शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

‘नमामि गंगे’ मिशन में ऐसे बढ़ेगी सहभागिता!

कार्यान्वयन में वेतन आधारित होगी निजी भागीदारी
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी मिशन के रूप में नमामि गंगे कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाने की दिशा में सार्वजनिक व निजी भागीदारी को मिश्रित वेतन आधारित बनाने की पहल शुरू कर दी गई है, ताकि इस मिशन को जनांदोलन के रूप में गंगा और सहायक नदियों की स्वच्छता को स्थायी रूप दिया जा सके।
राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता अभियान के तहत कई मंत्रालयों की भागीदारी में नमामि गंगे मिशन की तेजी से शुरूआत करने की कवायद की जा रही है, जिसके लिए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने जनता, स्थानीय प्रशासन और शासन के अलावा अन्य संस्थाओं को भी जोड़ते हुए इस कार्यक्रम को जनांदोलन बनाने की रणनीति अपनाई है। मिशन को स्थातित्व देने की दिशा में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत मिश्रित वार्षिक वेतन आधारित सार्वजनिक-निजी भागीदारी शुरू करने के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार अपनी मुहर लगा चुकी है। मिश्रित वेतन आधारित सार्वजनिक निजी साझेदारी यानि पीपीपी मॉडल अपनाने का मकसद मिशन में तेजी लाने की दृष्टि से एक नया बदलाव है।
नीति बदलाव से होगा लाभ
मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार के फैसले के अनुसार इस मॉडल में पूंजीगत निवेश के एक हिस्से यानि 40 प्रतिशत तक का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा और शेष भुगतान वार्षिक के रूप में 20 वर्षों तक किया जाता रहेगा। इस कदम के तहत कार्य प्रदर्शन मानकों को वार्षिक भुगतान के साथ जोड़ने से समुचित मानक वाले शोधित जल का उद्देश्य सुनिश्चित होगा, ताकि कार्य प्रदर्शन,सक्षमता, व्यावहारिकता तथा निरंतरता को सुनिश्चित किया जा सके। जिसमें भारत में अपशिष्ट जल क्षेत्र में सुधार लाने की भी तैयारियां शामिल होंगी। इसके लिए रेलवे की तर्ज पर विद्युत, पेट्रोलियम तथा उद्योग आदि केंद्रीय मंत्रलायों के साथ भी करार किये जा रहे हैं।
एसपीवी के गठन की तैयारी
मंत्रालय के अनुसार सरकार ऐसी पीपीपी परियोजनाओं की योजना, संरचना, रियायतग्राही को आकर्षित करने तथा कार्यान्वयन निगरानी के लिए भारतीय कंपनी अधिनियम-2013 के अंतर्गत ‘स्पेशल परपस व्हेकिल’ यानि एसपीवी स्थापित करेगी। इसमें राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन यानि एनएमसीजी के दिशा-निर्देशन में समुचित नीति के जरिये शोधित अपशिष्ट जल के लिए बाजार विकसित किया जाएगा,ताकि जरूरी शासन संरचना और कामकाजी स्वायतत्ता प्रदान की जा सके। मंत्रालय द्वारा एसपीवी परियोजनाओं हिस्सेदारी करने वाली राज्य सरकारों तथा शहरी निकायों के साथ त्रिपक्षीय समझौता किया जाएगा, जिसका सुधार लागू करना तथा प्रदूषक भुगतान आधार पर यूजर शुल्क की उगाही के लिए नियामक कदम को भी कारगर बनाया जा सके।
06Feb-2016

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