रविवार, 21 अप्रैल 2024

कर्नाटक: भाजपा के सामने सियासी साख बचाने की चुनौती!

सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना लोकसभा चुनाव 
 ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों पर दो चरणों में 26 अप्रैल और 07 मई को चुनाव होगा। पिछले चुनाव में 25 सीटे जीतने वाली भाजपा का कांग्रेस से कड़ा चुनावी मुकाबला होने की संभावना है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में बहुमत के साथ कर्नाटक में सरकार बनाई थी, जिसमें भाजपा को बड़ा सियासी नुकसान हुआ था। इसी सियासी जमीन को जीवंत करते हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा नई रणनीति के साथ चुनाव जंग में हैं, जहां भाजपा इस बार सहयोगी दल जेडी(एस) के साथ चुनाव मैदान में है। लेकिन विधानसभा चुनाव जीतने वाली कांग्रेस के हौंसले बुलंद हैं और कर्नाटक मल्लिकार्जुन खरगे का गृह राज्य है, तो इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। जबकि भाजपा के लिए मौजूदा संसदीय सीटों को बचाए रखने के लिए यह लोकसभा चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा। 
लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत में सियासी पैठ बनाने के मिशन के तहत भाजपा के लिए कर्नाटक के लोकसभा चुनाव बेहद अहम है, जहां पिछले लोकसभा चुनाव भाजपा का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक रहा था और भाजपा ने 25 सीटों पर कब्जा किया, जबकि कांग्रेस व जद-एस को एक-एक सीट पर संतोष करना पड़ा था। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार कर्नाटक के सियासी समीरण एकदम बदले हुए हैं। इसका कारण साफ है कि पिछले साल मई में हुए 224 सीटों पर विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से हटाकर शानदार जीत दर्ज कर बहुमत हासिल करके सरकार बनाई। इसके बावजूद भाजपा पिछले चुनाव से भी बेहर प्रदर्शन करने के मकसद से इन लोकसभा चुनाव में पार्टी ने जद(एस) के साथ गठबंधन करके कर्नाटक फतेह करने का लक्ष्य साधा है। राज्य में जातीगत समीकरण साधने के जहां भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा और अन्य दिग्गजों ने प्रतिष्ठा दांव पर लगा रखी है। वहीं लोकसभा चुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बनाते हुए सत्तारूढ़ कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने पूरी ताकत झोंक रखी है। 
निर्णायक साबित होंगे युवा मतदाता
कर्नाटक में कुल 5,42,57,700 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 2,71,68,515 पुरुष, 2,70,84,251 महिला तथा 4934 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं। राज्य में इस बार 18-19 आयु वर्ग के 1124622 युवा मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। इसके अलावा 570168 बुजुर्ग और 612154 दिव्यांग मतदाता भी पंजीकृत हैं। राज्य में सर्विस मतदाताओं की संख्या 46412 तथा 3200 अप्रवासी मतदाता भी मतदान के लिए अधिकृत है। राज्य में सबसे ज्यादा 3174098 मतदाताओं का जाल बंगलूरु उत्तर लोकसभा सीट और सबसे कम 1572958 मतदाता उदुपी लोकसभा सीट पर हैं। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार 31,52,916 मतदाताओं का इजाफा हुआ है। 
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा मतदान केंद्र
राज्य की 28 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव आयोग ने 58,834 मतदान केंद्र स्थापित किये हैं, जिनमें 21,682 शहरी तथा 37,152 ग्रामीण क्षेत्रों के मतदान केंद्र शामिल हैं। सबसे ज्यादा 2,911 मतदान केंद्र बंगलूरु उत्तर तथा सबसे कम 1842 उदुपी सीट पर स्थापित किये गये हैं। राज्य में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए 2,79,752 मतदानकर्मी तैनात किये जा रहे हैं। इन मतदान केंद्रों पर 1,10,946 ईवीएम मशीनों से वोटिंग कराने की व्यवस्था की गई है, जिनके साथ 77,667 कंट्रोल यूनिट तथा 82,575 वीवीपैट मशीनें भी होंगी। सभी मतदान केंद्रों को मतदाताओं के लिए मूलभूत सुविधाओं से लैस किया गया है। 
इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दावं पर 
कर्नाटक में भाजपा 25 और उसके सहयोगी दल जद(एस) तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस पार्टी सभी 28 सीटों पर अकेले चुनाव मैदान में है। कर्नाटक में जिन दिग्गज राजनैतिज्ञों की प्रतिष्ठा दावं पर उसमें पूर्व मुख्यमंत्री एवं जद(एस) ने एचडी कुमार स्वामी के अलावा भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ रहे दो अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों बसवराज बोम्मई और जगदीश शेट्टार की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी। वहीं केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, सांसद तेजस्वी सूर्य, प्रभा मल्लिकार्जुन प्रमुख रुप से चुनावी जंग में हैं। 
जातीय समीकरण अहम 
कर्नाटक राज्य के चुनावों में जातीय समीकरण पर हार जीत होती देखी गई है। राजनीतिक दल भी उसी आधार पर संतुलन बनाकर चुनावी रणनीति बनाने के लिए मजबूर होते हैं। कर्नाटक में प्रमुख रुप से वोक्कालिगा और लिंगायत समाज को जो राजनीतिक दल साधने में सफल होता है तो उसकी जीत होना तय है। दरअसल कर्नाटक की सियासत में लिंगायत समुदाय की 17 फीसदी से अधिक और वोक्कालिगा भी करीब 12 फीसदी आबादी की निर्णायक भूमिका रही है। हालांकि राज्य में 17 प्रतिशत दलित, 8 प्रतिशत कुरुबा और 7 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं को भी दरकिनार करना किसी भी राजनीतिक दल के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। 
बुजुर्गो व दिव्यांगों ने डाला वोट 
कर्नाटक चुनाव आयोग के मुताबिक होम वोटिंग के लिए पंजीकृत 85+ आयु वर्ग के 36,689 मतदाताओं में से 33,323 (90.83%) मतदाताओं ने अपना वोट डाल दिया है। वहीं 11,920 दिव्यांग मतदाताओं में से 11,061 यानी 92.79 फीसदी दिव्यांग मतदाताओं ने भी अपने घर से मतदान किया है। मसलन बुजुर्गो और दिव्यांगों के लिए घर से वोटिंग की सुविधा के तहत अनुमोदित 48,609 मतदाताओं में से 44,384 यानी 91.31 फीसदी वोटिंग हो चुकी है। 
दो चरणो में होगा चुनाव
पहला चरण(26 अप्रैल)-उडुपी चिकमगलूर, हसन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु सेंट्रल, बेंगलुरु दक्षिण, चिक्कबल्लापुर, कोलार। 
दूसरा चरण (7 मई)-चिक्कोडी, बेलगाम, बागलकोट, बीजापुर, गुलबर्गा, रायचूर, बीदर, कोप्पल, बेल्लारी, हावेरी, धारवाड़, उत्तर कन्नड़, दावणगेरे, शिमोगा। 
  21Apr-2024

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