संविधान में संशोधन लाएगी सरकार, कैबिनेट से मिली मंजूरी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भारत
और बांग्लादेश की सीमावर्ती इलाकों में चार दशकों से खानाबदोश की जिंदगी
जी रहे करीब 51 हजार लोगों को भारतीय नागरिकता देने के बाद केंद्र सरकार ने
अब उन्हें मौलिक अधिकार और मताधिकार देने की पहल की है। इसके लिए सरकार ने
पश्चिमा बंगाल में संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के बारे में परिसीमन
अधिनियम 2002 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 में संशोधन के प्रस्ताव को
मंजूरी दे दी है, जिसके तहत संसद में एक विधेयक पेश होगा।
पिछले
चार दशकों से ज्यादा समय से दोनों देशों के बीच लंबित विवादित जमीन की
अदला-बदली का ऐतिहासिक समझौता साढे छह माह पहले एक अगस्त को लागू कर दिया
गया था। इस समझौते में दोनों देशों की सीमाओं पर एक दूसरे देशों में
खानाबदोश की जिंदगी जी रहे लोगों की इच्छा के अनुसार देश चुनने की छूट दी
गई थी, जिसके बाद भारत में रहने के इच्छुक बांग्लादेशियों को भारतीय
नागरिकता दे दी गई। सूत्रों के अनुसार इस अदला-बदली समझौते के तहत भारतीय
सीमा में भारतीय क्षेत्र में 51 बांग्लादेशी बस्तियों के 14,215 लोगों ने
भारत में रहना पसंद किया था, जबकि बांग्लादेश के भीतर रह रहे भारतीय
बस्तियों में 37,369 में से 223 परिवारों के 163 मुस्लिमों समेत 1057 लोगों
ने भारतीय नागरिकता को चुना। यानि करीब 16 हजार से ज्यादा इन नागरिकों को
मौलिक अधिकार और मताधिकार देने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
संसद में पेश होगा विधेयक
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक
में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। प्रस्ताव के अनुसार भारत और बांग्लादेश के
बीच क्षेत्रों के आदान-प्रदान के बाद पश्चिम बंगाल में संसदीय क्षेत्रों के
परिसीमन के बारे में ‘परिसीमन अधिनियम-2002 की धारा 11 और जन प्रतिनिधित्व
अधिनियम-1950 की धारा 9 में संशोधन करना शामिल है, ताकि इन लोगों को
मताधिकार के साथ मौलिक अधिकार हासिल हो सकें। इसके लिए सरकार जल्द ही संसद
में इन कानूनों में संशोधन के अलावा निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक-2016
पेश करेगी। हालांकि यह संविधान (100वां संशोधन) अधिनियम-2015 के अनुरूप है।
इस कानून के तहत भारत और बांग्लादेश के बीच क्रमश: 51 बांग्लादेशी और 111
भारतीय इनक्लेव के आदान-प्रदान के बाद पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले में
विधानसभा और संसदीय क्षेत्र का सीमित परिसीमन करने में चुनाव आयोग को मदद
मिलेगी।
क्या था समझौता
बर्लिन की दीवार जैसा था विवाद
भारत-बांग्लादेश
के बीच चाद दशकों से ज्यादा से लंबित इस भूमि समझौते के लागू होने की
ऐतिहासिक घटना को स्वयं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बर्लिन की
दीवार गिराने की संज्ञा दे चुके हैं, तो वहीं बांग्लादेश ने भी इसे ऐसा
इतिहास बताया था कि जो दुनिया के रिकार्ड पर दर्ज हो गया है। खासबात यह भी
है कि समझौता लागू होने के प्रावधानों में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि
जिस देश की नागरिकता इन 51 हजार लोगों को दी गई है, उसमें नागरिता देने के
साथ-साथ दोनों देश इन लोगों को बुनियादी सुविधाएं और उनके मूल अधिकारों के
अलावा अन्य जरूरतों को भी पूरा करने की कवायद में लगे हुए हैं।
18Feb-2016
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