सोमवार, 28 सितंबर 2020

कोरोना काल में दो करोड़ श्रमिकों को मिली आर्थिक मदद

केंद्र सरकार ने पांच हजार करोड़ की दी राहत राशि: गंगवार

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।  

केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान देश में श्रमिकों की आर्थिक मदद के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें इस दौरान देशभर में दो करोड़ से ज्यादा श्रमिकों खासकर भवन एवं निर्माण श्रमिकों को 5 हजार करोड़ रुपये की राहत दी गई है।

केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बुधवार को कोविड-19 महामारी के दौरान पूरे भारत में प्रवासी श्रमिकों के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गये कदमों की जानकारी देते हुए कहा कि लॉकडाउन के तुरंत बाद श्रम और रोजगार मंत्रालय से सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को भवन और निर्माण श्रमिकों के उपकर कोष से वित्तीय सहायता देने के निर्देश जारी किये, जिसमें निर्माण श्रमिकों में प्रवासी मजदूरों की बड़ी हिस्सेदारी आंकी गईगंगवार ने कहा कि अब तक दो करोड़ से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को भवन और अन्य निर्माण श्रमिक उपकर निधि से सीधे उनके बैंक खातों में पांच हजार करोड़ रुपये जमा कराये गये हैं। वहीं मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की शिकायतों और उनका समाधान करने के मकसद से देशभर में 20 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए। इन नियंत्रण कक्षों के माध्यम से 15 हजार से ज्यादा शिकायतों का समाधान हुआ और श्रम मंत्रालय के हस्तक्षेप के कारण दो लाख से अधिक श्रमिकों लगभग 295 करोड़ रुपये का वह भुगतान कराया गया, कोरोना महामारी के दौरान की फंसी हुई मजदूरी का पैसा था। उन्होंने कहा कि श्रम मंत्रालय कोविड-19 महामारी के दौरान पूरे भारत में प्रवासी श्रमिकों के लिए केंद्र सरकार ने कई अभूतपूर्व कदम उठाए हैं, जिसमें श्रमिक कल्याण और रोजगार मुहैया कराना भी शामिल हैं।

असंगठित श्रमिकों को वित्तीय पैकेज

केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 1.7 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज के साथ असंगठित श्रमिकों सहित गरीब और जरूरतमंद 80 करोड़ लोगों को नि:शुल्क 5 किलोग्राम गेहूं,चावल और 1 किग्रा दाल उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं मनरेगा के तहत प्रतिदिन की मजदूरी 182 रुपये से 202 रूपए तक बढ़ाई गई है। उन्होंने कहा कि 50 लाख स्ट्रीट वेंडरों को अपने व्यवसाय फिर से शुरू करने के लिए एक वर्ष के कार्यकाल के लिए 10 हजार रूपए तक के आनुसांगिक नि:शुल्क कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा देने हेतु स्वनिधि योजना का शुभारंभ किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि समवर्ती सूची में शामिल होने के कारण श्रमिक क्षेत्र के लिए केंद्र और राज्य सरकारें दोनों इस मुद्दे पर नियम बना सकती हैं। इसी मकसद से प्रवासी श्रम अधिनियम सहित अधिकांश केंद्रीय श्रम अधिनियमों को राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से लागू किया जा रहा है।

डेटाबेस तैयार करने की कवायद

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार प्रवासी श्रम अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्रवासी श्रमिकों का पंजीकरण और उनके डेटा को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा तैयार किया जा रहा है। हालांकि कोविड-19 के अभूतपूर्व परिदृश्य में श्रम और रोजगार मंत्रालय ने उन सभी प्रवासी श्रमिकों के डेटा को एकत्र करने के लिए पहल की है, जो लॉकडाउन के दौरान अपने गृह राज्यों में जा रहे थे। विभिन्न राज्य सरकारों से एकत्रित जानकारी के आधार पर लगभग एक करोड़ प्रवासी श्रमिक कोविड-19 के दौरान अपने मूल राज्यों में लौट गए हैं।

17Sep-2020


 

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