सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

जेटली की पोटली पर लगी जनता की आस!


किसानों-निवेशकों को खुश करने की चुनौती
महंगाई थमे, आयकर छूट बढ़े और किसानों का हित सधे तो बने बात
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली सोमवार को राजग सरकार का दूसरा मुख्य बजट पेश करने जा रहे हैं। मध्यम वर्ग, नौकरी पेशा और गरीब तबके को बजट से बहुत उम्मीदें और जेटली के बजट की पोटली से क्या मिलेगा इस पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई। माना जा रहा है कि इस बार सरकार सामाजिक क्षेत्र में सुधार को पटरी पर उतारने के प्रयास में है। इसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि में सुधार,गांवों और किसानों की हालत में सुधार पर जेटली के बजट में फोकस होने की संभावना जताई जा रही है।
संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद रेल बजट और आर्थिक समीक्षा के जरिए मोदी सरकार ने के अच्छे दिनों के संकेत दिये हैं, तो जाहिर है कि आम बजट में अर्थव्यवस्था में सुधार करने की प्राथमिकता में सामाजिक और स्वास्थ्य के साथ कृषि क्षेत्र में सुधार पर ज्यादा हो सकता है। आर्थिक विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में अभी किसानों, कृषि और खेती की भूमि पर किसी प्रकार के टैक्स लगाने का समय नहीं है, इसलिए बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना जैसी केई कृषि और किसानों को प्रोत्साहन देने वाली योजनाओं का ऐलान हो सकता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के तहत ग्रामीण सड़कों के विकास और मनरेगा में ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर जोर दिये जाने की संभावना है। दूसरी ओर उद्योग जगत की उम्मीदों को देखते हुए आम बजट में इंफ्रा, पावर, बैंक्स, डिफेंस, स्टील, आॅयल एंड गैस के क्षेत्र के अलावा आम आदमी के लिए राहत की योजनाओं का ऐलान हो सकता है। इसके अलावा मैट की दरों में कटौती मुमकिन है। इस बजट में अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए सस्ती दर पर लोन, टैक्स छूट और ज्यादा एफएसआई के ऐलान की उम्मीद पर लोगों की नजरे टिकी हुई हैं।
इन मुद्दों पर भी होगी नजर
वित्तमंत्री अरुण जेटली पहले ही संकेत दे चुके हैं कि आम बजट लोक-लुभावन तो नहीं होगा, लेकिन बजट में कुछ ऐसी नई योजनाओं की भी घोषणा की जा सकती है, जिससे सरकार और जनता दोनों को फायदा पहुंचे। मसलन जीएसटी की राह को आसान करने के लिए सरकार कई वस्तुओं पर लग रहे सबसे कम टैक्स को बढ़ाने और उत्पाद शुक्ल में मिल रही छूट को खत्म करने पर विचार कर रही है। जेटली के बजट में युवाओं को शिक्षा, रोजगार एवं नौकरी से जुड़ी हर घोषणा में कुछ खास मिलने की उम्मीद है। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी सुधार के लिए सरकार के प्रयास जारी हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के अलावा सरकार की बुजुर्गो के लिए कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस योजना के अलावा स्वास्थ्य बीमा योजना कम प्रीमियम वाली प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना के विस्तार के रूप में इस योजना को लागू कर सकती है। सरकार के सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के लिए इसका लाभ सिर्फ समाज के कमजोर लोगों को देने को और तर्कसंगत बनाने का ऐलान हो सकता है।
व्यक्तिगत आयकर छूट
सूत्रों का कहना है कि सरकार बजट में छोटे और मझौले करदाताओं को राहत देने के लिए उम्मीद है कि सरकार व्यक्तिगत आयकर में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये की बजाय 2.9 लाख रुपये तक करने का ऐलान हो सकता है। वहीं 2.9 लाख रुपये से 5.4 लाख रुपये तक की आय पर 10 फीसदी टैक्स लग सकता है। 5.4 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय पर 20 फीसदी टैक्स लग सकता है। यदि सरकार बजट में आयकर छूट की सीमा बढाने की उम्मीदें पूरी करती है तो हर नौकरीपेशा और छोटे कारोबारियों के साथ आम आदमी को बड़ी राहत मिल सकती है। इसी प्रकार लोकप्रिय छोटी बचत योजनाओं जैसे पब्लिक प्रॉविडेन्ट फंड, किसान विकास पत्र, डाकघर जमा योजनाएं और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट पर मिलने वाली ब्याज दरों में एक अपै्रल से कमी लाने का ऐलान भी हो सकता है। हालांकि बजट में ब्याज दरों को बाजार के अनुरूप करने की दिशा में बालिकाओं व वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी योजनाओं पर ब्याज दरों में किसी बदलाव की संभावना नहीं है।
योजनागत आवंटन की चुनौती
भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश का माहौल बनाने व घरेलू मांग बढ़ाने के साथ ही आगामी बजट का फोकस गरीब और नौजवानों पर होगा। इसके लिए मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत और ग्रामीण आवास जैसे कार्यक्रमों के बजट में खासी वृद्धि हो सकती है। यानि आम बजट 2016-17 में कुल योजनागत आवंटन में 10 से 15 प्रतिशत बढ़ोतरी की जा सकती है। चालू वित्त वर्ष 2015-16 में योजनागत आवंटन 465277 करोड़ रुपये था। स्वच्छ अभियान में छह हजार करोड़ और कौशल विकास का बजट 1500 करोड़ रुपये था। इसी तरह डिजिटल इंडिया के लिए भी 2510 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। जबकि गंगा की सफाई के लिए चलाए जा रहे नमामि गंगे मिशन के चालू वित्तीय वर्ष के लिए आवंटित 2100 करोड़ में भी वृद्धि की जा सकती है।
रियल्टी क्षेत्र में सुधार 
भारत के रियल्टी क्षेत्र को बजट से उम्मीद है, जिसमें ज्यादा पारदर्शिता और हितैषी नीतियों वाले बदलाव की उम्मीद है। रियल एस्टेट विधेयक में सरकार की मंशा साफ है जिसमें वह स्वतंत्र नियामक, एकल खिड़की मंजूरी और कर छूट की सीमा बढ़ाना जैसे मुद्दे शामिल हैं। इसलिए उम्मीद है कि इस बार के बजट में सरकार सरकार जनता को घर का सपना पूरा करने की दिशा में भी होम लोन पर लगने वाले ब्याज पर कर छूट की सीमा बढ़ा सकती है। वैसे भी सरकार द्वारा सभी को घर मुहैया कराना और स्मार्ट सिटी की घोषणा का रियल्टी क्षेत्र में सुधार की योजना मानी जा रही है।
वैश्विक मंदी पर नजरें
अर्थशास्त्रियों की माने तो वैश्विक मंदी के मद्देनजर सरकार की नजरें बाहरी और अंदरूनी समस्याओं पर भी है। मसलन चीन,ब्राजील, यूरोजोन और जापान की अर्थव्यवस्था गड़बड़ाने के अलावा अमेरिका के संभलने के बाद फिर धीमा पड़ने जैसे मामलों का असर भारतीय अर्थव्यस्था पर हो रहा है। इसलिए सरकार की नजरें बजट में अपनी अर्थव्यवस्था को अस्थिर होने से बचाने पर भी होंगी। वहीं विदेशी निवेश यानि एफडीआई के दायरे को बढ़ाने की दिशाा में सरकार का प्रयास बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया जा
सकता है।
स्टार्टअप्स को बढ़ावा
मोदी सरकार की स्टार्टअप्स विशेषकर ई-कामर्स कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त मंत्रालय आगामी बजट में उनके ब्रांड प्रमोशन के लिए कर लाभ देने पर विचार संभव है। सरकार स्टार्टअप्स और ई-कामर्स कंपनियों को शुरूआती दौर में ब्रांड प्रमोशन के लिए खर्चों में कर कटौती करने की अनुमति पहले ही दे सकती है।
29Feb-2016


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