सोमवार, 28 सितंबर 2020

राज्यसभा: लॉकडाउन पर सवाल खड़े कर विपक्ष ने किया हंगामा

कोरोना महामारी और उसके उपायों को लेकर उच्च सदन में हुई चर्चा

सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर लगाए राजनीति करने के आरोप

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

राज्यसभा में बुधवार को केंद्र सरकार के कोरोना महमारी को लेकर दिये गये बयान पर हुई चर्चा के दौरान विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरने का प्रयास किया और लॉकडाउन लागू करने पर सवाल खड़े करते हुए हंगामा भी किया। हालांकि लॉकडाउन को लेकर भाजपा सांसदों ने विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए विपक्ष को नसीहत दी कि लॉकडाउन अचानक नहीं, बल्कि उससे पहले जनता कर्फ्यू लागू करके लोगों को सचेत किया गया था।

संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन राज्यसभा में कोरोना वायरस को लेकर केंद्रीय मंत्री डा. हर्षवर्धन के दिये गये बयान पर चर्चा कराई गई। चूंकि कोरोना वायरस के नियंत्रण के लिए मोदी सरकार द्वारा किये जा रहे उपायों पर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस लगातार आलोचना करके तरह तरह के आरोप लगाता आ रहा था। इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के आनंद शर्मा ने सरकार को घेरने के प्रयास में यहां तक सवाल खड़े किये कि अचानक लॉकडाउन लागू करके देश को बंदी बना दिया गया। शर्मा ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन की पहली बार जो घोषणा की, उसके लिए सरकार ने कितनी तैयारी की थी? उन्होंने कहा कि देश की जनता को यह पता चलना चाहिए कि लॉकडाउन की वजह से कितना फायदा हुआ और कितना नुकसान हुआ? इसकी पूरी जानकारी देश के समक्ष रखी जानी चाहए। उन्होंने प्रवासी मजदूरों की लॉकडाउन के कारण सामने आई स्थिति और पैदल चलकर अपने घरों को जाते समय रास्ते में मारे गये श्रमिकों को मुआवजा देने की भी मांग की गई। कांग्रेस का आरोप था कि लॉकडाउन लागू करने से पहले राज्य सरकारों को विश्वास में लिया जाना चाहिए था, ताकि प्रशासनिक स्तर पर तैयारी की जा सके। उन्होंने सरकार के उस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया, जिसमें प्रवासी मजदूरों की मौत का आंकड़ा न होने की बात कही गई। जबकि सरकार को  शर्मा ने कहा कि वर्तमान सत्र में यह कहा गया कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की मृत्यु के संबंध में कोई आंकड़े नहीं हैं और इसलिए कोई मुआवजा नहीं है। यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार के पास इसके आंकड़े क्यों नहीं हैं? हर राज्य जानता है कि किसकी मौत हुई उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए। कांग्रेस ने ता ने सरकार को देश में प्रवासी श्रमिकों के संबंध में डेटा बेस बनाने की मांग की। शर्मा ने स्वास्थ्य मंत्री के बयान में उस दावे पर भी सवाल उठाए जिसमें लॉकडाउन के फैसले के कारण 14 लाख से 29 लाख तक संक्रमण के मामलों को रोकने तथा 37 हजार से 78 हजार लोगों की इस संक्रमण के कारण मौत को रोकने में मदद मिली। उन्होंने सवाल किया कि सरकार के इस आंकड़े तक पहुंचने का क्या कोई वैज्ञानिक आधार है? चर्चा के बीच जब उपसभापति हरिवंश ने उन्हें समय पूरा होने की बात कही तो विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया, जिसमें कांग्रेस आक्रमक नजर आई।

सत्तापक्ष का पलटवार

राज्यसभा में चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा सांसद विनय सहस्रबुद्धे ने कांग्रेस के इन आरोपों पर करारा पलटवार करते हुए कहा कि लॉकडाउन अचानक लागू नहीं किया गया, उससे पहले एक दिन का जनता कर्फ्यू लागू करके लोगों को सचेत और सतर्क किया गया। भाजपा सांसद ने कहा कि लॉकडाउन लागू होते ही जिस प्रकार से मोदी सरकार ने गरीबो और अन्य लोगों के लिए राहत पैकेज का ऐलान करके उन्हें तत्काल लागू कराया और लॉकडाउन में फंसे लोगों के लिए हजारों की संख्या में विशेष ट्रेने चलाई गई। जहां आवश्यक सामग्रमी का सवाल है उसके लिए भी भारतीय रेलवे की मालगाड़ियों के जरिए एक कोने से दूसरे कोने तक जरुरत के सामानों की आपूर्ति निरंतर होती रही है। सत्तापक्ष के सदस्यों ने विपक्ष के नेताओं खासकर कांग्रेस सदस्यों को नसीहत दी कि उन्हें ऐसे संकट के समय राजनीति करने से परहेज करना चाहिए। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कांग्रेस और उनके समर्थक विपक्षी दलों को यहां तक नसीहत दी कि कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में सरकार के उपायों के साथ हर क्षेत्र आगे रहा, लेकिन खासकर कांग्रेस इस पर सियासत करती नजर आई। जबकि ऐसे संकट में देश को एकजुटता के साथ काम करने की जरुरत है। विनय सहस्रबुद्धे ने तो कांग्रेस नेता आनंद शर्मा को यहां तक कह दिया कि वह तो यह समझ रहे थे कि राजनीति के विद्वान आनंद शर्मा कोरोना से निपटने के लिए सरकार को बेहतर सुझाव देंगे, लेकिन उसके उलट सवाल उठाते नजर आए।     

17Sep-2020 


 

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