रविवार, 7 अप्रैल 2024

प. बंगाल: हिंसा की जमीन पर बिछी लोकसभा चुनाव की बिसात

ममता के गढ़ को भेदना भाजपा के लिए आसान नहीं सियासी डगर 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। देश में पश्चमी बंगाल एक ऐसा राज्य है, जहां का चुनावी हिंसा का इतिहास हिंसा के ईर्दगिर्द रहा है। ऐसे में राज्य की 42 लोकसभा सीटों पर सात चरणों में कराये जा रहे आम चुनाव में जहां चुनाव आयोग और सुरक्षा एजेंसियों के सामने भी निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने की बड़ी चुनौती होगी। वहीं अपनी मजबूत रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरी भाजपा को अपने विकास के मुद्दों के साथ राज्य की पंगु कानून व्यवस्था को लेकर भी जनता में विश्वास की भावना पैदा करने का प्रयास कर रही है। इन सबके बावजूद भाजपा के लिए तृणमूल कांग्रेस के गढ़ को भेदना आसान भी नहीं है। पश्चिम बंगाल में लंबे समय से वामदलों की सत्ता को बेदखल करने के बाद साल 2011 में राज्य की सत्ता संभालने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने ‘प्रतिशोध की राजनीति बंद करो’ का वादा किया था, लेकिन इसके बावजूद अभी तक के चुनाव में चुनावी हिंसा का यह इतिहास करवटे बदलते हुए खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले दिनों संदेशखाली और उससे पहले नंदीग्राम की अत्याचार रुपी हिंसा इन चुनावों का मुद्दा गैर तृणमूल दलों के चुनाव प्रचार का हिस्सा बनकर ममता बनर्जी को परेशान कर रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले ही हिंसाओं की जांच करने वाली एनएआई और ईडी जैसी एजेंसियों के अलावा सुरक्षा बलों पर हमले और राजनीतिक दलों की हत्या हमलों की सियासत तृणमूल की प्रतिशोध की राजनीति को उजागर करती नजर आ रही है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में भाजपा को पिछले चुनाव की 18 सीटों की तुलना में अधिक से अधिक सीटों पर जीत की उम्मीद है, लेकिन पिछले चुनाव में खाता खोलने से वंचित वामदल भी भाजपा और तृणमूल के मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के इरादे से चुनावी जंग में हैं। 
महिला मतदाताओं की अहम भूमिका 
पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा के चुनाव में कुल सात करोड़ 7 करोड 58 लाख 37 हजार वोटर हैं। खासबात है कि इनमें तीन करोड़ 73 लाख 4 हजार यानी करीब आधी महिला मतदाता हैं। जबकि 3 करोड़ 85 लाख 30 हजार पुरुष मतदाता हैं। पिछले पांच साल में राज्य में महिला मतदाताओं की 9.8 प्रतिशत वोट बढ़ी हैं। वहीं बंगाल में 20.1 लाख मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में फिलहाल प्रति 1,000 पुरुष मतदाताओं पर 968 महिला मतदाता हैं। यह भी दिलचस्प पहलू है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने महिलाओं ने 81.79 प्रतिशत मतदान किया था। पिछले चुनाव में 42 लोकसभा सीटों में से टीएमसी को 22, भाजपा को 18 और कांग्रेस को 2 सीटे मिली थी। 
कड़ी सुरक्षा के साये में होगा चुनाव 
चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में हिंसा रोकर निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने की दृष्टि से केंद्रीय सशस्त्र सुरक्षा बलों की 920 कंपनियां तैनात करके अन्य सुरक्षा चक्र तैयार करने की योजना बनाई है। इन सुरक्षा बलों को चरणवार होने वाले संसदीय क्षेत्रों और मतदान केंद्रों पर तैनात किया जाएगा। आयोग ने बंगाल के दार्जीलिंग, मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, आसनसोल, बनगांव और कोलकाता उत्तर लोकसभा क्षेत्र को आर्थिक रूप से संवेदनशील घोषित किया है, जहां पिछले चुनाव में धनबल के सर्वाधिक मामले सामने आए थे। 
यहां आमने सामने भाजपा-टीएमसी 
पश्चिम बंगाल में इस बार लोकसभा की 42 में डायमंड हार्बर, आसनसोल, कोलकता दक्षिण, मालदा दक्षिण, मुर्शिदाबाद, हावड़ा, बोलपुर और दार्जिलिंग को हॉट सीटे माना जा रहा है, जहां भाजपा और तृणमूल के सीधे मुकाबलों की संभावनाएं जताई जा रही हैं। तृणमूल कांग्रेस ने इन सीटों पर अभिषेक बनर्जी, दिलीप घोष, महुआ मोइत्रा, शत्रुघ्न सिन्हा जैसे दिग्गजों पर दांव खेला है। 
ऐसे बढ़ा भाजपा का जनाधार 
पश्चिम बंगाल में साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 40.30 फीसदी वोट शेयर के साथ 42 में से 17 लोकसभा सीटे जीती, नतीजन भाजपा ने इसके बाद 2021 के विधानसभा चुनाव में 38.1 फीसदी वोट लेकर 294 सीटों में से भाजपा ने में से 77 सीटों पर जीत हासिल की और पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा का विपक्ष की राजनीति के लिए ‘टर्निंग पॉइंट’ साबित हुआ, जिसकी वजह से इस इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा की चुनावी रणनीति से तृणमूल कांग्रेस असमंजस की स्थिति में है, लेकिन बंगाल में भाजपा ने विकास के मुद्दे के विपरीत तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी आक्रामक अंदाज में थोड़ी नरमी लाकर जवाब देने की रणनीति बनाई है। 
मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र मुर्शीदाबाद 
पश्चिम बंगाल का बांग्लादेश की सीमा से सटे जिलों मुर्शीदाबाद 66.8 प्रतिशत और मालदा में 51.27 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। जबकि चार अन्य जिलों, उत्तर दिनाजपुर में 49.92 प्रतिशत, बीरभूम में 37.06 प्रतिशत, दक्षिण 24 परगना में 35.57 प्रतिशत और उत्तर 24 परगना में 30 प्रतिशत से अधिक आबादी मुस्लिम है। दरअसल इन जिलों में घुसपैठियों की वजह से मुस्लिमों का दबदबा है। भाजपा के तृणमूल कांग्रेस पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप तो बंगाल सरकार ने पिछले साल केंद्रीय ओबीसी सूची में जिन 83 जातियों को शामिल करने की सिफारिश की थी, उसमें 73 अकेले मुस्लिम समुदाय की थी। 
भाजपा का भरोसेमंद समुदाय 
पश्चिम बंगाल में एक समय इन मतुआ लोगों के ज़्यादातर वोटवैंक वामपंथी पार्टियों या तृणमूल कांग्रेस के खेमे था, लेकिन 2019 के चुनाव के समय बदली सियासत में अन्य देशों से प्रताड़ित होकर मतुआ समुयाद इन हिंदू शरणार्थियों को भाजपा के सीएए का आश्वासन भरोसे में ले आया। इसलिए खासतौर से बंगाल के दक्षिणी हिस्से में मतुआ जाति समूह और उत्तर में राजबंशी जाति समूह भाजपा के खेमे में जाता नजर आ रहा है। वहीं पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक वोटबैंक मुस्लिम समुदाय का है, जो तृणमूल का वोट बैंक माना जाता है। राज्य में 125 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसदी या उससे अधिक है। इसमें उत्तर और दक्षिण 24 परगना, नदिया, कोलकाता, बीरभूम और बर्धमान में 75-80 सीटें हैं। जबकि दक्षिण और उत्तर 24 परगना जिलों में 64 सीटें हैं और वहां मुसलमानों की बड़ी आबादी क्रमश: 35 और 26 फीसदी है। 
पिछले चुनाव में इन राज्यों में हुई हिंसा 
 राज्य               घटना
पश्चिम बंगाल 365 
जम्मू कश्मीर  250 
उत्तर प्रदेश    100 
पंजाब           100 
असम           100 
बिहार           80 
त्रिपुरा           80 
केरल           60 
छत्तीसगढ़  30 
पश्चिम बंगाल में कब कब होगा मतदान: 
चरण 1 (19 अप्रैल): कूचबिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी। 
चरण 2 (26 अप्रैल): दार्जिलिंग, रायगंज, बालुरघाट। 
चरण 3 (7 मई): मालदाहा उत्तर, मालदाहा दक्षिण, जंगीपुर, मुर्शिदाबादप् 
चरण 4 (13 मई): बहरामपुर, कृष्णानगर, राणाघाट, बर्धमान पुरबा, बर्धमान-दुर्गापुर, आसनसोल, बोलपुर, बीरभूम। 
चरण 5 (20 मई): बनगांव, बैरकपुर, हावड़ा, उलुबेरिया, श्रीरामपुर, हुगली, आरामबाग। 
चरण 6 (25 मई): तमलुक, कांथी, घाटल, झाड़ग्राम, मेदिनीपुर, पुरुलिया, बांकुरा, बिष्णुपुर। 
चरण 7 (1 जून): दम दम, बारासात, बशीरहाट, जयनगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, जादवपुर, कोलकाता दक्षिण, कोलकाता उत्तर।
07Apr-2024

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