गुरुवार, 17 अगस्त 2017

अगले दो साल में पूरी होंगी सिंचाई परियोजनाएं

केंद्र ने दीर्घकालीन सिंचाई निधि में अतिरिक्त बजट को दी मंजूरी       
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत चल रही प्राथमिकता वाली 99 सिंचाई परियोजनाओं समेत लंबित अन्य सभी सिंचाई परियोजनाओं को अगले दो साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। केंद्र सरकार ने चालू वर्ष में इनमें तेजी लाने के लिए अतिरिक्त बजटीय संसाधन के रूप में 9020 करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी दे दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा वर्ष 2017-18 के दौरान आवश्यकतानुसार 9020 करोड़ रूपये तक के अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाने की मंजूरी की जानकारी देते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने बताया कि मंजूर की गई यह राशि नाबार्ड द्वारा ऋण के संदर्भ में 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज दर सुनिश्चित करने के लिए उसी तरह बॉंड जारी करके जुटाई जायेगी, जिस प्रकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत चल रही प्राथमिकता वाली 99 सिंचाई परियोजनाओं के अलावा कमांड क्षेत्र विकास के त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत राज्यों के लिए नाबार्ड से ऋण को आकर्षक बनाने के लिए वर्ष 2016-17 से 2019-20 के दौरान नाबार्ड को प्रतिवर्ष अपेक्षित लागत मुक्त निधियां उपलब्ध कराकर निर्णय लिया गया था। दरअसल त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रमों (एआईबीपी) के तहत अनेक प्रमुख और मध्यम सिंचाई परियोजनाएं मुख्य रूप से निधियों के अपर्याप्त प्रावधान के कारण अधूरी पड़ी थी। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में वर्ष 2016-17 के दौरान पीएमकेएसवाई (एआईबीपी और सीएडी) के अधीन चल रही 99 परियोजनाओं की दिसंबर 2019 तक कई चरणों में पूरी करने के लक्ष्य के लिए पहचान की गई थी। मौजूदा परियोजनाओं के लिए केन्द्र और राज्यों के हिस्से के वित्तपोषण के लिए 20 हजार करोड़ रूपये की आरंभिक निधि के साथ नाबार्ड में समर्पित दीर्घकालीन सिंचाई निधि के सृजन का ऐलान किया गया था। वर्ष 2017-18 के दौरान एलटीआईएफ के माध्यम से 29 हजार करोड़ रूपये की अनुमानित राशि की जरूरत होगी, जिसके लिए 9020 करोड़ रूपये की ईबीआर अपेक्षित होगी।
नाबार्ड ने दी 9086 करोड़ की राशि
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2016-17 के दौरान नाबार्ड ने एलटीआईएफ के तहत कुल 9086.02 करोड़ रूपये की राशि वितरित की, इसमें से 2414.16 करोड़ रूपये पोलावरम परियोजना (ईबीआर घटक के बिना) के लिए जारी किये गये और बाकी 6671.86 करोड़ रूपये पहचान की गई ईबीआर उपयोग वाली परियोजनाओं के लिए जारी किये गये थे। इसके अलावा 924.9 करोड़ रूपये बजटीय प्रावधान के माध्यम से केन्द्रीय सहायता के रूप में वितरित किये गये। वर्ष 2016-17 के दौरान नाबार्ड ने ईबीआर के रूप में भारत सरकार की पूर्ण अदायगी वाले बॉण्ड के रूप में 2187 करोड़ रूपये की कुल राशि जुटाई थी।

14 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र का सृजन
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने राज्यों और केन्द्रीय जल आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि इन लिक्षत परियोजनाओं में इस साल 18 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिनके जरिए 14 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र का सृजन हुआ है। वर्ष 2017-18 के दौरान 33 से अधिक परियोजनाएं पूरी होने की संभावना है, जिनके जरिए 28 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र में बढ़ोतरी होगी। जबिक बाकी योजनानाओं के वर्ष 2019 तक पूरा होने का लक्ष्य है और देश में 76 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र में और इजाफा किया जा सकेगा। उमा भारती का दावा है कि सिंचाई क्षेत्र में लगातार बढ़ोतरी होने से कृषि परिदृश्य को पूरी तरह बदलने के कारण फसलों की सघनता, फसल प्रणाली में परिर्वतन, कृषि प्रसंस्करण और अन्य सहायक गतिविधियों के माध्यम से बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन होना स्वाभाविक है।
17Aug-2017


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