बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

देश के बांधो के खतरे दूर करेगी सरकार

सुरक्षा सुनिश्चित करने को तैयार होगी योजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार नदियों से जुड़े मुद्दों के साथ देशभर के बांधों परियोजनाओं के खतरों की आशंकाओं से निपटने की भी योजना पर आगेबढ़ती नजर आ रही है। इसके लिए सरकार ने बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजनाओं से सबक लेने के सुरक्षा सुनिश्चित करने की योजना तैयार करने का निर्णय लिया है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसर देश के सभी राज्यों में बदहाल स्थिति में मौजूद कई विशाल बांधों के पुनर्वास की तत्काल आवश्यकता के बारे में विविध मंचों पर चिंता जाहिर की जाती रही है, ताकि उनकी सुरक्षा और प्रचालन संबंधी दक्षता सुनिश्चित की जा सके। इसलिए देश में बांधों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए मोदी सरकार ने बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना यानि डीआरआईपी की शुरूआत की है। यह परियोजना विश्व बैंक से प्राप्त ऋण सहायता के साथ सात राज्यों में लगभग 250 बांधों की स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रारंभ की गई है। हालांकि छह वर्षीय डीआरआईपी परियोजना अप्रैल 2012 में प्रारम्भ हो चुकी थी, जिस पर काम जारी है।
खस्ता हालत में 80 फीसदी बांध
मंत्रालय के अनुसार देश में करीब 4900 विशाल बांधों में 80 फीसदी बांध 25 साल से भी ज्यादा पुराने होने के कारण उनसे बाढ़ और भूकंप जैसी आपदा के खतरे की आशंकाएं बनी रहती है। इनके पुराने प्रचलित डिजाइन की कार्यप्रणालियां और सुरक्षा की स्थितियां भी डिजाइन के वर्तमान मानकों और सुरक्षा मानदंडों से मेल नहीं खा रही हैं। बांधों के आकलन और सर्वे के तहत नींव की अभियांत्रिकी संबंधी सामग्री अथवा बांधों का निर्माण में उपयोग की गयी सामग्री भी समय के साथ नष्ट होने के कगार पर है। मसलन उनके रखरखाव से जुड़े इन पृथक कारकों और मामलों के कारण कुछ बांध खस्ता हालत में हैं, जिनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा उनकी प्रचालन संबंधी विश्वसनीयता बहाल करने के लिए उन बांधों की तत्काल मरम्मत करना जरूरी है।
कार्यशाला में होगा मंथन
देशभर में जारी बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना यानि डीआरआईपी से मिले सबक पर 18 फरवरी को नयी दिल्ली में एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी, जिसका उद्घाटन केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती करेंगी। इसमें केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री प्रो. सांवर लाल जाट के अलावा बांध प्रचालन और रखरखाव की निगरानी से जुड़े राज्यों तथा विशाल बांध के स्वामित्व से जुड़े अधिकारी भी हिस्सा लेंगे। वहीं विशेषज्ञों के साथ देश के बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मंथन होगा, ताकि एक व्यापक योजना को अंजाम दिया जा सके। सम्मेलन में मंथन के बाद निष्कर्ष और सिफारिशों के आधार बांधों के लिए आवश्यक तकनीकी, प्रबंधकीय और वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन में सहायता मिलेगी।
17Feb-2016


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