सोमवार, 28 सितंबर 2020

..ताकि मनाली-कारगिल राजमार्ग पर कभी न लगे ब्रेक

एनएचआईडीसीएल ने तेजी से शुरू कराया उप मार्गो के काम

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

केंद्र सरकार ने विश्व की सबसे लंबी 13.5 किमी हाई-एल्टीट्यूड शिंकुन ला सुरंग के विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) कार्य और केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में इससे जुड़े उपमार्गों पर शीघ्रता से निर्माण करना प्रारंभ कर दिया है। इस सुरंग का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर मनाली-कारगिल राजमार्ग पूरे वर्ष खुला रहेगा और कभी अवरूध नहीं होगा।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड यानि एनएचआईडीसीएल ने विश्व की सबसे लंबी 13.5 किमी हाई-एल्टीट्यूड शिंकुन ला सुरंग के विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के कार्य और केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में इससे जुड़े उपमार्गों पर शीघ्रता से निर्माण शुरू कर दिया है। 15920 फिट ऊंचे शिंकुला दर्रे को भेदकर बनाई जा रही है। इस शिंकुला टनल के बन जाने से मनाली-कारगिर राजमार्ग साल भर खुला रह सकेगा और साथ ही लद्दाख की अग्रिम चौकी तक सड़क के जरिए परिवहन आसान हो जाएगा। मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढ़ांचे के निर्माण को प्राथमिकता दे रही है। पूरे वर्ष सड़क संपर्क और इसकी उपलब्धता में सुधार के एक समग्र दृष्टिकोण के क्रम में एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक के.के. पाठक के नेतृत्व में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के एक दल ने लेह से उत्तर और पदुम होते हुए शिंकुन ला सुरंग के उत्तर और दक्षिण क्षेत्रों के लिए सड़क मार्ग से प्रतिदिन लगभग 12 घंटे की यात्रा करते हुए दो दिनों तक यात्रा की। लद्दाख क्षेत्र में अपनी 5 दिनों की इस यात्रा के दौरान टीम ने शिंकुन ला सुरंग के उत्तर और दक्षिण मार्गों का दौरा किया और डीपीआर परामर्शकों द्वारा स्थल पर की जा रही भूकनीकी जाँच की विस्तृत समीक्षा की है

अगले माह 15 अक्टूबर तक होगा कार्य

इस सुरंग के कार्यों के निरीक्षण के दौरान पाठक ने इन क्षेत्रों में परियोजना के काम में तेजी लाने पर जोर दिया ताकि सर्दियों के मौसम के प्रारंभ होने से पूर्व इस कार्य का 15 अक्टूबर तक समापन किया जा सके, क्योंकि इस समयावधि के पश्चात इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी होती है। स्थल पर मौजूद स्थानीय लोगों ने लद्दाख और लाहौल एवं स्पीति जिले के दूर-दराज और दुर्गम क्षेत्रों में संपर्क में सुधार लाने के लिए एनएचआईडीसीएल के प्रयासों की सराहना की।

सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क पर बल

एनएचडीसीएल के निदेशक पाठक ने बताया कि केंद्र सरकार सीमा से सटे पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क का मजबूत नेटवर्क तैयार करना चाहती हैशिंकुला टनल के बन जाने से हिमाचल प्रदेश से लगने वाली सड़क की कनेक्टिविटी भी बेहतर होगीवहीं इस क्षेत्र का भारत-चीन सीमा के नजदीक होने से भी सामरिक महत्व काफी बढ़ जाता है। उन्होंने बतया कि इस टनल के बनने से शिंकुला 16600 फीट, बारालाचा 16040 फीट और लाचुंगला 16600 फीट ऊंचे दर्रों को पार करना भी आसान हो जाएगा। वहीं वर्तमान में मनाली से लेह की दूरी 474 किलोमीटर है, इसी रूट से कारगिल 690 किलोमीटर हैशिंकुला दर्रा होकर मनाली-कारगिल की दूरी 515 किलोमीटर है जो टनल के बन जाने से यह सफर 70 किमी कम हो जाएगा।

24Sep-2020

 

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