मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

फास्‍ट ट्रैक पर आएगी नदियों को जोडने की परियोजना।

नदियों को आपस में जोड़ने पर गंभीर सरकार 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में सूखे और बाढ़ तथा जल संकट जैसी समस्या से निपटने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की नदियों को आपस में जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को फास्ट ट्रैक पर लाने की तैयारी शुरू हो गई है। इन परियोजनाओं में आ रही अड़चनों और समस्याओं के समाधान के लिए राज्यों के साथ मंथन का आधार भी फास्ट ट्रैक होगा।
मोदी की केंद्र सरकार को नदियों को आपस में जोड़ने वाली परियोजनाओं को अंजाम देने के लिए जो कदम उठाए हैं उसमें केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती की अध्यक्षता में एक विशेष समिति गठित की थी, जिसके सदस्यों के रूप में राज्यों के मुख्यमंत्री स्वयं भी शामिल हैं। जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार इस विशेष समिति की अभी तक आठ बैठकें हुई है और केवल उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के हित में केन-बेतवा नदी को जोड़ने की परियोजना ही अभी तक अंतिम चरण की प्रक्रिया में आ सकी है। इसके बाद इस परियोजना के तहत केंद्र के लक्ष्य में दमनगंगा-पिंजाल और पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजनाएं गुजरात और महाराष्ट्र के बीच जल बंटवारे के मुद्दे पर अटकी है, हालांकि बकौल उमा भारती दोनों राज्यों की सरकारों ने जल बंटवारे के मुद्दे पर सहमति बना ली है और इन परियोजनाओं की डीपीआर रिपोर्ट पर राज्यों से अंतिम मंजूरी का इंतजार है। इसी प्रकार ओडिशा में महानदी-गोदावरी लिंक परियोजना के संबंध में आ रही अड़चनों के लिए केंद्र और राज्य सरकार के संबन्धित अधिकारियों का एक दल संपर्क में है जिसकी छह माह में रिपोर्ट आते इस परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री के साथ स्वयं उमा भारती मंथन करेगी।
अंतर्राज्यीय लिंक चुनौती
देश में नदियों को आपस में जोड़ने वाली परियोजनाओं के तहत सरकार लक्ष्य अंतर्राज्यीय लिंक परियोजनाओं में बिहार की बूढ़ी गंडक-नून-बया-गंगा लिंक परियोजना को शुरू करना भी लक्ष्य में शामिल है, जिसके लिए मंत्रालय ने डीपीआर तैयार हो चुकी है। ऐसी ही पंचेश्वर-शारदा लिंक परियोजना पर भी काम किया जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार सरकार के एजेंडे में नदियों को जोड़ने वाली ऐसी ही 35 परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की चुनौती है, जिन पर आगे बढ़ने की दिशा में विशेष समिति की बैठक में विचार विमर्श किया गया है।
नदी लिंक परियोजनाओं की अड़चनों की पहचान
केंद्र को जल्द सौंपेगा कार्यबल अपनी रिपोर्ट
नई दिल्ली
देश में नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं में आ रही अड़चनों और समस्याओं की पहचान कर ली गई है और इसके लिए गठित कार्यबल दो माह के भीतर केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
यह बात सोमवार को नदियों को परस्पर जोड़ने वाली परियोजनाओं के लिए गठित विशेष समिति की आठवीं बैठक में अध्यक्षता कर रही केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने दी। उन्होंने कहा कि सरकार नदियों को आपस में जोड़ने के कार्यान्वयन के प्रति प्रतिबद्ध है। बैठक में उन्होंने नदियों को परस्पर जोड़ने वाली परियोजनाओं पर चल रही प्रक्रियाओं और प्रगति की समीक्षा भी की,जिसमें केन-बेतवा लिंक परियोजना के अंतिम चरण में पहुंचने को मंत्रालय की उपलब्धियों में से एक करार दिया। उमा भारती ने नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं को फास्ट ट्रैक आधार पर आगे बढ़ाने का ऐलान भी किया। उमा भारती ने कहा कि मंत्रालय द्वारा गठित नदियों को आपस में जोड़ने के काम के लिए एक टास्क फोर्स बनाई गई है, जो सभी जरूरी मुद्दों का विस्तृत अध्ययन करने के बाद लिंक परियोजना पर राज्यों के बीच शीघ्र आम राय बनाएगी। राष्ट्रीय जल विकास निगम द्वारा गठित कार्यबल की उप समिति ने सभी समस्याओं की पहचान की है और दो महीने के भीतर वह अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत सौंपेगी। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने पहले ही हिमालय की नदियों और प्रायद्वीप में मौजूद अन्य नदियों में सर्वेक्षण के जरिये और दूसरे अध्ययनों में 16 जल सम्पर्क के जरिये 14 सम्पर्क की पहले ही पहचान कर ली है।
पर्यावरण पर सकरात्मक संकेत
बैठक में सुश्री उमा भारती ने कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना को बेहतर बनाने के लिए इसके पहले चरण को लेकर सभी कार्यक्रम प्रक्रिया के उन्नत चरण में पहुंच गये हैं। उन्होंने कहा कि यह लिंक परियोजना को मध्यप्रदेश के राज्य वन्यजीव बोर्ड ने 22 सितंबर 2015 में अपनी सिफारिश दी, जिसके बाद राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने इस प्रस्ताव को अपने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन्य जीवन निस्तारण संबंधी अड़चनें दूर करते हुए परियोजना को हरी झंडी दे दी है। सुश्री भारती ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से बातचीत की है और उन्हें शीघ्र ही जरूरी सकारात्मक जवाब मिलने की बहुत उम्मीद है।
09Feb-2016

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