केंद्र सरकार का हरियाणा को मेगा रेल परियोजना का तोहफा
पांच साल में पूरी होगी 5,617 करोड़ रुपये की 121.7 किमी लंबी रेल परियोजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दिल्ली-एनसीआर में भीड़ और यातायात के बोझ को कम करने के मकसद से केंद्र सरकार ने ईस्टर्न एवं वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे के बाद अब पलवल से सोहना, मानेसर व खरखौदा होते हुए सोनीपत तक 121.7 किमी लंबे ‘हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर’ परियोजना को मंजूरी दी है, जिस पर 5617 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी और इस रेल परियोजना को पांच साल में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है।
केंद्र सरकार द्वारा हरियाणा को दी गई इस मेगा रेल परियोजना की खासबात यह होगी कि इस रेल लाइन का निर्माण पलवल से शुरू होकर दिल्ली-अंबाला खंड पर मौजूदा हरसाना कलां स्टेशन पर समाप्त होगा। सोहना, मानेसर व खरखौदा के अलावा इस रेल परियोजना की दिल्ली-रेवाड़ी लाइन पर मौजूदा पातली स्टेशन, गढ़ी हरसरू-फारुख नगर लाइन पर सुल्तानपुर स्टेशन और दिल्ली-रोहतक लाइन पर असौध स्टेशन को भी रेल मा
र्ग को भी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। इसके साथ ही इस रेल लाइन पर चलने वाली यात्री रेलगाड़ियों का लाभ हरियाणा के पलवल, नूह, गुरुग्राम, झज्जर और सोनीपत जिले के लोगों को भी मिल सकेगा। रेल मंत्रालय के अनुसार मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पलवल से सोहना-मानेसर-खरखौदा
होते हुए सोनीपत तक हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर परियोजना को मंजूरी दी है। रेलवे के इस प्रस्ताव को मिली मंजूरी के तहत रेल मंत्रालय द्वारा एक साथ मिलकर स्थापित की गई संयुक्त उद्यम कंपनी हरियाणा रेल बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एचआरआईडीसी) द्वारा इस परियोजना को कार्यान्वित करेगी। मसलन इस परियोजना में रेल मंत्रालय, हरियाणा सरकार और निजी हितधारकों की संयुक्त भागीदारी होगी। हरियाणा में 121.7 किमीं लंबी इस रेल परियोजना की अनुमानित लागत 5,617 करोड़ रुपये है और इस परियोजना के पांच साल में पूरा होने की संभावना है। मंत्रालय ने
राज्य के वंचित क्षेत्रों को लाभ
हरियाणा के लिए यह नई रेल परियोजना हरियाणा राज्य के सुविधा से वंचित क्षेत्रों को जोड़ेगी, जिससे हरियाणा राज्य में आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। यह बहु-उद्देशीय परिवहन परियोजना गुरुग्राम और मानेसर, सोहना, फारुख नगर, खरखौदा और सोनीपत के औद्योगिक क्षेत्रों से विभिन्न दिशाओं में सस्ती, तेज नियमित यात्रा और लंबी दूरी की यात्रा भी उपलब्ध कराएगी। इस लाइन के माध्यम से प्रत्येक दिन लगभग 20 हजार यात्री रेल में सफर कर सकेंगे और हर साल 50 मिलियन टन माल यातायात की भी आवाजाही होगी। वहीं यह नई रेल लाइन दिल्ली न आने वाले यातायात का डायवर्जन करके एनसीआर में भीड़ कम करने में मददगार
होगी। इससे एनसीआर के हरियाणा राज्य उप-क्षेत्र में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स केन्द्रों के विकास में सहायता मिलेगी। यह इस क्षेत्र से डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर नेटवर्क तक सहज और उच्च गति की कनेक्टिविटी उपलब्ध कराएगी, जिससे ए
नसीआर से भारत के बंदरगाहों को होने वाले आयात-निर्यात (एग्जिम) यातायात की परिवहन लागत और समय में कमी आएगी और माल का निर्यात अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएगा। यह कुशल परिवहन कॉरिडोर अन्य पहलों के साथ ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को पूरा करने के लिए विनिर्माण इकाइयों को स्थापित करने के लिए बहु-राष्ट्रीय उद्योगों को आकर्षित करने के उद्देश्य से बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराएगा।
डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर से होगी कनेक्विटी
रेल मंत्रालय के अनुसार दिल्ली से गुजरते हुए पलवल से सोनीपत तक का यह ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सतत विकास के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है, जो दिल्ली क्षेत्र में मौजूदा रेलवे नेटवर्क पर भीड़-भाड़ भी कम करेगा। इस परियोजना की मार्ग रेखा (अलाइन्मेन्ट) वेस्टर्न पेरिफेरल (कुंडली-मानेसर-पलवल) एक्सप्रेसवे के निकट है। वहीं इस परियोजना की दिल्ली से निकलने वाले और हरियाणा से गुजरने वाले सभी मौजूदा रेलवे मार्गों के साथ-साथ डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर नेटवर्क के साथ भी कनेक्टिविटी होगी।
16Sep-2020
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