ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना में ‘नमामि गंगे’ मिशन को हालांकि
सरकार तेजी से आगे बढ़ाने के लिए पूरे दमखम के साथ जुटी हुई है, जिसमें
उन्होंने गंगा और अन्य नदियों में औद्योगिक ईकाईयों, शहरों और कस्बों के
अलावा गांवों से पड़ने वाले गंदे नालों की रोकथाम पर ठोस कदम उठाए हैं। इसके
बावजूद खासकर यूपी में कई जिलों में संचालित स्लॉटर हाउस केंद्रीय जल
संसाधन मंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट का रोड़ा बने हुए हैं।
केंद्रीय
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने नमामि
गंगे मिशन को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए उन सभी राज्यों की सरकारों, नगर
निगमो, नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों के अलावा हाल ही में ग्राम प्रधानों व
सरपंचों के साथ भी विचार विमर्श कर आबादी से नालों के जरिए नदियों में
गिरने वाले गंदे पानी को रोकने की योजना को अंजाम दिया है। केंद्र सरकार
द्वारा गंगा व सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के भरे जा रहे दम के तहत
नमामि गंगे कार्यक्रम में रोड़ा बने स्लॉटर हाउस यानि कतल खाने एक
चुनौतीपूर्ण समस्या बनी हुई है। जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार खासकर यूपी
में केंद्र सरकार ने यूपी सरकार से इन पर शिकंजा कसने के लिए उचित
कार्रवाही करने का भी अनुरोध किया है।
पशुओ के अवैध कटान की चुनौती

केंद्र सरकार के लिए चुनौती
केंद्र
सरकार के लिए नमामि गंगे मिशन में ऐसे स्लॉटर हाउसों का संचालन बड़ी चुनौती
बना हुआ है। खासकर पशु कटान के लिए बनाए गये अवैध ठिकानों से बड़े पैमाने
पर हो रहे भूजल के दोहन भी जल संसाधन मंत्रालय की अन्य योजनाओं के लिहाज से
भी चिंताजनक है। सूत्रों के अनुसार यही नहीं स्लॉटर हाउस से खून तथा
जानवरों के अवशेष वाले दूषित पानी सीधे नालों में बहाया जा रहा है। यह भी
चिंताजनक पहलू है कि अवैध स्लॉटर हाउसों को संचालित करने वालों ने ऐसे गंदे
और प्रदूषित पानी की निकासी के लिए नालों का प्रवाह नदियों की और कर रखा
है, जिसके जरिए गंगा-यमुना जैसी नदियां प्रदूषण और गंदगी से मैली हो रही
हैं।
एनजीटी ने किया जवाब तलब

03Feb-2016
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