जेएनयू का जिन्न या सियासत
एक
विशालकाय हाथी भी चींटी से मात खा जाता है, ऐसा ही देश के सेक्युलर
स्यापों को जेएनयू में राजद्रोह पर हो रही सियासत का नतीजा देखना पड़ सकता
है, लेकिन जेएनयू का जिन्न जो गरमाई सियासत का पिंड छोड़ने को तैयार ही नहीं
है। दिलचस्प बात है कि इस सियासत में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता
अपनी रगो में देशभक्ति का खून दौडने की दुहाई देने के बावजूद देश को बर्बाद
करने का मंसूबा पालने वालों की हौंसलाअफजाई करने में सबसे आगे है।
देशभक्ति का गुणगान करके मौजूदा सरकार पर सवाल खड़े करने कांग्रेस नेताओं की
जुबान भी फिसल रही है, जो आतंकवादी अफजल को शहीद मानकर शायद सम्मान में जी
का संबोधन कर गये। राजनीतिक गलियारों में ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर
भी ऐसी चर्चा जोर पकड़ रही है कि कांग्रेस प्रवक्ता यदि अफजल को गुरू जी कह
रहे हैं, तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि उनकी इस जुबानी होने के
साथ कांग्रेस युवराज ने जेएनयू पहुंचकर देश को बर्बाद करने का मंसूबा
पालने वालों की हौसलाअफजाई की, वहीं रुड़की आईआईटी में एक अन्य बड़बोले
कांग्रेसी नेता अय्यर ने खुलकर जेएनयू में देशद्रोही नारेबाजी करने वालों
की जमकर पैरवी की। भले ही मणिशंकर को छात्रों की खरी-खोटी सुननी पड़ी हो।
सोशल मीडिया पर ऐसी टिप्पणियां भी सुर्खियां बन रही हैं कि कांग्रेसी,
वामपंथी और देश के तमाम सेक्युलर सूरमा गुरू ही नहीं,अफजल को अब्बा भी कह
सकते हैं..। इशरतजहां के एनकाउंटर पर जी भरकर स्यापा हुआ था, वहीं नितीश
कुमार ने इशरत को बेटी बताया, तो अब हेडली ने उसे आतंकी मानव बम बताकर देश
की सियासत में छाए ऐसे सेक्युलरिस्टों का चेहरा बेनकाब ही कर दिया
है..जिसके नतीजे आने वाली राजनीति में कितने घातक हो सकते हैं इसका अंदाजा
लगाना कठिन होगा।
मुख्यमंत्री बनने के सपने
उत्तराखंड
भाजपा में चुनाव से पहले ही कई नेता मुख्यमंत्री बनने के सपने देखने लगे
हैं। अगले साल इस पहाड़ी राज्य में विधानसभा चुनाव है। फिलहाल उत्तराखंड में
कांग्रेस सत्ता पर काबिज है। भाजपा ने चुनावी जंग जीतने के लिए तैयारियों
पर मंथन शुरू किया तो नेताओं के मन में सीएम की कुर्सी पाने के लिए लड्ढू
फूटने लगे। इसी हμते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में उत्तराखंड भाजपा
कोर ग्रुप की बैठक बुलाकर लंबी चर्चा इस बात पर की कि चुनाव कैसे जीता
जाए। खबर है कि जब राष्टÑीय अध्यक्ष रणनीति पर चर्चा कर रहे थे तो कुछ बड़े
नेताओं की इच्छा थी कि मुख्यमंत्री का चेहरा भी तय कर देना चाहिए। शाह भी
राजनीति अच्छी तरह समझते है लिहाजा उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले और सभी
को हिदायत दी कि प्रदेश में लोगों के बीच समय बिताओ। कोई कसर नहीं रहनी
चाहिए। दरअसल सूबे में भाजपा के पास कई पूर्व मुख्यमंत्री हैं। भगत सिंह
कोश्यारी और भुवन चंद्र खंडूरी से लेकर निशंक तक। सभी पार्टी हाईकमान को
बता रहे हैं कि चुनाव जीतना है तो उनको बागडोर सौंपो। पार्टी में चर्चा है
कि नेताओं का उतावलापन अपनी जगह ठीक है पर फैसला समय आने पर ही होगा।
सांसद जी का बिजनेस मंत्रा
पूर्वी
उत्तर प्रदेश से आने वाले एक सांसद इन दिनों सियासी मसलों से ज्यादा
व्यावसायिक विषयों में रूचि ले रहे हैं। जनाब, नोएडा,ग्रेटर नोएडा और
गुड़गांव समेत राष्ट्रीय राजधानी के इर्द-गिर्द की प्रापर्टी के क्या भाव
हैं। रियल स्टेट का मार्केट कब तक मंदा रहेगा, इन सब चीजों पर खुल कर ज्ञान
दे और ले रहे हैं। ऐसे ही वह अपने क्षेत्र से आए एक व्यवसायी को जो अपनी
किसी समस्या के समाधान के लिए आया था, सांसद जी ज्ञान देने लगे। समझाने लगे
कि अभी इधर रियल स्टेट में निवेश कर लो। मार्केट मंदा है। लेकिन आने वाले
वक्त में तेजी से उछाल मारेगा। व्यापारी को इन सब बातों में दिलचस्पी नही
थी, पर सांसद जी तो बिजनेस मंत्र देते रहे। व्यापारी उनका ज्ञान
सुनते-सुनते आजिज हो गया। बड़ी विनम्रता से बोला, हम तो बचपने से बिजनेस कर
रहे हैं अब हमको इसके ज्ञान की जरूरत नही। अगर आप राजनीति छोड बिजनेस में
उतर ही रहे हैं, तो बोलिे कुछ टिप्स मैं भी दे दूं। बेचारे नेताजी,अपना सा
मुंह लेकर रह गए।
21Feb-201
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