सोमवार, 28 सितंबर 2020

राज्यसभा में विपक्ष के आठ सांसद पूरे सत्र के लिए निलंबित

राज्यसभा: हंगामा कर दस्तावेज फाड़ने व तोड़फोड का मामला

कार्यवाही के खिलाफ निलंबित सांसदों का संसद परिसर में धरना शुरू  

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।  

संसद के मॉनसून सत्र का सोमवार को राज्यसभा में सरकार और विपक्षी दलों के बीच उस समय तनातनी देखने को मिली। दरअसल सभापति एम. वेंकैया नायडू ने विपक्ष के उन आठ सांसदों को एक सप्ताह के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया, जिन्होंने एक दिन पहले रविवार को राज्यसभा में कृषि बिलों के विरोध में उग्र हंगामा करते हुए पीठासीन अधिकारी के माइक को तोड़ा और रुल बुक व दस्तावेज फाड़कर उपभासभापति के ऊपर फेंककर उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। 

राज्यसभा की सोमवार को शुरू हुई बैठक के दौरान सभापति एम. वेंकैया नायडू ने उच्च सदन में एक दिन पहले रविवार को विपक्ष के हंगामे को लेकर कहा कि राज्यसभा के लिए यह बुरा दिन था, जब कुछ सदस्यों ने वेल में आकर पेपर को फेंका और माइक तोड़ दिया तथा रूल बुक को फेंककर उपसभापति को धमकी देकर उन्हें अपना कर्तव्य निभाने से रोका गया। नायडू ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण औ निंदनीय बताते हुए सांसदों को आत्मनिरीक्षण करने का सुझाव दिया। इस नसीहत के बाद सभापति नायडू ने तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन व डोला सेन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, कांग्रेस के राजीव सातव, रिपुन वोरा और सैयद नजीर हुसैन के आलवा माकपा के केके रागेश व एलमाराम करीम को एक सप्ताह के लिए निलंबित करने की कार्यवाही से अवगत कराते हुए उन्हें सदन से बाहर जाने का आदेश दिया। सभापति ने यह कार्यवाही भाजपा सांसदों की शिकायत और प्रस्ताव के बाद की है, जिसमें हंगामें के दौरान इन सांसदों पर हंगामे के दौरान संसदीय मर्यादाओं के खिलाफ आचरण करने का आरोप है। राज्यसभा में रविवार को किसान बिलों के विरोध में जिस प्रकार से तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने बेल में आकर हंगामा किया और कुछ सांसदों ने उपसभापति के सामने पहुंच कर बिल की प्रतियाँ फाड़ दीं और डिप्टी स्पीकर के माइक को भी पकड़ का उसे उखाड़ने की कोशिश की है, उन सबकी वीडियो रिकॉर्डिंग संसदीय कार्य मंत्रालय के पास है, जिसे विपक्षी दल झुठला नहीं सकता।

सदन में डटे रहे निलंबित सदस्य

उच्च सदन में सभापति के आठ सदस्यों के खिलाफ निलंबन की घोषणा होते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया और निलंबित सदस्य सदन में ही डटे रहे तो सदन की कार्यवाही को दस बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। जब फिर दस बजे फिर से उपसभापति हरिवंश ने कार्यवाही शुरू कराई, तो निलंबित किये गये सांसद सदन में नारेबाजी करते हुए आसन के करीब पहुंच गये, जिन्हें बाहर जाने को कहा, लेकिन वे नहीं माने तो उप सभापति ने अपने अयधिकारों को इस्तेमाल करते हुए उन्हें पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। इस मौके पर उच्च सदन में राज्यसभा सांसद वी. मुरलीधरन ने कहा कि निलंबित सदस्यों को सदन में रहने का कोई अधिकार नहीं है और नहीं वह गैर-सदस्यों की उपस्थिति से सदन कार्य कर सकता है। राज्यसभा में रविवार को दो महत्वपूर्ण किसान बिलों को सरकार ने भारी हंगामे के बीच पास करवा लिया. इस दौरान तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने बेल में आ कर हंगामा किया. कुछ सांसदों ने डिप्टी स्पीकर की चेयर के सामने पहुंच कर बिल की प्रतियाँ फाड़ दीं और डिप्टी स्पीकर के माइक को भी पकड़ का उसे उखाड़ने की कोशिश की. इन सबकी वीडियो रिकॉर्डिंग संसदीय कार्य मंत्रालय के पास है. आज राज्यसभा में तीसरा किसान बिल रखा जाएगा.

रातभर जारी रहेगा धरना

संसद के मानसून सत्र की पूरी कार्यवाही से निलंबन की कार्यवाही के विरोध में सभी आठों विपक्षी सदस्यों ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना शुरू कर प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिसे लगातार रातभर जारी रखने का ऐलान किया गया। संसद परिसर में धरने पर बैठे निलंबित सदस्यों के साथ कांग्रेस समेत उनके समर्थक दलों के नेताओं ने आरोप लगाया है कि जिस तरह कल उपसभापति ने विपक्ष द्वारा कृषि बिल पर मत विभाजन की मांग को अस्वीकार किया, वो पूरी तरह असंवैधानिक है। वहीं हंगामें के दौरान जिस तरह से मार्शल द्वारा सांसदों के साथ धक्कामुक्की और राज्यसभा टीवी की कार्रवाई को रोक दिया गया था, वो भी संसदीय मर्यादाओं के खिलाफ है

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उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज

राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को उपसभापति हरिवंश नारायण के खिलाफ विपक्ष के 12 विपक्षी दलों के 100 सांसदों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि प्रस्ताव उचित प्रारूप में नहीं था। सभापति ने कहा कि यह प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 90 के तहत गैर-स्वीकार्य है। उन्होंने सदन में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि यह अनुच्छेद संसद के ऊपरी सदन के 'उपसभापति के कार्यालय से छुट्टी और इस्तीफे' से संबंधित है। यह प्रस्ताव खारिज होने पर संसद परिसर में धरने पर बैठे निलंबित सांसदों ने आरोप लगाया कि पीठ से बिना सुने और पढ़े उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को जिस प्रकार से खारिज कर दिया गया, वह पूरी तरह से असंवैधानिक है और उल्टे पूरा दोष विपक्षी सांसदों पर मंढते हुए असंवैधानिक तरीके से आठ सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही की गई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की मंशा साफ नजर आ रही है कि संसद के सत्र को वह संसदीय मर्यादाओं के अनुरूप नहीं चलाना चाहती, बल्कि मोदी सरकार गुजरात मॉडल को अब संसद पर भी थोपना चाहती है

22Sep-2020

 

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