जीएम फसलों पर संसदीय समिति ने की सिफारिश
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद की एक समिति ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि देश में जीएम फसलों को बढ़ावा देने से पहले जीएम फसलों के उत्पादों का उपयोग से मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कराएं। वहीं जीएम फसलों के व्यावसायीकरण की मंजूरी देने से पर्यावरणीय खतरों का भी वैज्ञानिक शोध कराने पर बल दिया गया है।
राज्यसभा की विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन संबन्धी संसदीय स्थायी समिति की चेयरमैन श्रीमती रेणुका चौधरी ने शुक्रवार को जीएम फसलें यानि जैनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप और इनके पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर एक रिपोर्ट सभापति एम. वेंकैया नायडू को सौंपी है। इस रिपोर्ट में रेणुका चौधरी की अध्यक्षता में 31 सदस्यीय समिति की इस रिपोर्ट में इस बात पर गहरी चिंता जताई है कि स्वास्थ्य विभाग ने जीएम फसलों के बढ़ने के अलावा जीएम फसलों के प्रभाव की जांच के अलावा अन्य देशों में किए गए अध्ययनों को छोड़कर कोई कार्रवाई नहीं की है। इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग ने मानव स्वास्थ्य पर जीएम फसलों के प्रभाव का वैज्ञानिक अध्ययन कराए बिना ही भारत में जीएम फसलों के व्यावसायीकरण के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। समिति ने केंद्र सरकार से अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि जीएम फसलों को बढ़ावा देने वाली इस मंजूरी पर पुनर्विचार किया जाए और पहले जीएम फसलों के मानव स्वास्थ्य पर गहनता के साथ मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के साथ ऐसा वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए कदम उठाए जाएं। वहीं समिति ने जीएम फसलों से पर्यावरण के लिए कोई खतरा तो नहीं है, का भी तकनीकी अध्ययन कराने की सिफारिश की है।
जल्दबाजी से आपदा की आशंका
समिति ने देश में जीएम फसलों के व्यावसायीकरण के लिए जल्दबाजी में मंजूरी देने को नुकसान का कारण बताते हुए माना है कि अभी तक वैज्ञानिक रूप से यह साबित नहीं किया गया है कि जीएम फसलों का मानव स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल असर नहीं होगा और केवल उन अध्ययनों पर निर्भर करेगा जो भारत में और हमारे अपने लोगों पर नहीं किए गए हैं, मानव पर प्रतिकूल असर का नतीजा स्वास्थ्य पर पड़ने की आशंका जताते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग का इस मुद्दे के प्रति दृष्टिकोण एक उदासीन रवैये जैसा रहा है जो भविष्य में हमारे लिए एक आपदा ही नहीं ,बल्कि पीढ़ियों के लिए भी जोखिम भरा साबित हो सकता है। हालांकि समिति ने जीएम उत्पादों को लेबल करने की प्रक्रिया शुरू करने के उठाए गये सरकार के कदमों की सराहना की है और सरकार से जोरदार अनुशंसा की है कि जीएम खाद्य पदार्थों पर लेबलिंग प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से तेज किया जाए।
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद की एक समिति ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि देश में जीएम फसलों को बढ़ावा देने से पहले जीएम फसलों के उत्पादों का उपयोग से मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कराएं। वहीं जीएम फसलों के व्यावसायीकरण की मंजूरी देने से पर्यावरणीय खतरों का भी वैज्ञानिक शोध कराने पर बल दिया गया है।
राज्यसभा की विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन संबन्धी संसदीय स्थायी समिति की चेयरमैन श्रीमती रेणुका चौधरी ने शुक्रवार को जीएम फसलें यानि जैनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप और इनके पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर एक रिपोर्ट सभापति एम. वेंकैया नायडू को सौंपी है। इस रिपोर्ट में रेणुका चौधरी की अध्यक्षता में 31 सदस्यीय समिति की इस रिपोर्ट में इस बात पर गहरी चिंता जताई है कि स्वास्थ्य विभाग ने जीएम फसलों के बढ़ने के अलावा जीएम फसलों के प्रभाव की जांच के अलावा अन्य देशों में किए गए अध्ययनों को छोड़कर कोई कार्रवाई नहीं की है। इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग ने मानव स्वास्थ्य पर जीएम फसलों के प्रभाव का वैज्ञानिक अध्ययन कराए बिना ही भारत में जीएम फसलों के व्यावसायीकरण के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। समिति ने केंद्र सरकार से अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि जीएम फसलों को बढ़ावा देने वाली इस मंजूरी पर पुनर्विचार किया जाए और पहले जीएम फसलों के मानव स्वास्थ्य पर गहनता के साथ मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के साथ ऐसा वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए कदम उठाए जाएं। वहीं समिति ने जीएम फसलों से पर्यावरण के लिए कोई खतरा तो नहीं है, का भी तकनीकी अध्ययन कराने की सिफारिश की है।
जल्दबाजी से आपदा की आशंका
समिति ने देश में जीएम फसलों के व्यावसायीकरण के लिए जल्दबाजी में मंजूरी देने को नुकसान का कारण बताते हुए माना है कि अभी तक वैज्ञानिक रूप से यह साबित नहीं किया गया है कि जीएम फसलों का मानव स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल असर नहीं होगा और केवल उन अध्ययनों पर निर्भर करेगा जो भारत में और हमारे अपने लोगों पर नहीं किए गए हैं, मानव पर प्रतिकूल असर का नतीजा स्वास्थ्य पर पड़ने की आशंका जताते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग का इस मुद्दे के प्रति दृष्टिकोण एक उदासीन रवैये जैसा रहा है जो भविष्य में हमारे लिए एक आपदा ही नहीं ,बल्कि पीढ़ियों के लिए भी जोखिम भरा साबित हो सकता है। हालांकि समिति ने जीएम उत्पादों को लेबल करने की प्रक्रिया शुरू करने के उठाए गये सरकार के कदमों की सराहना की है और सरकार से जोरदार अनुशंसा की है कि जीएम खाद्य पदार्थों पर लेबलिंग प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से तेज किया जाए।