सोमवार, 28 सितंबर 2020

आठ दिन पहले हुआ राज्यसभा का अवसान

संसद के मानसून सत्र पर कोरोना महामारी का साया

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

देश में कोरोना महामारी के साये में संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही को निर्धारित समयावधि से 8 दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा की अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई कार्यवाही से पहले अंतिम दिन आठ महत्वपूर्ण विधेयकों पर मुहर लगाई। संसद के इतिहास में राज्यसभा में अंतिम दो दिनों में 15 विधेयकों को मंजूरी दी गई।

संसद के मानसून सत्र 14 सितंबर से एक अक्टूबर तक चलाने का समय निर्धारित था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के इस संकट के कारण बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही को आठ दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा के इतिहास में दस दिन की बैठक के दौरान उच्च सदन में रिकार्ड 25 विधेयकों को मंजूरी दी गई, जिनमें कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन महत्वपूर्ण विधेयक, आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, महामारी संशोधन विधेयक, मंत्रियों के वेतन और भत्ते(संशोधन) विधेयक, सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) विधेयक, विदेशी अंशदान (विनियमन)संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय रक्षा विश्विद्यालय विधेयक, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक, कंपनी (संशोधन) विधेयक और श्रम कोड़ जैसे एक दर्जन से ज्यादा महत्वपूर्ण विधेयक भी शामिल रहे, जिन पर दोनों सदनों ने मुहर लगाई है। वहीं राज्यसभा में छह विधेयकों को पेश किया गया। राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने से पहले यानि अंतिम दिन भी सदन ने आठ महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी दी, जबकि एक दिन पहले मंगलवार को उच्च सदन ने सात विधेयकों पर मुहर लगाई थी। दरअसल रविवार को कृषि विधेयकों के विरोध में हंगामा करने वाले विपक्ष के आठ सांसदों को निलंबित कर दिया गया था और इस निलंबन के विरोध में विपक्ष के उच्च सदन की कार्यवाही से बहिष्कार करने के कारण अंतिम दो दिन बिना विपक्ष के सदन की बैठक हुई, जिसमें पेश किये गये विधेयकों को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत के साथ दनादन पारित कर दिये गये। इसी सत्र के दौरान इसी सत्र के दौरान राजग के उम्मीदवार हरिवंश ध्वनिमत से दोबारा राज्यसभा के उपसभापति चुने गये। राज्यसभा में कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन महत्वपूर्ण विधेयक, महामारी संशोधन विधेयक,

अंतिम दिन पारित हुए आठ विधेयक

उच्च सदन में बुधवार को जिन आठ विधेयकों पर मुहर लगी है, उनमें श्रम संहिताओं वाले उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के अलावा विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम विधेयक, जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020, अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय नेटिंग विधेयक-2020, शामिल हैं। जबकि विनियोग (संख्या 3) विधेयक और विनियोग (संख्या 4) विधेयक को ध्वनिमत के साथ लौटा दिया गया 

इन अध्यादेशों को बनाया कानून

कोरोनाकाल के दौरान केंद्र सरकार जिन 11 अध्यादेशों को लेकर आई थी, उन्हें भी संसद ने विधेयकों के रुप में पारित किया है। इनमें कृषक उत्पाद वाणिज्य और व्यापार (प्रोत्साहन और सुगमता) विधेयक, कृषक (अधिकार और सुरक्षा) मूल्य गारंटी और कृषि सेवा समझौता विधेयक, होम्योपैथी केंद्रीय परिषद् (संशोधन) विधेयक, भारतीय औषधि केंद्रीय परिषद्  (संशोधन) विधेयक, आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, दिवाला और शोधन अक्षमता  (द्वितीय) संशोधन विधेयक, बैंकिंग नियामक (संशोधन) विधेयक, कराधान और अन्य क़ानून (निर्दिष्ट प्रावधानों में छूट) विधेयक, संक्रामक रोग (संशोधन) विधेयक, मंत्रियों के वेतन और भत्ते (संशोधन) विधेयक, संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) विधेयक शामिल हैं।

--------------------------

ग्यारह सांसदों को दी विदाई

उच्च सदन ने बुधवार को उन उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के 11 सांसदों को विदाई दी, जो आगामी नवंबर में अपना कार्यकाल पूरा करके सेवानिवृत्त होंगे। इनमें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, भाजपा के नीरज शेखर और अरुण सिंह, सपा सदस्य रामगोपाल यादव, रवि प्रकाश वर्मा, जावेद अली खान और चंद्रपाल सिंह यादव, कांग्रेस के राज बब्बर और पीएल पुनिया तथा बसपा के वीर सिंह और राजा राम शामिल हैं।

-----------------

सदन में विपक्षी सदन की गैरमौजूदगी दुर्भाग्यपूर्ण

राज्यसभा के मानसून सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले सभापति एम. वेंकैया नायडू ने अपने संबोधन में कहा कि यह सत्र कुछ मामलों में ऐतिहासिक रहा, क्योंकि इस दौरान उच्च सदन के सदस्यों को बैठने की नई व्यवस्था के तहत पांच अन्य स्थानों पर बैठाया गया। वहीं नायडू ने पिछले दो दिनों से उच्च सदन के कामकाज में कुछ विपक्षी दलों के सांसदों द्वारा हिस्सा न लिए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने इस सत्र को बुलाये जाने के कारणों की जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना संकट के बावजूद संसद का सत्र बुलाना संवैधानिक बाध्यता भी थी।

-----------------------------

उपसभापति के खिलाफ नोटिस 

नायडू ने कहा कि राज्यसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि उपसभापति को हटाये जाने का नोटिस दिया गया। सभापति ने कहा कि उन्होंने इसे खारिज कर दिया क्योंकि वह नियमों के अनुरूप नहीं था। उन्होंने इसके बाद सदन में हुई घटनाओं को पीड़ादायक बताया। उन्होंने सदन में अनुपस्थित सदस्यों से अनुरोध किया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो और सदन की गरिमा बनाए रखने का संकल्प लें। दरअसल रविवार को कृषि संबंधी दो विधेयकों के पारित होने के दौरान हंगामे को लेकर सोमवार को आठ विपक्षी सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था।

लोकसभा में हुआ 68 फीसदी विधायी कार्य, 25 विधेयक पारित

32 फीसदी गैर-विधायी कार्यो को दिया गया अंजाम

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

संसद के मानसून सत्र के तहत सत्रहवीं लोकसभा का चौथे सत्र की कार्यवाही को अनिनिश्चतकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। लोकसभा में दस दिन की बैठक में 25 विधेयक पारित किये गये, जबकि 16 विधेयक पेश किये गये। संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही के बाद शाम को लोकसभा की कार्यवाही को भी निर्धारित समय से आठ दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इससे पहले बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही शाम छह बजे शुरू हुई, जिसमें एक विधेयक पारित किया गया।

लोकसभा सचिवालय के अनुसार कोरोना महामारी के खतरे के बीच लोकसभा में निर्धारित बैठकों के लिए 37 घंटे की तुलना में 60 घंटे की कार्यवाही हुई। इस कार्यवाही के दौरान 68 फीसदी सरकारी और 32 फीसदी गैर सरकारी कामकाज निपटाया गया। इस दौरान 25 विधेयक पारित किये गये, जबकि इसके साथ ही सदन में 16 सरकारी विधेयकों को पुरःस्थापित किया गया। कोरोना महामारी के बावजूद लगातार देर रात तक बैठकर विधायी कार्य किए और अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन किया। इस सत्र में लोकसभा ने कार्य-उत्पादकता के नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए कार्य की उत्पादकता 167 फीसदी तक पहुंचाई। वहीं शून्यकाल में 370 लोक महत्व के मामले 88 सांसदों ने उठाए। जबकि सदस्यों द्वारा नियम 377 के अधीन लोक महत्वै के 181 मामले भी उठाएगए। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों के कारण इस बार सदन के साथ-साथ पूरे संसद भवन परिसर में संक्रमण से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। देश में कोविड-19 वैश्विक महामारी के संबंध में नियम 193 के अंतर्गत एक अल्पकालिक चर्चा भी की गई, जो 5 घंटे और 8 मिनट तक चली।

राज्यसभा का तीसरा सबसे छोटा मानसून सत्र

दस बैठकों में 25 विधेयक पारित करने का बना कीर्तिमान

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।   

राज्यसभा के इतिहास में कोरोना संकट के साये में हुए मानसून सत्र की दस या उससे कम बैठकों के के मामले में यह तीसरा सबसे छोटा सत्र रहा, लेकिन दस बैठकों के दौरान मानसून सत्र में राज्यसभा ने 25 विधेयकों पर मुहर लगाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। शायद यह ऐसा सत्र भी रहा जिसमें सरकार द्वारा लाये गये सभी अध्यादेशों को विधेयक के रुप में संसद से मंजूरी मिली है।

देश में कोरोना महामारी के कारण बदली व्यवस्थाओं के साथ इतिहास में पहली बार एक सदन के लिए दोनों सदनों और विभिन्न दीर्घाओं का सांसदों के बैठने के लिए किया गया है। कोरोना महामारी के दिशानिर्देशों के तहत संसद का मानसून सत्र भले ही निर्धारित 18 बैठकों के बजाए 10 बैठकों में सिमट गया हो, लेकिन इस सत्र में कुछ अपरिहार्य घटनाओं को छोड़कर सरकार अपने एजेंडे में लेकर आई अधिकांश काम को निपटाने में सफल रही है। वहीं कोरोना काल में दिशा-निर्देशों को लेकर की गई नई व्यवस्था सांसदों के लिए हमेशा यादगार बनी रहेगी। यही नहीं इस छोटे से सत्र में सरकार कोरोना संकट के दौरान लाए गये 11 अध्यादेशों को विधेयक के रूप में संसद से पारित कराकर उन्हें कानूनी अमलीजामा पहनाने में कामयाब रही। राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों से मिले आंकड़ो पर गौर करें तो मानसून सत्र के तहत राज्यसभा के 252वें सत्र की दस बैठक हुई और यह तीसरा और 69 मानसून सत्रों में ऐसा दूसरा सबसे छोटा सत्र रहा, जब मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा की दस या उससे कम बैठकें हुई हैं। राज्यसभा सचिवालय के रिकार्ड के मुताबिक अब तक के तमाम सत्रों में वर्ष 1979 के दौरान 111वां सत्र सबसे छोटा सत्र रहा है, जिसमें 20 अगस्त को केवल एक दिन की ही कार्यवाही हो सकी थी। इसका कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह द्वारा इस्तीफा देना रहा था। इसके अलावा अक्टूबर 1999 में 187वें मानसून सत्र में मात्र 6 बैठकें हो सकी थी। सचिवालय के अनुसार इसके अलावा मानसून सत्र के दौरान 16 ऐसे सत्र रहे जिसमें 11 से 20 दिन की कार्यवाही हुई, जबकि 40 मानसून सत्रों के दौरान 21 से 30 और नौ सत्रों के दौरान 31 से 39 बैठकों का आयोजन हुआ। राज्यसभा के इतिहास में केवल 89वां सत्र ऐसा था, जब जुलाई-सितंबर 1974 तक सर्वाधिक 40 दिन की कार्यवाही हुई थी।

सदन की उत्पादकता 100.47 फीसदी रही

राज्यसभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से सभापति एम. वेंकैया नायडू ने जानकारी दी कि 10 बैठकों के दौरान 25 विधयेक पारित हुए और 6 विधेयक स्थापित किये गये। इस सत्र में सदन की उत्पादकता 100.47 फीसदी रही। उन्होंने बताया कि पिछले तीन सत्रों में सामान्यत: उत्पादकता ऊंची रही है और पिछले 4 सत्रों में सदन की कुल उत्पादकता 96.13 फीसदी दर्ज की गई है। इन दस दिनों की कार्यवाही में 1567 अतारांकित प्रश्नों के लिखित जवाब दिये गये। जबकि शून्यकाल में दौरान जनहित के 92 विषय तथा विशेष उल्लेख के माध्यम से जनहित के 66 मुद्दे उठाये गये। इस दौरान 3.15 घंटे कार्यवाही बाधित हुई, लेकिन 3.26 मिनट अतिरिक्त समय चलाई गई कार्यवाही के इसकी भरपाई की गई।

चैंबर समेत छह जगह बैठे सांसद

कोरोना काल के कारण सुरक्षात्मक उपयों के अनुपालन के तहत राज्यसभा के सदस्यों को राज्यसभा चैंबर के अलावा लोकसभा चैंबर और राज्यसभा की विभिन्न दीर्घाओं समेत छह स्थानों पर बैठाया गया। सरकारी कामकाज को गति देने और संवैधानिक बाध्यताओं के कारण संसद का सत्र बुलाना आवश्यक था, जिसके लिए 14 सितंबर से 01 अक्टूबर तक बिना किसी अवकाश के निरंतर 18 बैठकों के आयोजन का फैसला किया गया, लेकिन कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण संसद के मौजूदा मानसून सत्र को आठ दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा। संसद सत्र के दौरा प्रश्नकाल व शून्यकाल और चर्चाओं की समयावधि को कम करने के कारण इस छोटे सत्र में ज्यादा कामकाज पूरा किया गया।

24Sep-2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें