शनिवार, 12 अगस्त 2017

हंगामे के बावजूद संसद में हुआ ज्यादा काम

तेरह विधेयकों पर लगी संसद की मुहर, कई महत्वपूर्ण बिल अटके
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के मानसून सत्र के दौरान हर दिन किसी न किसी मुद्दे पर हंगामा होने के बावजूद ज्यादा कामकाज किया गया है। संसद में कुल तेरह विधेयक उस अंजाम तक पहंचे, जिन्हें दोनों सदनों की मंजूरी मिल सकी है। इस सत्र के दौरान लोकसभा में 14 और राज्यसभा में नौ विधेयक पारित किये गये। दोनों सदनों में कुछ सामयिक और महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा भी हुई है।
संसद के मानसून सत्र में 19 बैठकों के लिए केंद्र सरकार ने 16 नये विधेयकों के साथ कुल 34 विधेयकों को सूचीबद्ध किया था, लेकिन इस सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में ही आए दिन विपक्ष के किसी ने किसी मुद्दे पर हंगामे के बावजूद सरकार ने इस सत्र का सार्थक करार दिया है। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने मानसून सत्र के दौरान हुए कामकाज की जानकारी देते हुए बताया कि इस सत्र के दौरान लोकसभा में 17 विधेयक पेश किये गये, जिनमें से 14 विधेयकों को पारित किया गया। जबकि राज्यसभा में केवल नौ विधेयक पारित किये जा सके हैं। इस सत्र के दौरान 13 विधेयक पर दोनों सदनों की मुहर लगी है, जिनमें एक-दूसरे सदन में लंबित विधेयक भी शामिल हैं। इस सत्र से पहले ऐसे लोकसभा में 21 और राज्यसभा में 42 विधेयक लंबित थे। जहां तक दोनों सदनों के कामकाज का सवाल है उसमें लोकसभा में 77.94 और राज्यसभा में 79.95 प्रतिशत काम हुआ, जबकि हंगामे के कारण लोकसभा में करीब 30 घंटे का समय बर्बाद हुआ और इसकी भरपाई के लिए सदन की कार्यवाही को 10.36 घंटे अतिरिक्त चलाई गई। जबकि राज्यसभा में 25 घंटे से ज्यादा के समय की बर्बादी हुई और सात घंटे अतिरिक्त समय तक कार्यवाही हुई। इसके अलावा दोनों सदनों में विदेश नीति, मॉब लिंचिंग, कृषि, बाढ़, राज्यसभा में नोटा, अल्पसंख्यकों व दलित अत्याचारों आदि मुद्दो पर सार्थक चर्चा की गई।
इन विधेयकों को मिली संसद की मंजूरी
संसद के दोनों सदनों में फुटवियर डिजाइन एंड डेवलेपमेंट विधेयक, नावधिकरण समुद्री दावा की अधिकारिता और निपटारा विधेयक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान (द्वितीय संशोधन) विधेयक, सांख्यिकी संग्रहण (संशोधन) विधेयक, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी) विधेयक, निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकारी (संशोधन) विधेयक, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) विधेयक, बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक, विनियोग (संख्या 3) और विनियोग (संख्या 4) विधेयकों के अलावा एकीकृत (जम्मू-कश्मीर पर विस्तारण)  विधेयक, केंद्रीय जीएसटी (जम्मू-कश्मीर पर विस्तारण)  विधेयक  तथा पंजाब नगर निगम विधि (चंडीगढ़ पर विस्तारण)संशोधन  विधेयक  पारित हुए। इन पारित विधेयकों में कुछ विधेयक पहले से ही एक-दूसरे सदन में लंबित भी थे, जिन्हें अब लागू करने के लिए राष्ट्रपति के समक्ष ले जाया जाना है। 
यहां अटकी सरकार
देश की परिवहन व्यवस्था में बदलाव वाले लोकसभा से बजट सत्र में ही पारित हो चुके नये मोटर वाहन अधिनियम (संशोधन) विधेयक को राज्यसभा में एक बार फिर से पारित नहीं कराया जा सका, जिसे विपक्ष की मांग पर सदन की प्रवर समिति के सुपुर्द कर दिया गया है। इसी प्रकार पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले महत्वपूर्ण विधेयक पर सरकार राज्यसभा में मत विभाजन में पिछड गई। इसी प्रकार कंपनी (संशोधन) विधेयक भी राज्यसभा में लगातार सूचीबद्ध रहने के बावजूद पारित नहीं हो सका।
इसलिए खास रहा मानसून सत्र
संसद के इस मानसून सत्र को इसलिए भी खास माना जा रहा है, कि आजादी के 70 साल में पहली बार संसद के दोनों सदनों में नौ अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा हुई। यही नहीं दोनों सदनों में आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में नवभारत निर्माण के लिए सिद्धी संकल्प पारित किया गया है, जिसमें अगले पांच साल में गरीबी, भ्रष्टाचार, जातिवाद, आतंकवाद समाप्त करने के साथ स्वच्छता के लिए संकल्प शामिल है। वहीं इस सत्र के दौरान देश को नये राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद और नए उप राष्ट्रपति के रूप में एम. वेंकैया नायडू मिले हैं।
बसपा सुप्रीमो का राज्‍यसभा से इस्‍तीफा
राज्यसभा में 18 जुलाई को बसपा सुप्रीमो की नाराजगी और गुस्‍सा में दिया गया इस्तीफा भी इस सत्र का एक अपवादित घटना है। मायावती ने पीठ पर शोषितों, मजदूरों, किसानों और खासकर दलितों के उत्पीड़न पर न बोलने देने का आरोप लगाते हुए  राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था, जिसे मंजूर कर लिया गया।
35 करोड़ रुपये का नुकसान
संसद के 17 जुलाई से 11 अगस्त तक चले मानसून सत्र में यदि हंगामे के कारण समय बर्बादी में आर्थिक नुकसान की बात की जाए तो साप्ताहिक छुट्टियां और राष्ट्रीय अवकाशों को छोड़कर इस दौरान दोनों सदनों में हुए समय की बर्बादी का हिसाब लगया जाए तो एक मिनट में 29 हजार रुपये के खर्च के अनुसार इन दिनों में करीब 34.46 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है।
12Aug-2017

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