सरकार की
योजनाएं भी चुनौती से निपटने में कारगर नहीं
केंद्रीय भूमि
जल बोर्ड द्वारा जारी की गई ताजा रिपोर्ट में भूमि जल की गुणवत्ता वाले आंकड़े पर गौर
किया जाए तो भूजल में विषैले पदार्थो की सांद्रता भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित
मानकों से कहीं अधिक है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ऐसे 16 राज्यों के
212 जिलों की सांद्रता आंकी गई है। जबिक 20 राज्यों के 335 जिले फ्लोराइड, 21 राज्यों
के 387 जिले नाईट्रेट और 153 जिले आर्सेनिक से प्रभावित हैं, जबिक 25 राज्यों और एक
संघ शासित प्रदेशों के 302 जिलों के भूजल में लोहा की मात्रा मानकता से ज्यादा पाई
गई है। इसके अलावा डेढ़ दर्जन राज्य में सीसा, क्रोमियम और कैडमियम जैसी भारी धातु
के मिश्रण वाले भूजल से ग्रस्त हैं। मंत्रालय के अनुसार इस समस्या से निपटने के
लिए तैयार की गई मेगा योजनाओं को लागू करने के लिए संबन्धित राज्यों से कहा गया
है। वहीं ऐसे मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारण तत्वों से प्रभावित इलाकों खासकर आवासीय
स्थलों पर सामुदायिक जल उपचार संयंत्रों की स्थापना और कम से कम एक व्यक्ति को प्रतिदिन
दस लीटर सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने को कहा गया है। केंद्रीय जल
संसाधन मंत्रालय ने भूजल को संदूषित होने से बचाने के लिए जल गुणवत्ता आकलन प्राधिकरण
का गठन भी किया है, जो लगातार निगरानी करती रहेगी।
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार ने भूजल में घुले जहरीले तत्वों की चुनौती से निपटने के लिए जल की शुद्धता
की दिशा में कई सुधारात्मक कार्रवाई के इरादे से प्रभावित राज्यों में कई मेगा
योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन इसके बावजूद करीब समूचे देश के भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड,
नाईट्रेट, लोहा, कैडमियम, क्रोमियम, तांबा, निकल, सीसा, जस्ता व पारा जैसी भारी धातु
का मिश्रण तेजी के साथ घुलता जा रहा है। मसलन जलजनित बीमारियां मानव जीवन के लिए
खतरा बनी हुई हैं।
देश में
पीने के पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर
केंद्र की सरकारे लगातार राज्यों के साथ समन्वय करके भूजल की शुद्धता के लिए
सुधारात्मक कार्यवाही करने में अरबो-खरबो रुपया खर्च करती आ रही हैं, लेकिन ताजा
अध्ययनों ने केंद्र सरकार की चिंताओं को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है कि भूजल की
शुद्धता में सुधार करना एक बड़ी चुनौती है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की माने
तो विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों और जल गुणवत्ता की निगरानी के दौरान केंद्रीय भूमि
जल बोर्ड द्वारा तैयार भूमि जल गुणवत्ता के आंकड़े देश के विभिन्न राज्यों के
भागों के अलग-अलग हिस्सों में भूमि जल संदूषण की पुष्टि कर रहे हैं। मसलन ऐसे
प्रभावित इलाकों के लोग धीमे जहर वाले पानी को पीने के लिए विवश हैं। मंत्रालय का
दावा है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर इस चुनौती से निपटने के लिए
संदूषित भूजल की समस्या और विशुद्ध जल के सेवन से प्रभावित नागरिकों के उपचार के
लिए जागरूकता और जलजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।
क्या है ताजा रिपोर्ट

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छत्तीसगढ़ में हुआ कुछ सुधार
छत्तीसगढ़ ऐसा
राज्य के 13 जिलों बस्तर, बालोद, बिलासपुर, बेमेतास, बीजापुर, दुर्ग, कांकेर,
कोडागांव, कर्वधा, कोरबा, रायगढ़, सूरजपुर, सरगुजा के भूजल में फ्लोराइड की सांद्रता
1.5 मिग्रा प्रति लीटर जल की सांद्रता मानकता से कहीं अधिक पाई गई है। जबकि राज्य
का एक मात्र जिला राजनंदगांव ऐसा है जहां आर्सेनिक की सांद्रता तय मानक 0.05 मिग्रा
प्रति लीटर जल से अधिक है, लेकिन एक दर्जन जिलों का भूजल नाईट्रेट से ग्रस्त है,
जिनमें बस्तर, बिलासपुर, दंतेवाड़ा, धमतरी, जशपुर, कांकेर, कवर्धा, कोरबा,
महासमुंद, रायगढ़, रायपुर और राजनंदगांव में भूजल की सांद्रता निर्धारित सांद्रता मानकता
45 मिग्रा प्रति लीटर से ज्यादा है। इसी प्रकार बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर व कोरिया
जैसे चार जिलों में लोह की सांद्रता 1.0 मिग्रा प्रति लीटर से ज्यादा पायी गई है।
अ है। इसके अलावा भारी धातुओं में कोरबा में शीशा, कैडमियम व क्रोमियम तत्व भी मानकता
से अधिक पाया गया है। मंत्रालय के अनुसार राज्य में फ्लोराइड की संदूषता की समस्या
को जांजगीर और चांपा जिले में दूर किया जा चुका है।
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मध्य प्रदेश में बढ़ा संकट
मध्य प्रदेश
की राजधानी भोपाल के अलावा नीमच, पन्ना,
रायसेन, रतलाम, सागर और शिवपुरी जिले का भूजल में भी खतरनाक जहरीला तत्व फ्लोराइड
घुल चुका है। मसलन एक साल में ही 32 से बढ़कर राज्य के 39 जिलों का भूजल फलोराइड की
चपेट में आ गया है। जबकि पहले के 32 जिलों अलीराजपुर, बालाघाट, बड़वानी, बैतूल, भिण्ड,
छतरपुर, छिंदवाडा, दतिया, देवास, धार, डिंडोरी, गुना, ग्वालियर, हरदा, जबलपुर, झाबुआ,
खरगोन, मंडला, मंदसौर, मुरैना, नरसिंहपुर, राजगढ़, सतना, सीहोर, सिवनी, शहडोल, शाजापुर,
श्योपुर, सीधी, सिंगरौली, उज्जैन व विदिशा के भूजल में फ्लोराइड की सांध्रता मानकता
को कम नहीं किया जा सका है। हालांकि नाइट्रेट से प्रभावित 48 जिलों की संख्या घटकर
36 हो गई है। यानि सागर, सतना, सीहोर, सिवनी, शहडोल, शाजापुर, श्योपुर, शिवपुरी, टीकमगढ़,
उज्जैन, उमरिया व विदिशा में इस समस्या को समाप्त कर दिया गया है। इसी प्रकार भूजल
में लोह की समस्या से 15 जिलों को राहत मिली है, लेकिन भी 27 जिलों के भूजल में
लोह जैसा संदूषित तत्व घुला है। इसके बावजूद बैतूल, बुरहानपुर, छिंदवाडा, धार,
खंडवा, मंदसौर और उमरिया जिलों के भूजल में आर्सेनिक तत्व का मिश्रण मानकता से
अधिक पाने से राज्य में संदूषण जल की समस्या का संकट गहराया है।
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हरियाणा में बढ़ी फ्लोराइड की समस्या
हरियाणा के
अंबाला और पलवल जिले के भूजल में भी फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है। यानि फिलहाल
राज्य के 20 जिलों के भूजल में फ्लोराइड, 19 जिलों में नाईट्रेट, 15 जिलों में आर्सेनिक,
17 जिलों में लौह व शीशा तथा सात जिलों में कैडमियम जैसे जहरीले तत्वों की सांद्रता
निर्धारित मानकता से कहीं ज्यादा पाई गई है। जिन 20 जिलों के भूजल में फ्लोराइड जैसा
जहर मिला है उनमें अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुडगांव, हिसार, झज्जर, जींद,
कैथल, करनाल, कुरूक्षेत्र, महेन्द्रगढ़, पंचकूला, पलवल, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक, सिरसा,
सोनीपत व यमुनानगर शामिल हैं। पलवल को छोड़कर बाकी 19 जिलों में नाईट्रेट की
मात्रा भी ज्यादा पायी गई है। जबकि 15 जिलों अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, हिसार,
झज्जर, जींद, करनाल, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर, महेन्द्रगढ़ व पलवल के
भूजल में आर्सेनिक की ज्यादा मात्रा पाई गई है। इसमें एक साल के अंतराल में
महेन्द्रगढ़ और पलवल पहली बार ग्रिसत हुए हैं। हरियाणा के 17 जिलों अंबाला, भिवानी,
फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुडगांव, हिसार, झज्जर, जिंद, कैथल, करनाल, महेन्द्रगढ़, पानीपत,
रोहतक, सिरसा, सोनीपत व यमुनानगर के भूजल में लोह शीशे जैसे तत्वों की मात्रा भी
स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक बताई गई है।
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दिल्ली में बद से बदतर हालात
राष्ट्रीय
राजधानी दिल्ली का समूचा क्षेत्र का भूजल फ्लोराइड, नाइट्रेट, शीशा, कैडमियम व क्रोमियम
जैसी धातुओं से युक्त भूजल की चपेट में है। जबकि पूर्वी दिल्ली और उत्तर-पूर्वी
दिल्ली के लोग इन तत्वों के साथ आर्सेनिकयुक्त पानी पीने के लिए भी मजबूर हैं।
दिल्ली के लगभग सभी क्षेत्र के भूजल में घुले जहरीले तत्वों की मात्रा में किसी
प्रकार का सुधार करना तो दूर है, बल्कि संदूषित जल की मात्रा में लगातार इजाफा हो
रहा है, जो मानव के स्वास्थ्य के लिए बराबर हानिकारक करार दिया जा रहा है।
14Aug-2017
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