कांग्रेस की सियासत
जब
रोम जल रहा तो नीरो बंसी बजा रहा था..यह कहावत शायद कांग्रेस पर सटीक
बैठती है। मसलन जब पूरा देश सियाचिन मेें हिमस्खलन का काल बने सैनिकों की
मौत पर गमगीन हो, तो भी कांग्रेस की चिकचिक करने वाली सियासत पैर पसारती
नजर आई। यानि जो अपने राज में देश की सीमाओं के प्रहरियों के हित में कुछ
ज्यादा कदम नहीं उठा पाई, उस कांग्रेस ने राजग सरकार पर तोहमंद मंढने का
ऐसा प्रयास किया, जैसे इस दुखद घटना के लिए मोदी सरकार ही जिम्मेदार हो।
यही नहीं जांबाज हनुमंथप्पा की जिंदगी को लेकर देशभर में जारी दुआओं के बीच
कांग्रेस प्रमुख ने भी हनुमंथाप्पा की मां को एक पत्र लिखकर दुखी परिवार
के प्रति सहानुभूति पेश की, जिसमें कोई गलत नहीं है, लेकिन शायद कांग्रेस
को इस आपदा में ज्यादा ही सहाहनुभूति लेने का श्रेय लेने की टीस थी। तभी तो
कांग्रेस की एक राज्यसभा सदस्य ने सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन से
जवानों की मौत के मुद्दे को संसद में उठाने का कुछ इस तर्ज पर ऐलान कर
दिया, जैसे जांबाजों की मौत के लिए केंद्र की सरकार ही जिम्मेदार हो।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि रक्षा मामलों की संसदीय समिति में सदस्य
इस कांग्रेस नेत्री ने सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में तैनात सैनिकों को
नियमों में छूट और अन्य सुविधाओं का राग अलापने से पहले यह भी नहीं सोचा कि
सैनिकों की मौत पर देश का माहौल गमगीन है। राजनीतिकारों का कहना है कि ऐसी
सियासत करने से पहले कांग्रेस को गिरेबान में भी छांकना चाहिए, जिसने देश
में सबसे ज्यादा राज किया है। जहां तक संसद में इस मामले का सवाल है वह तो
परंपरा के अनुसार वैसे भी उठना तय है।
बर्थ-डे ब्वाय विश्वास
आम
आदमी पार्टी भी शायद दूसरे दलों के रंग में रंगने लगी है। आप नेता और कवि
कुमार विश्वास के जन्मदिन की पार्टी में जब भाजपा और कांग्रेस के नेताओं का
जमवाड़ा लगा तो तमाम तरह के कयास लगने शुरू हो गये। चर्चा है कि
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पहले से ही पता था कि वहां कुछ ऐसे चेहरे
जुटेंगे जो राजनैतिक तौर पर उन्हें पसंद नहीं है लिहाजा आप पार्टी के
सर्वेसर्वा अपने साथी को जन्मदिन की मुबारकबाद देने पहुंचे ही नहीं। इतना
ही नहीं केजरीवाल ने विश्वास के जन्मदिन पर कोई बधाई ट्विट भी नहीं किया।
पार्टी में कुमार विश्वास भाजपा और कांग्रेस नेताओं की आवभगत में जुटे रहे
लेकिन उनके चेहरे पर सबसे ज्यादा खुशी तब देखी गई जब राष्टÑीय सुरक्षा
सलाहकार अजीत डाभोल का आगमन हुआ। डाभोल इस तरह के कार्यक्रमों में कम ही
शिरकत करते हैं। उनका पहुंचना इस बात का संकेत था कि विश्वास की पैठ
प्रधानमंत्री मोदी के अति करीबी लोगों तक है। कुछ ही दिन हुए हैं जब दिल्ली
पुलिस ने एक महिला द्वारा कुमार विश्वास पर लगाये गये आरोपों को लेकर एक
स्थानीय अदालत में उनको क्लीन चिट दी है। पार्टी में दिल्ली पुलिस कमिश्नर
बीएस बस्सी भी थे। अब कहा जा रहा है कि विश्वास की पहुंच वहां तक है जहां
उनके साथी और नेता केजरीवाल को लेकर नाराजगी पसरी रहती है। विश्वास के एक
नजदीकी ने चुटकी लेते हुए कहा कि ऊंचे ओहदों पर बैठे इतने लोग आये कि
केजरीवाल के नहीं आना खला नहीं। कुछ भी हो अब आप में भी राजनैतिक लड़ाई एक
तरफ और निजी संबंध दूसरी तरफ का युग शुरू हो गया है।
जब फिल्मी सितारे बन जाते हैं ‘ब्रैंड एंबेसडर’...
फिल्मी
सितारों के बाजार में मौजूद उत्पादों का मूल्य बढ़ाने के लिए उनका ब्रैंड
एंबेसडर बनना एक आम बात है। उत्पाद लोगों में पॉपुलर हो जाता है और
कलाकारों को उनके काम की अच्छी खासी धनराशि भी मिल जाती है। लेकिन जब ये
कारनामा सशस्त्र सेनाआें में होने लगे तो चर्चा होना तो तय है। जी हां कुछ
ऐसा ही नजारा देश की समुद्री सीमाआें की रक्षक कही जाने वाली नौसेना के एक
कार्यक्रम में देखने को मिला कार्यक्रम शाखापट्टनम में हुआ अंतरराष्टÑीय
μलीट रिव्यू 2016 था जिसमें इसके आगाज के दौरान बैं्रड एंबेसडर के रूप में
बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार और अभिनेत्री कंगना रनौत न सिर्फ पहुंचे बल्कि
उन्होंने नौसेनाप्रमुख के साथ मंच भी साझा किया। इसे देखकर सभी हैरान रह
गए। नौसेना के कार्यक्रम में बॉलीवुड हस्तियों का भला क्या काम। क्या बल
में ऐसा कोई जाबांज या शूरवीर नहीं है जिसे कार्यक्रम के दौरान एंबेसडर
बनाया जाता। इससे भी रोचक यह तथ्य कि यह सबकुछ इतने गुपचुप अंदाज में हुआ
कि मीडिया को भी इसकी कानो कान भनक तक नहीं लगी। लेकिन सितारे पहुंचे भी और
उनकी चमक धमक सभी ने देखी भी। ऐसा तभी होता है जब फिल्मी सितारे बन जाते
हैं ‘ब्रैंड एंबेसडर’।
उपर वाला साथ है
एक अहम
मंत्रालय का जिम्मा संभाल रही महिला मंत्री जी की उपर वाले पर बहुत गहरी
आस्था है। वह इसको जाहिर करने में भी नहीं हिचकती। अब हाल ही का वाकया है।
मंत्रीजी के कार्यालय में कुछ पत्रकार मिलने पहुंचे। बात-बात में एक
पत्रकार ने कहा कि, कैबिनेट में फेरबदल होने वाली है। आपका भी मंत्रालय बदल
रहा है क्या? पहले तो उन्होंने इंकार किया। फिर कहा कि, अभी कोई फेरबदल
नही होने वाली। इतना कह वह मुस्कुरा दी। फिर उन्होंने अपनी सीट के पीछे की
दीवार पर उपर की तरफ टंगी एक तस्वीर को ध्यान से देखा। उसके बाद कहा कि,
मैं इस मंत्रालय से कहीं नहीं जा रही। जब तक उपर वाला साथ है मैं यही
रहूंगी। उनके इतना कहते ही सबने दीवार की तरफ देखा। जो तस्वीर दिखी उसके
बाद सभी ने चुप्पी साध ली।
14Feb-2016
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