शनिवार, 26 अगस्त 2017

सरकार की उड़ान योजना में होगा बदलाव

क्षेत्रीय हवाई संपर्क को आसान बनाया जाएगा
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की आम आदमी को हवाई यात्रा कराने के इरादे से चलाई जा रही क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना उड़ान में बदलाव करने का ऐलान करते हुए इस योजना में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए आरसीएस के तहत हेलीकॉप्टर संचालित करने का भी निर्णय लिया है।
नई दिल्ली में गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना उड़ान में बदलाव करते हुए हेलिकॉप्टर परिचालकों के लिए परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिए मदद (वायबिलिटी गैप फंडिंग) बढ़ाने का ऐलान किया। वहीं छोटे विमानों को भी इस योजना के तहत संचालन की अनुमति देते हुए क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना में सुधार लाने की बात कही। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना-उडान गत 15 जून 2016 को नागर विमानन मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय नागर विमानन नीति का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसमें आम लोगों के लिए सस्ती विमानन सेवा क्षेत्रीय एयर कनेक्टिविटी को सुविधाजनक बनाने के मकसद से पिछले साल अक्टूबर पहली उडान शुरू की थी। इस पहले दौर की योजना की सार्थकता को देखते हुए अब सरकार ने कुछ बदलाव करते हुए दूसरे दौर की बोली शुरू की है। राजू ने कहा कि इस वर्ष सितंबर के अंत तक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना-उडान के पहले दौर के तहत कुल 29 अनवरत या अन्तर्गत एयरपोर्टों को जोड़ा जाएगा। इसमें से 8 अब तक जुड़ चुके हैं तथा 21  और जल्द ही जुड़ जाएंगे। पहले दौर के तहत जुड़ने वाले 43 अनवरत/ अन्तर्गत एयरपोर्टों में से शेष 14 एयरपोर्ट उन्नयन की प्रक्रिया में हैं। सिन्हा ने आगे कहा कि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को जोड़ने और इसकी नई लचीलापन सुविधाओं के कारण, उडान का दूसरा दौर पहले दौर की तुलना में ज्यादा सही साबित होगा।
पहाड़ी क्षेत्रों में योजना का विस्तार
अशोक गजपति राजू ने कहा कि दूसरे दौर में पूर्वोत्तर और पहाड़ी क्षेत्रों जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, के अलावा अंडमान और निकोबार द्वीप-समूह और लक्षद्वीप जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता देने के मकसद से परिचालन में लचीलापन तथा हेलीकॉप्टर सेवा की शुरूआत कर हवाई संपर्कता (कनेक्टिविटी) में सुधार लाने पर जोर रहेगा। ऐसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए वीजीएफ के साथ अधिकतम उड़ानों को बढ़ाकर 14 किया जा रहा है। उन्होंने हुए कहा कि उडान योजना में दूसरे दौर के लिए यह बदलाव पिछले चार महीनों में सभी हितधारकों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद किया गया है। उन्होंने बताया कि महत्वपूर्ण परिवर्तनों के तहत 150 किलोमीटर से कम लंबाई के वायु मार्गों को निश्चित विंग विमानों के माध्यम से आरसीएस रूट के रूप में संचालन के लिए अनुमति दी जाएगी। बेहतर हवाई कनेक्टिविटी प्रदान करने और नेटवर्क के निर्माण को कम करने के मकसद से जल्द ही संबंधित आरसीएस मार्ग पर संचालन के लिए चुनिंदा एयरलाइन ऑपरेटर (एसएओ) अन्य एयरलाइन ऑपरेटरों को तीन साल की अवधि के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) जारी कर सकता है।
25Aug-2017

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