रविवार, 7 फ़रवरी 2016

राग दरबार: यह कैसा मजाक है जनाब

माननीय के गले की फांस
सरकारी बंगलों पर अपनी सुविधानुसार बसने की चाह में माननीय न जाने क्या-क्या कह जाते हैं, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के एक कांग्रेसी सांसद की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने सरकारी बंगले को खाली न कराए जाने की गुजारिश की थी। दरअसल कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के बदलने के बाद केंद्र की नई सरकार ने उन्हें कुछ माह बाद ही दूसरा बंगला आवंटित किया गया था, लेकिन उन्होंने कुछ बहाना बनाते हुए वहां जाने से इंकार कर दिया था, बल्कि सरकार पर मजाक करने जैसी टिप्पणी करके कई तरह के नियमों को धत्ता तक करार दे दिया। सरकारी बंगले की सुविधाओं की खातिर यह मामला अदालत तक भी जहां पहुंचा, जहां दिल्ली हाई कोर्ट ने माननीय को अंतरिम राहत देते हुए केंद्र सरकार से कहा कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक बंगला खाली न कराया जाए। जबकि केंद्र सरकार की दलील रही कि इन सांसद महोदय ने सरकारी आवास में रहने के लिए तीन बार अलग अलग तरह की बातें कही हैं जिसके साथ ही आवास में ठहरने की उनकी सारी योग्यता खत्म हो गई है। लेकिन हाई कोर्ट से मिली इस राहत पर अतिउत्साहित माननीय ने मीडिया के समक्ष यहां तक कह दिया कि 'ये क्या मजाक है। मसलन केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उनका कहना था कि उन्हें ऐसा बंगला तो दिया जाए, जो रहने लायक तो होना चाहिए। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया तो कांग्रेस के इन माननीय का मजाकिया लहजा गले की हड्डी बन गया यानि सुप्रीम कोर्ट ने माननीय को गरिमा का ख्याल रखने जैसी टिप्पणियां करते हुए बंगला खाली करने का फरमान दे दिया है। राजनीति गलियारों में चर्चा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी अब क्या ये माननीय मजाक करार देंगे?
ये है मोदी स्टाइल
सेवानिवृत्त परमेश्वर अय्यर को क्या पता था कि पोता-पोती को खिलाते हुए बाकी के दिन बिताने के बजाय उन्हें केंद्र सरकार में एकबार फिर सचिव पद की जिम्मेदारी मिलेगी! ये ही है प्रधानमंत्री के काम करने का अंदाज। उन्हें जनहित में बस डिलिवरी चाहिए। तय समय में पूरा काम। नौकरशाह कर नहीं पा रहे हैं। सो, उन्हें सीधे समझा दिया- जो काम नहंी करेगा, वह जाएगा। उसके दूसरे ही दिन 1981 बैच के रिटायर आईएएस अधिकारी अय्यर को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ्रपेजयल और स्वच्छता मंत्रालय का सचिव बना दिया। वर्ष 2009 में स्वैच्छिक सेवानिवृति के बाद से ही अय्यर वर्ल्ड बैंक के साथ स्वच्छता के मिशन पर काम कर रहे थे। जल-सुराज योजना पर वर्ल्ड बैंक के साथ काम करने पर उन्हें विश्व में ख्याति मिली थी। इसी तर्ज पर निवेश के लिए बनाए गए नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के लिए प्रोफेशनल सीईओ की तलाश जारी है। संस्थान का काम देश में निवेश के प्रवाह को दुरुस्त रखना होगा।
नेताजी को आई अमर की याद
समाजवादी पार्टी में भले ही अभी ठाकुर अमर सिंह का जलवा कम नजर आ रहा हो लेकिन उन्होंने मुलायम सिंह यादव के दिल में अपनी जगह बरकरार रखी हुई है। पिछले दिनों नेताजी ने खुलकर कहा भी कि अमर सिंह पहले भी हमारे साथ थे और अब भी साथ हैं। चर्चा है कि मुलायम यूं ही अमर के लिए नरम नहीं पड़े हैं। अगले साल यूपी में चुनाव है और समाजवादी पार्टी की हालत धरातल पर कमजोर दिखाई पड़ रही है। यही वजह है कि नेताजी को प्रबंधन के माहिर खिलाड़ी अमर सिंह की याद हो आई। मुलायम के कुनबे में प्रो. रामगोपाल यादव की अमर सिंह से नहीं बनती लिहाजा वे नेताजी के हृदय परिवर्तन से खुश नहीं हैं। चर्चा है कि आने वाले दिनों में समाजवादी पार्टी छोड़ने के बाद से राजनैतिक वनवास से गुजर रहे ठाकुर साहब के अच्छे दिन आने वाले हैं।
मंत्री की जिज्ञासा !
एक अहम मंत्रालय में जूनियर मंत्री कामकाज को लेकर खासा गंभीर हो गए हैं। यूं तो उनको बड़े मंत्री ने कुछ खास जिम्मेदारी दी नही है, बावजूद वह अब अधिकारियों से अलग-अलग काम की जानकारी ले रहे हैं। हद तो तब हो गई जब उन्होंने एक वरिष्ठ अधिकारी को फोनकर से ऐसे काम के बारे में जानकारी मांग ली जिसका उनके मंत्रालय से कोई वास्ता ही नही। अब अधिकारी को कुछ समझ में न आए। मंत्रीजी को जवाब दे तो क्या दें। अधिकारी ने मंत्रीजी से कहा कि बेहतर होगा कि वह खुद मंत्री महोदय के केबिन में आकर उनको इस बारे में अवगत कराएं। मंत्री ने फौरन उस अधिकारी को अपने कार्यालय में बुला लिया। अधिकारी मंत्री के कार्यालय में हाजिर हो गए। उस वक्त मंत्री के चुनाव क्षेत्र से कुछ लोग आए हुए थे। मंत्री ने रौब झाड़ने के लिए वहीं अधिकारी को बुला लिया और पूछा। अधिकारी पहले तो अचकचाए। इधर उधर देखा। मंत्री की आतुरता देख अधिकारी ने धीमी आवाज में कहा कि, सर ये काम अपने मंत्रालय के तहत नहीं आता। फिर क्या.. मंत्रीजी सन्न रह गए। किंतु फौरन पल्टी मारी और कहा कि. .मालूम है। मैं जानकारी के लिए पूछ रहा था।
07Feb-2016

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