निरी के अध्ययन
के
विस्तार
पर
अतिरिक्त
राशि
मंजूर
गंगा स्वच्छता अभियान
के
तहत
नमामि
गंगे
की
महत्वकांक्षी
परियोजना
के
लिए
गंगा
जल
के
औषधीय
गुणों
का
राष्ट्रीय
पर्यावरण
इंजीनियरिंग
शोध
संस्थान
(निरी)
से
कराए
गये
अध्ययन
के
दायरे
को
बढ़ाया
गया
है,
जिसके
लिए
राष्ट्रीय
स्वच्छ
गंगा
मिशन
ने
4.96 करोड़
रूपये
की
अतिरिक्त
राशि
को
मंजूरी
प्रदान
की
है।
भारत व इजरायल मिलकर करेंगे काम
हरिभूमि ब्यूरो.
नई
दिल्ली।

केंद्रीय जल संसाधन
मंत्रालय
के
अनुसार
पौराणिक
काल
से
'ब्रह्म
द्रव्य'
के
रुप
में
चर्चित
गंगा
नदी
के
औषधीय
गुणों
एवं
प्रवाह
मार्ग
पर
जल
के
स्वरूप
एवं
इससे
जुड़े
विभिन्न
कारकों
एवं
विशेषताओं
का
पता
लगाने
के
लिए
कराए
गये
अध्ययन
का
दायरा
बढ़ाया
गया
है,
जिसके
लिए
राष्ट्रीय
स्वच्छ
गंगा
मिशन
ने
4.96 करोड़
रूपये
की
अतिरिक्त
राशि
को
मंजूर
की
है।
हालांकि
हाल
ही
में
गंगा
के
जल
में
औषधीय
गुणों
का
अध्ययन
करके
राष्ट्रीय
पर्यावरण
इंजीनियरिंग
शोध
संस्थान
(निरी)
ने
सरकार
को
रिपोर्ट
सौंपी
है।
मंत्रालय
के
अनुसार
सरकार
अब
इसके
स्वास्थ्य
पर
पड़ने
वाले
प्रभावों
के
बारे
में
भी
अध्ययन
कराएगी।
गंगा
नदी
के
औषधीय
गुणों
एवं
प्रवाह
मार्ग
से
जुड़े
कारणों
के
अध्ययन
का
दायित्व
राष्ट्रीय
पर्यावरण
इंजीनियरिंग
शोध
संस्थान
(निरी)
को
सौँपा
गया
था,
जिसे
यह
अध्ययन
शीतकालीन,
पूर्व
मानसून
और
उत्तर
मॉनसून
मौसम
यानि
तीन
चरणों
में
पूरा
करना
था।
इस
अध्ययन
एवं
अनुसंधान
परियोजना
में
गंगा
जल
के
विशेष
गुणधर्मों
के
स्रोतों
को
पहचानने
की
प्रक्रिया
थी।
इसलिए बढ़ा अध्ययन का दायरा
मंत्रालय के अनुसार
गंगाजल
में
'सड़न
न
होने
के
गुणों'
पर
अखिल
भारतीय
आयुवर्ज्ञिान
संस्थान
(एम्स)
नई
दिल्ली
में
आयोजित
एक
कार्यशाला
में
केंद्रीय
स्वास्थ्य
मंत्री
जेपी
नड्डा
ने
कहा
था
कि
आज
विश्व
में
अनेक
प्रकार
के
नए
और
अधिक
शक्तिशाली
दवा
प्रतिरोधी
बैक्टीरिया
और
जीवाणुओं
के
विरुद्ध
लड़ाई
बढ़ती
ही
जा
रही
है।
ऐसा
अध्ययन
किए
जाने
की
जरुरत
है
जिसके
माध्यम
से
गंगाजल
के
ऐसे
विशिष्ट
गुणों
का
पता
लगाने
और
उनकी
पड़ताल
करने
में
मदद
मिले
कि
किस
प्रकार
गंगाजल
न
केवल
अपने
में
मौजूद
कीटाणुओं
और
रोगाणुओं
को
नष्ट
करके
स्वयं
को
स्वच्छ
कर
लेता
है,
बल्कि
दूसरे
जल
को
भी
साफ
कर
देता
है।
इस
कथन
को
गंभीरता
से
लेते
हुए
मंत्रालय
ने
इसके
अध्ययन
को
आगे
बढ़ाने
का
फैसला
किया।
केंद्रीय जल संसाधन,
नदी
विकास
और
गंगा
संरक्षण
मंत्री
सुश्री
उमा
भारती
ने
कहा
कि
जल
संसाधन
प्रबंधन
के
लिए
भारत
और
इजराइल
के
मध्य
दोनों
देशों
के
बीच
सहयोग
के
क्षेत्रों
का
पता
लगाने
के
लिए
एक
संयुक्त
कार्य
समूह
का
जल्द
ही
गठन
किया
जाएगा।
दरअसल
बुधवार
को
इजरायल
के
राजदूत
डैनियल
कार्मन
ने
नई
दिल्ली
में
सुश्री
उमा
भारती
से
भेंट
की
और
इस
दौरान
ऐसे
समूह
के
गठन
करने
का
सुझाव
पर
सहमति
व्यक्त
की
गई।
इज़राइल जल
प्रबंधन
के
क्षेत्र
में
अग्रणी
है
और
भारत
उसका
शोधित
जल
का
उपयोग,
पीएमकेएसवाई
और
शोध
व
अनुसंधान
के
क्षेत्र
में
सहयोग
तथा
कर्मियों
का
प्रशिक्षण
आपसी
सहयोग
के
कुछ
अन्य
क्षेत्र
में
मददगार
साबित
हो
सकता
है।
इजराइल
के
राजदूत
ने
कहा
कि
वाराणसी
में
गंगा
पर
अपशिष्ट
जल
उपचार
की
एक
पायलट
योजना
प्रारंभ
की
जा
सकती
है।
गौरतलब
है
कि
गत
नवंबर
2016 में
भारत
और
इजराइल
के
बीच
जल
संसाधन
प्रबंधन
और
विकास
के
क्षेत्र
में
राष्ट्रीय,
क्षेत्रीय
और
अंतर्राष्ट्रीय
स्तरों
पर
सहयोग
एक
समझौता
ज्ञापन
पर
हस्ताक्षर
किये
गये
थे।
03Aug-2017
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