सोमवार, 21 सितंबर 2020

मध्य प्रदेश में आदिवासियों के घरों तक पहुंचा ‘नल से जल’

जल जीवन मिशन: मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य को 1,280 करोड़ रुपये का आवंटन 

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।  

केंद्र सरकार के रहे जल जीवन मिशन’ के तहत मध्य प्रदेश में 1.21 करोड़ ग्रामीण घरों में से 13.52 लाख को नल कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं, जबकि राज्य सरकार ने वर्ष 2020-21 में 26.7 लाख घरों में नल का जल कनेक्शन प्रदान करने की योजना बनाई है, जिसमें अब तक 5.5 लाख नल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। केंद्र सरकार ने इस मिशन के कार्यान्वयन हेतु राज्य को मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 1280 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के अनुसार मंत्रालय द्वारा देश में राज्यों के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किए जा रहे जल जीवन मिशनका उद्देश्य वर्ष 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नियमित रूप से और लंबे समय तक निर्धारित गुणवत्ता वाला पेयजल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराना है। इसी मकसद से केंद्र ने वर्ष 2020-21 में मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 1,280 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। मध्य प्रदेश में 1.21 करोड़ ग्रामीण घरों में से 13.52 लाख को नल कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं, जबकि राज्य सरकार ने वर्ष 2020-21 में 26.7 लाख घरों में नल का जल कनेक्शन प्रदान करने की योजना बनाई है। अब तक 5.5 लाख नल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इन में आदिवासी इलाकों के गांव भी शामिल हैं। मंत्रालय के अनुसार उमरिया जिले के 271 घरों वाले गांव कोलार में तो नल से जलापूर्ति को लेकर बेहद खुशी का माहौल है। इस गांव में एक प्राथमिक विद्यालय और एक आंगनवाड़ी केंद्र है। इससे पहले ग्रामीणों के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत एक नलकूप और हैंड पंप थे, जो आमतौर पर गर्मियों के मौसम में सूख जाते थे, जिससे ग्रामीणों का जल संकट और भी बढ़ जाता था। गर्मी के मौसम में चिलचिलाती गर्मी में 1-2 किलोमीटर पैदल चलकर महिलाएं पीने का पानी लाती थी। मध्य प्रदेश के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों से बड़े पैमाने पर लोगों के पलायन करने के कारणों में भीषण गर्मी और जल की कमी शामिल रहे हैं। नल कनेक्शनों के अभाव ने क्षेत्र की कई महिलाओं और लड़कियों के जीवन को प्रभावित किया, जिससे उनका जीवन स्‍तर अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा और स्कूलों में पढ़ाई बीच में ही छोड़ देने वाली लड़कियों की संख्‍या काफी अधिक रही। कई बार पानी की कमी इतनी अधिक गंभीर हो जाती थी कि ग्रामीण खुले में शौच का सहारा लेने पर विवश हो जाते थे, क्योंकि पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं होता था।

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मुन्नी के लिए किसी भगवान की मूर्ति से कम नहीं नल

मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के कोलार गांव की निवासी मुन्नी देवी की माने तो प्रात: काल मुन्नी देवी के लिए आभार व्‍यक्‍त करने का समय होता है। मुन्नी देवी वैसे तो अपने गांव की किसी भी अन्य महिला की भांति ही सुबह के समय अत्‍यंत व्यस्त रहती है, लेकिन उसकी दिनचर्या में प्रार्थना की विशेष अहमियत है। प्रार्थना की पूरी तैयारी हो चुकी है और शीघ्र ही उसका छोटा-सा घर धूप एवं ताजा फूलों की खुशबू से भर जाता है और जैसे ही मुन्नी देवी नलपर तिलक लगाती है, उसका सिर कृतज्ञता व श्रद्धा भाव से झुक जाता है। अच्छी तरह से सजा हुआ नल दरअसल उसके लिए किसी भगवान की मूर्ति से कम नहीं है, क्योंकि यह नल पवित्र नदी सोनसे पानी लाता है, जो उसके लिए छोटी गंगा की तरह है। इससे पहले वह धार्मिक अनुष्ठानों के लिए एक या दो साल में एक बार 150 किलोमीटर की यात्रा कर अमरकंटक (नदी का उद्गम) जाया करती थी, लेकिन अब शोधन के बाद उसी नदी के जल की आपूर्ति उसके घर पर नल कनेक्शन के माध्यम से की जाती है। मलसन अब मुन्नी देवी और गांव की अन्य महिलाओं को अपनी दुर्दशा एवं कठोर श्रम से मुक्ति मिल रही है।

06Sep-2020


 

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