सोमवार, 28 सितंबर 2020

नए मोटर वाहन कानून लागू होने से घटे सड़क हादसे

बीते साल 4.49 लाख सड़क हादसों में 1.51 लाख से ज्यादा ने गंवाई जान 

ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।   

केंद्र सरकार द्वारा देश में हो रहे सड़क हादसों और उनमें हो रही लोगों की असामयिक मौतों पर अंकुश लगाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, जिसमें नया मोटर कानून लागू होने के बाद सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। मसलन वर्ष 2019 में 4.49 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुई और उनमें 1.51 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई, जिनमें 71 फिसदी दुर्घटना तेज वाहन चलाने के कारण हुई। 

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के जारी आंकड़ो के अनुसार पिछले साल देश में हुई 4,49,002 सड़क दुर्घटनाओं  में से 3,19,028 यानि करीब 71 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं तेज गति से वाहन चलाने के कारण हुई हैं, जबकि 12,256 सड़क हादसे शराब पीकर गाडी चलाने के कारण हुई। बीते साल हुई इन दुर्घटनाओं में 1,51,113 लोगों की मौत हुई है, जबकि वर्ष 2018 में हुए सड़क हादसों में 1,51,417 लोगों की जानें गई थी। इससे पहले वर्ष 2018 में देश में 4.67 लाख 44 हादसे हुए थे, जिनमें 1,51, 417 लोगों की मौत हुई थी मसलन मौतों के आंकड़ो में ज्यादा अंतर नहीं आया है। हालांकि देश में सड़क हादसों को लेकर संसद के मानसून सत्र में सांसदों प्रियंका चतुर्वेदी, डा. भागवत कराड़ व सतीश चंद्र दूबे ने भी ऑनलाइन सवाल डाले हुए थे, जिनके लिखित जवाब राज्यसभा में शनिवार को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने दिये हैं।

छत्तीसगढ़ में कमी, मध्य प्रदेश में बढ़ोतरी

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार देशभर में वर्ष 2019 में शराब पीकर हुई 12,256 सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा 4496 हादसे उत्तर प्रदेश में हुए हैं, जिसके बाद पंजाब में शराब पीकर नशे में गाड़ी चलाने से 1290, ओडिसा में 1068, तमिलनाडु में 1047, मध्य प्रदेश में 1030 दुर्घटनाएं हुई, जो वर्ष 2018 में 893 थी। बाकी सभी राज्यों में नशे में गाड़ी चलाने के कारण एक हजार से कम हादसे हुए हैं। छत्तीसगढ़ में जहां 2018 में शराब के नशे में 216 सड़क दुर्घटनाएं हुई थी, वहीं 2019 में यह घटक्र 134 हो गई है। इसी प्रकार हरियाणा में भी शराब पीकर सड़क हादसों में कमी आई है, जहां वर्ष 2018 में 474 के मुकाबले वर्ष 2019 में 299 सड़क हादसे ऐसे रहे, जो शराब पीकर गाड़ी चलाने का कारण बने।

असामयिक मौतें कम करने के प्रयास

मंत्रालय ने यह भी दावा किया है कि इन सड़क हादसों में देश में सड़क हादसों और उनसे हो रही मौतों पर अंकुश लगाने की दिशा में जहां नया मोटर वाहन 2019 लागू किया गया है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इस दिशा में कदम उठाते हुए मंत्रालय ने हर जिले में सड़क उपयोगकर्ताओं के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय लोकसभा सांसद की अध्यक्षता में सांसदों की सड़क सुरक्षा समिति गठित की है। वहीं मंत्रालय ने शिक्षा, इंजीनियरिंग की प्रवर्तन और आपात देखभाल के आधार पर सड़क सुरक्षा के मुद्दे के समाधान के लिए एक बहु आयामी रणनीति तैयार की है। सड़क इंजीनियरिंग में राष्ट्रीय राजमार्गो पर संभावित दुर्घटना वाले ब्लैक स्पॉट की पहचान कर उनमें तकनीकी सुधार करके सड़क के डिजाइन में परिवर्तन कर सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देने का प्रावधान किया है।

2018 में हुए 4.67 लाख से ज्यादा हादसे

वर्ष 2018 में देश में 4.67 लाख 44 हादसे हुए थे, जिनमें 1,51, 417 लोगों की मौत हुई थी। सड़क हादसों में होने वाली मौत के मामले में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है, जबकि देश की राजधानी दिल्ली इस मामले में 19वें नंबर है। वहीं पूरे देश में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं (63,920) तमिलनाडु में हुई हैं। दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश, तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है। इस मामले में दिल्ली 17वें स्थान पर है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रलय द्वारा जारी की गई 2018 की वार्षिक रिपोर्ट में जहां सड़क हादसों की संख्या में बढ़ोत्तरी 0.5 प्रतिशत की है, वहीं सड़क हादसों में होने वाली मौत का आंकड़ा 2.4 प्रतिशत बढ़ गया है।

वर्ष 2018 में पूरे देश में हुए सड़क हादसों में एक लाख 51 हजार 417 लोगों की जान गई। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 2017 के मुकाबले सड़क हादसों की संख्या में 5.88 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि सड़क हादसों में होने वाली मौतों के मामलों में 6.69 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2018 में भी सबसे अधिक सड़क हादसे (45.86 प्रतिशत) पैदल लोगों के साथ हुए हैं। दूसरा नंबर (33.72 प्रतिशत) दोपहिया वाहन चालकों का है। दिल्ली में 15.26 प्रतिशत हादसे कार चालकों द्वारा हुए। जबकि ट्रक, बस और अन्य भारी वाहनों से 11 प्रतिशत हादसे हुए। हादसों में मारे जाने वाले सबसे ज्यादा 48 प्रतिशत लोग 18 से 35 वर्ष के थे। जबकि 35 से 45 वर्ष की उम्र के लोगों की संख्या 21.6 प्रतिशत रही। ओवर स्पीड के कारण 64.4 प्रतिशत लोगों की मौत हुई।

20Sep-2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें