चार साल
में पांच दलों को मिला 11 सौ करोड़ का चंदा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश की
सियासत में खासकर राष्ट्रीय दलों को कारपोरेट घरानों से चंदा लेने की होड़ में अभी
भी भाजपा और कांग्रेस अन्य दलों के मुकाबले काफी आगे हैं। वर्ष 2012-13 से 2015-16
के दौरान चार सालों में पांच राष्ट्रीय दलों की मिले चंदे की करीब 11 सौ करोड़ में
89 फीसदी चंदा कारपोरेट घरानों से प्राप्त हुआ है। हालांकि इन चार सालो के बीच
कारपोरेट चंदे में 86.58 फीसदी की गिरावट देखी गई है।
चुनाव आयोग
को राष्ट्रीय दलों द्वारा सौंपे गये आय-व्यय के ब्यौरे का विश्लेषण करते हुए यह
खुलासा चुनाव सुधार में सक्रिय गैर सरकारी संगठन डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के लिए एसोसिएशन
ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय दलों को वर्ष वर्ष 2012-13
से 2015-16 के दौरान कारपोरेट घरानों से मिले चंदे का विवरण दिया है, जिसमें पांच
राष्ट्रीय दलों भाजपा, कांग्रेस, राकांपा, सीपीएम और सीपीआई को इन चार सालों के
दौरान 20 हजार रुपये से ज्यादा के चंदे में कुल 1070.68 करोड़ रुपये की धनराशि
मिली है, जिसमें 956.77 करोड़ रुपये यानि 89 फीसदी देश के नामी कारपोरेट घरानों से
मिली है। हालांकि राष्ट्रीय दलों में बसपा भी शामिल है, लेकिन बसपा ने 20 हजार से
ज्यादा किसी चंदे मिलने से इंकार किया है। बाकी पांच दलों को मिले इस चंदे में 2014
के लोकसभा चुनावी वर्ष के दौरान सबसे ज्यादा 60 फीसदी ज्यादा चंदा मिला है।
किस दल को कितना मिला चंदा
इन चार
सालों के दौरान पांच राष्ट्रीय दलों में सबसे ज्यादा 705.81 करोड़ रुपये का चंदा
2987 कारपोरेट और व्यापारिक घरानों से भाजपा को मिला है, जबकि 167 कारपोरेट घरानों
से मिले 198.16 करोड़ रुपये के चंदे के साथ कांग्रेस दूसरे पायदान पर है। इसके बाद
राकांपा को 40 कारपोरेट घरानों से 50.73 करोड़ रुपये, सीपीएम को 45 कारपोरेट
घरानों से 1.89 करोड़ रुपये तथा सीपीआई को 17 कारपोरेट घरानों से सबसे कम 18 लाख
रुपये का चंदा हासिल हुआ है। इस चंदे समेत अन्य स्रोतों से मिले चंदे को मिलाकर इन
पांचों दलों को प्राप्त हुए कुल 1070.68 करोड़ रुपये में सबसे ज्यादा 768.25 करोड़
रुपये भाजपा, 233.18 करोड़ रुपये कांग्रेस, 53.60 करोड़ रुपये राकांपा, 11.14
करोड़ रुपये सीपीएम तथा 4.51 करोड़ रुपये सीपीआई ने घोषित किये हैं।
किस साल कितना मिला चंदा
राजनीतिक
दलों के चंदे में वित्तीय वर्ष 2012-13 के मुकाबले वर्ष 2015-16 में कारपोरेट
घरानों से मिलने वाले चंदे में कमी दर्ज की गई है। जहां इन पांचों दलों को वर्ष
2012-13 में व्यापारिक घरानों से 82.04 करोड़ रुपये का चंदा मिला था, वहीं वर्ष 2015-16
में यह घटकर 76.94 करोड़ रह गया है। हालांकि वर्ष 2013-14 के दौरान इन दलों को
कारपोरेट घरानों से 224.61 करोड़ रुपये का चंदा मिला था तो अगले वित्तीय वर्ष
2014-15 के दौरान सर्वाधिक 573.18 करोड़ का चंदा कारोबारियों से मिला था। यदि
लोकसभा चुनावी वर्ष 2014-15 में मिले कारपोरेट चंदे की तुलना वर्ष 2015-16 में
मिले चंदे से की जाए तो इसमें 86.58 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
किस उद्योग घराने ने दिया चंदा
राष्ट्रीय
राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग को चंदे के स्रोत की दी गई जानकारी के अनुसार प्रमुख
उद्योग घरानों में सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट सामने आया है, जिसने पिछले तीन सालों
में 35 दानों के जरिए भाजपा, कांग्रेस और राकांपा को 260.87 करोड़ का दान दिया है।
जबकि सीपीएम और सीपीआई ने सबसे ज्यादा दान ऐसासिएशन या यूनियनों से मिलने की बात
कही है। सीपीएम ने 7 अलग-अलग यूनियनों से 1.09 करोड़ तथा सीपीआई ने 15 यूनियनों से
14.64 लाख रुपये का चंदा मिलने की जानकारी चुनाव आयोग को दी है। इसके अलावा इन
राष्ट्रीय दलों ने देश के विभिन्न उद्योग घरानों से चंदा लेने का विवरण भी आयोग को
दिया हुआ है।
18Aug-2017
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें