
रेल बजट में किराया नहीं, बढ़ सकती है ट्रेने एवं उनकी गति
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद
के बजट सत्र में आम बजट के साथ रेल बजट को लेकर भी तरह-तरह की अटकले लगाई
जा रही है। रेल बजट में हालांकि सरकार का जोर रेल यात्रियों की सुविधओं को
बढ़ाने पर रहेगा, जिसमें ट्रेनों और उनकी गति में वृद्धि के अलावा रेल किराए
में राहत देना शामिल है।
रेल मंत्रालय में रेल बजट तैयार करने की
गतिविधियां तेजी पर हैं। मोदी सरकार का यह तीसरा रेल बजट होगा, जिसमें
यात्रियों की सुविधा को प्राथमिकता देने के संकेत दिये जा रहे हैं। रेल बजट
में सरकार का प्रयास होगा कि यात्रियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देते
हुए भारतीय रेल को सुधारों की पटरी पर दौड़ाया जाए। रेलवे के सूत्रों के
अनुसार यात्रियों की सुविधाओं के ख्याल के साथ सरकार यात्री किरायों में
वृद्धि करने के बजाए मालवहन, पार्सल, विज्ञापन और खानपान व्यवस्था की नयी
नीतियों के माध्यम से राजस्व बढाने की नीतियों का रेल बजट में ऐलान करेगी।
सूत्रों के अनुसार इस बार के रेल बजट में दोहरीकरण, तिहरीकरण,विद्युतीकरण,
सिंगनल एवं संचार आधुनिकीकरण जैसी क्षमता वृद्धि की नयी योजनाओं के अलावा
प्रमुख रेल मार्गों पर तकनीकी उन्नयन करके पटरियों पर रेल गाड़यिों की गति
में दस किलोमीटर प्रति घंटा तक की वृद्धि करने की योजना का ऐलान होने की
उम्मीद है। यही नहीं देशभर में मोबाइल के जरिये अनारक्षित टिकट की सुविधा
एवं अन्य सूचना प्रौद्योगिक आधारित सेवाओं का विस्तार करने पर ज्यादा जोर
देगी। मसलन रेलवे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर रेलवे को पेपरलैस
करने की कवायद में जुटा हुआ है।
कंप्यूटरीकृत रेल परिचालन
रेलवे
के सूत्रों के मुताबिक इस तकनीकी के जरिए रेलवे परिचालन के पूरी तरह
कंप्यूटरीकरण करने की प्रक्रिया का विस्तार किये जाने की भी संभावना है। इस
प्रक्रिया के विस्तार में मालगाड़यिों को मुख्य मार्गो के बजाय वैकल्पिक
मार्ग से चलाने वाली नयी प्रणाली शुरू करने के ऐलान की भी उम्मीद है। रेल
पटरियों पर हादसों को रोकने के लिए भी विकसित की गई सुरक्षा प्रणाली के सफल
उपयोग पर भी रेल बजट में जोर दिये जाने की संभावना है।
घाटे को पाटने की चुनौती
सूत्रों
ने बताया कि रेलवे की महत्वाकांक्षी क्षमता विस्तार योजनाओं के लिए भारतीय
जीवन बीमा निगम के डेढ़ लाख करोड़ रुपए के निवेश की तर्ज पर विश्व बैंक एवं
कुछ अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से निवेश के प्रस्ताव के साथ नई नीति का
ऐलान हो सकता है। अगले वित्त वर्ष में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के
क्रियान्वयन से रेलवे पर पड़ने वाले 32 हजार करोड़ रुपए के भार के बावजूद
यात्री बढ़ाने जाने की संभावना नहीं है। सूत्रों के अनुसार हाल ही में रेलवे
में रद्दीकरण नियमों एवं शुल्कों में बदलाव के साथ बच्चों के लिए पूरी
बर्थ का पूरा शुल्क लेने जैसे कई कदमों से राजस्व बढ़ाने के लिए कुछ ठोस कदम
उठाने की योजना पर भी विचार किया गया है।
15Feb-2016
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