझौता साढे छह माह पहले एक अगस्त को लागू कर दिया गया था। इस समझौते में दोनों देशों की सीमाओं पर एक दूसरे देशों में खानाबदोश की जिंदगी जी रहे लोगों की इच्छा के अनुसार देश चुनने की छूट दी गई थी, जिसके बाद भारत में रहने के इच्छुक बांग्लादेशियों को भारतीय नागरिकता दे दी गई। सूत्रों के अनुसार इस अदला-बदली समझौते के तहत भारतीय सीमा में भारतीय क्षेत्र में 51 बांग्लादेशी बस्तियों के 14,215 लोगों ने भारत में रहना पसंद किया था, जबकि बांग्लादेश के भीतर रह रहे भारतीय बस्तियों में 37,369 में से 223 परिवारों के 163 मुस्लिमों समेत 1057 लोगों ने भारतीय नागरिकता को चुना। यानि करीब 16 हजार से ज्यादा इन नागरिकों को मौलिक अधिकार और मताधिकार देने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
संसद में पेश होगा विधेयक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। प्रस्ताव के अनुसार भारत और बांग्लादेश के बीच क्षेत्रों के आदान-प्रदान के बाद पश्चिम बंगाल में संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के बारे में ‘परिसीमन अधिनियम-2002 की धारा 11 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 की धारा 9 में संशोधन करना शामिल है, ताकि इन लोगों को मताधिकार के साथ मौलिक अधिकार हासिल हो सकें। इसके लिए सरकार जल्द ही संसद में इन कानूनों में संशोधन के अलावा निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक-2016 पेश करेगी। हालांकि यह संविधान (100वां संशोधन) अधिनियम-2015 के अनुरूप है। इस कानून के तहत भारत और बांग्लादेश के बीच क्रमश: 51 बांग्लादेशी और 111 भारतीय इनक्लेव के आदान-प्रदान के बाद पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले में विधानसभा और संसदीय क्षेत्र का सीमित परिसीमन करने में चुनाव आयोग को मदद मिलेगी।
क्या था समझौता
भारत और बांग्लादेश के बीच 41 साल के बाद लागू हुए भूमि सीमा समझौते के अनुसार बांग्लादेश मे 17,160 एकड़ में करीब 111 भारतीय एनक्लेव बांग्लादेश को दिये गये। जबकि 7,110 एकड़ में मौजूद 51 बांग्लादेशी एनक्लेव भारत को मिले हैं। आजादी के समय यानि 1947 से इस भूमि विवाद पर हालांकि मूल रुप से यह भूमि समझौता-1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख मुजीब-उर-रहमान के बीच हुआ था, लेकिन 1975 में मुजीब की हत्या के बाद लंबे अरसे तक यह करार अटका रहा। इसके बाद मोदी सरकार ने बांग्लादेश से जमीन के आदान-प्रदान करने के लिए पिछले साल जून में करार किया और इससे संबन्धित विधेयक को संसद में सर्वसम्मिति से पारित कराकर ऐतिहासिक फैसले को अंजाम तक पहुंचाया।
बर्लिन की दीवार जैसा था विवाद 
भारत-बांग्लादेश के बीच चाद दशकों से ज्यादा से लंबित इस भूमि समझौते के लागू होने की ऐतिहासिक घटना को स्वयं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बर्लिन की दीवार गिराने की संज्ञा दे चुके हैं, तो वहीं बांग्लादेश ने भी इसे ऐसा इतिहास बताया था कि जो दुनिया के रिकार्ड पर दर्ज हो गया है। खासबात यह भी है कि समझौता लागू होने के प्रावधानों में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि जिस देश की नागरिकता इन 51 हजार लोगों को दी गई है, उसमें नागरिता देने के साथ-साथ दोनों देश इन लोगों को बुनियादी सुविधाएं और उनके मूल अधिकारों के अलावा अन्य जरूरतों को भी पूरा करने की कवायद में लगे हुए हैं।
18Feb-2016


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