शनिवार, 12 सितंबर 2020

आत्मनिर्भर भारत: केंद्र सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को ‘हनी मिशन’ से जोड़ा

केवीआईसी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 700 मधुमक्खी बक्सों का किया वितरण

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने अपने प्रमुख हनी मिशन’ कार्यक्रम के जरिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर व बुलंदशहर जिलों के 70 प्रवासी श्रमिकों को जोड़ा है। इसके लिए स्थानीय रोजगार मुहैया कराने की दिशा में  कर्नाटकमहाराष्ट्रगुजरात जैसे राज्यों से अपने घर लौटे इन प्रवासी श्रमिकों को 700 मधुमक्खी बक्सों का वितरण किया, ताकि उन्हें  ‘हनी मिशन’ के अंतर्गत आजीविका का मौका मिल सके।

केंद्री सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्यम राज्य मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और बुलंदशहर जिलों के 70 प्रवासी श्रमिकों को 700 मधुमक्खी बक्सों का वितरण करके केवीआईसी के प्रमुख हनी मिशन’ कार्यक्रम में स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार मुहैया कराया है। एमएसएमई मंत्रालय के अनुसर इन प्रवासी श्रमिकों में 40 सहारनपुर और 30 बुलंदशहर के निवासी हैं, जो कोरोना संकट में लॉकडाउन के दौरान कर्नाटकमहाराष्ट्रगुजरात जैसे राज्यों से अपने गृहनगर लौट आए थे। प्रधानमंत्री द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए किए गए आह्वान के बाद केवीआईसी ने इन श्रमिकों की पहचान करके पहले इन्हें मधुमक्खी पालन का 5 दिनों का प्रशिक्षण दिलाया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का समस्त क्षेत्र वनस्पतियों की बहुतायत के साथ शहद उत्पादन के लिए आदर्श क्षेत्र है। केवीआईसी प्रशिक्षण केंद्र पंजोकेरा में मधुमक्खी के बक्सों के वितरण समारोह में बोलते हुए प्रताप सारंगी ने केवीआईसी की इस पहल की सराहना की और कहा कि मधुमक्खी पालन में इन कामगारों को शामिल करने से स्थानीय रोजगार का सृजन होगा। वहीं इस अवसर पर मौजूद केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि मधुमक्खी पालन में प्रवासी कामगारों को शामिल करनास्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देकर उन्हें 'आत्मनिर्भरता' मिशन से जोड़ना है। इसके अलावा मधुमक्खी मोमपरागगोंदशाही जेली और मधुमक्खी का विष जैसे उत्पाद भी बाजार में उपलब्ध हैं और इसलिए स्थानीय लोगों के लिए यह एक लाभदायक प्रस्ताव है।

मिशन में 8,500 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन

गौरतलब है कि केवीआईसी द्वारा तीन साल पहले शुरू किए गए हनी मिशन के जरिए किसानोंआदिवासियोंमहिलाओं और बेरोजगार युवाओं को मधुमक्खी पालन में शामिल करके उन्हें रोजगार के अवसर उत्पन्न कराना प्रमुख लक्ष्य है। वहीं इस मिशन से भारत में शहद उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। इसके लिए अब तक केवीआईसी ने जम्मू-कश्मीरहिमाचल प्रदेशपंजाबउत्तर प्रदेशबिहारअरुणाचल प्रदेशअसम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में 1.35 लाख से ज्यादा मधुमक्खी बक्सों का वितरण किया है। इस मिशन में देश भर में 13,500 लोगों को फायदा पहुंचा है और लगभग 8,500 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन हुआ है।

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प्रवासी श्रमिकों की प्रतिक्रिया

मधुमक्खी के बक्से और टूल किट हासिल करने पर प्रवासी श्रमिकों ने स्वरोजगार के प्रति सरकारी सहायता को लेकर अपने अनुभवों को साझा किया और कहा कि अब उन्हें अन्य राज्यों में नौकरियों की तलाश करने के लिए अपना घर छोड़कर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। कर्नाटक से अपने गृहनगर सहारनपुर लौटने वाले अंकित कुमार ने कहा कि वे लॉकडाउन में बेरोजगार हो गए थे। हालांकि केवीआईसी द्वारा समर्थन प्रदान किए जाने के साथ ही उन्हें अब स्वरोजगार फिर से प्राप्त हो गया है। महाराष्ट्र में काम करने वाले एक अन्य प्रवासी कामगार मोहित का कहना है कि अब उन्हें दूसरे शहरों में नौकरी की तलाश करने के कारण अपने परिवार को छोड़कर नहीं जाना पड़ेगा और हनी मिशन से जुड़कर वे अपने लिए बेहतर आजीविका का निर्माण कर सकेंगे।

26Aug-2020

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