बुधवार, 10 अप्रैल 2024

सिक्किम: लोकसभा सीट पर क्षेत्रीय दलों के बीच सियासी जंग


दांव पर होगी एक दर्जन से ज्यादा केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिष्ठा
ओ.पी. पाल.नई दिल्ली। आम चुनाव में पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम की एक मात्र लोकसभा सीट पर सभी की नजरें टिकीं होंगी, जहां लोकसभा के साथ राज्य की 32 विधानसभा सीटों पर भी 19 अप्रैल को पहले चरण में चुनाव होगा। इस राज्य में भाजपा और कांग्रेस समेत छह राजनैतिक दल भले ही चुनाव की जंग में हैं, लेकिन अपने अस्तिव में आने के बाद सिक्किम लोकसभा सीट पर यहां के क्षेत्रीय दलों का ही वर्चस्व रहा है। इस बार सत्तारूढ़ सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की इस लोकसभा सीट पर एक बार फिर अपनी जीत को दोहराने के लिए अग्नि परीक्षा होगी। जबकि संसदीय सीट पर सबसे ज्यादा काबिज रहे सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के सामने कड़े चुनावी संग्राम में वापसी करने की चुनौती होगी। सबसे खास बात ये है कि एक मात्र लोकसभा सीट पर सभी दल अकेले दम पर सियासी हुंकार भर रहे हैं। अब देखना यह है कि इस बार के चुनाव के नतीजों का ऊंट किस करवट बैठेगा, यह अभी भविष्य के गर्भ में हैं। सिक्किम देश का ऐसा राज्य है, जहां लोकसभा और विधानसभा की सियासत में राज्य के क्षेत्रीय दलों का ही दबदबा रहा है। चीन, तिब्बत, नेपाल और भूटान की सीमा से सटे सिक्किम की एक मात्र लोकसभा सीट की राजनीति का इतिहास ये रहा है कि जहां कुछ अपवाद को छोड़कर सभी दल अलग चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन जरुरत पड़ने पर बाद में गठबंधन कर लेते हैं। सिक्किम की सरकार सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा और भाजपा के गठबंधन के साथ चल रही है, लेकिन चुनाव से पहले ही इस गठबंधन को तोड़कर उसके बाद के विकल्प सुरक्षित रखे गये हैं। सिक्किम की राजनीति में प्रमुख रुप से सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा(एसकेएम) तथा सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट(एसडीएफ) रहे हैं। चुनावी समर में यहां राष्ट्रीय दलों में भाजपा, कांग्रेस, राकांपा, सीपीएम आरपीआई जैसे दल भी अपनी किस्मत आजमाते रहे हैं, इन दलों को यहां खास दबदबा नहीं है। सूबे में चुनावी सरगर्मियों की तेजी के बीच इस बार भाजपा राज्य में विकास के मुद्दों को लेकर अपनी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में है। राजनीतिक विशेषज्ञ की माने तो यहां इस बार के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी प्रमुख रुप से एसकेएम व एसडीएफ के बीच ही चुनावी मुकाबला होने की उम्मीद है। सिक्किम लोकसभा सीट पर चार जून और विधानसभा चुनाव की मतगणना दो जून को कराई जाएगी। 
लोकसभा चुनाव का इतिहास पूर्वोत्तर की सिक्किम लोकसभा चुनाव के इतिहास पर नजर डालें, तो अस्तित में आए सिक्किम में 1977 में पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और 1980 के दूसरे चुनाव में सिक्किम जनता परिषद ने पलटवार करके क्षेत्रीय दबदबा बनाने की शुरुआत की। हालांकि बाद के दो चुनाव में इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने भी अपनी ताकत दिखाई। इस सीट पर दो बार सिक्किम संग्राम परिषद ने जीत दर्ज की। इसके बाद इस लोकसभा पर लगातार छह लोकसभा चुनाव में तीन दशक तक सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट(एसडीएफ) का कब्जा रहा है। पिछले 2019 के चुनाव में लोकसभा सीट पर पहली बार भाजपा के समर्थन से एसकेएम ने पलटवार करके जीत हासिल की, जिसने इस बार भी मौजूदा सांसद इंद्रा हांग सुब्बा को चुनावी जंग में उतारा है। पिछली बार लोकसभा में ही नहीं विधानसभा में भी एसकेएम ने सरकार बनाई। 
सांसद चुनेंगे 4.62 लाख मतदाता 
सिक्किम लोकसभा की एक सीट व 32 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में इसबार 4,62,456 मतदाता वोटिंग करेंगें, जिनमें 2,32,117 पुरुष, 2,30,334 महिलाएं और पांच ट्रांसजेंडर मतदाता हैं। इस मतदाता सूची में 3,856 दिव्यांग तथा 1,992 सर्विस मतदाता भी शामिल हैं। पिछले चुनाव की तुलना में इस साल 4,050 (0.88 फीसदी) मतदाताओं के नामों का इजाफा हुआ है। 
  संसद पहुंचने को उतरे 14 प्रत्याशी 
लोकसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतरे 14 प्रत्याशियों में किसी भी राजनैतिक दल ने इस बार महिला को टिकट नहीं दिया। पूर्वोत्तर की सिक्किम लोकसभा सीट पर सत्तारुढ दल एसकेएम ने इस बार भी मौजूदा सांसद इंद्रा सुब्बा को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि एसडीएफ प्रेम दास राय, भाजपा ने दिनेश चंद्र नेपाल, कांग्रेस ने गोपाल छेत्री, एसआरपी ने खड़गा बहादुर राय, टोपी ने भरत बासनेट पर चुनाव मैदान में हैं। इसके अलावा बीना राय, संभू छेत्री, नवीन किरण प्रधान, रवि चंद्र राय, मधुकर ढकाल, रूद्र मणि प्रधान, श्यामल पाल, लाटेन शेरिंग शेरपा निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 
क्या है सिक्किम का इतिहास 
दरअसल सिक्किम का भारतीय संघ में विलय 1975 में हुआ था और इसे आधिकारिक तौर पर भारत का 22वां राज्य बनाया गया था। यह विलय एक जनमत संग्रह के बाद हुआ, जिसमें 97.5 प्रतिशत नागरिकों ने भारत में विलय के पक्ष में मतदान किया था। इस घटना ने सिक्किम को एक नई पहचान और दिशा प्रदान की, जिसकी वजह से यह आज भारतीय गणराज्य का एक अभिन्न अंग बना हुआ है। भारत पूर्वोत्तर भाग में स्थित सिक्किम एक पर्वतीय राज्य है, जो पश्चिम में नेपाल, उत्तर और पूर्व में चीनी तिब्बत और दक्षिण-पूर्व में भूटान की सीमा से हुआ है। हिन्दू और बज्रयान बौद्ध धर्म इस राज्य के प्रमुख धर्म हैं। गंगटोक इसकी राजधानी है। सिक्कीम में कंचनजंगा है, जो कि दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है। सिक्किम भारत में पर्यटन का प्रमुख केन्द्र है। दिल्ली से सिक्किम की दूरी 1,602.9 किलोमीटर है। इसके दक्षिण में पश्चिम बंगाल राज्य है। 
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विधानसभा चुनाव: महिलाएं दिखाएंगी दम 
सिक्किम लोकसभा सीट के साथ 19 अप्रैल को ही सिक्किम की 32 विधानसभा सीटों के लिए भी चुनाव होगा, जिनमें 12 सीट अुनसूचित जनजाति प्रत्याशी के लिए आरक्षित हैं। इन अनुसूचित जनताति में प्रमुख रुप से भूटिया, लेप्चा (शेरपा), लिम्बु, तमांग और अन्य सिक्किमी नेपाली समुदाय जैसी जातीय शामिल है। विधानसभा चुनाव में कुल मतदाताओं में आधे से अधिक 2.31 लाख से ज्यादा महिला मतदाता इस बार वोटिंग करके अहम भूमिका निभाएंगी। फिलहाल विधानसभा में तीन महिला विधायक है। विधानसभा चुनाव में विभिन्न दलों के कुल 132 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने दो महिलाओं समेत 23 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने अपने 18 प्रत्याशियों से दो सीटों पर महिलाओं पर दांव खेला है। जबकि सिक्किम के एक क्षेत्रीय दल सिटिजन एक्शन पार्टी ने चार महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। एसडीएफ ने पिछली बार दो महिला विधायक जीतने के बावजूद इस बार महिला प्रत्याशियों से दूरी बना ली है। 
  10Apr-2024

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