बुधवार, 2 अगस्त 2017

एलपीजी सब्सिडी के मुद्दे पर गरमाई संसद


राज्यसभा में नोटा के हंगामे में नहीं हुआ प्रश्नकाल

सचिन व रेखा की सदन में गैरहाजिर पर फिर उठे सवाल
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की एलपीजी सब्सिडी को अगले साल तक खत्म करने की योजना का विरोध करते हुए विपक्ष ने संसद के दोनों सदनों में नारेबाजी कर हंगामा किया। राज्यसभा में राज्यसभा चुनाव में पहली बार नोटा का विकल्प देने का कांग्रेस ने विरोध करते हुए जमकर हंगामा किया, जिसके कारण प्रश्नकाल नहीं हो पाया
संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा की मंगलवार को शुरू हुई कार्यवाही के तहत शून्यकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने एलपीजी सब्सिडी का मुद्दा उठाया और कहा कि सरकार ने हर महीने प्रति सिलेंडर चार रुपये सब्सिडी कम करने की बात की है। इस मुद्दे पर कांग्रेस और सपा के अलावा कई अन्य दलों ने भी सरकार की योजना का विरोध किया। कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों के सदस्यों ने घरेलू रसोई गैस पर सब्सिडी में कटौती करके हर महीने दाम बढ़ाने वाली योजना को तत्काल वापस लेने की मांग को लेकर आसन के करीब आकर नारेबाजी करके हंगामा करने लगे। हंगामे के कारण उपसभापति पीजे कुरियन को सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद शुरू हुई कार्यवाही के दौरान भी विपक्ष का यह हंगामा जारी रहा, जबकि इस हंगामे के बीच ही केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सदन को सफाई दी, लेकिन हंगाम न थमने पर सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी गई।
लोकसभा में विपक्ष का वाकआउट
उधर लोकसभा में भी शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने एलपीजी सब्सिडी मामले को उठाते हुए सरकार की इस योजना का जोरदार तरीके से विरोध किया और सरकार से सवाल किया कि  जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामों में इतनी गिरावट आ रही है तो एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी समाप्त कर आम आदमी पर बोझ डालने के पीछे सरकार के पास क्या स्पष्टीकरण है? विपक्ष ने सरकार से इस फैसले को तत्काल वापस लेने की भी मांग की। वहीं तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय , माकपा की पीके श्रीमती टीचर और आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन आदि ने सरकार पर पारदर्शिता नहीं रखने का आरोप लगाया। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार से तत्काल बयान देने की मांग कर रहे कांग्रेस, वाम दलों के अलावा तृणमूल कांग्रेस और राकांपा सदस्य वाकआउट कर सदन से बाहर चले गये।
नोटा के विकल्प पर बिफरी कांग्रेस
सदन की 12 बजे कार्यवाही शुरू होने पर जब सभापति प्रश्नकाल शुरू करने का प्रयास करते रहे तो कांग्रेस के आनंद शर्मा ने राज्यसभा के चुनाव में नोटा का विकल्प का मुद्दा उठाया और कहा कि इस विकल्प को गुजरात में होने वाले राज्यसभा की सीटों के चुनाव में पहली बार अपनाया जा रहा है। इसके लिए सत्तापक्ष की साजिश का आरोप लगाते हुए आनंद शर्मा, बसपा के सतीश मिश्रा, सपा के रामगोपाल यादव, नरेश अग्रवाल, नीरज शेखर आदि दलों ने सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की। इस मुद्दे को लेकर सदन में लगातार हंगामा होता रहा। इसी बीच सदन में नेता एवं केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह चुनाव आयोग को निर्णय है इसमें सरकार का कोई दखल नहीं हो सकता। उन्होंने सदन को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी अवगत कराया है जिसके अनुपालन में चुनाव आयोग राज्यसभा चुनाव में नोटा के विकल्प की व्यवस्था शुरू कर रहा है। इस मुद्दे पर हंगामा न थमते देख सभापति ने सदन की कार्यवाही को दो बजे तक स्थगित कर दिया।

इस्तीफा दें सचिन और रेखा
राज्यसभा में मनोनीत सांसद क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और फिल्म अभिनेत्री रेखा की लगातार गैर हाजिर पर सवाल उठाते हुए सपा ने उन्हें इस्तीफा दिलाकर बाहर करने की मांग की। राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने मनोनीत सांसद सचिन तेंदुलकर और रेखा की अनुपस्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि इन लोगों को सदन से निकाल देना चाहिए और बेहतर तो होगा कि वो खुद इस्तीफा देदें। अग्रवाल ने तर्क रखा कि जब सचिन और रेखा सदन में नहीं आ सकते तो उनकी सदस्यता रद्द कर उन्हें सदन से निकाल दिया जाए। नरेश अग्रवाल का कहना तो यहां तक था कि अगर हम विजय माल्या को सदन से निकाल सकते हैं तो इन्हें क्यों नहीं। गौरतलब है कि अप्रैल 2012 में इन दोनों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था, जो सांसद बनने के बाद सचिन सिर्फ 23 दिन और रेखा मात्र 18 दिन ही सदन में हाजिर रहे हैं।
02Aug-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें