मंगलवार, 29 सितंबर 2020

वैकल्पिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल होगी हाइड्रोजन-सीएनजी

 

सीएनजी में 18 फीसदी हाइड्रोजन के मिश्रण की सरकार ने दी अनुमति

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।  

देश में हरित ईंधन को प्रोत्साहन देने की योजना को अमलीजामा पहना रही केंद्र सरकार ने परिवहन क्षेत्र में वाहनों के लिए वैकल्पिक स्वच्छ ईंधन के रुप में सीएनजी इंजनों में 18 प्रतिशत हाइड्रोजन के मिश्रण एच-सीएनजी के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। केंद्रीय मोटर वाहन नियम-1989 में संशोधन के जरिए सरकार ने एच-सीएनजी को एक मोटर वाहन ईंधन के रूप इस्तेमाल के लिए अधिसूचना जारी की है।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि देश में परिवहन के लिए स्वच्छ ईंधन के तहत विभिन्न वैकल्पिक ईंधन को अधिसूचित किया जा रहा है। इसी के तहत भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने भी मोटर वाहन के लिए हाइड्रोजन वाले कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (एच-सीएनजी) के विनिर्देशों (आईएस 17314: 2019) को ईंधन के रूप में विकसित किया है। इसके लिए कुछ सीएनजी-इंजन का स्वच्छसीएनजी की तुलना में एच-सीएनजी का उपयोग करके उत्सर्जन में कमी को समझने के लिए कुछ परीक्षण किया ग

या था। मंत्रालय के अनुसार एच-सीएनजी को एक मोटर वाहन ईंधन के रूप में शामिल करने के वास्ते केंद्रीय मोटर वाहन नियम-1989 में संशोधन के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा जारी इस अधिसूचना से पहले 22 जुलाई को संशोधित मसौदे पर राज्य सरकारों और जनता के सुझाव और टिप्पणियां मांगी थी, जिसके बाद बनी सहमति के बाद एच-सीएनजी मिश्रण को वैकल्पिक स्वच्छ ईंधन के रूप में इस्तेमाल की अनुमति जारी कर दी है।

कार्बन उत्सर्जन में मिलेगी मदद

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मोटर वाहन नियम में संशोधन करने का यह निर्णय देश में पर्यावरण की दृष्टि से हरित ईंधन को बढ़ावा देने के मकसद से किया गया है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। इस वैकल्पिक ईंधन के इस्तेमाल की अनुमति देने के लिए जारी की गई अधिसूचना में ऑटोमोबाइल या मोटर वाहनों में हरित ईंधनों के इस्‍तेमाल को बढ़ावा देने में मदद करने को कहा गया है। इससे दो दिन पहले ही मंत्रालय ने एक अधिसूचना के जरिए -वाहनों को प्रोत्साहित करने की दिशा में हाइड्रोजन चालित वाहनों के सुरक्षा मूल्यांकन मानकों को लागू किया है। मंत्रालय के अनुसार सरकार प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की दिशा में सीएनजी में हाइड्रोजन के 18 प्रतिशत के मिश्रण को अनुमति दी गई है, क्योंकि हाइड्रोजन गैस बहुत ज्वलनशील होती है। ऐसे में इसके प्रोडक्शन, स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट और डिलीवरी में काफी सावधानी बरतने जैसे पहलुओं के आधार पर सुरक्षा मानकों को भी लागू किया गया है।

29Sep-2020



केंद्र ने राष्ट्र को समर्पित किया ग्वालियर-मुरैना फ्लाईओवर

दो राज्यों के बीच ग्वालियर से धौलपुर का सफर हुआ आसान

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

केंद्र सरकार की सड़क परियोजनाओं में मध्य प्रदेश के मुरैना शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर फ्लाईओवर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद उसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया। अब इस ओवरब्रिज के यातायात के लिए शुरू होने से मध्य प्रदेश के ग्वालियर और राजस्थान के धौलपुर का सफर भी बेहद आसान हो गया है।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार सोमवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्रीय सड़क परिवहन राज्यमंत्

री जनरल वीके सिंह की मौजूदगी में मध्य प्रदेश के मुरैना शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-3 पर 4-लेन वाले 1.420 किमी लंबे फ्लाईओवर को राष्ट्र को समर्पित कर दिया है, जिसके साथ इसे यातायात के लिए खोल दिया गया है। 108 करोड़ रुपये की लागत से इस सड़क परियोजना के तहत इस ओवरब्रिज का निर्माण कार्य ईपीसी मोड पर निर्धारित महज 18 महीने के भीतर पूरा किया गया है। इस उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की, जिसमें केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, फग्गन सिंह कुलस्ते के अलावा स्थानीय सांसद, विधायक, केंद्र और राज्य के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। मंत्रालय के अनुसार यह ओवरब्रिज मुरैना व ग्वालियर के साथ राजस्थान में धौलपुर को भी जोड़ता है, जिसके कारण अब ग्वालियर और धौलपुर के बी सड़क मार्ग का सफर बेहद आसान हो गया है।  

ईंधन व समय दोनों की बचत

मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि चार लेन वाले इस फ्लाईओवर की कुल लंबाई 78
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मीटर है, जिसमें धौलपुर की ओर 300 मीटर रिटेनिंग वॉल अप्रोच और ग्वालियर की ओर 340 मीटर रिटेनिंग वॉल एप्रोच है। फ्लाईओवर के दोनों तरफ सर्विस रोड है। यह फ्लाईओवर भीड़-भाड़ वाले मुरैना शहर को भी यातायात की समस्या को भी दूर करेगा, जिससे समय की बचत होगी और ईंधन के खर्च में भी बेहद कमी आएगी। इस सड़क परियोजना के पूरा होने से यह राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क का इस क्षेत्र में यातायात को सुगम बनाने में बहुत कारगर साबित होगा और यातायात के जाम जैसी समस्या से भी निजात मिलेगी। दूसरी ओर यह फ्लाईओवर पहले के ब्लैक स्पॉट पर दुर्घटनाओं को कम करने में भी मदद करेगा।

29Sep-2020 

नई दिल्ली और सीएसएमटी मुंबई रेलवे स्टेशन की बदलेगी सूरत

निविदा प्रक्रिया पूर्व बैठक में चार साल में काम पूरा करने की जताई उम्मीद

ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।  

भारतीय रेलवे की देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों को यात्रियों का विश्वस्तरीय सुविधाओं और उनके आधुनिकीकरण की दिशा में परियोजनाओं को अंतिम रूप देने की कवायद तेज हो गई है। भारतीय रेलवे ने इसमें राष्ट्रीय राजधानी के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और आर्थिक राजधानी मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के पुनर्विकास की योजनाओं के लिए निविदा प्रक्रियाओं को तेज कर दिया गया है।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस मुंबई के पुनर्विकास के लिए दूसरी प्री-बिड मीटिंग में नीति आयोग और रेलवे बोर्ड के अलावा रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की परियोजनाओं के लिए भारतीय रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और रेलवे भूमि विकास प्राधिकरण द्वारा यहां दूसरे प्री-बिड मीटिंग की गई, जिसमें फ्रेंच नेशनल रेलवेज टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, एंकोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर, अडानी ग्रुप और जीएमआर ग्रुप जैसे 25 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में नीति आयोग के चेयरमैन अमिताभ कांत और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए इस परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए हितधारकों से चर्चा की। इस बैठक में रेलवे बोर्ड के सदस्य (इंफ्रास्ट्रक्चर) प्रदीप कुमार, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी और मध्य रेलवे के महाप्रबंधक संजीव मित्तल भी चर्चा में शामिल रहे। बैठक में हुई चर्चा की जानकारी देते हुए रेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि उम्मीद जताई गई कि देश के सबसे व्यस्तम रेलवे स्टेशनों में शुमार नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के विश्वस्तरीय पुनर्विकास की परियोजना को चार साल के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पुनर्विकास परियोजना

रेलवे भूमि विकास प्राधिकरण के वाइस-चेयरमैन वेद प्रकाश डुडेजा ने बताया कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की इस प्रमुख पुनर्विकास परियोजना के लिए करीब 6,500 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का अनुमान लगाया गया है। इस परियोजना का मकसद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट द्वारा बुनियादी सुविधाओं से लैस कर एक मल्टी-मोडल हब के रूप में स्थापित करना है। इन सुविधाओं में यात्रियों के आगमन और प्रस्थान के लिए एलिवेटेड कॉनकोर्स, नया प्लेटफॉर्म, यात्री सुविधाओं के लिए विशेष स्थान जैसे लाउंज, फूड कोर्ट और टॉयलेट, कई प्रवेश और निकास बिंदुओं से जुड़ा एक एलिवेटेड रोड नेटवर्क

, एक बहु-स्तरीय कार पार्किंग शामिल है। नवीनतम तकनीक के उपयोग द्वारा ग्रीन बिल्डिंग प्रावधानों जैसे प्राकृतिक वेंटिलेशन और बेहतर प्रकाश की व्यवस्था भी की जा रही है। प्राइवेट प्लेयर्स नई दिल्ली स्टेशन पर 5 लाख स्क्वायर मीटर के क्षेत्र और कमर्शियल पर्पस के लिए इसके आसपास के 2.6 लाख वर्ग मीटर के क्षेत्र का पुनर्विकास करेंगे। इस परियोजना की रियायत अवधि 60 वर्षों की है और लगभग चार वर्षों में प्रोजेक्ट पूरा होने की उम्मीद है। रियायतकर्ता टिकट बिक्री के माध्यम से यात्रियों से एकत्रित पैसेंजर हैंडलिंग फीस, स्टेशन के भीतर यात्री सुविधाओं जैसे रिटेल एरिया, लाउंज, पार्किंग, एडवरटाइजिंग स्पेस, एफएंडबी इत्यादि व कमर्शियल प्रोपर्टी के डेवलपमेंट और लीज सहित कई घटकों से राजस्व कमाएगा।

कनॉट पलैस की बदलेगी सूरत

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की इस परियोजना में करीब 30 एकड़ भूमि पर रिटेल, ऑफिस और हॉस्पिटैलिटी डेवलपमेंट जैसे फाइव स्टार होटल, बजट होटल और अपार्टमेंट सरीखे कमर्शियल डेवलपमेंट भी शामिल होगा। कनॉट प्लेस के बाहरी सर्कल में सिविक सेंटर के समीप भवभूति मार्ग पर बिजनेस हब की परिकल्पना भी की जा रही है। स्टेशन को डीएमआरसी की मेट्रो सेवाओं में येलो लाइन, एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन और पैदल मुख्य मार्ग के जरिए कनॉट प्लेस आउटर सर्कल के साथ जोड़ा जाएगा। आरएफक्यू के अन्य घटकों में निर्दिष्ट स्थानों पर रिटेल, होटल्स, ऑफिस और सर्विस अपार्टमेंट्स जैसे स्वीकृति योग्य कमर्शियल डेवलपमेंट्स शामिल हैं।

सीएसएमटी मुंबई परियोजना

रेल मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक प्राधिकरण आरएलडीए के अनुसार इसी प्रकार छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस मुंबई यानि सीएसएमटी के मध्य में स्थित एक ऐतिहासिक और वर्ल्ड हैरिटेज साइट है। सीएसएमटी परियोजना की लागत 1,642 करोड़ रुपये और रियल एस्टेट की लागत 1,433 करोड़ रुपये है। सीएसएमटी, वादी बंदर और बायकुला में कुल रियल एस्‍टेट बीयूए 25 लाख वर्ग फुट है। एनडीएलएस की तर्ज पर सीएसएमटी, मुंबई  के पुनर्विकास के दौरान विभिन्न तरह के बदलाव के तहत इसे मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब की तरह विकसित किया जाएगा। आरएलडीए मौजूदा 62 स्टेशनों पर चरणबद्ध तरीके से काम कर रहा है, जबकि इसकी सहायक आईआरएसडीसी ने अन्य 61 स्टेशनों को पुनर्विकसित करने हेतु चयनित किया है। पहले चरण में आरएलडीए ने पुनर्विकास के लिए नई दिल्ली, तिरुपति, देहरादून, नेल्लोर और पुदुचेरी जैसे प्रमुख स्टेशनों को प्राथमिकता दी है। भारत सरकार द्वारा शुरू की गई स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के एक हिस्से के रूप में भारत भर के रेलवे स्टेशनों को पीपीपी मॉडल पर पुनर्विकास किया जाएगा। 

27ैमच92020

राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में तेजी लाने की कवायद

एनएचएआई ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को भेजे एनएचबीएफ के स्वीकृत सुझाव

देश में परियोजनाओं को आसान बनाने के लिए मांगे गये थे सुझाव

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने नेशनल हाइवेज बिल्डर्स फेडरेशन यानि एनएचबीएफ के अधिकांश सुझावों पर सहमति जताई है, उन्हें नीतिगत मामलों में शामिल करके देश में राष्ट्रीय राजमार्ग जैसी सड़क परियोजनाओं में आने वाली बाधाओं को आसानी से दूर किया जा सकेगा और राजमार्ग निर्माण में तेजी आएगी।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राजमार्ग निर्माण की सड़क परियोजनाओं में बाधाओं को दूर करने एवं राजमार्ग निर्माण की परियोजनाओं की गति बढ़ाने के उद्देश्य से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानि एनएचएआई ने नेशनल हाइवेज बिल्डर्स फेडरेशन (एनएचबीएफ) द्वारा दिये गये परियोजनाओं को पूरा करने से संबंधित अधिकांश सुझावों से सहमति जताहै। ये सुझाव कोविड राहत, निविदा प्रक्रिया, अनुबंध प्रबंधन, पुराने एवं नये मॉडल ईपीसी समझौते, हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल (एचएएम) के रियायत समझौते में सुधार, बीओटी (टोल) आधारित रियायत समझौते में सुधार तथा परियोजना की तैयारी जैसे नौ क्षेत्रों से जुड़े थे। वहीं एनएचएआई के प्रवक्ता ने बताया कि समस्याओं के उचित निवारण के लिए एनएचएआई एनएचबीएफ के सुझावों पर गंभीरता से विचार करेगा, जिसमें खुद प्राधिकरण ने 25 सुझावों पर सहमति व्यक्त की है, जिसमें एनएचएआई ने भविष्य में भी सभी अच्छे सुझावों पर सकारात्मक रूप से विचार करने का आश्वासन दिया है। एनएचएआई के अनुसार नीतिगत मामलों से संबंधित अन्य सुझावों को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के पास विचार के लिए भेजे गये हैं

एनएचएआई द्वारा स्वीकृत प्रमुख सुझाव

एनएचएआई द्वारा जिन प्रमुख सुझावों को स्वीकार किया है उनमें कोविड राहत के संबंध में, ठेकेदार या रियायत पाने वाले को बिना किसी लागत या जुर्माने के निर्माण अवधि में परियोजना निदेशक द्वारा 3 महीने तक का और क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा तीन महीने से अधिक और छह महीने तक का विस्तार दिया जाएगा। वहीं निविदा के समय, निविदाकर्ता को सड़क की स्थिति का आकलन करने में सक्षम बनाने के लिए एनएचएआई निविदाकर्ता को डीपीआर के साथ उपलब्धता के अनुसार नेटवर्क सर्वेक्षण वाहन (एनएसवी) या लीडर डेटा प्रदान करेगा। डीपीआर सलाहकारों द्वारा एकत्र किये गये सर्वेक्षण के सभी आंकड़ों को डेटा लेक के जरिए एक मंच के तले एजेंसियों को उपलब्ध कराया जायेगा। इसी प्रकार वेंडरों को समय पर भुगतान एवं उनकी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए, परियोजना भुगतान से संबंधित बिल पीएमएस यानिडेटा लेक पोर्टल के माध्यम से जमा किये जायेंगे।

कोरोना काल में 10 हजार करोड़ का भुगतान

एनएचएआई ने दावा किया है कि प्राधिकरण ने अतीत में रियायत पाने वालों, ठेकेदारों एवं सलाहकारों की मदद करने के लिए समय-समय पर कई ठोस कदम उठाये हैं, जिससे सड़क क्षेत्र के निविदाकर्तों में विश्वास भी पैदा हुआ है। एनएचएआई ने मार्च 2020 में ऑनलाइन भुगतान के के जरिए 10 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि लॉकडाउन के दौरान कार्यालय बंद रहने की वजह से कोई भी भुगतान लंबित न रहे। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एनएचएआई ने वेंडरों को 15 हजार करोड़ रुपए से अधिक राशि का भुगतान किया। इसके अतिरिक्त ठेकेदारों को नकद प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मासिक भुगतान जैसे कदम उठाये गये। प्राधिकरण ने कहा कि इस किस्म के कदमों का सड़क क्षेत्र के विकास में सकारात्मक असर हुआ। 

27Sep-2020