सोमवार, 29 अप्रैल 2024

गोवा: भाजपा व कांग्रेस के बीच सियासी वर्चस्व की जंग

बसपा व स्थानीय दलों के प्रत्याशियों का त्रिकोणीय मुकाबला बनाने का प्रयास
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में गोवा की मात्र दो सीटो पर तीसरे चरण में सात सात मई को मतदान होगा। इन दोनों सीटों पर मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच होने के आसार है, लेकिन बसपा व स्थानीय दलों के प्रत्याशियों ने भी चुनावी ताल ठोक कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की रणनीति बनाई है। 
भारत के भारत के प्रसिद्ध हॉलीडे डेस्टीनेशन के रुप में पहचाने जाने वाला गोवा राज्य क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के आधार पर चौथा सबसे छोटे राज्य है, जहां दो लोकसभा सीट और गोवा में 40 विधासभा सीटे हैं। दोनो लोकसभा सीटों के अंतर्गत 20-20 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। दोनों ही सीटों का सियासी समीकरण अलग अलग है। मसलन उत्तरी गोवा सीट भाजपा का गढ़ बनी हुई है, तो दक्षिणी गोवा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट बनी हुई है। दक्षिणी गोवा सीट पर 1999 और 2014 के अलावा भाजपा कभी चुनाव नहीं नहीं जीत सकी है। जबकि उत्तरी गोवा लोकसभा सीट पर पिछले ढ़ाई दशक से भाजपा काबिज है। गोवा में सत्तारुढ भाजपा ने इस बार दोनों लोकसभा सीटों पर भगवा लहराकर साल 2014 की तर्ज क्लीन स्वीप करने के लक्ष्य से चुनावी रणनीति के साथ चुनाव अभियान चला रही है। वहीं भाजपा की इस रणनीति के खिलाफ कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी और दक्षिणी लोकसभा सीट को बचाए रखने के मकसद से मौजूदा सांसद का टिकट काटकर नए चेहरे के रुप में एक पूर्व नौसेना अधिकारी को चुनावी जंग में उतारा है। फिलहाल गोवा में प्रमोद सावंत नेतृत्व में भाजपा का शासन है। 
महिला मतदाताओं की अहम भूमिका 
लोकसभा के चुनाव में गोवा की दोनों सीटो पर आठ-आठ यानी कुल 16 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, जिनके सामने सात मई को होने वाले मतदान के दौरान 11,66,939 मतदाताओं के चक्रव्यूह को भेदने की दरकार होगी। इनमें गोवा में एक हजार पुरुषो पर 163 महिलाओं के अनुपात की वजह से मतदाताओं की संख्या में भी वे पुरुषों से ज्यादा हैं। मसलन गोवा राज्य में कुल मतदाताओं में 5,65,628 पुरुष, 6,01,300 महिला और 11 थर्डजेंडर मतदाता हैं। इनमें उत्तरी गोवा लोकसभा सीट पर कुल 5,75,776 मतदातओं में 2,79,230 पुरुष, 2,96,543 महिला और 3 थर्डजेंडर मतदाता हैं, तो दक्षिण गोवा लोकसभा सीट पर बने 5,91,163 मतदाताओं के चक्रव्यूह में 2,86,398 पुरष, 3,04,757 महिला और 8 थर्डजेंडर मतदाता पंजीकृत हैं। दोना सीटो पर मतदान के लिए कुल 1725 मतदान केंद्र बनाए गये हैं, जिनमें उत्तरी गोवा सीट पर 863 तथा दक्षिण गोवा सीट पर 862 मतदान केंद्रों पर मतदान कराया जाएगा।2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान, गोवा में मतदाताओं की संख्या 11,17,209 थी। 
चुनावी जंग में ये दिग्गज 
गोवा की दोनों सीटों पर 16 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। इसमें उत्तरी गोवा सीट पर आठ प्रत्याशियों में यहां से लगातार चार बार के सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीद यसो नाइक पांचवी बार भाजपा प्रत्याशी हैं। जबकि कांग्रेस ने रमाकांत खलप को प्रत्याशी बनाया है। इसके अलावा बसपा ने पत्रकार मिलन वैगनकर, रिवोल्यूशनरी गोअन्स पार्टी ने मनोज परब तथा अखिल भारतीय परिवार पार्टी ने सखाराम नाइक को चुनाव मैदान में उतरा है। बाकी तीन प्रत्याशी निर्दलीय रुप से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इसी प्रकार दक्षिण गोवा सीट पर कांग्रेस ने मौजूदा सांसद फ्रांसिस्को सरहिंद का टिकट काटकर पूर्व नौसेना अधिकारी कैप्टन विरयाटो फर्नांडीस को प्रत्याशी बनाया है। जबकि भाजपा ने उद्यमी श्रीनिवास डेम्पो की पत्नी पल्लवी डेम्पो पर भरोसा जताया है। यहां बसपा ने डा. श्वेता गांवकर, आरजीपी ने रुबर्ट परेरा तथा भ्रष्टाचार उन्मूलन पार्टी ने हरिशचन्द्र को चुनावी मैदान में उतरा है। इस सीट पर भी तीन निर्दलीय प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 
चुनावी इतिहास 
गोवा की दोनों सीटों का इतिहास अलग अलग है, जिसमें उत्तरी गोवा लोकसभा सीट पर अभी तक 13 बार चुनाव हुए है, जिसमें कांग्रेस पांच, भाजपा और गोमांतक पार्टी ने 4-4 बार जीत हासिल कर अपने सांसद बनाए हैं। जबकि दक्षिण गोवा लोकसभा सीट पर अभी तक एक उप चुनाव समेत 16 चुनावों में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 10 बार जीत दर्ज की है, जबकि इस सीट पर भाजपा ने दो बार तथा महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, यूनाइटेड गोन्स पार्टी तथा यूनाइटेड गोअन्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने एक-एक बार जीत का स्वाद चखा है। उत्तरी गोवा सीट से भाजपा लगातार चार बार से जीत दर्ज करती आ रही है। 
गोवा का इतिहास 
गोवा भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां भारतीय और पुर्तगाली संस्कृति का अद्भुत मिश्रण दिखाई देता है। यह राज्य अपने खूबसूरत समुंदर के किनारों और मशहूर स्थापत्य के लिए जाना जाता है। 30 मई 1987 को केन्द्र शासित प्रदेश को विभाजित कर गोवा को भारत का 25वां राज्य बनाया गया। गोवा करीब 500 साल तक पुर्तगाली शासन के आधीन रहा, जो एक हजार साल पहले कोंकण काशी के नाम से जाना जाता था। गोवा में करीब 60 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दू और करीब 28 प्रतिशत जनसंख्या ईसाई है। हालांकि यहां के ईसाई समाज में भी हिन्दुओं जैसी जाति व्यवस्था पायी जाती है। 
  29Apr-2024

रविवार, 28 अप्रैल 2024

गुजरात: भाजपा के लिए आसान नहीं ‘क्लीन स्वीप’ की हैट्रिक!

कांग्रेस व आप ने मिलकर भाजपा के खिलाफ रचा चक्रव्यूह
 ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में सूरत सीट को छोड़कर गुजरात की 25 सीटों के लिए सात मई को तीसरे चरण में मतदान होगा। पिछले दो लोकसभा चुनाव में सभी सीटे जीतकर क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा तीसरी बार गुजरात को फतेह करने की तैयारी में है और उसी चुनावी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में है। लेकिन कांग्रेस और आप ने कुछ सीटो पर ऐसा सियासी दांव खेला है, कि भाजपा का गुजरात में ‘क्लीन स्वीप’ की हैट्रिक बनाने का सपना टूट सकता है? गुजरात के लोकसभा चुनाव में प्रमुख चुनावी मुकाबला कांग्रेस के साथ ही होना तय है, लेकिन इस बार गुजरात में चुनाव मैदान में उतरे अन्य दलों और निर्दलीयों की चुनावी ताल को भी नजरअंदाज करना सहज नहीं होगा, जो भाजपा व कांग्रेस की हार जीत के समीकरण को प्रभावित करने में सक्षम साबित हो सकते हैं। बहरहाल गुजरात के चुनावी नतीजों का ऊंट किस करवट बैठेगा, यह चुनावी नतीजे आने के बाद ही तय होगा। 
गुजरात लोकसभा चुनाव में सूरत सीट को छोड़कर बाकी 25 सीटों के साथ ही सात मई को राज्य की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए भी मतदान कराया जाएगा। पिछले दो लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा एक दशक से सभी सीटों पर काबिज है। 182 सदस्यीय विधानसभा वाले गुजरात की 26 लोकसभा सीटों पर भाजपा अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है। इनमें से सूरत लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने और बाकी सभी निर्दलीयों द्वारा अपने नामांकन वापस लेने की वजह से भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया जा सका है। यहां कांग्रेस ने 24 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं, जबकि दो सीटों पर कांग्रेस के सहयोगी दल ने अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा के खिलाफ नई रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस पार्टी का फोकस गुजरात की उन 14 लोकसभा सीटो पर होगा, जहां भाजपा ने मौजूदा सांसदों के टिकट काटकर नए चेहरों को उतारा है। गौरतलब है कि भाजपा ने अमित शाह, मनसुख मांडविया समेत केवल 12 मौजूदा सांसदों पर ही भरोसा जताया है। भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने ज्यादातर सीटों पर अपने मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है। इसलिए राजनीतिक विशेषज्ञ भी यह मानकर चल रहे हैं कि कांग्रेस की ठोस चुनावी रणनीति के सामने भाजपा को गुजरात फतेह करने के लिए कड़े इम्तिहान से गुजरना पड़ सकता है। पिछले दिनों राजकोट लोकसभा सीट के भाजपा प्रत्याशी एवं केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाल की टिप्पणी से इस बार राजपूत समुदाय ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, हालांकि रूपाला ने दो बार चुनावी रैली के बाद इसके लिए माफी भी मांग ली है, लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे को हवा देकर राजपूतों को साधने में जुट गई है। 
निर्णायक होंगे युवा मतदाता 
गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर चुनाव और पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 7 मई को मतदान होगा। गुजरात में 4,94,49,469 मतदाता इस चुनावी समर में मतदान करने के लिए पंजीकृत हैं, जिनमें 2.54 करोड़ पुरुष और 2.39 करोड़ महिलाओं के अलवा 1503 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं। इनमें 18-19 आयु वर्ग के 11.32 लाख युवा मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। वहीं राज्य में 100 साल से ज्यादा उम्र के 10,322 शतायु मतदाता भी वोटिंग करने के लिए पात्र होंगे। साल 2019 के चुनाव की तुलना में 43,23,789 बढ़ गई है। मसलन इस बार गुजरात में 49.2 मिलियन मतदाताओं का इजाफा हुआ, जिनमें 1.1 मिलियन पहली बार के मतदाता शामिल हैं। 
हरेक विधानसभा में एक आदर्श मतदान केंद्र 
गुजरात लोकसभा चुनाव में 29,568 मतदान केंद्रों पर 87,042 बैलेट यूनिट ईवीएम की 71,682 कंट्रोल यूनिट होगी, जहां वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनों यानी वीवीपैट का भी इस्तेमाल किया जाएगा। राज्य की 182 विधानसभा सीटों में से प्रत्येक में एक मॉडल मतदान केंद्र होगा, जिसे इस अवसर के लिए सेल्फी बूथ से सजाया जाएगा। इन बूथों में पार्किंग और बैठने की सुविधा होगी। गुजरात में 1,274 मतदान केंद्र (प्रति विधानसभा सात सीटें) ‘सखी मतदान माथक’ के रूप में स्थापित की जाएंगी, जो पूरी तरह से महिला अधिकारियों द्वारा प्रबंधित की जाएंगी। चुनाव के दिन पूरे गुजरात में लगभग 25,000 मतदान केंद्रों पर लाइव वेबकास्टिंग की जाएगी। 
चुनाव के लिए व्यवस्था 
गुजरात में 85 वर्ष और उससे अधिक उम्र के मतदाताओं और 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग लोगों को घर से मतदान करने की अनुमति दी गई। चुनाव संबंधी कार्यों के लिए राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों सहित कुल 4.5 लाख कर्मियों को तैनात किया जाएगा। इनमें से 1.67 लाख से अधिक मतदान अधिकारी हैं। राज्य में चुनाव के दौरान 1.2 लाख से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए जायेंगे। 
क्या है जातीय समीकरण गुजरात में सबसे ज्यादा 52 फीसदी ओबीसी मतदाता है, जिनमें 12 प्रतिशत राजपूत व कोली समेत 146 जातियां शामिल हैं। इसके अलावा पाटीदार(पटेल) 15 फीसदी, आदिवासी 11 फीसदी, मुस्लिम 9 फीसदी, दलित 7 फीसदी के अलावा वैश्य, ब्राह्मण, जैन व कायस्थ जैसे सवर्ण छह फीसदी हैं।
अमित शाह समेत कई दिग्गज 
गुजरात की 26 लोकसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में भाजपा के टिकट पर गांधीनगर सीट से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ ही राजकोट सीट से केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, पोरबंदर सीट से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया की प्रतिष्ठा दांव पर है। वहीं दाहोद सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह भाभोर और भरुच सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री मनसुख भाई बरुवा भी भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। उधर कांग्रेस ने भी भाजपा के सामने चुनौती पेश करते हुए ज्यादातर सीटो पर केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के सामने मौजूदा विधायकों को चुनावी जंग में उतारा है। 
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पांच विधानसभा सीटो पर उपचुनाव गुजरात लोकसभा की 26 सीटों के साथ पांच विधानसभा सीटों वीजापुर, पोरबंदर, माणावदर, खंभात व वाघोडिया के लिए उप चुनाव के लिए भी सात मई को वोटिंग होगी। इन सीटों पर 2022 के चुनाव में जीते कांग्रेस के चार एक निर्दलीय विधायक ने इस्तीफा देकर भाजपा का दामन था। हालांकि आप के एक विधायक भी इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए थे,लेकिन उस सीट पर चुनाव नहीं हो रहा है। भाजपा ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर उन्हीं पूर्व विधायकों को इन सीटो पर उम्मीदवार बनाया है। इन विधानसभा सीटो कांग्रेस के सामने बागियों को चुनौती देने की परीक्षा होगी। 
28Apr-2024

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

हॉट सीट बागपत: चौधरी चरण सिंह की सियासी विरासत बचाने उतरा रालोद!


सपा व बसपा के चुनावी दांव से त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट बाहुल्य बागपत लोकसभा सीट पर शुक्रवार को मतदान होगा, जहां इस बार भाजपा चुनाव मैदान से बाहर है और भाजपानीत गठबंधन से इस सीट पर राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी डा. राजकुमार सांगवान चुनाव मैदान में है, जिन्हें चुनावी चुनौती देने के लिए विपक्षी इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी ने अमरपाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है, तो वहीं बहुजन समाजवादी पार्टी ने प्रवीण बंसल को प्रत्याशी बनाकर इस चुनावी जंग को त्रिकोणीय मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया है। बागपत लोकसभा सीट पर पिछले करीब 47 सालों बाद ऐसा पहला मौका है, जहां चौधरी चरण सिंह परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं है। 
उत्तर प्रदेश की बागपत लोकसभा सीट को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की विरासत के रुप में पहचाना जाता है। जहां से खुद चौधरी चरण सिंह तीन बार सांसद चुने गये है, जिसके बाद उनके पुत्र चौधरी अजित सिंह ने बागपत सीट से एक उपचुनाव समेत सात बार चुनाव जीतकर परिवार की पारंपिक सीट बचाए रखी है। खासबात यह भी है कि इस सीट पर अभी तक हुए लोकसभा चुनाव में पहला मौका है जब चौधरी चरणसिंह परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं है और भाजपा के साथ गठबंधन करके रालोद ने परिवार के सदस्य के बजाए इस बार पार्टी महासचिव डा. राजकुमार सांगवान को प्रत्याशी बनाया है। इस क्षेत्र की जातिगत सियासत के समीकरण साधने के लिए सपा व बसपा ने भी भाजपा-रालोद को चुनौती देने के मकसद से अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। हालांकि राजनीतिकारों के मुताबिक बागपत सीट पर मुख्य चुनावी मुकाबला रालोद व सपा के बीच होने के आसार है, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के वकील प्रवीण बंसल पर दांव खेलकर बसपा इस चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबला बनाने के प्रयास में है। शायद यही कारण है कि सपा ने यहां पहले से घोषित जाट प्रत्याशी मुकेश चौधरी को ऐन वक्त पर बदलकर ब्राह्मण चेहरे को चुनावी जंग में उतारा है, ताकि ब्राह्मण के साथ मुस्लिम और यादव वोटों को साधा जा सके। जहां तक प्रचार की बात उसमें भाजपा-रालोद प्रत्याशी का पलड़ा भारी है, जिसमें जाट बाहुल्य क्षेत्र में किसानों के मसीहा के रुप में पहचाने गये चौधरी चरण सिंह को मरणोपरांत देश का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न मिलने का उत्साह भी देखते बनता है। बहरहाल यह तो चुनाव नतीजों के बाद ही साफ होगा कि यहां की सियासी जंग किस दल के हाथ में होगी। 
युवा मतदाता होंगे निर्णायक 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बागपत लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को 16,46,378 मतदाता वोटिंग करेंगे। इनमें 8,94,111 पुरुष, 752178 महिला, 89 थर्डजेंडर मतदाता शामिल हैं। वहीं इन मतदाताओं में 12013 सर्विस, 11,801 दिव्यांग, 80 वर्ष से अधिक उम्र वाले 26,071 मतदाता भी शामिल हैं। इस बार बागपत लोकसभा सीट पर 18-19 वर्ष तक के 23,703 युवा मतदाता भी पहली बार मतदान करेंगे, जिसमें 15,938 युवा मतदाता अकेले बागपत जिले के हैं। इस सीट पर 18-40 आयु वर्ग के करीब पांच लाख मतदाता हैं, जो इस सीट पर निर्णायक साबित हो सकते हैं। इस लोकसभा सीट के कुल मतदाताओं में बागपत जिले की छपरौली विधानसभा सीट पर 3,35,560, बडौत पर 3,06,651 व बागपत विधानसभा सीट पर 3,27,999 मतदाता हैं। जबकि गाजियाबाद की मोदीनगर विधानसभा सीट पर 3,35,885 और मेरठ की सिवाल खास विधानसभा सीट पर 3,41,392 मतदाता इस लोकसभा सीट के प्रत्याशियों के लिए वोटिंग करेंगे। 
दो सौ बूथ संवेदनशील 
बागपत लोकसभा सीट के लिए शुक्रवार को इस लोकसभा क्षेत्र में 979 मतदान केंद्रों के 1,737 मतदेय स्थलों पर वोटिंग होगी। इनमें से 200 से ज्यादा मतदान स्थल संवेदनशील श्रेणी में रखे गये हैं, जिनमें 50 प्रतिशत बूथों की वेब कास्टिंग की जाएगी। इन मतदान केंद्रों पर निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किये गये हैं। बागपत जिला मुख्यालय से गुरुवार को 979 टीमों को मतदान केंद्रों के लिए रवाना कर दिया गया है। 
बागपत का चुनावी इतिहास 
पश्चिमी यूपी की बागपत लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1967 में जनसंघ ने जीता था। इसके बाद यहां से रामचंद्र विकल कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। 1977 में किसानों की सियासत करने वाले चौधरी चरण सिंह जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार बागपत से सांसद बने। इसके बाद वे यहां से लोकदल प्रत्याशी के रुप में दो बार जीतकर संसद पहुंचे और पीएम की कुर्सी तक पहुंचे। इसके बाद इस परिवार की परंपरारिक सियासी विरासत को उनके सुपुत्र चौधरी अजित सिंह ने संभाला, जिन्होंने लगातार तीन चुनाव व एक उप चुनाव जीता। साल 1998 के चुनाव में पहली बार भाजपा ने सोमपाल शास्त्री को जीताकर इस सीट पर कब्जा किया, लेकिन उसके बाद राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख चौधरी अजित सिंह ने लगतार तीन बार बागपत पर परचम लहराया। लेकिन साल 2014 में वे मोदी लहर के सामने बागपत सीट पर अपने परिवार की विरासत नहीं बचा सके। जबकि पिछले चुनाव में उनके शाहबजादे जयंत चौधरी को भी भाजपा प्रत्याशी डा. सत्यपाल के सामने पराजय का सामना करना पड़ा। इस बार रालोद भाजपा के साथ मिलकर चुनाव मैदान में है। 
जातीय समीकरण 
बागपत लोकसभा सीट पर करीब 16,46,378 लाख मतदाताओं में सबसे ज्यादा करीब चार लाख जाट हैं, जिसके बाद मुस्लिम मतदाओं की संख्या 3.50 लाख के अलावा गुर्जर, ब्राह्मण और त्यागी मतदाताओं संख्या करीब तीन लाख है। इसके अलावा दलित मतदाता 1.80 लाख, राजपूत और कश्यप मतदाता करीब 1-1 लाख के आसपास हैं। 
कौन है रालोद व सपा प्रत्याशी 
बागपत सीट पर रालोद प्रत्याशी डा. राजकुमार सांगवान जाट होने के साथ रालोद के राष्ट्रीय सचिव भी हैं। वह जमीनी स्तर से राजनीति से जुड़े हुए हैं, जो चौधरी चरण सिंह की से प्रेरित होकर छात्र और किसान राजनीति में सक्रीय रहे। सांगवान ने अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद मेरठ के एक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। जबकि सपा प्रत्याशी अमरपाल शर्मा साहिबाबाद से बसपा विधायक रह चुके हैं और उन्होंने दिल्ली विधानसभा की रोहताशनगर सीट पर भी चुनाव लड़ा है। वहीं बसपा प्रत्याशी प्रवीण बंसल दिल्ली उच्च न्यायालय में वकील हैं। 
26Apr-2024

गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

हॉट सीट वायनाड: सियासी चक्रव्यूह में फंसी कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती


राहुल गांधी के खिलाफ उनके गठबंधन की भाकपा ने भी खोला मोर्चा 
भाजपा व बसपा ने कांग्रेस प्रत्याशी की चौतरफा की घेराबंदी 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सांसद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी जीत का कितना बड़ा महत्व है, लेकिन इस बार की चुनावी जंग में उन्हें कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है। इस हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के तिलिस्म को तोड़ने की रणनीति तैयार करके भाजपा ने केरल के कद्दावर नेता एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के. सुरेन्द्रन को राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है। राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो कांग्रेसनीत इंडिया गठबंधन में शामिल भाकपा से ही मिलती नजर आ रही है, जहां भाकपा ने पार्टी के महासचिव डी. राजा की पत्नी एनी राजा को प्रत्याशी बनाया है। उसके अलावा इस सीट पर बसपा ने भी राहुल गांधी के खिलाफ अपना प्रत्याशी खड़ा किया है। मसलन कांग्रेस के खिलाफ चौतरफा घेराबंदी करके एक सियासी चक्रव्यूह तैयार किया गया है, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी फंसे हुए हैं।
लोकसभा चुनाव में वैसे तो सभी राजनीतिक दल एक दूसरे के खिलाफ ठोस रणनीति के साथ चुनाव मैदान में है। केरल की वायनाड लोकसभा इसलिए भी सभी दलों के लिए अहम मानी जा रही है, कि यहां के सांसद राहुल गांधी एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने दक्षिण भारत में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए जिस प्रकार की चुनाव रणनीति तैयार की है उसमें सबसे बड़ा सियासी जाल वायनाड सीट पर ही बुना गया है। यही नहीं भाजपा के खिलाफ कांग्रेसनीत इंडिया गठबंधन में शामिल भाकपा भी राहुल गांधी के खिलाफ इस सीट पर मजबूती के साथ चुनाव मैदान में है। 
क्या है चुनावी इतिहास 
केरल में 1980 में जिले के रुप में अस्तित्व में आए वायनाड जिले की लोकसभा सीट को परिसीमन के बाद बनाया गया, जहां पहला लोकसभा चुनाव साल 2009 और फिर 2014 मे हुआ, जहां कांग्रेस के एमआई शनावास ने लगातार जीत दर्ज की। शायद यही कारण था कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को तीन बार सांसद बनाने वाली यूपी के अमेठी सीट को छोड़कर अपने लिए वायनाड सीट सबसे सुरक्षित लगी और साल 2019 का चुनाव वायनाड से जीतकर संसद पहुंचे। राहुल गांधी ने अपने लिए सबसे सुरक्षित सीट वायनाड को चुनकर यहां से चुनाव जीता। इस बार वायनाड सीट पर हो रहे चौथे चुनाव में भी कांग्रेस के राहुल गांधी चुनाव मैदान में हैं। दरअसल तमिलनाडु और कर्नाटक से सटी वायनाड लोकसभा सीट केरल में हुए नए परिसीमन के बाद वायनाड के साथ कोझीकोड और मलाप्पुरम जिलों यानी तीन जिलों के राजनीतिक हिस्से को काटकर बनाई गई थी। वायनाड लोकसभा सीट के दायरे में तीनों ही जिले की कुल सात विधानसभाएं शामिल हैं, जिनमें वायनाड जिले की मनन्थावडी, सुल्तान बाथेरी और कलपेट्टा तथा मलप्पुरम जिले की इरंद, निलाम्बुर व वंडूर के अलावा एक अन्य विधानसभा तिरुवम्बाडी कोझीजिले की शामिल है। 
कौन है भाजपा व भाकपा प्रत्याशी 
वायनाड लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा के प्रत्याशी के. सुरेंद्रन के राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई थी, जिन्हें 2009 में केरल में भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। फिलहाल वे भाजपा केरल के प्रदेशाध्यक्ष भी हैं। केरल में हिंदुत्व के लिए आंदोलनों में प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करने में सुरेन्द्रन सबसे आगे रहे हैं। यदि भाकपा प्रत्याशी एनी राजा की बात की जाए तो वह भाकपा के महासचिव डी. राजा की पत्नी और भारतीय राष्ट्रीय महिला फेडरेशन (एनएफआईडब्ल्यू) की महासचिव हैं। एनी राजा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी हैं। वह भी स्कूल के दिनों से राजनीति में जुड़ गई थी और सीपीआई की छात्र इकाई ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन में रही हैं। वहीं कांग्रेस की घेराबंदी करने के लिए बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भी वायनाड सीट पर पीआर कृष्णनकुट्टी को प्रत्याशी बनाया है। 
क्या जातिगत समीकरण 
केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर र हिंदू 45 प्रतिशत तथा मुस्लिम 41.5 प्रतिशत मतदाता हैं। इसके बाद 14.7 प्रतिाश्त ईसाई मतदाता वोटिंग करेंगे। इन धर्मो में अनुसूचित जाति के 7.1 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के 9.2 प्रतिशत तथा करीब 16 प्रतिशत ओबीसी और आदिवासी मतदाता भी शामिल है। बाकी अन्य जातियों का वोट बैंक भी राजनीतिक दलों के लिए साधा जाता रहा है। 
  25Apr-2024

लोकसभा चुनाव: दूसरे चरण में दांव पर दो पूर्व मुख्यमंत्रियों व चार केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिष्ठा!

 

सियासी दिग्गजों के परिजनों की किस्मत का भी कल ईवीएम में बंद होगा फैसला
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। देश लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में कल शुक्रवार को देश के 13 राज्यों व केंद्र शासित राज्यों की की 88 सीटों पर वोटिंग की जाएगी। इस चरण में 101 महिलाओं और एक ट्रांसजेंडर समेत कुल 1202 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इस चरण के चुनाव में जहां लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के अलवा चार केंद्रीय मंत्रियों और दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, वहीं पूर्व मंत्रियों, पूर्व सीएम के बेटो, सांसदों, पूर्व सांसदों, विधायकों के लिए भी इस लोकसभा चुनाव में उनका सियासी भविष्य दांव पर है। 
लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का चुनाव प्रचार अभियान भी बुधवार को समाप्त हो गया है। अब 26 अप्रैल को होने वाले मतदान में चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों का सियासी भविष्य तय करने के लिए मतदाताओं की वोटिंग करने की बारी है। इन 13 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में 11 महिलाओ समेत सबसे ज्यादा 247 प्रत्याशी कर्नाटक की 14 सीटों पर हैं, जबकि सबसे कम चार प्रत्याशी बाहरी मणिपुर सीट पर है, जहां कुछ विधानसभा क्षेत्रों में पहले चरण में भी मतदान कराया जा चुका है। इससे ज्यादा नौ प्रत्याशी त्रिपुरा पूर्व सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं। जहां तक महिला प्रत्याशियों का सवाल है सबसे ज्यादा 25 महिलाएं केरल की 20 सीटों पर हो रहे लोकसभा चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रही हैं। दूसरे चरण में मध्य प्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट पर बसपा के प्रत्याशी के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया है, जहां अब तीसरे चरण में चुनाव कराया जाएगा और दूसरे चरण में अब केवल छह लोकसभा सीटों के लिए 26 अप्रैल को मतदान होगा। दूसरे चरण के चुनाव की खास बात ये भी है कि मध्य प्रदेश की दमोह लोकसभा सीट पर एक ट्रांसजेंडर दुर्गा मौसी भी सियासी जंग के मैदान में है। 
सर्वाधिक निर्दलीय प्रत्याशियों ने लगाया दांव 
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा 568 निर्दलीय प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। जबकि राजनीतिक दलों सबसे ज्यादा 74 प्रत्याशी बसपा ने उतारे हैं। इसके बाद भाजपा ने 69, कांग्रेस 68, सीपीआई(एम) ने 18, जदयू व भाकपा ने पांच, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस व शिवेसेना (यूबीटी) ने 4-4, शिवसेना ने 3-3, रालोद व राजद ने 2-2 के अलावा कर्नाटक राष्ट्र समिति ने 14 प्रत्याशियों पर दांव लगाया है। 
दो पूर्व मुख्यमंत्रियों व चार केंद्रीय मंत्रियों की दांव पर प्रतिष्ठा 
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को होने वाले मतदान में जहां छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव सीट पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कर्नाटक की मॉंडया लोकसभा सीट पर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमार स्वामी चुनाव मैदान में हैं। वहीं केरल की एंटीगल सीट से केंद्रीय संसदीय राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन, तिरुवंतपुरम सीट से केंद्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर, राजस्थान की जोधपुर सीट से केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, बाडमेर सीट से केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी के अलावा कोटा सीट से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी प्रतिष्ठा का चुनाव लड़ रहे हैं। राजस्थान में ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेट दुष्यंत व जालौर से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेट वैभव गहलोत भी चुनाव मैंदान में हैं। इसके अलावा सियासी प्रतिष्ठा के लिए भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. महेश शर्मा गौतमबुद्धनगर व पीपी चौधरी राजस्थान की पाली सीट और कांग्रेस के पूर्व मंत्री शशि थरुर कर्नाटक के तिरुवंतपुरम सीट से चुनावी जंग लड़ रहे हैं। 
सांसदों ने झोंकी ताकत 
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में जिन मौजूदा सांसदों की साख दांव पर है, उनमें बेंगलुरु दक्षिण लोकसभा सीट पर भाजपा के तेजस्वी सूर्या, यूपी की मथुरा सीट पर हेमा मालिनी, केरल की वायनॉड सीट पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अलावा महाराष्ट्र की अमरावती लोकसभा सीट नवनीत राणा भी चुनाव मैदान में है। जबकि मेरठ लोकसभा सीट से रामायण सीरियल के ‘राम’ अरुण गोविल भाजपा प्रत्याशी के रुप में सियासी मैदान में हैं। वहीं परभणी लोकसभा सीट से महायुति के सहयोगी दल राष्ट्रीय समाज पक्ष के अध्यक्ष महादेव जानकर भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इसके अलावा कर्नाटक की मैसूर लोकसभा सीट पर भाजपा ने पूर्व राजपरिवार के सदस्य यादुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार चुनाव मैदान में उतारा, तो वहीं बिहार की पूर्णिया सीट भी पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने चुनाव को चर्चित बना दिया है। 
दागी प्रत्याशियों की भरमार 
इस चरण के लोकसभा चुनाव में 250 आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रत्याशी है, जिनमें से 167 के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामले लंबित हैं। इनमें से 32 प्रत्याशियों ने दोषसिद्ध होने का भी शपथ पत्र दिया है। जहां तक दलों के प्रत्याशियों का सवाल है उसमें कांग्रेस के 35, भाजपा के 31 तथा बसपा के छह प्रत्याशी दागियों की सूची में शामिल हैं। सबसे ज्यादा 243 आपराधिक मामले केरल की वायनॉड सीट पर भाजपा प्रत्याशी के. सुरेन्द्रन के खिलाफ हैं, जिसमें 139 गंभीर धाराओं में दर्ज मामले हैं। इसके बाद दूसरे पायदान 211 आपराधिक मामलो के साथ एर्नाकुलम सीट से भाजपा प्रत्याशी डा. डीके राधाकृष्णा के खिलाफ लंबित हैं। तीसरे पायदान पर इडुक्की सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दीन कॉरीकॉज के खिलाफ लंबित हैं। 
एक तिहाई करोड़पति उम्मीदवार 
लोकसभा के दूसरे चरण में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में राजनीतिक दलों ने करोड़पतियों पर भी सियासी दांव खेला है। कर्नाटक की मांडया सीट पर जद(एस) प्रत्याशी एवं पूर्व सीएम कुमार स्वामी को चुनौती देने उतरे कांग्रेस प्रत्याशी 622 करोड़ की संपत्ति के साथ सबसे अमीर प्रत्याशियों में शामिल हैं। इसके बाद बंगलूर ग्रामीण से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी डीके सुरेश 593 करोड़ की संपत्ति के साथ दूसरे पायदान पर है। वहीं तीसरे पायदान पर यूपी की मथुरा सीट से चुनाव लड़ रही भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी ने 278 करोड़ की संपत्ति घोषित की है। 
मणिपुर की शेष सीटों पर मतदान 
बाहरी मणिपुर संसदीय क्षेत्र की 28 में से 15 विधानसभा सीटों पर पहले चरण में मतदान हो चुका है। बाकी इस लोकसभा सीट के दायरे में आने वाली 13 विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा। बाहरी मणिपुर लोकसभा सीट पर केवल चार 4 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। 
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दूसरे चरण में कितनी सीट व प्रत्याशी 
असम में पांच सीटो पर 61 प्रत्याशी, बिहार में पांच सीटो पर 50, छत्तीसगढ में तीन सीटो पर 4, जम्मू-कश्मीर में एक सीटट पर 22, कर्नाटक में 14 सीटो पर  247, केरल में 20 सीटो पर 194, मध्य प्रदेश में 6 सीटो पर 80, महाराष्ट्र में 8 सीटो पर 204, राजस्थान में 13 सीटो पर 152, त्रिपुरा में एक सीट पर 09, उत्तर प्रदेश में 8 सीटो पर 91, पश्चिम बंगाल में तीन सीटो पर 47 व मणिपुर में एक सीटो पर  04 चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
दूसरे चरण में 13 राज्यों की इन 88 सीटों पर होगा मतदान 
केरल: कोल्लम, इडुक्की, पथानामथिट्टा, कासरगोड, अटिंगल, वडकारा, तिरुवनंतपुरम, कन्नूर, अलाप्पुझा, वायनाड, मावेलिक्कारा, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, कोझिकोड, चलाकुडी, एर्नाकुलम, त्रिशूर, अलाथुर और कोट्टायम। 
राजस्थान: भीलवाड़ा, टोंक-सवाई माधोपुर, जालौर, उदयपुर, बाड़मेर, बांसवाड़ा, झालावाड़-बारां, चित्तौड़गढ़, अजमेर, पाली, जोधपुर, कोटा और राजसमंद।
कर्नाटक: उत्तर कन्नड़, बीजापुर, बेल्लारी, शिमोगा चिक्कोडी, दावणगेरे, बीदर, बेलगाम, हावेरी, बागलकोट, धारवाड़, गुलबर्ग, रायचूर और कोप्पल। 
उत्तर प्रदेश: मेरठ, गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़, बागपत, मथुरा, गाजियाबाद, अमरोहा और बुलंदशहर। 
महाराष्ट्र: अमरावती, वर्धा, अकोला, हिंगोली, नांदेड़, यवतमाल वाशिम, परभनी और बुलढाणा। 
असम: सिलचर, कलियाबोर, करीमगंज, मंगलदोई और नागांव। 
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, सतना, होशंगाबाद, खजुराहो और रीवा। 
बिहार: किशनगंज, कटिहार, बांका, पूर्णिया और भागलपुर। 
छत्तीसगढ़: कांकेर, महासमुंद और राजनांदगांव। 
पश्चिम बंगाल: रायगंज, बालूरघाट और दार्जिलिंग। 
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व। 
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा क्षेत्र। 
मणिपुर: बाहरी मिणपुर की 13 विधानसभा क्षेत्र।
25Apr-2024

बुधवार, 24 अप्रैल 2024

हॉट सीट मथुरा: त्रिकोणीय चुनावी मुकाबले में आसान नहीं ड्रीम गर्ल की राह!

विपक्षी प्रत्याशियों ने बनाया प्रवासी और ब्रजवासी के बीच मुकाबला 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट मथुरा में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी के रुप में ड्रीम गर्ल के नाम से लोकप्रिय अभिनेत्री हेमा मालिनी तीसरी बार चुनाव मैदान में है, जहां उनके लिए जीत की हैट्रिक बनाने का मौका है। धार्मिक नगरी मथुरा की इस लोकसभा सीट पर बदलते सियासी समीकरणों के बीच हेमा मालिनी को कांग्रेस के मुकेश धनगर और बसपा के पूर्व आईआरएस अधिकारी सुरेश सिंह इस बार त्रिकोणीय चुनावी मुकाबले में कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं। हालांकि जाट बाहुल्य इस सीट पर भाजपा के सहयोगी दल रालोद के समर्थन से भाजपा को उम्मीद है, लेकिन कांग्रेस व बसपा के प्रत्याशियों ने इस बार चुनाव को ब्रजवासी बनाम प्रवासी बनाने की रणनीति के सामने हेमा मालिनी के सामने बड़ी चुनौती होगी। 
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की तरह ही धार्मिक और भगवान कृष्ण की नगरी के रूप में मथुरा के सियासी इतिहास का अलग ही महत्व है। मथुरा-वृंदावन, मांट, छाता, गोवर्धन व बलदेव विधानसभा क्षेत्रों से बनी जाट बाहुल्य मथुरा लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण की परंपरा को ध्वस्त करके लगातार पिछले दो लोकसभा चुनाव जीतकर ड्रीमगर्ल के रूप में लोकप्रिय बॉलीवुड की अदाकारा हेमामालिनी संसद पहुंची है। अपने आपको जाट परिवार की बहू के रुप में पेश करने वाली हेमा मालिनी को चुनौती देने के लिए कांग्रेस और बसपा ने इस बार बड़ा दांव खेला है। भाजपा की हेमा मालिनी के पक्ष में यह पक्ष भी महत्वपूर्ण है कि रालोद के प्रमुख जयंत चौधरी भी इस बार उनके साथ है, जिन्हें उन्होंने 2014 के चुनाव में इसी सीट से शिकस्त दी थी। वैसे भी मथुरा में लंबे समय से ध्रुवीकरण की सियासत हावी रही है। हालांकि इस बार अयोध्या में श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के माहौल में कृष्णनगरी मथुरा में भी राम मंदिर की लहर और पीएम मोदी के नाम पर हेमा मालिनी को अपनी जीत की उम्मीद है, लेकिन विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस और बसपा के मजबूत प्रत्याशियों के चुनाव से बने त्रिकोणीय मुकाबले में उनके लिए यह चुनावी जंग जीतना इतना आसान भी नहीं है, जिस तरह के चुनावी समीकरण की गोटियां फिट करने का प्रयास किया जा रहा है। 
अटल ने गंवाई थी जमानत 
मथुरा लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डाली जाए तो इस सीट पर दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी भी अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे। यानी 1957 के चुनाव में इस सीट पर निर्दलीय महेन्द्र प्रताप सिंह ने चुनाव जीता था, लेकिन अटल ने बलरामपुर सीट जीतकर संसद में दस्तक दी थी। हालांकि अभी तक यहां से भाजपा प्रत्याशियों ने सबसे ज्यादा छह बार चुनाव जीत दर्ज की हैं और खासकर नब्बे के दशक में लगातार भाजपा के चौधरी तेजवीर सिंह चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं, हालांकि उससे पहले तीन चुनाव भाजपा समर्थिक जनता पार्टी व जनता दल ने भी चुनाव जीते हैं। उसके बाद दो हजार के दशक में भाजपा पिछले दोनों चुनाव जीत पाई है। 
सांसद चुनेंगे 17.48 लाख मतदाता 
मथुरा लोकसभा सीट पर 17,48,115 मतदाताओं का चक्रव्यूह बना है, जिसमें 9,54,135 पुरुष, 7,93,750 महिला और 230 थर्डजेंडर मतदाता शामिल हैं। इस सीट पर 1,104 मतदान केंद्र और 2,014 बूथ यानी मतदान स्थल बनाए गये है। इस सीट पर चुनाव मैदान में उतरे 15 प्रत्याशियों में प्रमुख रुप से चुनावी मुकाबला भाजपा की हेमा मालिनी, कांग्रेस के मुकेश धनगर और बसपा के सुरेश सिंह के बीच ही होता नजर आ रहा है। जबकि इनके अलावा राष्ट्रीय समता विकास पार्टी के जगदीश प्रसाद कौशिक, सुरेशचंद्र बघेल, कमलकांत शर्मा, क्षेत्रपाल सिंह, प्रवेशानंद पुरी, भानु प्रताप सिंह, मोनी फलहारी बापू, योगेश कुमार तालान, रवि वर्मा, डॉ. रश्मि यादव, राकेश कुमार और शिखा शर्मा भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 
क्या जातीय समीकरण 
मथुरा लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण पर गौर की जाए, तो मथुरा लोकसभा सीट पर मतदाताओं के बने चक्रव्यूह में जाट और ब्राह्मण समुदाय लगभग बराबरी में 20-20 प्रतिशत हैं। हालांकि इस सीट को जाट बाहुल्य ही माना जाता रहा है। वहीं 16 प्रतिशत ठाकुर, 12 प्रतिशत वैश्य, 18 प्रतिशत अनुसूचित जाति और छह प्रतिशत मुस्लिम मतदाता शामिल हैं। 
भाजपा का बढ़ा मत प्रतिशत 
लोकसभा 2014 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी ने सर्वाधिक 53.29 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर रालोद के जयंत चौधरी को पराजित किया था, जिन्हें 34.21 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि साल 2019 के चुनाव में हेमा मालिनी ने भाजपा के वोट प्रतिशत में बढ़ाते हुए 61 फीसदी वोट लेकर लगातार दूसरी जीत दर्ज कर संसद में प्रवेश किया। इसी लिहाज से इस बार के चुनाव में भाजपा की हेमा मालिनी को अपनी जीत की हैट्रिक बनाने की उम्मीद है। 
24Apr-2024

मंगलवार, 23 अप्रैल 2024

हॉट सीट मेरठ: लोस चुनाव में श्रीराम के भरोसे भाजपा की सियासी प्रतिष्ठा


 

सपा व बसपा की चुनावी रणनीति से त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार
सियासी पर्दे पर पहचान बनाने उतरे छोटे पर्दे के श्रीराम ‘अरुण गोविल’ 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर 26 अप्रैल को दूसरे चरण के लोकसभा चुनाव में मेरठ लोकसभा सीट पर सबकी नजरें लगी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में मेरठ जैसी लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प चुनावी जंग देखने को मिल सकती है। भाजपा, सपा व बसपा यानी तीनों प्रमुख दलों ने ही इस बार नए चेहरों पर दांव खेला है। भाजपा ने यहां से तीन बार के सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का टिकट काटकर टीवी सीरियल रामायण के ‘श्रीराम’ अरुण गोविल को हिंदुत्व की लहर में सियासी वैतरणी को पार लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों सपा और बसपा ने सामाजिक और जातिगत समीकरणों को साधने के मकसद से गैर मुस्लिम प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है। इसलिए इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है। 
पश्चिम उत्तर प्रदेश में मेरठ लोकसभा सीट पर आयोध्या में श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा के माहौल में भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति के तहत टीवी सीरियल रामायण के ‘श्रीराम’ अरुण गोविल को उतारा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामाजिक और जातिगत समीकरण की सियासत की परंपरा लंबे अरसे से चली आ रही है, लेकिन भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल का चेहरा किसी परिचय से मोहताज नहीं है और वैसे भी वे मेरठ के ही मूल निवासी हैं। जबकि इस सीट पर सपा और बसपा के प्रत्याशी भी मेरठ की राजनीति से अनजान है, जिसके कारण सपा व बसपा प्रत्याशियों को मेरठ में अपनी अपनी पार्टी संगठन और मतदाताओं में अपनी पहचान बनानी पड़ रही है। बसपा प्रत्याशी देवव्रत त्यागी बुलंदशहर के बुगरासी क्षेत्र के किसौला गांव के मूल निवासी होने के साथ दवा कारोबारी हैं। तो वहीं सपा प्रत्याशी सुनीता वर्मा हापुड के पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी और मेरठ की पूर्व मेयर है, जो मूल रुप से बुलंदशर की निवासी है। सियासी गलियारों में चर्चा तो यही है कि मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच होगा, लेकिन सामाजिक व जातिगत राजनीति की परंपरा के मद्देनजर बसपा प्रत्याशी इस चक्रव्यूह में फंसते नजर आ रहे हैं। 
ये है चुनावी इतिहास मेरठ लोकसभा सीट पर पिछले तीन बार से भाजपा का प्रत्याशी जीतकर आता रहा है। उससे पहले भी 1994 से 1998 तक तीन बार इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा। 1977 और 1989 का चुनाव भी भाजपा समर्थित जनता पार्टी ने इस सीट पर कब्जा जमाया है। मेरठ लोकसभा सीट पर कांग्रेस भी छह बार विजयी रही है। खासबात है कि कांग्रेस इस सीट पर पिछले ढाई दशक से जीत के लिए तरस रही है। दो हजार के दशक में साल 2004 में इस सीट पर बसपा ने कब्जा जमाया, लेकिन समाजवादी पार्टी ने अभी तक किसी भी चुनाव में यहां जीत का स्वाद नहीं चखा है। 
चुनाव मैदान में नहीं कोई निर्दलीय 
मेरठ लोकसभा सीट पर शायद पहली बार है कि लोकसभा चुनाव में एक भी निर्दलीय प्रत्याशी सियासी जंग में नहीं है? इस सीट पर आठ प्रत्याशियों में भाजपा के प्रत्याशी के रुप में टीवी सीरियल रामायण के ‘राम’ अरुण गोविल के मुकाबले में समाजवादी पार्टी ने सुनीता वर्मा और बसपा ने देवव्रत कुमार त्यागी को चुनावी मैदान में उतारा है। इनके अलावा जयहिंद नेशनल पार्टी के डा. हिमांशु भटनागर, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के भूपेन्द्र, सबसे अच्छी पार्टी के हाजी अफजाल, मजलूम समाज पार्टी के भूपेन्द्र तथा एसडीपीआई के आबिद हुसैन अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 
बीस लाख से ज्यादा मतदाता 
मेरठ लोकसभा सीट पर बने 20,00,530 मतदाताओं के जाल है, जिसमें 10,75,368 पुरुष तथा 9,25,022 महिला और 140 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं। वहीं 18-19 आयु वर्ग के 29299 युवा मतदाता पहली बार मतदान में हिस्सा लेंगे। इस सीट पर 11207 दिव्यांग और 85 साल से ज्यादा आयु वाले 11602 बुजुर्ग मतदाता भी पंजीकृत हैं। लोकसभा सीट के दायरे में पांच विधानसभा क्षेत्र भी हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 4,97,301 मतदाता मेरठ दक्षिण और सबसे कम 3,14,618 मतदाता मेरठ शहरी विधानसभा सीट पर हैं। जबकि मेरठ कैंट विधानसभा में 4,39,553,हापुड(सु) में 3,80,186 तथा किठौर विधानसभा क्षेत्र में 3,68,872 मतदाता शामिल हैं। 
मतदान केंद्र 
मेरठ लोकसभा सीट पर होने वाले चुनाव में 756 मतदान केंद्रों के 2042 मतदान स्थलों पर वोटिंग कराई जाएगी। इसमें किठौर विधानसभा क्षेत्र में 176, मेरठ कैंट में 144, मेरठ शहर में 129, मेरठ दक्षिण में 166 तथा हापुड विधानसभा क्षेत्र में 141 मतदान केंद्र स्थापित किये गये हैं।
क्या जातिगत समीकरण 
मेरठ लोकसभा क्षेत्र में भाजपा राम के भरोसे, लेकिन जातीय समीकरण को साधते हुए चुनाव जीतना चाहती है। वहीं सपा व बसपा तो इसी सियासी समीकरण को साधने के इरादे से चुनावी मैदान में हैं। मेरठ में जातीय समीकरण पर नजर डाली जाए तो सर्वाधिक छह लाख मुस्लिम, तीन लाख दलित, 2.50 लाख वैश्य, 70 हजार ब्राह्मण, 60-60 हजार जाट, गुर्जर व त्यागी, 50-50 हजार ठाकुर व सैनी, हजार कश्यप, 30 हजार पंजाबी हैं। बाकी अन्य समाज के मतदाता हैं। 
23Apr-2024