शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024

हॉट सीट रामपुर: आजम खान के ध्वस्त होते गढ़ में भाजपा की राह आसान नहीं

चार मुस्लिम प्रत्याशियों में वोट विभाजन की संभावना 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट बेहद चर्चाओं में हैं, जहां सपा के चर्चित नेता के दुर्ग को तहस नहस करके भाजपा ने अपनी पैठ बनाना शुरु कर दिया है। हालांकि इस सीट पर भाजपा और इंडिया गठबंधन से सपा ने दिल्ली के मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को प्रत्याशी बनाया है, तो भाजपा ने मौजूदा सांसद घनश्याम सिंह लोधी पर ही अपना दांव खेला है। माना जा रहा है कि दो हजार के दशक के बाद इस सीट पर आजम खान के तैयार हुए सियासी गढ़ में भाजपा एक बार फिर से अपनी जमीन तैयार करने की जुगत में हैं। हालांकि मुस्लिम बाहुल्य रामपुर सीट पर भाजपा व सपा के बीच माने जा जा रहे चुनावी मुकाबले में भाजपा की डगर इतनी आसान भी नहीं है, जिसके लिए भाजपा ने अपनी सियासी गोटिया बिछाई है। 
उत्तर प्रदेश की जिन आठ लोकसभा सीटों पर पहले चरण में चुनाव हो रहा है, उनमें रामपुर विधानसभा सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल रामपुर लोकसभा वही सीट है जहां से देश के पहले शिक्षा मंत्री अब्दुल कलाम आजाद सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। साल 2014 के चुनाव में भाजपा ने मोदी लहर के चलते इस सीट पर सपा को मात दी, लेकिन साल 2019 का चुनाव सपा के आजम खां ने जीतकर अपने गढ़ को बचा लिया। साल 2022 में अदालत के एक फैसले में आजम खां को सजा मिली और वे जेल चले गये, तो यहां उप चुनाव में उप चुनाव में भाजपा ने फिर जीत दर्ज की। हालांकि आजम ने जेल से ही यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ा। लेकिन सपा नेता आजम खान की आपराधिक छवि के कारण उनके समर्थकों में भी नाराजगी दिखाई दी और जहां कानूनी कार्रवाई में उसके साम्राज्य को ध्वस्त करने का सिलसिला शुरु हुआ तो उधर भाजपा ने अपना जनाधार मजबू करना शुरु कर दिया है। आजम खान से पहले 1999 तक इस सीट पर नवाब जुल्फिकार खान के परिवार का दबदबा होने के कारण सियासी गढ़ रहा है, जहां इस परिवार ने सात बार लोकसभा चुनाव जीता है। इसमें खुद नवाब जुल्फीकार कांग्रेस के टिकट पर पांच बार सांसद बने, जिसके बाद दो बार उनकी बीवी बेगम नूर बानों कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंची हैं। जहां तक सपा नेता आजम खान का सवाल है नवाब परिवार के बाद इस सीट पर दस बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले आजम खान ने अपना सियासी साम्राज्य खड़ा कर लिया। हालांकि समाजवादी पार्टी इस सीट पर तीन बार ही लोकसभा चुनाव जीत पाई है। जबकि भाजपा ने भी इस सीट पर चार बार जीत दर्ज की। खासबात ये भी है कि इस सीट पर ज्यादातर मुस्लिम प्रत्याशी ही सांसद चुने गये हैं। 
क्या है सियासी इतिहास 
लोकसभा के पहले चुनाव से 1971 तक लगातार पांच बार कांग्रेस ने ही जीत दर्ज की। आपातकाल के बाद 1977 में यहां पहली बार जनता पार्टी के राजेन्द्र कुमार शर्मा ने जीत दर्ज की, लेकिन उसके बाद लगातार तीन चुनाव कांग्रेस के नवाब जुल्फिकार खान जीत कर लोकसभा पहुंचे, लेकिन साल 1991 में राजेन्द्र शर्मा ने भाजपा के टिकट से नवाब परिवार को दूसरी बार परास्त किया। इसके बाद 1996 में फिर नवाब परिवार की बेगम नूर बानों ने वापसी की, लेकिन अगले 1996 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर मुख्तार अब्बास नकवी जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे, लेकिन बेगम नूरबानों ने एक बार फिर यहां कांग्रेस का परचम लहराया। साल 2004 के चुनाव में इस सीट पर समाजवादी ने मुस्लिम सियासत पर फोकस करते हुए आजम खान के साथ मिलकर फिल्म अभिनेत्री जया प्रदा को लगातार दो पर सांसद बनाया। लेकिन मोदी लहर में यह सीट भाजपा के डा. नेपाल सिंह ने जीती, लेकिन 2019 का चुनाव खुद सपा के टिकट पर आजम खान ने जीता, लेकिन वह ज्यादा दिन सांसद नहीं रह सके और आपराधिक मामलो में सुर्खियों में आए तो उनके और परिवार पर कानूननी शिकंजा कसने के संकट के बादल छा गये। मसलन उनके सियासी गढ़ भी बेहद कमजोर हो गया। यही कारण है कि सपा इस बार के चुनाव में यहां प्रत्याशी चुनने में असमंजस की स्थिति से जूझती रही और आखिरी सपा ने दिल्ली के मौलवी मोहिबुल्लाह नदवी को चुनावी जंग में उतार दिया, जिसके रामपुर की जनता बाहरी प्रत्याशी बताकर सियासी समीकरण बदलते नजर आ रही है। 
मतदाताओं के सामने छह प्रत्याशी 
रामपुर लोकसभा सीट पर हो रहे चुनाव में छह प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें सामने 17,31,836 मतदाताओं का चक्रव्यूह बना हुआ है। इनमें 18 से 29 आयु वर्ग के 4,35,212 युवा मतदाता है, जिनकी इस चुनाव में अहम भूमिका नजर आने वाली है। इनमें से 3,6497 युवा मतदाता तो पहली बार अपना वोट डालेंगे। सबसे ज्यादा युवा मतदाता मिलक विधानसभा क्षेत्र के 362079 कुल मतदाताओं में 9,139 युवा पहली बार अपने मत का इस्तेमाल करेंगे। इसी तरह स्वार में 311390 में से 7,756, रामपुर शहर में 39199371 से 7,234, बिलासपुर में 352911 में से 6,297 और चमरौवा में 313463 में से 5953 नए वोटर शामिल किए गए हैं। 
जातिगत समीकरण पर नजर 
रामपुर लोकसभा सीट पर जातिगत मतदाता भी निर्णायक भूमिका में रहे हैं। इस सीट पर सर्वाधिक 50.57 प्रतिशत मुस्लिम, 45.97 प्रतिशत हिंदू, 13.2 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 2.8 प्रतिशत सिक्ख तथा 0.39 प्रतिशत ईसाई मतदाता हैं। जहां हिंदू मतदाताओं का सवाल है उसमें लोधी 1.15 लाख, यादव 50 हजार, जाटव 1.5 लाख, सैनी 80 हजार, पाल 35 हजार, कश्यप 30 हजार तथा कुर्मी 70 हजार हैं। जबकि मुस्लिमों में तुर्क 1.45 लाख तथा तुर्क 1.45 लाख मतदाता हैं। 
19Apr-2024

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें