शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

अब सहायक कहना जनाब, कुली नहीं!

प्रभु ने सम्मान में बदला 200 साल पुराना शब्द 'कुली'
नई दिल्ली

आखिरकार रेलवे ने रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों के सामान को ढ़ोने वाले कुलियों को सम्मान देकर अंगे्रजी हकूमत की 200 साल से जारी परंपरा को खत्म करने का ऐलान कर दिया। मसलन अब रेलवे स्टेशन पर कुली शब्द सुनाई नहीं देगा।
लोकसभा में गुरुवार को पेश किये गये रेल बजट में रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने रेलस्टेशन पर यात्रियों के सामान को ट्रेनों में चढ़ाने र उताकर कर ढोने वाले कुलियों को सम्मान देते हुए उनके ‘कुली’ के स्थान पर ‘सहायक’ पद का दर्जा देने का ऐलान किया है। यही नहीं रेलवे ने उनके शब्द में बदलाव नहीं किया, बल्कि उनकी वर्दी बदलने का भी फैसला किया है। अब रेलवे स्टेशनों पर कुलियों को सहायक कहकर पुकारा जाएगा। रेल बजट में प्रभु ने कहा कि कुली का काम करने वाले सहायकों को एक विशेष तरह
का प्रशिक्षण देने और उन्हें सामूहिक बीमा सुविधाएं देने के लिए संभावनाओं को तलाशने की भी घोषणा की है। बजट पेश करते हुए रेलमंत्री ने कहा कि इसका मकसद रेलवे की छवि सुधारने के तहत कुलियों को यात्रियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिसके लिए उन्हें समुचित प्रशिक्षण देने की व्यवस्था भी की जाएगी। गौरतलब है कि रेलवे के इतिहास में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वर्ष 1807 में यूरोपियन देशों में ‘कुली’ शब्द की शुरूआत हुई थी, जो अंग्रेजों के साथ भारत आया। भारत में कुली शब्द को उर्दू की जुबान माना जाता है।

..जब प्रभु को याद आए वाजपेयी
नई दिल्ली।
रेलवे की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी कविता की कुछ पंक्तियों का बखान करके याद किया।
लोकसभा में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि रेलवे को बेहतर स्थिति में लाने का खासा दबाव बना हुआ है,लेकिन ऐसे चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए मोदी सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। मसलन उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समय चुनौतियों भरा है शायद सबसे मुश्किल भी। हमारे सामने दो प्रमुख चनैतियां हैं लेकिन नियंत्रण से बाहर हैं। इनमें अंतर्राष्टÑीय मंदी के कारण हमारी अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में धीमी प्रगति और सातवें वेतन आयोग और बढ़े हुए उत्पादकता संबद्ध बोनस का प्रभाव शािमल है। यही नहीं रेलवे की हिस्सेदारी 1980 के 62 प्रतिशत से गिरकर 2012 में 36 प्रतिशत होने से भी यह दबाव बना हुआ है। लेकिन वे इन चुनौतियों से निपटने को तैयार हैं। इसके लिए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी इन पंक्तियों के साथ याद किया 
विपदाएं आती हैं आएं, हम न रूकेंगे, हम न रूकेंगे,
आघातों की क्या चिंता है? हम न झुकेंगे, हम न झुकेंगे।
हरिबंश बच्चन की कविता
रेल मंत्री ने कवि हरिवंश राय बच्चन की भी कुछ पंक्तियों को भी रेलवे की कार्य योजना से जोड़ते हुए उद्दत किया। यानि कार्य योजना के तीन स्तंभों का जिक्र करते हुए उन्होंने रेलवे की नई विचार प्रक्रिया में नव अर्जन, नव मानक और नव संरचना के जरिए रेलवे का कार्यकल्प करने की बात कही, तो रेलव मंत्री सुरेश प्रभु कवि हरिवंश राय बच्चन की ये पंक्तियां पढ़ने से नहीं चूके-
नव उमंग, नव तरंग, जीवन का नव प्रसंग,
नवल चाह, नवल राह, जीवन का नव प्रवाह।
26Feb-23016


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