मंगलवार, 30 अप्रैल 2024

दादर नगर हवेली और दमन और दीव: भगवा लहराने की रणनीति से से चुनाव मैदान में भाजपा!

दमन और दीव पर कांग्रेस के लिए आसान नहीं भाजपा का किला भेदना 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में केंद्र शासित दादर नगर हवेली और दमन और दीव की दो लोकसभा सीटों के लिए चुनाव होना है। इन दोनों सीटों में जहां दादर नगर हवेली सीट पर सियासी समीकरण भाजपा और कांग्रेस जैसे प्रमुख दलों के ईर्दगिर्द रहे हैं, लेकिन कई बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी इन दोनों दलों को आइना दिखाकर अपना दम दिखाया है। जबकि दमन और दीव सीट भाजपा का सियासी गढ़ बना हुआ है, जिसे भेदने के लिए कांग्रेसनीत विपक्षी गठबंधन इंडिया ठोस रणनीति के साथ चुनाव मैदान में है। दरअसल दो अलग अलग केंद्र शासित प्रदेशों के विलय के बाद यूटी की इन दोनों सीटों पर पहली बार लोकसभा चुनाव हो रहा है, इसलिए सियासत की इस जंग में ऐसे छोटे संसदीय क्षेत्रों में बसपा जैसे अन्य राजनीतिक दल भी अपनी सियासी जमीन बोने की जुगत में हैं। 
केंद्र शासित प्रदेश दादर नगर हवेली का साल 2020 में केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव के साथ विलय करके इसे दादर नगर हवेली और दमन और दीव के रुप में एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। हालांकि यहां की दो लोकसभा सीटों के राजनीतिक क्षेत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन इन दोनों सीटों पर इस बार राजनीतिक दलों की नजरें टिकी हुई है। इनमें दादर नगर हवेली लोकसभा सीट पर फिलहाल शिवसेना की कलावती डेलकर सांसद है, जिसे इस बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। खासबात ये है कि इस सीट पर हर चुनाव में सियासी समीकरण बदलते देखे गये हैं, जहां कई निर्दलीय प्रत्याशियों ने भाजपा व कांग्रेस को पीछे छोड़कर जीत का स्वाद चखा है। इसके विपरीत दमन और दीव लोकसभा सीट का भाजपा का गढ़ माना जाता है, जहां पिछले डेढ़ दशक से भी भाजपा के लालूभाई पटेल सांसद हैं और इस बार भी वह भाजपा से चौथी बार चुनाव मैदान में है। इस सीट पर पिछले 15 साल से कांग्रेस जीत का इंतजार कर रही है, इसलिए कांग्रेस ने भाजपा की रणनीति के खिलाफ दो बार सांसद रहे केतन दहयाभाल पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया है। जबकि कांग्रेस ने दादर नगर हवेली सीट पर अजीत रामभाई महला पर चुनावी दांव खेला है। यूटी की इन दोनों सीटों पर भाजपा, कांग्रेस व बसपा समेत कुल 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, जिसमें दादर नगर हवेली सीट पर आठ और दमन और दीव सीट पर चार प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। 
प्रदेश में 3.71 लाख मतदाता 
केंद्र शासित दादर नगर हवेली और दमन और दीव की दोनों सीटों के लिए 3.71 लाख मतदाता मतदान करेंगे। इसमें दादरा और नगर हवेली सीट पर 2.50 लाख तथा दमन और दीव) सीट पर 1.21 लाख मतदाता शामिल हैं। दमन और दीव लोकसभा सीट पर कुल 1,21,740 मतदाता है, जिसमें 60,743 पुरुष तथा 60,997 महिला मतदाता शामिल हैं। इस लोकसभा सीट की बड़ी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहां साक्षरता दर 87.07 प्रतिशत के करीब है। यहां की आबादी में अनुसूचित जाति 2.52 प्रतिश और अनुसूचित जनजाति 6.32 प्रतिशत है। दमन और दीव की कुल जनसंख्या लगभग 243,000 है, जिसमें 52 प्रतिशत पुरुष और 48 प्रतिशत महिलाएं हैं। 
दादर नगर हवेली का चुनावी सफर 
दादरा और नगर हवेली कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण लोकसभा सीट है, जहां कांग्रेस ने सबसे ज्यादा जीत दर्ज की है। पिछला चुनाव निर्दलीय मोहनभाई डेलकर ने जीता था, लेकिन उनके निधन के बाद 2021 में हुए उपचुनाव में शिवसेना के टिकट उनकी पत्नी कलाबेन डेलकर सांसद बनी और इस बार भाजपा ने कलाबेन डेलकर को अपना प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर दिलचस्प पहलू ये है कि यहां से कई बार निर्दलीय प्रत्याशी जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। दादर और नगर हवेली में 1967 में हुए लोकसभा चुनाव को कांग्रेस ने जीता था और 1971, 1977 और 1980 के चुनावों में अपना कब्जा बरकरार रखा। साल 1984 के चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार ने कांग्रेस का विजय रथ रोका और 1989 में निर्दलीय उम्मीदवार ही निर्वाचित होकर संसद पहुंचा। लेकिन 1991 के चुनाव में फिर कांग्रेस ने वापसी करते हुए 1996 का चुनाव भी कांग्रेस के पक्ष में ही गया। 1998 में पहली बार इस सीट पर भाजपा ने अपना खाता खोला, लेकिन 1999 के मध्यावधि चुनाव में यह सीट फिर से निर्दलीय प्रत्याशी के हिस्से में चली गई। जबकि 2004 के चुनावो में यहां भारतीय नवशक्ति पार्टी(बीएनपी) के प्रत्याशी मोहनभाई डेलकर विजेता बने। इसके बाद 2009 व 2014 में फिर इस सीट पर भाजपा काबिज हुई।
दमन और दीव भाजपा का गढ़ 
केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव में 1987 के दमन और दीव पुनर्गठन अधिनियम के तहत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के रुप में सृजित की गई। यहां अब तक दस बार लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से भाजपा ने छह बार और कांग्रेस ने 4-4 बार जीत दर्ज की है। पहली बार 1987 में उपचुनाव कांग्रेस ने जीता, लेकिन साल 1989 और 1991 का चुनाव भाजपा के हिस्से में गया। 1996 में फिर इस सीट पर कब्जा किया, लेकिन फिर अगला चुनाव भाजपा ने जीता। 1999 व 2004 के चुनाव में इसी सीट पर फिर कांग्रेस काबिज हुई। इसके बाद 2004 से अब तक इस सीट पर भाजपा के लालूभाई पटेल सांसद हैं और इस बार वह चौथी बार लोकसभा पहुंचने की तैयारी में जुटे हैं। 30Apr-2024

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