मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

हरियाणा में छह साल में तेजी से बढ़ा साइबर अपराध, नतीजा शून्य

साइबर अपराधियों पर नकेल कसना बड़ी चुनौती? राज्य में दर्ज हुए 2262 मामले, दोषसिद्ध पाए गये 47 आरोपी ओ़ पी़ पाल़ रोहतक। हरियाणा में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए पिछले साल 13 अगस्त को हरियाणा के पुलिस महानिदेशक मनोज यादव ने हर जिले में साइबर रिस्पांस सेंटर स्थापित करके साइबर सेल को मजबूत बनाने का दावा किया था। हरियाणा पुलिस के साइबर अपराधों पर शिकंजा कसने के दावों के विपरीत पिछले छह साल के साइबर अपराधों के बढ़ते आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि साइबर अपराधों की चुनौती से निपटना आसान नहीं है। मसलन राज्य में पिछले छह साल में 2262 मामले दर्ज किये गये, लेकिन एक भी मामले का निपटान नहीं किया सका है। देश में डिजिटल भारत के बढ़ते कदमों के साथ तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने की दिशा में केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत राज्य सरकारें भी साइबर अपराध पर शिकंजा कसने के भरकस प्रयास कर रही हैं। ऐसे ही हरियाणा राज्य सरकार भी भारतीय साइबर अपराध से निपटने के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के अलावा साइबर थानों की स्थापना करने में जुटी है। मसलन जब देश डिजिटल दुनिया में सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन शॉपिंग, डेटा स्टोर करना, गेमिंग, ऑनलाइन स्टडी, ऑनलाइन जॉब जैसी गतिविधियां की पटरी पर हैं, तो उससे कहीं ज्यादा रफ्तार से डिजिटलीकरण में साइबर अपराधों की अवधारणा विकसित हो रही है, जिससे निपटने की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। केंद्रीय गृहमंत्रालय के हाल ही में नौ फरवरी को संसद के बजट सत्र में पेश किये एनसीआरबी आधारित आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में साइबर अपराधों पर नजर डाली जाए तो राज्य में वर्ष 2014-19 के दौरान छह साल में साइबर अपराध के 2262 मामले दर्ज किये गये, जिनमें 749 आरोपपत्रित मामलों में 1140 लोगों आरोपित हुए। इनमें से 39 दोषसिद्ध मामले पाए गये, जिसमें 47 आरोपियों पर दोषसिद्ध हुआ। इन छह साल में साइबर अपराध करने के आरोप में कुल 1259 लोगों की गिरफ्तारी की गई। हरियाणा पुलिस ने इन छह सालों में कुल दर्ज किये गये मामलों में 2006 मामलों को विचारण के लिए रखा, लेकिन एक भी मामले का अब तक निपटान नहीं किया गया है। राज्य में जहां वर्ष 2014 में साइबर अपराध के 151 मामले दर्ज किये गये थे, वहीं यह संख्या साल दर साल बढ़ते हुए वर्ष 2019 में 564 हो गई। ------ मजबूत होंगे हरियाणा के साइबर सेल----- हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में पुलिस रेंज स्तर पर छह साइबर की स्थापना की मंजूरी देने के बाद 13 अगस्त 2020 को हरियाणा के पुलिस महानिदेशक मनोज यादव ने मौजूदा साइबर सेल को मजबूत करने के लिए राज्य के हर जिले में साइबर रिस्पांस सेंटर स्थापित करने के फैसला लिया था। पुलिस महानिदेशक मनोज यादव का दावा है कि इस फैसले से प्रदेश में उस साइबर क्राइम पर लगाम कसने में ज्यादा मदद मिलेगी, जिसमें पिछले कुछ समय से साइबर क्राइम में सामने आ रहे नए प्रचलन पुलिस के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। डीजीपी मनोज यादव का कहना था कि साइबर रिस्पांस सेंटर डिजिटलीकरण और तेजी से आधुनिकीकरण के कारण उभरती चुनौतियों के बढ़ते खतरों के मद्देजन मौजूदा साइबर सेल को सुदृढ़ कर बनाए जाएंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि बैंक धोखाधड़ी, भुगतान गेटवे का मिसयूज, फेसबुक, ट्विटर आदि सहित साइबर संबंधी सभी शिकायतों का इन केंद्रों के माध्यम से निपटान किया जाएगा। ------------------------------ क्या है हरियाणा सरकर की योजना---- पिछले करीब छह साल में हरियाणा में जिस प्रकार साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, उसके मद्देनजर राज्य सरकार ने पिछले साल पंचकूला और गुरुग्राम में चल रहे मौजूद दो साइबर पुलिस थानों के अतिरिक्त रेंज स्तर पर रोहतक, हिसार, करनाल, अंबाला, रेवाड़ी और फरीदाबाद में छह सइबर थानों की स्थापना के लिए मंजूरी थी थी, जिनमें से हाल ही में रेवाड़ी में नया साइबर थाना शुरू कर दिया गया है। इन थानों को शुरू करने का मकसद हरियाणा पुलिस के साइबर अपराध पर शिकंजा कसने के नेटवर्क को मजबूती देना है। इस योजना से साइबर जालसाजों को रोकने व अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने में मदद मिल सकेगी। साइबर थानों की विशेषता यह होगी कि इनमें पुलिस स्टॉफ के अलावा साइबर विशेषज्ञ भी तैनात रहेंगे। दरअसल देश में बढ़ते डिजिटल युग में साइबर अपराध भी सिर चढ़कर बोल रहा है और साइबर अपराधी या जालसाजों ने लोगों को मोबाइल कॉल, संदेश या अन्य तौर तरीकों से उनके बैंक अंकाउंट से जमा धन चंद मिनटों में गायब कर देते है। वहीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए पर राजनेताओं के अलावा प्रमुख हस्तियों के फर्जी प्रोफाइल को हैक करने के मामले लगातार आ रहे हैं। यही नहीं कई ऑनलाइन स्कैमर्स लोगों से पैसे ऐंठने के लिए मशहूर हस्तियों के फर्जी अकांउट्स का उपयोग कर रहे हैं और सरकार की ऑनलाइन योजनाओं पर भी फर्जी तरीके से पंजीकरण के नाम पर धन ऐंठने में भी साइबर अपराधी पीछे नहीं हैं। ----------------- महिलाओं व बच्चों के प्रति साइबर अपराधों पर अंकुश का प्रयास----- केंद्र सरकार ने पिछले साल जनवरी में खासतौर से महिलाओं, बच्चों, विशेष रूप से बाल पोर्नोग्राफी, बाल यौन शोषण सामग्री, रेप/गैंग रेप से संबंधित ऑनलाइन सामग्री, आदि के खिलाफ अपराधों पर विशेष ध्यान देने के साथ सभी साइबर अपराधों को दर्ज करने और व्यापक और समन्वित तरीके से तमाम साइबर अपराधों से निपटने की योजना की दिशा में नई दिल्ली में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित करके राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल शुरू किया था। इस योजना में नेशनल साइबर क्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट, नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल, नेशनल साइबर क्राइम ट्रेनिंग सेंटर, साइबर क्राइम इकोसिस्टम मैनेजमेंट यूनिट, नेशनल साइबर क्राइम रिसर्च एंड इनोवेशन सेंटर, नेशनल साइबर क्राइम फॉरेंसिक लैबोरेट्री ईको सिस्टम और प्लेटफॉर्म फॉर ज्वाइंट साइबर अपराध जांच दल जैसे सात घटक हैं। यह पोर्टल एक नागरिक-केंद्रित पहल है जो पोर्टल के माध्यम से नागरिकों को साइबर अपराधों की ऑनलाइन रिपोर्ट करने में सक्षम बनाएगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल पर हरियाणा समेत करीब डेढ़ दर्जन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में क्षेत्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। सभी साइबर अपराध से संबंधित शिकायतों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए एक्सेस उपलब्ध है।------- थानों में साइबर विशेषज्ञों की टीम, केस सुलझाने में इंप्रूवमेट होगा--- साइबर अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने के मकसद से ही हरियाणा में साइबर थाने, नेशनल साइबर क्राइम ट्रेनिंग सेंटर खोले जा रहे हैं। थानों में विशेषज्ञ पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों की ही तैनाती की जा रही है, इससे पहले उन्हें तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। हमारा प्रयास रहेगा कि गुगल और सोशल मीडिया से बेहतर समन्वय बने। इसका लाभ ये होगा कि साइबर क्राइम से जुड़े केस सुलझाने में मदद मिलेगी। अब तक के साइबर अपराधों के निपटान की बात की जाए तो कई केस ऐसे हैं जिनमें तकनीकी उलझनें इतनी हैं कि केस सुलझाना आसान नहीं। ऐसा भी नहीं कहा जा सकता कि साइबर अपराधों का निपटान नहीं हो पा रहा है। जिस प्रकार से तकनीकी विकसित करने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किए जा रहे हैं और साइबर विशेषज्ञों से लैस साइबर थाने खोले जा रहे हैं, तो ज्यादा मामले दर्ज होंगे। थाने खुलने से साइबर क्राइम के केस सुलझाने में इंप्रूवमेंट होगा। आधुनिक तकनीक से ज्यादा से ज्यादा मामलों का निपटान होगा। -संदीप खिरवार, (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, रोहतक रेंज) --------------------------------------- हरियाणा: आंकड़ों में साइबर अपराध --------------------- ------------------------2014--2015---2016----2017---2018---2019---=(2014-19) दर्ज मामले-सीआर 151 224 401 504 418 564= 2262 आरोपपत्रित मामले-सीसीएस 62 87 98 130 184 188= 749 दोष सिद्ध मामले-सीओएन 3 2 12 11 5 6= 39 निपटाए गये मामले-सीडीएस 0 0 0 0 0 0= 00 बरी किये गये मामले-सीएक्यू 35 24 33 77 34 40= 243 वर्षांत मे विचारण हेतु लंबित मामले-सीपीटीईवाई 150 211 263 318 461 603= 2006 गिरफ्तार व्यक्ति-पीएआर 121 205 148 211 260 314= 1259 आरोपपत्रित व्यक्ति-पीसीएस 101 189 113 197 252 288= 1140 दोषसिद्ध व्यक्ति-पीसीवी 4 2 14 12 5 10= 47 ----------- 22Feb-2021

साक्षात्कार: इंटरनेट के युग में भी कम नहीं होगा लोक साहित्य का महत्व

साहित्यक माहौल और लोक संस्कृति लुप्त होने के कगार पर
व्यक्तिगत परिचय
नाम: डॉ. पूर्णचन्द शर्मा
जन्म: एक दिसम्बर 1946
जन्म स्थान: गांव किरोड़ी, जिला हिसार
शिक्षा: बीए, एमए, पीएचडी
संप्रत्ति:सेवानिवृत्त प्रोफेसर (हिंदी विभाग), एमडीयू रोहतक
साक्षात्कार-ओ.पी. पाल 
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा हाल ही में वर्ष 2017 के लिए महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना पुरस्कार के लिए चयनित रोहतक निवासी सेवानिवृत्त प्रोफेसर डा. पूर्ण चन्द शर्मा को इससे पहले अनेक सम्मान मिले, जिनमें पण्डित माधव प्रसाद मिश्र और पण्डित लखमीचंद प्रमुख बड़े पुरुस्करों में शामिल हैं। साहित्य के क्षेत्र में प्रख्यात डा. पूर्ण चन्द शर्मा ने हरियाणा की सभ्यता, संस्कृति, भाषा, सामाजिक रीति रिवाज और परंपराओं को लोकगीत, लोकनाट्य, काव्य, सांग, कथाओं, कहानियों तथा अन्य अध्ययनों के रुप में लोक साहित्य के माध्यम से हरियाणवी माला में पिरोया है। आज के इस आधुनिक वैज्ञानिक युग में लोक साहित्य को खासकर नई पीढ़ी में किस प्रकार से प्रासांगिक और प्रेरणा दायक बनाया जाए, ऐसे ही पहलुओं को लेकर हरिभूमि से खास बातचीत में डा. पूर्ण चन्द शर्मा ने बदलते युग और सामाजिक परिवेश में खत्म होते जा रहे साहित्यक माहौल को पुनर्जीवित करने के लिए 'जिंदगी के गद्य में कुछ छंद लाओ,भेजकर वायुयानों को गगन में शुष्क से इस पुष्प में मृकंद लाओ' के रूप में बल दिया, जिसका सार इस प्रकार है:- 
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किसी पोष्टिक आहार से कम नहीं है लोक साहित्य 
डा. शर्मा ने कहा कि लोक साहित्य को कच्चे दूध की तरह पोष्टिक आहार करार देते हुए कहा कि शास्त्रीय साहित्य की उत्पत्ति भी लोक साहित्य से ही हुई है। उन्होंने इस वैज्ञानिक युग में बढ़ते भौतिकवाद के दौर में युवाओं को साहित्य के प्रति प्रेरित करने के लिए साहित्य और संस्कृति को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर बल दिया। उनका मानना है कि विज्ञान और इंटरनेट भी इस आधुनिक युग में जरुरत है, लेकिन इसके इस्तेमाल करने का तरीका गलत रूप में ज्यादा किया जा रहा है, जिसके कारण विकृतियां ज्यादा पनप रही हैं और चरित्र का ह्रास हो रहा है। सबसे बडा बदलाव तो यह हुआ है कि पहले माहौल में साहित्य की शुरूआत बुजुर्गो से होती थी, जब वे लोरिया, कहानियां, चुटकले सुनाकर सामाजिक सभ्यता व संस्कृति की मिसाल थे। वहीं इस वैज्ञानिक युग के बढ़ते प्रभाव के साथ ही संयुक्त परिवार प्रथा खत्म होने कारण भी साहित्यक माहौल और लोक संस्कृति लुप्त होने का बड़ा कारण है। जब तक उच्च कोटि की शिक्षा और शिक्षकों को प्रोत्साहित नहीं किया जाता, तब तक देश के उत्थान और युवाओं को लोक ज्ञान के लिए साहित्य के प्रति विकसित करना संभव नहीं है। हरियाणा लोक साहित्य व भाषा के विकास के लिए भी सरकार के प्रयास चल रहे हैं, लेकिन हरियाणवी लोक साहित्य व लोक संस्कृति को बढ़ावा मिलना चाहिए उतना नहीं मिल पा रहा है। इसलिए हरियाणवी संस्कृति का ह्रास का कारण बढ़ती भौतिकवादिता ही है। 
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पुस्तकों का महत्व कम नहीं होगा
वैश्विक इंटरनेट युग में मुद्रित पुस्तकों पर प्रभाव को लेकर साहित्यकार डा. पूर्ण चंद शर्मा कहते हैं कि इस कंप्यूटर युग में प्रमाणिक पुस्तकें और पुरानी किताबे नहीं मिलेगी, जिसकों अपलोड किया जाता है गूगल भी उसे ही प्रदर्शित करेगा। जबकि हमारे जीवन में पुस्तकों का बहुत महत्व है, पुस्तकें ज्ञान का भंडार हैं। वे हमारी सब से अच्छी मित्र हैं। मानव दुनिया में आते और जाते रहते हैं, लेकिन उनका कार्य, विचार, ज्ञान, संस्कृति पुस्तकों में हमेशा के लिए इतिहास के रूप में रहता है। यही कारण है कि पुस्तकों का महत्व कभी कम नहीं हुआ है। जहां तक ई-पुस्तक और और मुद्रित पुस्तक को लेकर चर्चा की जाए तो कुछ तो फर्क पड़ रहा है, लेकिन इससे मुद्रित पुस्तकों की महत्ता को कम नहीं आंका जा सकता और न ही प्रकाशित पुस्तकों के महत्व कम हुआ है। इसका कारण साफ है कि सदैव कालजयी रहने वाली पुस्तकों को यदि भाषा का लोप न हुआ हुआ हो, तो सैकड़ों वर्षो बाद भी पुस्तकों को सरलता से पढ़ा जा सकता है। जबकि ई-पुस्तकों के साथ अपनी अलग तकनीकी समस्या है। यह मूल रूप से डिजिटल फॉरमेट के कारण उस वक्त की तकनीक पर निर्भर करता है। आंकड़े कुछ भी कहते हों, पर प्रकाशित पुस्तकों का अस्तित्व और आकर्षण बढ़ा है और आने वाले दिनों में भी बना ही रहेगा। मेरा मानना है कि पुस्तकों का अपना एक अलग महत्व होता है। चाहे कितना भी इंटरनेट की बात कर ली जाए, पुस्तकों का महत्व कम नहीं होगा। हां यह जरूर है कि कंप्यूटर के युग में जहां हर कार्य इंटरनेट से सुलभ है। गूगल की मदद से आज कोई भी पुस्तक इंटरनेट पर पढ़ी जा सकती है, लेकिन वास्तविक रूप से पुस्तकों का क्रेज आज भी बरकरार है। यह बात जरूर है कि नई पीढ़ी इससे थोड़ी दूरी बना रही है। साहित्यकारों को साहित्य सृजन के साथ नई पीढ़ी को भी जोड़े रखना होगा, जो पुस्तकों को समझ लें, उनका जीवन संवर जाता है, इसलिए आधुनिक तकनीक के साथ हर वर्ग को पुस्तकें पढ़नी चाहिए। 
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साहित्यक उपलब्धय
हरियाणा को साहित्य क्षेत्र में पांच प्रख्यात सम्मानित पुरस्कार लेकर हरियाणा को रोशन करने वाले प्रख्यात साहित्यकार डॉ. पूर्णचंद्र शर्मा का जन्म एक दिसम्बर 1946 को जिला हिसार के गांव किरोड़ी में एक साधारण किसान पण्डित चिरंजी लाल के घर में हुआ। आर्थिक तंगी में बीते बचपन में बाल विवाह होने के कारण ग्रहस्थी चलाने के लिए पढ़ाई छोडकर नौकरी करनी पड़ी, लेकिन परिश्रमी और मेधावी क्षमता पूर्ण चन्द शर्मा के शिक्षा और अध्ययन के जज्बे को नहीं डिगा सकी। नतीजन छात्र ने अपने पढ़ने की जिद को बनाए रखा और नौकरी करते-करते बीए, एमए और फिर पीएचडी करके वे प्रोफेसर के पद तक पहुंचे। उनकी साहित्य साधना तो छात्र जीवन में शुरू हो गई थी, जिनके लेख, कविताएं एवं कहानियां जैसी रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। इसके बाद साहित्य के क्षेत्र में उनका यह सिलसिला निरन्तर चलता ही रहा और वे अब तक उनकी 27 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। उनकी पांच पुस्तकों को बड़े पुरस्कार मिले हें। डा. शर्मा का पहला शोध प्रबन्ध 1983 में हरियाणा की लोकधर्मी नाट्य-परम्परा हरियाणा साहित्य अकादमी ने प्रकाशित किया। इनकी तीन पुस्तकें लोक संस्कृति के क्षितिज, हरियाणा की बोलियों का अध्ययन तथा संस्कृति के स्तम्भ हरियाणा साहित्य अकादमी से प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं। इनके अलावा हरियाणवी साहित्य और संस्कृति, अनोखा स्वयंवर, माटी के स्वर, पंडित लक्ष्मीचंद ग्रंथावली, सांगाष्टक, माटी का सरगम, लोकगीतों की अस्मिता, लोकगीतों की गूंज, हरियाणा के लोक कलाकार, पंडित मांगे राम ग्रंथावली, लोक रंग मंच: एक परिशीलन इनकी अन्य बहु चर्चित पुस्तकें है। डा. शर्मा अब तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के तत्वावधन में तीन बृहत शोध परियोजनाएं पूरी कर चुके है, जिसके लिए उन्हें पर्याप्त ग्रांट दी जा रही है। एमडीयू के हिंदी विभाग से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. पूर्ण चंद शर्मा अब तक 20 युवाओं को पीएचडी और 30 को एमफिल करवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम पक्के इरादे से अपने लक्ष्य को ठान लें और सही राह पर चल पड़ें तो हर सपना पूरा हो सकता है। सेवानिवृत्ति के बाद वे अपना पूरा समय लेखन और युवाओं में सांस्कृतिक मूल्यों के विकास को दे रहे हैं। --22Feb-2021

एशिया की एकजुटता: चुनौतियों से निपटना जरुरी

एशियाई एकीकरण में चुनौतियों से निपटना जरुरी -वेद प्रताप वैदिक, विदेश मामलों के जानकार एशियाई देशों के एकीकरण यानि एकजुटता और इसके लिए आड़े आ रही चुनौतियों से निपटना पूरी तरह से संभव है। शायद इसी अरसे से चल रही इस मुहिम को तेज करने के लिए ही हाल ही में दस पड़ोसी देशों के साथ कोविड को लेकर कार्यशाला में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह संदेश दिया, कि 21वीं सदी एशिया की सदी होगी। इसमें पीएम ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जिस प्रकार से एशियाई देशों ने एकजुटता दिखाई है वह इस बात को साबित करती है कि एशियाई एकीकरण संभव है। पीएम मोदी ने ही नहीं, बल्कि इससे पहले एशियाई देशों में सहभागिता और भरोसा रखने के उपायों पर 1999 में सदस्य बनते ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इस एकजुटता के लिए पहल शुरू की थी। एशियाई देशों की एकजुटता के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हम जैसे लोग भी लगातार एशियाई देशों के प्रधानमंत्रियों को पत्र या व्यक्तिगत मिलकर एकीकरण पर बल दे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि एशियाई एकीकरण की मुहिम संभव नहीं है। एशियाई एकीकरण के लिए पहले भारत समेत आठ सार्क देशों को एक साझा दृष्टिकोण बनाना होगा, लेकिन इसमें रोड़ा बने पाकिस्तान सबसे बड़ी चुनौती है, हालांकि एशियाई देशों में सहभागिता और भरोसा रखने के उपायों पर अब तक जितने सीआईसीए शिखर सम्मेलन हुए हैं उनमें राजनीतिक, आर्थिक, मुक्त व्यापार के अलावा सुरक्षित और अधिक समृद्धि को लेकर आंतकवाद की चुनौती से निपटने पर ज्यादा जोर रहा है। कोरोना महामारी के बीच ही सीआईसीए शिखर सम्मेलन में एशिया में शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए भारत की पहल के लिए समर्थन की पुष्टि हुई, लेकिन इसमें समर्थन की फिर से पुष्टि की। वहीं मध्य एशिया के के देशों साथ भारत के पारंपरिक संबंधों, आतंकवाद और अफगानिस्तान पर साझा दृष्टिकोणों को रेखांकित करना इस बात को बल दे रहा है कि पीएम मोदी की ओर से एकजुटता पर फोकस में एशियाई देश भी भारत के प्रस्तावों पर सहमत हैं। इस मुहिम को आसान बनाने के लिए एशियाई देशों को एक साझा दृष्टिकोण या एजेंडा पारित करके राजनीतिक,आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग की परंपरा को सुदृढ़ करने के साथ साझा बाजार, साझा संसदीय प्रक्रिया के अलावा संप्रभुता के बुनियादी सिद्धांतों, आतंकवाद के उन्मूलन हेतु सुरक्षा के खतरों के गैर-उपयोग, क्षेत्रीय अखंडता और सर्वांगीण विकास के लिए सहयोग के आधार पर क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने के प्रयासों में तेजी लानी होगी। एशियाई एकीकरण में आंतकवाद के सहारे पाकिस्तान और आर्थिक विस्तारीकरण में जुटे चीन जैसे देशों की चुनौतियों से भी निपटने के उपायों की संभानाएं तलाशने पर एकजुटता होगी, तो दुनिया में एशियाई देशों की राजनीतिक और आर्थिक ताकत में स्वत: इजाफा होगा, जिसमें पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी सुधर सकती है। खासकर पाकिस्तान के आर्थिक विकास का उन्नयन, समृद्धि, गरीबी और अशिक्षा का विलोपन, आतंकवाद और अतिवाद के प्रजनन क्षेत्र से भी छुटकारा मिल सकेगा। इक्कीसवीं सदी की तरफ कदम पुख्ता करने के लिए एशियाई राष्ट्रों द्वारा अपने विकास और अंतर्राष्ट्रीय वचनबद्धता के लिए अपनाए जाने वाले विकास की प्राथमिकताओं और दृष्टिकोण में अंतर को समझते हुए सीआईसीए की सूची में नई चुनौतियों और खतरों के खिलाफ लड़ाई, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, मानव क्षेत्र और सैन्य-राजनीतिक आयाम में नजदीक साझेदारी करना भी जरुरी होगा। हालांकि पहले से एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इंवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) एक क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग के रूप में राजनीतिक और आर्थिक सहयोग की परंपरा एशियाई देशों के बीच चल रही है,लेकिन एशियाई राष्ट्रों को आतंकवाद के प्रसार के लिए अनुकूल परिस्थितियों को समाप्त करके, आतंकवादी उद्देश्य के लिए इंटरनेट के दुरुपयोग का मुकाबला करके और आतंकवादी आश्रय विघटित करके आतंकवाद से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने करने के लिए सीआईसीए के तंत्र को मजबूती से निर्णायक नतीजों पर पहुंचना होगा। -(ओ.पी. पाल से बातचीत पर आधारित) 21Feb-2021

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

हरियाणा ग्रंथ अकादमी करेगा तकनीकी शिक्षा की हिंदी भाषा पुस्तकों का प्रकाशन

एआईसीटीई व हरियाणा ग्रंथ अकादमी के बीच हुआ समझौता हरिभूमि न्यूज. रोहतक। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद यानि एआईसीटीई की तकनीकी शिक्षा की हिंदी भाषा में तैयार की जाने वाली पुस्तकों का प्रकाशन व विपणन कार्य हरियाणा ग्रंथ अकादमी द्वारा किया जाएगा। इसके लिए एआईसीटीई और हरियाणा अकादमी के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गये हैं। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के जिम्मे आए इस कार्य के लिए बुधवार को नई दिल्ली में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के तकनीकी शिक्षा संबंधी प्लेटफार्म नीट 2.0 के लोकार्पण समारोह में यह समझौता केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' की डिजिटल उपस्थिति किया गया। इस समझौता ज्ञापन पर हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष व निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान व अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के सदस्य सचिव प्रो. राजीव कुमार ने हस्ताक्षर किये। किया। इस दौरान अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. अनिल डी. सहस्रबुद्धे भी मौजूद रहे। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने इस समझौते के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने तकनीकी शिक्षा से संदर्भित विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा हिंदी भाषा में पांडुलिपियां तैयार करवाई गई हैं। चौहान ने बताया कि समझौते के अनुसार विशेषज्ञों के मूल्यांकन के उपरांत पांडुलिपियों का प्रकाशन व विपणन कार्य हरियाणा ग्रंथ अकादमी द्वारा किया जाएगा। इसके अतिरिक्त बहुतकनीकी संस्थानों के लिए तैयार किए गए मॉडल पाठ्यक्रम के अंतर्गत भविष्य में लिखी जाने वाली पुस्तकों का प्रकाशन कार्य भी अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद व हरियाणा ग्रंथ अकादमी संयुक्त रूप से करने के लिए सहमत हुए हैं। डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री व हरियाणा ग्रंथ अकादमी के अध्यक्ष मनोहर लाल के मार्गदर्शन में विभिन्न विषयों की हिंदी भाषा में पुस्तकें उपलब्ध करवाने के कार्य को विस्तार दिया जा रहा है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. अनिल डी. सहस्रबुद्धे का कहना है कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद व हरियाणा ग्रंथ अकादमी के मध्य हुए समझौता ज्ञापन के परिणामस्वरूप तकनीकी शिक्षा क्षेत्र में हिंदी भाषा की उपयोगिता को विस्तार मिलेगा। डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि समझौता ज्ञापन के अंतर्गत परिषद द्वारा अकादमी को दी जानी वाली पांडुलिपियों को दो माह की समयावधि में पुस्तकों के रूप में प्रकाशित कर विद्यार्थियों व शिक्षकों के उपयोग के लिए सस्ती दरों पर उपलब्ध करवा दिया जाएगा। हरियाणा ग्रंथ अकादमी केंद्र के परिभाषिक शब्दावली आयोग के वित्तीय सहयोग से बहुतकनीकी शिक्षा की हिंदी भाषा की पुस्तकों के प्रकाशन की एक योजना पर पहले से ही कार्य कर रही है। 18Feb-2021

आजकल: लोकतंत्र में असंसदीय भाषा

संसदी अनुशासन जरुरी -डा. संजय कुमार भारतीय संसद में किसी भी सांसद को संसद की गरिमा और संसद के नियमों के अनुशासन के दायरे में आचरण करने की परंपरा जिस प्रकार ध्वस्त होती जा रही है, उससे सत्ता और विपक्ष की भूमिका पर सवाल उठना लाजिमी है, जब संसद के भीतर अपमानजनक या असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल पिछले एक दशक में कहीं ज्यादा हो रहा है। संसद के मौजूदा बजट सत्र में सत्ता या विपक्ष दोनों ओर से ही ऐसा पहली बार नहीं है, बल्कि पिछले एक दशक में संसद गरिमा को ज्यादा तार-तार करने का प्रयास रहा है। इसके कारण संसद में विपक्ष का हंगामा या वाकआउट जैसी बढ़ती प्रवृत्ति के कारण सार्थक बहस तक नहीं हो पा रही है। इससे साफ है कि संसद ऐसा स्थान है जहां कानून बनते हैं और देश व जनहित के मुद्दो पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। कोरोना महामारी के बीच मौजूदा बजट सत्र में जहां अलग-अलग पहलुओं या विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन यह दुर्भाग्य है की सत्ता या विपक्षी दल नीतियों या मुद्दों के बजाए राजनीतिक कटाक्ष और व्यक्ति विशेष पर हमले करके असंसदीय भाषा के साथ आरोप-प्रत्यारोप लगाकर एक पक्ष की बात को व्यंगात्मक लहजे में हमले करने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी वजह से संसदीय गरिमा और मर्यादाएं नष्ट हो रही है। सदन का बजट सत्र जब कोरोना महामारी के बीच चल रहा है तो ऐसे में बेहतर होता कि संसद में बजट, विधेयकों और अन्य सभी मुद्दों पर सत्ता और विपक्ष दोनों ही दलों के सदस्य सार्थक चर्चा को प्राथमिकता में रखें। संसदीय नियमों के विपरीत सदन में जिस परंपरा को बढ़ावा दिया जा रहा है उसकी वजह साफ है कि लगातार गिरते राजनीतिक स्तर के कारण संसद में कार्यवाही को सुचारु चलाने में सहयोग देने के बजाए जिस प्रकार आचरण हो रह है उससे जहां समय की बर्बादी हो रही है, वहीं एक घंटे की चर्चा या बहस पर होने वाले खर्च की भी बर्बादी हो रही है। संसद सुचारु रूप से चलाने के बजाए जिस प्रकर की परंपरा पनप रही है यह कोई साधारण समस्या (बीमारी) नहीं है, बल्कि कोरोना महामरी की तरह ऐसी गंभीर समस्या है जिसका कारण किसी को पता नहीं और इसका समाधान(इलाज) के लिए उसी तरह मंथन और जद्दोजहद करने की जरुरत है जिस प्रकार कोरोना और उसकी दवाई के लिए वैज्ञानिक लगातार शोध करते रहे। मसलन इस संसद में पनप रही इस समस्या का समाधान सत्ता और विपक्ष दोनों को संयम के साथ एक-दूसरे की बात सुनकर संसदीय मर्यादाओं के बीच शालीनता का परिचय देना होगा। वहीं सदन में पीठासीन अधिकारी का पद निष्पक्ष माना जाता है और सभी दलों को उनसे निष्पक्षता की अपेक्षा की जाती है, लेकिन दुर्भाग्यवश अब पीठ पर भी सवाल उठने लगे। सदन का बजट सत्र जब कोरोना महामारी के बीच चल रहा है तो ऐसे में बेहतर होता कि संसद में बजट, विधेयकों और अन्य सभी मुद्दों पर सत्ता और विपक्ष दोनों ही दलों के सदस्य सार्थक चर्चा करते। संसद में सदस्यों के असंसदीय आचरण को रोकने के लिए वह सख्त कानून बनाने के पक्ष में नहीं हैं, बल्कि असंसदीय शब्दों के बढ़ते उपयोग से संसदीय मर्यादाओं के विपरीत आचरण की समस्या के समाधान की जिम्मेदारी संसद सदस्यों होनी चाहिए, जिसके लिए सदन के भीतर एक-दूसरे पर राजनीतिक या व्यक्तिगत कटाक्ष के बजाए संयम, धैर्य और एक दूसरे के सम्मान की परंपरा कायम करने की जरुरत है। ऐसी परंपरा को पुनर्जीवित करके ही लोकतंत्र में संसदीय गरिमा और मर्यादाओं को नियमों की पटरी पर लाया जा सकेगा। वहीं पीठासीन अधिकारियों को अपने उपर उठने वाले सवालों को तलाशने के लिए संसद की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने की जरुरत है। नियमों के तहत सदन में एक संसद सदस्य जो कुछ भी कहता है वह संसद के नियमों के अनुशासन, सदस्यों की अच्छी समझ और पीठासीन अधिकारी द्वारा कार्यवाही के नियंत्रण के अधीन है। -(ओ,पी. पाल की बातचीत पर आधारित ) मीडिया की भूमिका भी जिम्मेदार सुभाष कश्यप देश के लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी चारों स्तंभ पर है, लेकिन संसद में जिस प्रकार से संसदीय नियमों के विपरीत असंसदीय भाषाओं और हंगामा करके सदन की कार्यवाही विघ्न डालने का प्रयास हो रहा है, उसके लिए कहीं हद तक मीडिया भी कम जिम्मेदार नहीं है। मसलन देश में राजनीतिक चरित्र का ह्रास इस कदम गिर गया है कि सत्ता पाने के लिए राजनीतक दलों का फोकस किसी तरह सरकार को बदनाम करने पर रहता है, भले ही उनके नेताओं को असंसदीय शब्दो का इस्तेमाल करना हो या किसी भी माध्यम को अपनाया जाए। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष संसद में महत्वपूर्ण है, जिसमें विपक्ष की भूमिका कहीं ज्यादा इसलिए होती है कि वह सत्तापक्ष पर निगरानी कर देशहित के कामों को आगे बढ़ाए और सरकार निरंकुश न हो जाए। लेकिन इसके विपरीत संसदीय गरिमा को गिराने का काम ज्यादा हो रहा है। पिछले कुछ सालों से तो सदन में ही नहीं, संसद से भी बहार विपक्ष सरकार के देश व जनहित के कामों की आलोचना करता नजर आ रहा है। इसमें विपक्ष की भूमिका नगण्य सी नजर आ रही है, जिसमें विपक्ष इस बात की भी परवाह नहीं कर रहा है कि उनके द्वारा किये जा रहे व्यक्तिगत कटाक्ष देश के विरोध में हैं या नहीं। ऐसे में मीडिया आग में घी डालने का काम करके संसद में इस असंसदीय परंपरा को बढ़ावा देकर अपनी जिम्मेदारी से दूर जा रही है। आज के दौर की राजनीति को अतीत से सबक लेना चाहिए जब विचाराधाराओं के बीच मतभेद के बावजूद सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को सबसे पहले राष्ट्रपिता, महात्मा गांधी ने जिन्ना को कायदे आजम कहा और अटल बिहारी वाजपेयी को पीएम बनाने की भविष्यवाणी पंडित नेहरु ने की थी। राजनीतक ह्रास बदजुबां आचरण का कारण -प्रो. विवेक कुमार राजनीति जब प्रतिद्वंद्वता तक पहुंचती है तो विचारधारा, मूल मुद्दे गौण हो जाते हैं यानि वैचारिक शून्यता के कारण कटाक्ष भी व्यक्तिगत हो जाते हैं। पुराने समय में आंदोलन में तपने के बाद संसद में आने वाले नेताओं का कद कितना बड़ा है, तय होता था और एक-दूसरे के प्रति सम्मान था। आलोचना भी करनी होती थी तो वह भी संसदीय मर्यादाओं और नियमों के दायरे में। आज के दौर में राजनीति के बदलते परिवेश में नेताओं के आचारण में नहीं बल्कि दलों में कमियां शुरू हो गई हैं। जहां तक संसद में नेताओं की बदजुबानी यानि असंसदीय भाषा के इस्तेमाल का सवाल है उसकी वजह अब राजनीतिक दलों की विचारधारा और सिद्धांत दरकिनार होते नजर आ रहे हैं, क्योंकि अब राजनीतिक दलों के सम्मेलन नाम मात्र के रह गये है, जिनमें पार्टियां अपने नेताओं को पाटीं की विचारधारा, सिद्धांत, भाषा शैली, आचरण और देश व राष्ट्रहित के मुद्दो पर चर्चा करती थी। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से संसद में सदस्यों के आचरण में बेहद कमी आई है। संसद में बदलते नेताओं के आचरण को संसदीय मर्यादाओं के अनुरुप करने के लिए राजनीतिक दलों को स्थानीय, जिला, प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मेलन शुरू करने होंगे, तभी राजनीतिक दलों के स्तर और सदनों में नेताओं के आचरण को पुनर्जीवित किया सकेगा। ------------------------ असंसदीय परंपरा घातक प्रवृत्ति देश के लोकतंत्र में संसद या किसी भी सदन में असंसदीय भाषा का उपयोग बढ़ने की प्रवृत्ति बेहद घातक है। भारतीय संविधान के तहत सत्ता पक्ष की आलोचना के लिए ही विपक्ष बना है। संससंसद में असंसदीय शब्दों के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। सत्ता हासिल करने के बाद सत्ता पक्ष आंदेालन करने वालों पर आंदोलनजीवी या परजीवी जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी असंसदीय भाषा के दायरे में है। भारी बहुमत से अकेले मौजूदा गठबंधन ही सत्ता में नहीं है, इससे पहले कांग्रेस इससे भी ज्यादा बहुमत हासिल करके सत्ता में आ चुकी है, लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार की तरह इससे पहले ऐसा घमंड किसी सत्तापक्ष ने नहीं किया। अली अनवर, पूर्व सांसद 14Feb-2021

आठ जिलों में 16 स्थानों पर बनेंगे 2.72 लाख मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम

हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में लिये गये महत्वपूर्ण फैसले चंडीगढ। हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में हैफेड द्वारा राज्य के आठ जिलों में 16 स्थानों पर 2.72 लाख मीट्रिक टन क्षमता के गोदामों के नर्मिाण के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से 113.03 करोड़ रुपये के ऋण के लिए राज्य सरकार की गारंटी प्रदान करने के सहकारिता विभाग के एक प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई ताकि राज्य में भण्डारण व्यवस्था को और मजबूती मिल सके। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लिए गये फैसले के अनुसार गोदामों का नर्मिाण जिला फतेहाबाद के भूना, उकलाना और होबली, जिला हिसार के बरवाला व हिसार, जिला भिवानी के खोलावास व बवानीखेड़ा, जिला सिरसा के खारिया व पन्नीवाला मोटा, जिला करनाल के इंद्री, मंचुरी और निसिंग, जिला कुरुक्षेत्र के अजराना कलां व लाडवा, जिला अंबाला के नसीरपुर और जिला पलवल के सेल्वी में होगा। हरियाणा ग्रामीण विकास अधिनियम में संशोधन मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा ग्रामीण विकास निधि प्रशासन बोर्ड के कर्मचारियों को पेंशन/पेंशन संबंधी लाभ प्रदान करने के लिए हरियाणा ग्रामीण विकास अधिनियम, 1986 की धारा 6 में संशोधन करने के एक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। ये संशोधन हाई कोर्ट निर्देशों के अनुपालन में हरियाणा ग्रामीण विकास निधि प्रशासन बोर्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों को पेंशन और परिणामी लाभों का भुगतान करने के लिए आवश्यक दिशा- निर्देश/ नियम/ निर्देश जारी किए जा सकें। इसके लिए हरियाणा ग्रामीण विकास अधिनियम,1986 की धारा-6 की उपधारा-5 के बाद एक नई उप-धारा (5 ए) जोड़ी जाएगी जिसमें उल्लेख होगा कि बोर्ड द्वारा निधि का उपयोग बोर्ड के कर्मचारियों को पेंशन और अन्य परिणामी सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान के लिए भी किया जा सकता है। हरियाणा मैकेनिकल वाहन पथकर अधिनियम में संशोधन बैठक में मैकेनिकल वाहन (पथकर) अधिनियम-1996-विधेयक, 2021 के अनुभाग 7 (2) के प्रावधान में संशोधन को मंजूरी प्रदान की गई है। संशोधन के प्रस्ताव में कोई भी व्यक्ति, जो धारा 4 के तहत किए गए आदेश के अधीन पथकरों की मांग, संग्रहण करने या रखने के लिए प्राधिकृत किया जाता है वह पुलों, सुरंगों, नौघाटों, संपर्क मार्ग या नई सडक़ों के भाग या बाईपास सहित सडक़, सडक़ अवसंरचना के रखरखाव, जैसी भी स्थिति हो, जिनके संबंध में आदेश किया जाता है, को बेहतर यातायात स्थिति में बनाए रखने के लिए उत्तरदायी होगा। उधर मंत्रिमंडल की बैठक में लोक नर्मिाण (भवन एवं सडक़ें) विभाग के जिला महेंद्रगढ़ में अटेली से खेड़ी डक़ पर टोल की अस्वीकृति/अस्थापना (डिसअप्रूवल/अनइंस्टॉलेशन) के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई है। नारनौल की 48 बीघा एक बिस्वा भूमि देने का फैसला पुलिस फायरिंग रेंज, नारनौल नजदीक नगर परिषद, नारनौल की 48 बीघा एक बस्विा भूमि पुलिस विभाग को जनहित व पुलिस बल के हित में वर्तमान कलेक्टर रेट 55 लाख प्रति एकड़ जमा विकास शुल्क 120 रुपये प्रति वर्गगज की दर से स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई है। इस भूमि की कुल कीमत 18,26,14,025 होगी। कैब और ऑटो रिक्शा की निर्बाध यात्रा रक्ति पारस्परिक सामान्य परिवहन समझौते (कॉन्ट्रेक्ट कैरिज) के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र राज्यों द्वारा जारी अनुबंध कैरिज परमिटों के अनुसार हरियाणा राज्य के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में संचालित ऑटो रक्शिा/टैक्सियों को मोटर वाहन कर में छूट देने का निर्णय लिया है। इससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बिना रूके मोटर कैब और ऑटो रक्शिा की निर्बाध यात्रा हो सकेगी और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आम जनता को बेहतर और कुशल परिवहन सेवाएं मिलेंगी। हरियाणा में पंजीकृत ऑटो रक्शिा/टैक्सियों जिनके पास पारस्परिक परिवहन समझौते के तहत कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट है, उनको राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सम्मिलित राज्यों में हरियाणा के अतिरक्ति यानी उत्तर-प्रदेश, राजस्थान और एनसीटी, दिल्ली में प्रवेश और संचालन करते समय कर का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। परिवहन समझौते के तहत हरियाणा राज्य के अतिरक्ति अन्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र राज्यों के द्वारा जारी अनुबंध परमिटों के अनुसार हरियाणा के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में संचालित ऑटो रक्शिा/टैक्सियों को मोटर वाहन कर में छूट प्रदान करना है। हरियाणा ग्रामीण विकास अधिनियम में संशोधन मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा ग्रामीण विकास निधि प्रशासन बोर्ड के कर्मचारियों को पेंशन/पेंशन संबंधी लाभ प्रदान करने के लिए हरियाणा ग्रामीण विकास अधिनियम, 1986 की धारा 6 में संशोधन करने के एक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। ये संशोधन हाई कोर्ट नर्दिेशों के अनुपालन में हरियाणा ग्रामीण विकास निधि प्रशासन बोर्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों को पेंशन और परिणामी लाभों का भुगतान करने के लिए आवश्यक दिशा- निर्देश/ नियम/ निर्देश जारी किए जा सकें। इसके लिए हरियाणा ग्रामीण विकास अधिनियम,1986 की धारा-6 की उपधारा-5 के बाद एक नई उप-धारा (5 ए) जोड़ी जाएगी जिसमें उल्लेख होगा कि बोर्ड द्वारा निधि का उपयोग बोर्ड के कर्मचारियों को पेंशन और अन्य परिणामी सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान के लिए भी किया जा सकता है। यह विधेयक होगा वापस मुख्यमंत्री मनोहरलाल की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा सार्वजनिक उपयोगिता परिवर्तन निषेध विधेयक, 2018 को वापिस लेने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद इस मामले को राज्य विधानसभा के समक्ष रखा जाएगा ताकि उक्त विधेयक को वापिस लेने का प्रस्ताव पारित किया जा सके। 11Feb-2021

वैश्विकरण के दौर में भारत को सहन करना होगा

ग्लोबलाइजेशन में भारत को सहन करना होगा - प्रशान्त दीक्षित (विदेशी मामलों के विशेषज्ञ) दुनिया में भारत की सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में पहचान है। किसान आंदोलन के समर्थन में विदेशी हस्तियों की प्रतिक्रियाओं का आना इसलिए स्वाभाविक है, क्योंकि जिस प्रकार से सरकार ने सड़कों को खोदकार कंटीली तारों के जाल बिछाकर आंदोलन को रोकने का प्रयास किया है उसके लिए इस वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन में हमारे देश को स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, इंटरनेशनल पॉप सिंगर रिहाना के बाद ऑस्कर जीत चुकी अमेरिका एक्ट्रेस सूजन सैरंडन जैसी विदेशी हस्तियों की बयानबाजी को सहन करना पड़ेगा।भारत में किसान आंदोलन के दौरान कंटीली तारों का प्रयोग ठीक उसी प्रकार से किया गया जब कुछ अरसे पहले आंदोलकारियों को रोकने के लिए जर्मनी में हुआ था। दुनिया के हर देश में भारतीय हैं और इस संचार यानि डिजिटल युग में किस देश में क्या हो रहा है सब एक दूसरे को पता लग रहा है। खास बात ये भी है कि भारत में किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही टिप्पणी करने वाले युवा हैं जो भारतीय लोकंत्रक इतिहास को पढकर गणतंत्र में सरकार की गतिविधियों को लोकतांत्रिक विरोधी के रुप में देखते हुए किसान आंदोलन के समर्थन में पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस प्रकार की बयानबाजी न तो अंर्राष्टीय साजिश है औ न ही भारत को बदनाम किया जा रहा है। अमेरिका व कनाडा के अलावा अन्य देशों ने भी सरकार के किसान कानूनों और इनके विरोध में किसान आंदोलन को लेकर मिली जुली प्रतिक्रियाएं दी हैं जिसे कोई साजिश करार देने का कोई औचित्य नहीं है, बल्कि ऐसी बयानबाजी साधारण और स्वाभाविक है। जहां तक किसान आंदोलन के समर्थन में विदेशी साजिश संबन्धी टूलकिट के खुलासे के दावों का सवाल है उसके लिए जांच में सरकार और एजजंसियां की अपनी प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन इस तरह की बयानबाजी अंतर्राष्टीय साजिश तो कतई नहीं है। (बातचीत पर आधारित-ओ.पी. पाल) 07Feb-2021

हरियाणा की 13 रेल परियोजनाओं को लगेंगे पंख

रेलवे बजट में राज्य को 1,201 करोड़ रुपये का आवंटन हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्रीय बजट रेलवे को आवंटित भारतीय रेलवे को 1,07,100 करोड़ रुपये में उत्तर रेलवे की रेल परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 15818.49 करोड़ रुपये का हिंस्सा मिला है। उत्तर रेलवे के इस बजट में हरियाणा राज्य में जारी 13 प्रमुख रेल परियोजनाओं में को पूरा करने के लिए इस बजट में 1,201 करोड़ रुपये का बजट आवंटित हुआ है। उत्तर रेलवे के मुख्य जनंसपर्क अधिकारी ने महाप्रबंधक आशुतोष गंगल के हवाले से यह जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर रेलवे को वर्ष 2021-2022 के लिए मिले 15818.49 करोड़ रुपये के रेल बजट में हरियाणा में चालू परियोजनाओं के अलावा स्वीकृत नई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए वर्ष 1,201 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जो वर्ष 2020-2021 के लिए जारी 1,070 करोड के मुकाबले 131 करोड अधिक है, लेकिन वर्ष 2019-20 के आवंटित 1,344 करोड की अपेक्षा 143 करोड रुपये कम है। हरियाणा में इस आवंटित बजट से राज्य में 1,721 किलोमीटर लंबाई के लिए 19,555 करोड़ की योजना है, जिसमें कुछ परियोजनाएं प्रगति पर हैं और कुछ आंशिक रूप से पूरी हो चुकी है या अनुमोदन और निष्पादन स्तर पर हैं को पूरा करने के मकसद से हरियाणा के लिए आंवटित बजट के बाद इन्हें तेजी से पूरा करने का लक्ष्य है। हरियाणा की इन 13 रेल परियोजनाओं में 570 किमी लंबाई की सात नई रेल लाइन परियोजनाओं के लिए 8,145 करोड. रुपये और 1151 किमी लंबाई रेलवे लाइन के दोहरीकरण की छह परियोजनाओं के लिए 11,410 करोड रुपये खर्च किये जाने हैं। छह साल में बढा 327 फीसदी बजट रेलवे का दावा है कि हरियाणा राज्य में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं और सुरक्षा कार्यों के लिए हरियाणा राज्य में 2014-19 के दौरान औसतन प्रति वर्ष 968 करोड़ रुपये का बजट मिला, जो 2009-14 के दौरान 315 करोड़ रुपये प्रति वर्ष यानि 207 फीसदी अधिक तक बढ़ाया गया है। जबकि वर्ष 2019-20 में हरियाणा राज्य को पूर्ण कुल बजटीय अवसंरचना परियोजनाओं और सुरक्षा कार्य के लिए 1,344 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ जो 2009-14 के औसत से 327 फीसदी अधिक था। हाल ही में केंद्रीय बजट में रेल को आंवटित बजट से हरियाणा के हिस्से में आया 1,201 रुपये का यह बजट वर्ष 2009-14 के औसत से 315 करोड़ यानि 281 फीसदी अधिक है। 05Feb-2021

केंद्रीय बजट में खुला राष्ट्रीय रेल योजना लागू करने का रास्ता

रेलवे को रिकॉर्ड 1.07 करोड का आवंटन हुआ हरिभूमि न्यूज, रोहतक। केन्द्रीय बजट 2021-22 में भारतीय रेलवे के लिए रिकॉर्ड 1,10,055 करोड़ रुपये के परिव्यय मंजूर किया गया है, जिसमें से 1,07,100 करोड़ रुपये पूंजीगत निवेश के लिए दिए जाएंगे। इस आवंटन में अब भारतीय रेलवे की तैयार की गई राष्ट्रीय रेल योजना को शुरू किया जा सकेगा। इस योजना में 2030 तक भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय रेल प्रणाली तैयार होगी। वहीं रेलवे को बेहतर बनाने के लिए कई और उपाय किए जाने का प्रस्ताव है। भारतीय रेलवे में विश्वस्तरीय सुधार के लिए वर्ष 2030 तक भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार राष्ट्रीय रेल योजना तैयार की गई है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सुनीत शर्मा ने सोमवार को रेलवे के लिए आवंटित बजट के प्रावधान के बारे में कहा कि भारतीय रेलवे ने 'मेक इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देने उद्योग जगत की सहायता के लिए मालढुलाई की लागत में कमी लाई जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि जून 2022 तक पश्चिमी समर्पित मालढुलाई गलियारा (डीएफसी) और पूर्वी समर्पित मालढुलाई गलियारे की शुरूआत हो जाएगी। सरकार ने बजट में भविष्य के लिए समर्पित कई मालढुलाई गलियारे शुरू करने का भी ऐलान किया है। रेलवे के अनुसार रेलवे की योजना के तहत पूर्वी मालढुलाई गलियारे के रुप में 263.7 किलोमीटर लंबे सोनानगर-गोमोह खंड को सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत 2021-22 तक शुरू करने की योजना है। जबकि 274.3 किलोमीटर का गोमोह-दनकुनी खंड भी जल्द ही प्रारंभ हो जाएगा। भविष्य के लिए समर्पित कई मालढुलाई गलियारे शुरू होंगे। इनमें से पूर्वी तटीय गलियारा खड़गपुर से विजयवाड़ा तक पूर्वी-पश्चिमी गलियारा भुसावल से खड़गपुर होते हुए दनकुनी तक जाएगा तथा उत्तरी-दक्षिणी गलियारा इटारसी से विजयवाड़ा तक होगा। जिसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पहले चरण में प्रस्तुत की जाएगी। दिसंबर2023 तक ब्रॉडगेज रेलमार्गों का शत-प्रतिशत विद्युतीकरण कर दिया जाएगा। 2021 के अंत तक 72 प्रतिशत लगभग 46 हजार ब्रॉडगेज रुट किलोमीटर आरकेएम के विद्युतीकरण का काम पूरा कर लिया जाएगा। इससे पहले अक्टूबर 2020 तक 41,548 ब्रॉडगेज रुट किलोमीटर का विद्युतीकरण पूरा किया जा चुका है। यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा प्राथमिकता केंद्रीय बजट में रेल यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए कई उपायों की घोषणा की गई है। इसमें देश में पर्यटन वाले रेल मार्गों पर यात्रियों को बेहतर यात्रा अनुभव के साथ सुविधाएं देने के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त विस्टा डोम एलएचबी कोच को रेलगाड़ियों में लगाया जाएगा। अत्यधिक व्यस्त और अधिक प्रयोग किए जाने वाले रेलमार्गों पर यात्रियों को सुविधा प्रदान करने तथा रेल दुर्घटनाओं में न्यूनतम मानवीय हानि के लिए स्वदेश में विकसित रेल सुरक्षा प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा। इस प्रयास को और सुदृढ़ करने के लिए भारतीय रेलवे के उच्च घनत्व नेटवर्क और उच्च उपयोग किये गये नेटवर्क रूटों को स्वदेश में विकसित स्वचालित ट्रेन संरक्षण प्रणाली प्रदान की जाएगी, जो मानवीय त्रुटि के कारण होने वाली ट्रेन टकराने की समस्या को समाप्त कर देगी। 02Feb-2021

देश में पूरे होंगे 11 हजार किमी राष्ट्रीस राजमार्ग गलियारे

सड़क परिवहन मंत्रालय को 1.18 करोड़ का आवंटन हरिभूमि न्यूज, रोहतक। केन्द्रीय बजट 2021-22 में सड़कों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए का पूंजीगत परिव्यय अब तक का सबसे अधिक 1,08,230 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इस राशि से देश में मार्च 2022 तक जहां 8,500 किलोमीटर लम्बी सड़के बनाई जाएगी। वहीं 11 हजार किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारे भी पूरे करने का लक्ष्य तय किया गया है। संसद में सोमवार को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केन्द्रीय बजट 2021-22 में देश में सड़कों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए 1,18,101 करोड़ रुपये का बढ़ा परिव्यय प्रदान किया, इसमें से 1,08,230 करोड़ रुपये का पूंजीगत परिव्यय अब तक का सबसे अधिक है। इस आवंटित बजट में मार्च 2022 तक 8,500 किलोमीटर लम्बी सड़के और बनाई जाएगी। इसके अतिरिक्त 11,000 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारे भी पूरे कर लिए जाएंगे। जबकि 5.35 लाख करोड़ रुपये की भारतमाला परियोजना के तहत 3.3 लाख करोड़ रुपये की 13 हजार किलोमीटर लम्बी सड़के पहले ही प्रदान की जा चुकी है। इसमें से 3,800 किलोमीटर लम्बी सड़कों का निर्माण हो चुका है। इसमें सरकार की सड़कों के बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने के लिए और अधिक आर्थिक गलियारे बनाने की योजना है। महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाएं केंद्रीय सडक परिवहन मंत्रालय के अनुसार आवंटित बजट को वर्ष 2021-22 में कुछ महत्वपूर्ण गलियारे और सडक परियोजनाओं को गति देने का काम होगा। इसमें प्रमुख रूप से दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का 260 किोमीर का शेष कार्य 31 मार्च तक, बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेस-वे: 278 किलोमीटर का निर्माण कार्य 2021-22 में शुरू होगा। 210 किमी दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारे का कार्य मौजूदा वित्त वर्ष में शुरू होगा। कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-27 के लिए वैकल्पिक 63 किलोमीटर के एक्सप्रेस-वे का कार्य 2021-22 में आरंभ होगा। चेन्नई-सेलम गलियारा के रूप में 277 किलोमीटर लम्बे एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य 2021-22 में आरंभ होगा। इसी प्रकार रायपुर-विशाखापत्तनम के बीच छत्तीसगढ़, ओडिशा और उत्तरी आंध्र प्रदेश से होकर गुजरने वाले 464 किलोमीटर लम्बी सड़क की परियोजना का निर्माण कार्य आरंभ होगा। इसके अलावा अमृतसर-जामनगर और दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। मंत्रालय के अनुसार इसके अलावा देश में सभी नए 4 और 6 लेन वाले राजमार्गों पर स्पीड रडार, संकेतक साइन बोर्ड, जीपीएस युक्त रिकवरी वाहन के साथ उन्नत परिवहन प्रबंधन प्रणाली स्थापित की जाएगी। 02Feb-2021

सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

सरकार का गांव, गरीब और किसानों पर होगा विशेष फोकस!

देश की अर्थव्यवस्था में सुधार में केंद्रीय बजट की अहम भूमिका ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। संसद में कल सोमवार को केंद्रीय बजट-2021-22 पेश होगा। मोदी सरकार का यह बजट वैश्विक कोरोना महामारी के कारण देश की प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला साबित हो सकता है। वहीं बजट में देश के बुनियादी विकास के साथ विभिन्न क्षेत्रों के कारोबारियों के अलावा गांव, गरीब और किसानों की आर्थिक उन्नति पर भी फोकस रहने की उम्मीद है। संसद के बजट सत्र में कल एक फरवरी को लोकसभा में सुबह 11 बजे केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वाला केंद्रीय बजट 2020-22 पेश करेंगी। सीतारमण के बजट भाषण पर पूरे देश की नजरें लगी होंगी, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में कोरोना वायरस से प्रभावित हुई आर्थिक गतिविधियों को पटरी लाने के लिए सरकार के बजट में प्रावधान शामिल करने की उम्मीदें हैं। माना जा रहा है कि कोरोना महामारी के कारण देश क अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लेन के लिए मोदी सरकार का यह बजट 2021-22 काफी महत्वपूर्ण होगा। ऐसी भी संभावनाएं हैं कि कोरोना महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से निपटने के लिए आर्थिक पैकेज की तर्ज पर केंद्रीय बजट में ऐसी घोषणाएं होंगी, जिसमें देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल सके। मसलन सरकार अर्थव्यवस्था की इस मंदी को पुनर्जीवित करने के प्रयास में विशेष व्यय प्रावधान करने की उम्मीद है। इसमें सरकार नई सड़कों और बंदरगाहों के निर्माण जैसी बुनियादी सुविधाओं पर खर्च बढ़ा सकती है और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए निर्माताओं को प्रोत्साहन प्रदान कर सकती है। ऐसे केई संकेत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी शनिवार को हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान दिये हैं। पीएम मोदी ने भारत को कई क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने के लिए भूमिका का जिक्र किया है। किसानों व गरीबों को मिल सकता है तोहफा मोदी सरकार किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने और देश के हर गरीब को पक्का मकान समेत गांवों में बुनियादी सुविधाओं का विकास की प्राथमिकता पर काम करने का दावा करती आ रही है। इसलिए कोरोना महामारी के संकट काल में जब विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र के विकास पर प्रभावित होने के बावजूद देश में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की गतिविधियों को थमने नहीं दिया गया। इसी लिहाज से किसान और कृषि क्षेत्र की ताकत को मजबूत करने की दिशा में कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में नए कृषि कानून बनाए, हालांकि इन कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन के रूप में मुखर है, लेकिन कृषि सुधार पर इस तकरार और कोरोना की मार से उबरने की उम्मीदों के बीच आम बजट में उम्मीद की जा रही है कि मोदी सरकार का गांव, गरीब और किसान की उन्नति को प्राथमिकता देने के कृषि और ग्रामीण विकास को ज्यादा तरजीह दी जाएगी। ऐसे संकेत संसद में 29 जनवरी को पेश आर्थिक समीक्षा में कृषि व संबद्ध क्षेत्र की संवृद्धि दर बरकरार रखने का अनुमान लगाया गया है। इसलिए कृषि विशेषज्ञ मान रहे हैं कि कल पेश होने वाले बजट में कृषि एवं ग्रामीण विकास क्षेत्र की प्रमुख योजनाओं के बजटीय आवंटन में इजाफा किया जा सकता है। किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर अल्पकालीन कृषि ऋण मुहैया करवाने की स्कीम पर भी सरकार का फोकस होगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना समेत कृषि क्षेत्र की अन्य योजनाओं को इस बजट में भी सरकार तरजीह दे सकती है। माना जा रहा हैं कि कृषि के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की योजनाओं को भी आगामी बजट में सरकार प्रमुखता देगी, जोकि किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। विकास संबन्धी योजनाओं का विस्तार मोदी सरकार के आम बजट में कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास के अलावा गरीबी उन्मूलन, जल एवं स्वच्छता, रक्षा, सड़क, रेल, स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा क्षेत्र, रियल एस्टेट, औद्योगिक आर्थिक विकास, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, उद्योग, वाणिज्य एवं निवेश जैसे प्रस्तावों को भी विस्तार दे सकती है। वहीं देश के बुनियादी ढांचे की अवसंरचना में राजमार्ग, जल मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग क्षेत्र में भी आधुनिक विकास की योजनाओं का ऐलान किया जा सकता है। जबकि वित्तीय क्षेत्र में भी जिस प्रकार की बैंकों के विलय करने की नीति बनाई गई है, इसके लिए भी बजट में अहम निर्णय होने की संभावनाएं बनी हुई हैं। वहीं आयकर दाताओं के लिए भी कोरोना संकट के मद्देनजर राहत दिये जाने की संभावनाएं जताई जा रही है। हालांकि सरकार बजट में राजकोषीय घाटा पाटने के उपायों को भी सामने रखेगी, जिसमें सरकार के सामने आर्थिक समीक्षा में लगाए गये अनुमान के आधार पर जीडीपी दर को छूने की भी चुनौती होगी, जिसके मद्देजनर केंद्रीय बजट की तस्वीर इसका संकेत देगी। 01Feb-2021

एमएसपी योजना के दायरे में शामिल हुए 14 नए लघु वन उत्पाद

कोरोना में प्रभावित आदिवासियों की आर्थिक दशा में सुधार की कवायद हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। वैश्विक कोविड महामारी की वजह से पैदा हुए अभूतपूर्व संकट से प्रभावित आदिवासियों की आर्थिक दशा सुधारने की दिशा में केई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इसी मकसद से केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में संशोधन करके 14 अतिरिक्त लघु वन उत्पादों को सूची में शामिल किया है। केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना संकट के कारण पूरी तरह से प्रभावित वंचित आदिवासियों की मदद के लिए केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वन उपज (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र और एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास और बदलाव के रूप में सामने आया है। देश के 21 राज्यों में राज्य सरकार की एजेंसियों के सहयोग से भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ-टीआरआईएफईडी द्वारा संकल्पित और कार्यान्वित यह योजना अप्रैल 2020 से आदिवासी अर्थव्यवस्था में सीधे तौर पर 3000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा करने वाले आदिवासी संग्रहकर्ताओं के लिए बड़ी राहत का स्रोत बनकर उभरी है। यह मुख्य रूप से सरकार के समर्थन और राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी के कारण संभव हो सका है। आदिवासी पारिस्थितिकी तंत्र में सरकार द्वारा अत्यंत आवश्यक नकदी प्रदान की गई है, जो प्रतिकूल समय में बहुत जरूरी है। वन उपज के आदिवासी संग्रहकर्ताओं को पारिश्रमिक और उचित मूल्य प्रदान करने के अपने पहले से जारी प्रयासों के साथ, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने लघु वन उपज की सूची के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को संशोधित किया है और 14 अतिरिक्त लघु वन उत्पादों को सूची में शामिल किया है। इन नए उत्पादों में काजू बीज, एलफैंट एप्पल सूखा, असर कोकून, बांस की गोली, मलकानगनी बीज, माहुल पत्तियां, नागोद, गोखरु, पिप्पा, गमर, ओरोक्सिल्यूमिंडिकम, जंगली मशरुम, श्रृंगाराज और ट्री मॉस आदि शामिल है।इन उत्पादों में अतिरिक्त मदों की यह सिफारिश में 23 लघु वन उत्पादों को शामिल करने के लिए सूची को संशोधित किया गया था। आदिवासी लोगों के सशक्तीकरण में सुधार केंद्र सरकार ने 2011 में लघु वन उत्पादों-एमएफपी की एक चुनिंदा सूची के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) "न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से लघु वन उत्पादों के विपणन तंत्र और एमएफपी के मूल्य श्रृंखला का विकास" के माध्यम से पेश किया था, ताकि वंचित वन वासियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सके और उनका सशक्तिकरण में सहायता सहायता प्रदान की जा सके। इन आदिवासी लोगों की आजीविका और सशक्तीकरण में सुधार के लिए शीर्ष राष्ट्रीय संगठन के रूप में भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ-टीआरआईएफईडी, योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है। वन धन आदिवासी स्टार्ट-अप्स भी इसी योजना का एक घटक है, जो एमएसपी योजना को अच्छी तरह से लागू कर रहा है और आदिवासी संग्रहकर्ताओं और वन वासियों तथा घर में रहने वाले आदिवासी कारीगरों के लिए रोज़गार सृजन का एक स्रोत बन गया है। 01Feb-2021

भारतीय रेलवे ने 18 रेल मार्गो पर चलाई किसान रेलगाड़ियां

अब तक 157 किसान रेल में की गई 49 हजार टन से अधिक माल ढुलाई फल एवं सब्ज़ियों की ढुलाई पर 50 फीसदी की सब्सिडी का प्रावधान हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। वैश्विक कोरोना महामारी के बावजूद पिछले साल केंद्रीय बजट की घोषणाओं पर अमल करते हुए भारतीय रेलवे ने किसानों के उत्पादों को रेल परिवहन मुहैया कराने की दिशा में अब तक देश के 18 रेल मार्गो पर 157 किसान रेलगाड़ियों का परिचालन किया है। किसान रेल के जरिए देश के एक कोने से दूसरे कोने तक ने दूध, मीट और मछली सहित जल्दी ख़राब होने वाले खाद्य पदार्थ और कृषि उत्पादों समेत 49 हजार टन से अधिक माल की ढुलाई की गई है। रेल मंत्रालय के अनुसार केन्द्रीय बजट 2020-21 में की गई घोषणा के अनुसार भारतीय रेलवे ने दूध, मीट और मछली सहित जल्दी ख़राब होने वाले खाद्य पदार्थ और कृषि उत्पादों की ढुलाई के लिए किसान रेल सेवा शुरू कर दी है। यह मल्टी-कमोडिटी, मल्टी-कंसाइनर/कंसाइनी, मल्टी-लोडिंग/अनलोडिंग परिवहन सेवा है, जिसका उद्देश्य किसानों को बड़े स्तर पर बाज़ार उपलब्ध कराना है। किसान रेल सेवा का मुख्य उद्देश्य उत्पादन केन्द्रों को बाज़ार और उपभोक्ता केन्द्रों से जोड़कर कृषि क्षेत्र की आय को बढ़ाना है। भारतीय रेलवे किसान रेल सेवा को औपचारिक रूप से शुरू करने की योजना बनाने के लिए कृषि मंत्रालय, राज्य सरकारें और स्थानीय निकायों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है। डिमांड संबंधी रुझान और हितधारकों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर रेलवे ने अब तक 18 रूटों पर किसान रेल सेवा संचालित करना शुरू कर दिया है। किसान रेल के माध्यम से बुक की जाने वाली वस्तुओं पर ‘पी’ स्केल का माल शुल्क लगाया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की ‘ऑपरेशन ग्रीन्स-टोप टू टोटल’ योजना के तहत किसान रेल के माध्यम से फल एवं सब्ज़ियों की ढुलाई पर 50 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है। ये सब्सिडी कन्साइनर/किसान को अपने सामान की बुकिंग के समय पर ही दी जा रही है, ताकि ये लाभ बिना किसी झंझट और देरी के किसानों तक पहुंच सके। अगस्त में चलाई गई पहली किसान रेल रेलवे के अनुसार गत 07 अगस्त 2020 को देवलाली (महाराष्ट्र) और दानापुर (बिहार) के बीच हरी झंडी दिखाकर पहली किसान रेल की शुरूआत की गई थी, जिसके बाद इसमें विस्तार करते हुए भारतीय रेलवे ने निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार 18 रूटों पर 157 किसान रेल सेवाएं संचालित की जा चुकी हैं, जो 49000 टन से अधिक माल की ढुलाई कर रही हैं। अब तक जिन रूटों पर किसान रेल सेवाएं संचालित की जा रही हैं, संचालित किया जाता है, और रास्ते में आने वाली किसी बाधा या देरी से बचाने के लिए इनकी समय की पाबंदी के पैमाने पर कड़ी निगरानी की जाती है। मुख्य रूप से जिन वस्तुओं को किसान रेल के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जा रहा है, उनमें प्याज़, टमाटर, संतरा, आलू, अनार, केला, शरीफा, गाजर, शिमला मिर्च और अन्य सब्ज़ियां शामिल हैं। ये किसान रेल के 18 रुट रेल मंत्रालय के अनुसार भारतीय रेलवे की किसान रेल सेवाओं में अब तक चलाई जा रही किसान रेलगाड़ियों में देवलाली से दानापुर और अब संगोला से मुज़फ्फरपुर, अनंतरपुर से आदर्श नगर दिल्ली, यशवंतपुर से निज़ामुद्दीन, नागपुर से आदर्श नगर दिल्ली, छिंदवाड़ा से हावड़ा/न्यू तिनसुकिया, संगोला से वाया सिकंदराबाद हावड़ा, संगोला से शालीमार, इंदौर से न्यू गुवाहाटी, रतलाम से न्यू गुवाहाटी, इंदौर से अगरतला, जालंधर से जिरानिया, नागरसोल से न्यू गुवाहाटी, नागरसोल से चितपुर, नागरसोल से न्यू जलपाईगुड़ी, नागरसोल से नौगचिया, नागरसौल से फतुहा, नौगरसौल से बैहाटा और नागरसौल से मालदा टाउन तक शामिल हैं। 31Jan-2021

कृषि कानूनों के मुद्दे पर खुले दिमाग से विचार कर रही है सरकार

संसद के बजट सत्र: सर्वदलीय बैठक में बोले पीएम मोदी सभी दलों से संसद में सुचारू कामकाज के महत्व पर सहयोग पर बल हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बजट सत्र में संसद के सुचारू कामकाज और सदन के पटल पर व्यापक बहस के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध को बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार कृषि कानूनों के मुद्दे पर खुले दिमाग से विचार कर रही है। संसद के शुरू हुए बजट सत्र की कार्यवाही को सुचारू रुप से चलाने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा शनिवार को संसद भवन में सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैठक में शामिल हुए विभिन्न दलों को भरोसा दिया कि सरकार खुले दिमाग से कृषि कानूनों के मुद्दे पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का रुख वैसा ही है, जैसा 22 जनवरी को था। उन्होंने कहा कि सरकार कृषि मंत्री द्वारा किसानों के समक्ष दिया गया प्रस्ताव अभी भी कायम है। उन्होंने दोहराया कि कृषि मंत्री को सिर्फ एक फोन कॉल करके बातचीत को आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन का समाधान बातचीत के जरिए ही निकाला जा सकता है। प्रधानमंत्री ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के हवाले से सभी दलों के नेताओं को कृषि कानूनों पर सरकार के रुख की जानकारी दी। सभी मुद्दो पर चर्चा को तैयार सरकार प्रधानमंत्री ने नरेन्द्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर कहा कि सरकार हर मुद्दे पर विस्तृत चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने संसद के सुचारू कामकाज और सदन के पटल पर व्यापक बहस के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सदन में बार-बार होने वाले व्यवधानों के कारण छोटे राजनीतिक दलों को पर्याप्त रूप से खुद को व्यक्त करने का अवसर नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि बड़े राजनीतिक दलों यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संसद सुचारू रूप से चले, कोई व्यवधान न हो और इस प्रकार, छोटे दल संसद में अपने विचार रखने में सक्षम हों। वहीं बैठक में नेताओं द्वारा 26 जनवरी की दुर्भाग्यपूर्ण घटना का जिक्र आने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून अपना काम करेगा। सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंद्योपाध्याय, शिवसेना सांसद विनायक राउत और शिरोमणि अकाली दल के बलविंदर सिंह भांडेर ने किसान आंदोलन पर बात की। जबकि जनता दल यूनाइटेड के सांसद आरसीपी सिंह ने कानूनों का समर्थन किया। विश्व में भारत का महत्वपूर्ण योगदान सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि मौजूदा विश्व परिदृश्य में भारत बड़ा योगदान दे सकता है। इससे विकास होगा और गरीबों को लाभ पहुंचेगा। इससे सरकार को श्रेय का सवाल नहीं है, बल्कि देश को कामयाबी मिलेगी। सभी दलों को इसमें योगदान देने का आह्वान करते हुए पीएम ने कहा कि सरकार इसे लेकर सभी विषयों पर चर्चा को तैयार है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया की भलाई के लिए कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने देशवासियों के कौशल और साहस का उल्लेख किया, जो वैश्विक समृद्धि को गुणात्मक रूप से बढ़ाने के लिए एक ताकत हो सकती है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि हमें उनके सपनों को पूरा करने की दिशा में प्रयास करना चाहिए। उन्होंने आज सुबह यूएसए में महात्मा गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुँचाने की घटना की निंदा करते हुए कहा कि नफरत का ऐसा माहौल हमारी दुनिया के लिए स्वागत योग्य नहीं है। इससे एक दिन पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों से सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग की अपील की थी। 31Jan-2021

पश्चिम बंगाल तक पहुंचा केवीआईसी का खादी अभियान

स्थानीय रोजगार के लिए 2250 कारीगरों को चरखे व परिधान मशीनें वितरित हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार की स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन देने और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन की दिशा में खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में 2250 कारीगरों को चरखे, सिल्क चरखे, रेडीमेड परिधान बनाने की मशीनों का वितरण करके एक व्यापक रोजगार अभियान की शुरुआत की है। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय ने यह जानकारी देत हुए बताया कि पश्चिम बंगाल में स्थायी आजीविका के अवसर तैयार करने के मकसद से केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने मालदा जिले में नए मॉडल के 1155 चरखे, 435 सिल्क चरखे, 235 रेडीमेड परिधान बनाने की मशीन, 230 आधुनिक करघे और कारीगरों के परिवारों को 135 रीलिंग बेसिन वितरित किए। लाभार्थियों में लगभग 90 प्रतिशत महिला कारीगर शामिल हैं, जो कताई और बुनाई की गतिविधियों से जुड़ी हैं। इन उन्नत उपकरणों का वितरण हाल के वर्षों में पश्चिम बंगाल में इस तरह के सबसे बड़े अभियानों में से एक है। यह अभियान मालदा में रेशम और सूती उद्योग में कताई, बुनाई और रीलिंग गतिविधियों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन होगा। केवीआईसी ने मालदा के 22 खादी संस्थानों को मजबूत करने के लिए 14 करोड़ रुपये का वितरण किए हैं। यह अभियान इस जिले में रेडीमेड परिधान उद्योग को भी मजबूत करेगा, जो स्थानीय कारीगरों के लिए आजीविका का एक प्रमुख स्रोत रहा है। केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि पश्चिम बंगाल में खादी उद्योग को मजबूत करना प्रधानमंत्री के हर परिवार में एक चरखा होने के सपने के साथ जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे हर हाथ को काम मुहैया कराने के बड़े लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। सक्सेना ने कहा कि पश्चिम बंगाल में पारंपरिक कपास और रेशम उद्योग को मजबूत करके राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन करने पर केवीआईसी का मुख्य रूप से जोर दे रहा है। बंद इकाइयों को पुनर्जीवित करने, मौजूदा उद्योगों को मजबूत करने और स्थानीय कारीगरों के लिए स्थायी स्थानीय रोजगार सृजित करने से न केवल वित्तीय आत्मनिर्भरता सुनिश्चित होगी बल्कि पश्चिम बंगाल को कपास, रेशम एवं परिधान निर्माण के क्षेत्र में और भी अधिक मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। राज्य की पुरानी शिल्प होगी पुनर्जीवित केवीआईसी के अध्यक्ष ने कहा कि पश्चिम बंगाल में शुरू की गई रोजगार गतिविधियां ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘स्थानीय के लिए मुखर’ आह्वान को बढ़ावा देंगी। उन्होंने कहा कि उन्नत मशीन के साथ कारीगरों को सशक्त बनाने से उत्पादन गतिविधियों में तेजी आएगी और अंततः उनकी आय में वृद्धि होगी। यह पश्चिम बंगाल के पुराने शिल्प को पुनर्जीवित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। गौरतलब है कि कई सदियों से पश्चिम बंगाल कुछ बेहतरीन सूती और रेशमी कपड़े के उत्पादन के लिए जाना जाता है। राज्य व्यापक रूप से अपने मूगा, शहतूत और तसर रेशम के लिए प्रख्यात है, जो पीढ़ियों से एक प्रमुख कारीगरी गतिविधि थी। राज्य अपने विश्व प्रसिद्ध मुस्लिन कपास के लिए भी जाना जाता है। केवीआईसी ने पहली बार अपने ई-पोर्टल के माध्यम से मलमल कपड़े को ऑनलाइन बिक्री मंच प्रदान किया है, जिसने बंगाल की खादी संस्थाओं को काफी बढ़ावा दिया है। सक्सेना ने संस्थानों से दरियों, कंबल आदि जैसे नए उत्पादों का पता लगाने का भी आग्रह किया, जिसके लिए केवीआईसी को अर्धसैनिक बलों से आ रही भारी मांग को पूरा कर सकेगा। 31Jan-2021

राष्ट्रपति केअभिभाषण के साथ शुरू हुआ संसद का बजट सत्र

किसानों से लेकर कोरोना तक मोदी सरकार के कदमों को सराहा राष्ट्रपति कोविंद ने लाल किला पर तिरंगे के अपमान पर दी नसीहत हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र की शुरूआत राष्ट्रपति कोविंद के अभिभाषण के साथ शुरू हो गई है। इस दौरान अभिभाषण में बोलते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने गणतंत्र दिवस पर लाल किला पर तिरंगे के अपमान, कृषि कानून, भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध, गलवां घाटी में शहीद हुए जवानों, कोरोना वायरस, देश की अर्थव्यवस्था, आत्मनिर्भर भारत मिशन, जल जीवन मिशन, कोरोना वैक्सीन जैसे अनेक मुद्दों को उजागर किया। कोरोना महामारी के कारण शायद यह पहला मौका है जब संयुक्त सदनों की बैठक में संसद सदस्य केंद्रीय कक्ष के अलावा लोकसभा और राज्यसभा कक्ष में भी बैठाए गये। संसद के बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के संबोधन में कोविंद ने बजट सत्र के पहले दिन संसद के केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपने अभिभाषण के 91 बिंदुओं में मोदी सरकार की उपलब्धियों और देश व समाज हित में उठाए गये कदमों का जिक्र किया, जिसके लिए सदस्यों ने मेजे थपथपाकर अभिवादन किया। कोरोना महामारी के मद्देनजर शायद आजाद भारत के इतिहास में पहली बार संसद सदस्यों और मंत्रिपरिषद के सदस्यों को लोकसभा और राज्य सभा कक्ष में भी बैठाया गया। अपने अभिभाषण में कोविंद ने गणतंत्र दिवस पर लाल किला पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के हुए अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए नसीहत दी और कहा कि संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है, कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए। राष्ट्रपति कोविंद कहा कि कोरोना काल में मोदी सरकार के फैसलों की वजह से लाखों लोगों की जानें बचीं। कृषि कानूनों को बेहतर बताते हुए कहा कि इन कानूनों के जरिए सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं दी है और नए अधिकार भी। उन्होंने कोरोना महामारी जैसे संकट को लेकर कहा कि चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों न हो, न हम रुकेंगे और न भारत रुकेगा। भारत जब-जब एकजुट हुआ है, तब-तब उसने असंभव से लगने वाले लक्ष्यों को प्राप्त किया है। महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में हमने अनेक देशवासियों को असमय खोया भी है। सरकार के समय पर लिए गए सटीक फैसलों से लाखों देशवासियों का जीवन बचा है। आज देश में कोरोना के नए मरीजों की संख्या भी तेजी से घट रही है और जो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं उनकी संख्या भी बहुत अधिक है। कोरोना काल में अर्थव्यवस्था पर रहा फोकस राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए रिकॉर्ड आर्थिक पैकेज के जरिए केंद्र सरकार ने इस बात का भी ध्यान रखा कि किसी गरीब को भूखा न रहना पड़े। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के माध्यम से 8 महीनों तक 80 करोड़ लोगों को 5 किलो प्रतिमाह अतिरिक्त अनाज निशुल्क सुनिश्चित किया गया। सरकार ने प्रवासी श्रमिकों, कामगारों और अपने घर से दूर रहने वाले लोगों की भी चिंता की। महामारी के दौरान गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत 50 करोड़ मैन डेज के बराबर रोजगार पैदा हुए। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि करीब 31 हजार करोड़ रुपए गरीब महिलाओं के जनधन खातों में सीधे ट्रांसफर भी किए और उज्ज्वला योजना में गरीब महिलाओं को 14 करोड़ से अधिक मुफ्त गैस सिलेंडर दिये। वहीं आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत देश में 1.5 करोड़ गरीबों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिला है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत सरकार ने 22 नए ‘एम्स’ को भी मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए गर्व की बात है कि आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चला रहा है। इस प्रोग्राम की दोनों वैक्सीन भारत में ही निर्मित हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछले 6 वर्षों में जो कार्य किए गए हैं, उनका बहुत बड़ा लाभ हमने इस कोरोना संकट के दौरान देखा है। कृषि और किसानों का रखा गया ख्याल अभिभाषण के दौरान राष्ट्रपति ने कृषि क्षेत्र और किसानों को लेकर कहा कि सरकार ने बीते 6 वर्षों में बीज से लेकर बाज़ार तक हर व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन का प्रयास किया है, ताकि भारतीय कृषि आधुनिक भी बने और कृषि का विस्तार भी हो। मेरी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करते हुए लागत से डेढ़ गुना एमएसपी देने का फैसला भी किया था। सरकार आज न सिर्फ एमएसपी पर रिकॉर्ड मात्रा में खरीद कर रही है, बल्कि खरीद केंद्रों की संख्या को भी बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि 2013-14 में जहां 42 लाख हेक्टेयर जमीन में ही माइक्रो-इरिगेशन की सुविधा थी, वहीं आज 56 लाख हेक्टेयर से ज्यादा अतिरिक्त जमीन को माइक्रो-इरिगेशन से जोड़ा जा चुका है। नए कृषि कानून बदलेंगे किसानों की तकदीर कृषि क्षेत्र को नई दिशा और किसानों की आय में बढ़ोतरी के इरादे से ही सरकार ने सात महीने पूर्व तीन महत्वपूर्ण कृषि सुधार, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक पारित किए हैं। इन कृषि सुधारों का सबसे बड़ा लाभ भी 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को तुरंत मिलना शुरू हुआ। इन कृषि सुधारों के जरिए सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ नए अधिकार भी दिए हैं। इसके अलावा लघु सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि, कृषि बीमा, मत्स्य योजना, खाद्यान्न उत्पादन, का भी जिक्र किया। वहीं उन्होंने राम मंदिर, जम्मू कश्मीर में जिला परिषद चुनाव, स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर ‘वोकल फार लोकल’ के जिक्र करने के साथ सरकार की मुद्रा योजना, महिलाओं की भागीदारी एवं स्वरोजगार, जनधन एवं उज्ज्वला योजना, नये एम्स को मंजूरी, शौचालयों का निर्माण का भी उल्लेख किया। उनके भाषण में सांसदों ने टीकाकरण अभियान, प्रत्यक्ष विदेश निवेश में वृद्धि, आधारभूत ढांचे के विकास के लिये निवेश, बोडो शांति समझौता, नक्सली हिंसा में कमी, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति भंग करने के प्रयास, भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध जैसी चुनौतियों से निपटने की नीतियों को भी सराहा। 30Jan-2021

संसद में पेश हुई आर्थिक समीक्षा 2020-21: वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी 11 प्रतिशत रहने का अनुमान

वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी 11 प्रतिशत रहने का अनुमान इस साल 7.7 फीसदी तक गिर सकती है जीडीपी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। संसद के शुरू हुए बजट सत्र में राष्ट्रपति अभिभाषण के बाद लोकसभा और राज्यसभा में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2021-22 में तेजी से पुनरूद्धार की उम्मीद जताई गई। वहीं अनुमान लगाया गया कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की वास्‍तविक जीडीपी वृद्धि दर 11 प्रतिशत और सांकेतिक जीडीपी वृद्धि दर 15.4 प्रतिशत रहेगी, जो देश की आजादी के बाद सर्वाधिक है। संसद में एक फरवरी को पेश किये जाने वाले केंद्रीय बजट से पूर्व शुक्रवार को शुरू हुए बजट सत्र के बाद लोकसभा और राज्यसभा की बैठकों में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक समीक्षा में आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये आगे किये जाने वाले सुधारों के बारे में सुझाव भी दिये गये हैं। आर्थिक समीक्षा के सार में कहा गया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2021-22 में तेजी से पुनरूद्धार की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर में 23.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। पूरे वित्त वर्ष में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। जबकि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 11 प्रतिशत और सांकेतिक जीडीपी वृद्धि दर 15.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि व्‍यापक टीकाकरण अभियान, सेवा क्षेत्र में तेजी से हो रही बेहतरी और उपभोग एवं निवेश में त्‍वरित वृद्धि की संभावनाओं की बदौलत देश में ‘वी’ आकार में आर्थिक विकास संभव होगा। आर्थिक समीक्षा 2020-21 में कहा गया है कि पिछले वर्ष के अपेक्षा से कम रहने वाले संबंधित आंकड़ों के साथ-साथ कोविड-19 के उपचार में कारगर टीकों का उपयोग शुरू कर देने से देश में आर्थिक गतिविधियों के निरंतर सामान्य होने की बदौलत ही आर्थिक विकास फिर से तेज रफ्तार पकड़ पाएगा। अगले दो वर्ष में तेजी से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था आईएमएफ के अनुसार भारत अगले दो वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था बन जाएगा। देश के बुनियादी आर्थिक तत्व अब भी मजबूत हैं, क्‍योंकि लॉकडाउन को क्रमिक रूप से हटाने के साथ-साथ आत्‍मनिर्भर भारत मिशन के जरिए दी जा रही आवश्यक सहायता के बल पर अर्थव्‍यवस्‍था बड़ी मजबूती के साथ बेहतरी के मार्ग पर अग्रसर है, जिसकी बदौलत वर्ष 2019-20 की विकास दर की तुलना में वास्‍तविक जीडीपी में 2.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होगी, जिसका मतलब यही है कि अर्थव्‍यवस्‍था दो वर्षों में ही महामारी पूर्व स्‍तर पर पहुंचने के साथ-साथ इससे भी आगे निकल जाएगी। ये अनुमान दरअसल आईएमएफ के पूर्वानुमान के अनुरूप ही हैं जिनमें कहा गया है कि भारत की वास्‍तविक जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 11.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022-23 में 6.8 प्रतिशत रहेगी। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ‘सौ साल में एक बार’ भारी कहर ढाने वाले इस तरह के गंभीर संकट से निपटने के लिए भारत ने अत्‍यंत परिपक्‍वता दिखाते हुए जो विभिन्न नीतिगत कदम उठाए हैं। भारत के ये नीतिगत कदम दीर्घकालिक लाभों पर फोकस करने के महत्‍वपूर्ण फायदों को भी दर्शाते हैं। भारत ने नियंत्रण, राजकोषीय, वित्तीय और दीर्घकालिक ढांचागत सुधारों के चार स्‍तम्‍भों वाली अनूठी रणनीति अपनाई। देश में उभरते आर्थिक परिदृश्य को ध्‍यान में रखते हुए सुव्‍यवस्थित ढंग से राजकोषीय और मौद्रिक सहायता दी गई। कृषि क्षेत्र विकास में आशा की किरण भारत में कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद बढ़ती गति‍शीलता पर फोकस करने से पता चलता है कि ई-वे बिल, रेल माल भाड़ा, जीएसटी संग्रह और बिजली की मांग बढ़ने जैसे संकेतक पिछले वर्ष के स्‍तरों को भी पार कर गये है। वहीं रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे मासिक जीएसटी संग्रह इस बात का संकेत है कि देश में औद्योगिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियों को किस हद तक उन्‍मुक्त कर दिया गया है। वाणिज्यिक प्रपत्रों की संख्‍या में तेज वृद्धि, यील्ड में कमी आने और एमएसएमई को मिले कर्जों में उल्‍लेखनीय वृद्धि कि विभिन्न उद्यमों को अपना अस्तित्व बनाए रखने और विकसित होने के लिए व्‍यापक मात्रा में कर्ज देने की नीतियों का नतीजा हैं। यहीं कारण है कि आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में भी उल्‍लेखनीय मजबूती देखी गई, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती मांग से समग्र आर्थिक गतिविधियों को आवश्यक सहारा मिला और इसके साथ ही तेजी से बढ़ते डिजिटल लेन-देन के रूप में उपभोग संबंधी ढांचागत बदलाव देखने को मिले। समीक्षा में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र की बदौलत वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को कोविड-19 महामारी से लगे तेज झटकों के असर काफी कम हो जाएंगे। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर पहली तिमाही के साथ-साथ दूसरी तिमाही में भी 3.4 प्रतिशत रही है। सरकार द्वारा लागू किए गए विभिन्न प्रगतिशील सुधारों ने जीवंत कृषि क्षेत्र के विकास में उल्‍लेखनीय योगदान दिया है जो वित्त वर्ष 2020-21 में भी भारत की विकास गाथा के लिए आशा की किरण है। 30Jan-2021

केवीआईसी ने असम में पुनर्जीवित किया खादी संस्थान

तीन दशक पहले बोडो विद्रोहियों जलाकर कर दिया था ध्वस्त हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। असम के सबसे पुराने खादी संस्थानों में से एक है, पिछले तीस सालों से बोडो विद्रोह के चलते बर्बादी के कगार पर रहा। बोड़ो विद्रोहियों द्वारा जलाकर ध्वस्त इस खादी संस्थान को खादी और ग्रामोद्योग आयोग पुनजीर्वित कर नई जिंदगी दी है। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि असम के बक्सा जिले के कावली गांव में इस खादी उद्योग संस्थान को वर्ष 1989 में बोडो विद्रोहियों ने जलाकर नष्ट कर दिया था, उसे अब केवीआईसी ने सिल्क रीलिंग सेंटर के रूप में पुनर्जीवित किया गया है। अब फरवरी के दूसरे सप्ताह में 15 महिला कारीगरों और 5 अन्य कर्मचारियों के साथ यहां कताई और बुनाई की गतिविधियां फिर से शुरू होंगी। मंत्रालय के अनुसार 1962 में चीन के आक्रमण के बाद अरुणाचल प्रदेश से असम में स्थानांतरित हुए तामुलपुर आंचलिक ग्रामदान संघ नामक खादी संस्था द्वारा इसका निर्माण किया गया था। शुरुआत में सरसों के तेल का उत्पादन यहां शुरू हुआ था और 1970 से यहां कताई और बुनाई गतिविधियों ने भी 50 कारीगर परिवारों को यहां आजीविका प्रदान करना शुरू कर दिया था। मगर त्रासदी तब हुई जब 1989 में इस संस्थान को चरमपंथियों द्वारा जला दिया गया और तब से यह बंद रही। केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि इस खादी संस्थान के पुनरुद्धार ने ऐतिहासिक महत्व ग्रहण किया है और खादी गतिविधियों को फिर से शुरू करने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि शुरुआत में केवाइसी असम की एरी सिल्क की रीलिंग के लिए इकाई को विकसित करेगा। भविष्य में अन्य खादी गतिविधियों जैसे ग्रामोद्योग उत्पादों का निर्माण भी शुरू किया जाएगा। यह केंद्र स्थानीय कारीगरों के लिए एक प्रमुख रोजगार सृजन का काम करेगा। यह पहल खादी के मुख्य गांधीवादी सिद्धांत 'ग्रामीण पुनरुत्थान' से जुड़ी है, जो माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण ‘सबका साथ, सबका विकास’ के अनुरूप है। यह खादी संस्था गुवाहाटी से 90 किमी दूर स्थित है। केवीआईसी से वित्तीय सहायता के साथ इसे पुन: कार्यशील बनाया जा रहा है जिसके पीछे मकसद खादी कारीगरों को बेहतर कार्यशील स्थिति प्रदान करना है जिससे अंततः उनकी उत्पादकता में सुधार होगा। हाल के वर्षों में केवीआईसी ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम, ओडिशा और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कई ऐसे खादी संस्थानों को पुनर्जीवित किया है जो कई दशकों से खराब पड़े हुए थे। 29Jan-2021

‘पोषण और कोविड जागरूकता शिविर’ में महिलाएं सम्मानित

मोदी सरकार ने कोरोना के खिलाफ जंग में आपदा को अवसर में बदला: नकवी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम द्वारा आयोजित ‘पोषण और कोविड जागरूकता शिविर’ में लोगों की सेहत-सलामती के संकल्प के साथ काम करने वाली सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को सम्मानित भी किया गया। नई दिल्ली में गुरुवार को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम यानि एनएमडीएफसी द्वारा जरूरतमंद तबकों की महिलाओं के लिए आयोजित ‘पोषण और कोविड जागरूकता शिविर’ में यह बात कहते हुए नकवी ने कहा कि कोरोना की चुनौती के एक वर्ष से भी कम समय में भारत में दो ‘मेड इन इंडिया’ वैक्सीन का आना, देश के वैज्ञानिकों के प्रयासों का परिणाम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देशवासियों की सलामती के संकल्प का पुख्ता प्रमाण हैं। इस अवसर पर कोरोना की चुनौतियों के दौरान लोगों की सेहत-सलामती के संकल्प के साथ काम करने वाली उन सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को सम्मानित भी किया, जिन्होंने आपदा को अवसर बनाने में सरकार, समाज और संस्थाओं ने कंधे से कंधा मिला कर प्रेरणादायक काम किया है। नकवी उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना काल को आपदा नहीं बनने दिया बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के एक अवसर में तब्दील कर दिया। बीस लाख से ज्यादा का टीकाकरण नकवी ने कहा कि भारत में अभी तक 20 लाख से ज्यादा लोगों को देशव्यापी कोविड 19 टीकाकरण अभियान के तहत टीका लगाया गया है। इस अभियान के पहले दो चरणों में 30 करोड़ देशवासियों को टीका लगाया जायेगा। नकवी ने कहा कि भारत के लिए कोरोना काल ‘सेवा, संयम और संकल्प’ का सकारात्मक समय साबित हुआ। एनएमडीएफसी ने हजारों कारीगरों और 27 राज्य चैनेलाइजिंग एजेंसियों को अपने समूहों के बीच कोविड-19 की रोकथाम के संदेश का प्रसार करने के लिए तथा पोषण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान भी आयोजित किया है। इस मौके पर मोस्ट रेव. अनिल जोसफ कुटो, दिल्ली के आर्चबिशप, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सचिव पी. के. दास, अतिरिक्त सचिव एस.के. देव वर्मन; एनएमडीएफसी के सीएमडी शाहबाज़ अली, अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा अन्य गणमान्य उपस्थित रहे। कोरोना काल में सरकार की उपलब्धियां गिनाई इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नकवी ने कहा कि कोरोना की चुनौतियों के दौरान 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन मुहैया कराने के अलावा 8 करोड़ से ज्यादा परिवारों को 3 महीने का निशुल्क गैस सिलिंडर दिया गया। वहीं 20 करोड़ महिलाओं के जन धन खाते में 1500 रूपए दिये। कोरोना से लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को 17 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा जारी किये। इसी प्रकार श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिये 60 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाया गया और 20 लाख करोड़ रूपए का ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ जारी किया गया। किसान सम्मान निधि का लाभ 10 करोड़ से अधिक किसानों को देने के साथ आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कृषि क्षेत्र के लिए एक लाख करोड़ रूपए की घोषणा की गई। 29Jan-2021

केंद्रित सुधार योजना में मध्य प्रदेश अव्वल

निर्धारित चारों नागरिक सुधार लागू करने वाला पहला राज्य बना बिजली सुधार: किसानों के बैंक खातों में पहुंची 32.07 करोड़ बिजली सब्सिडी ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। मध्य प्रदेश आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत राज्यों में आर्थिक सुधार की दिशा नागरिक केंद्रित सुधार योजना में निर्धारित चारों नागरिक सुधारों को लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है। हालांकि मध्य प्रदेश इन चारों सुधारों को लागू करने से पहले तीन सुधार लागू करते ही योजना के प्रावधानों के तहत पूंजीगत व्यय के लिए विशेष वित्तीय सहायता हासिल करने का हकदार बन गया था।सुधारों के साथ ही योजना के प्रावधानों के तहत पूंजीगत व्यय के लिए विशेष वित्तीय सहायता हासिल करने का हकदार बन गया था। वैश्विक कोरोना महामारी के कारण प्रभावित अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा गत 12 अक्टूबर को आत्मनिर्भर भारत पैकेज 2.0 जारी करने के दौरान ऐलान किया था कि इस पैकेज के एक हिस्से के रूप में निधारित वन नेशनवन राशन कार्ड रिफॉर्म, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिफॉर्म, अर्बन लोकल बॉडी/यूटीलिटी रिफॉर्म और पॉवर सेक्टर रिफॉर्म में से तीन सुधारों को पूरा करने वाले राज्यों को दूसरा लाभ पूंजीगत व्यय के रूप में दो हजार करोड़ रुपये की राशि अतिरिक्त वित्तीय सहायता के रूप देने का प्रावधान किया गया है। मंत्रालय ने बताया कि मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश ने अपने अपने राज्यों में निर्धारित चार नागरिक केंद्रित सुधारों में से शहरी निकाय सुधारों तरीके से तीन सुधारों वन नेशन-वन राशन कार्ड रिफॉर्म, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिफॉर्म और शहरी निकाय सुधारों को सबसे पहले पूरा किया। अब मध्य प्रदश ने चौथे सुधार के रूप में पॉवर सेक्टर में सुधारों को लागू करके आत्मनिर्भर भारत मिशन में एक मिसाल कायम की है, जिसमें सबसे पहले चारों नागरिक केंद्रित सुधारों को लागू किया गया है। केंद्र की योजना के तहत इससे पहले जनवरी के पहले सप्ताह में ही चार में से तीन सुधारों को लागू करके मध्य प्रदेश व आंध्र प्रदेश एक पुरस्कार के रूप में पूंजीगत व्यय के लिए विशेष सहायता के तहत 1,004 करोड़ रूपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता के हकदार बन गये थे, जिसमें मध्य प्रदेश को 660 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता राशि देने का ऐलान किया गया। यह राशि इन दोनों राज्यों को इन सुधारों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त ऋण हेतु पहले जारी हो चुकी 14,694 करोड़ रुपये की अनुमति के अलावा एक पुरस्कार के रूप प्रदान की गई है। केंद्र सरकार ने इन चारों सुधारों के लिए राज्यों को 15 फरवरी तक की अवधि को पहले ही बढ़ाया हुआ है। चौथे सुधार के लिए 1423 करोड़ की अनुमति वित्त मंत्रालय के अनुसार मध्य प्रदेश द्वारा चौथे और अंतिम सुधार यानि बिजली क्षेत्र में सुधारों को लागू करने से राज्य को अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद यानि जीएसडीपी के 0.15 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त वित्तीय पूंजी जुटाने का हक मिल गया है। यानि इसके तहत केंद्र सरकार ने राज्य को पहले से जारी धनराशि के अलावा खुले बाजार में 1423 करोड़ रुपये कर्ज लेने की अनुमति प्रदान कर दी है। हालांकि मध्य प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2020 से राज्य के विदिशा जिले में किसानों को बिजली के तहत मिलने वाली सब्सिडी को सीधे बैंक खाते में देनी शुरू कर दी थी। मसलन अब तक 60,081 लाभार्थियों के बैंक खातों में 32.07 करोड़ रुपये डीबीटी के जरिए भेजे गए हैं। इसके अलावा राज्य ने झाबुआ और सिवनी जिलों में भी डीबीटीयोजना को लागू करने के लिए एक प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहले चरणमें 3 जिलों में योजना के लागू होने के बाद उससे मिले अनुभव के आधार पर योजना को वित्त वर्ष 2021-22 में पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। बिजली क्षेत्र में तीन सुधार मंत्रालय के अनुसार हालांकि बिजली क्षेत्र के तीन सुधारों में बाकी दो सुधारों को लागू करना है। इन तय लक्ष्यों के अनुसार राज्य को जीएसडीपी के 0.05 फीसदी के बराबर कुल तकनीकी और वाणिज्यिक ह्रास (टेक्निकल एंड कॉमर्शियल लॉस) को लाना होगा। वहीं औसत बिजली आपूर्ति लागत और औसत कमाई (रेवेन्यू रियलाइजेशन) के अंतर को जीएसडीपी के 0.05 फीसदी के बराबर लाना है। 29Jan-2021

उत्तराखण्ड की ‘केदारखंड’ झांकी को मिला तृतीय पुरस्कार

गणतंत्र दिवस समारोह की परेड में हुई थी शामिल हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर विभिन्न राज्यों की झांकियों ने राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के राजपथ पर आयोजित परेड में हिस्सा लिया, जिसमें शामिल रही उत्तराखण्ड की ‘केदारखंड’ झांकी को तीसरे स्थान के लिये पुरस्कृत किया गया है। जबकि उत्तर प्रदेश की झांकी को प्रथम और त्रिपुरा की झांकी को दूसरा स्थान मिला है। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में गुरुवार को केंद्रीय राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने यह पुरस्कार प्रदान किया। उत्तराखण्ड के प्रतिनिधि और टीम लीडर केएस चौहान ने राज्य की ओर से पुरस्कार प्राप्त किया। राज्य गठन के बाद उत्तराखण्ड द्वारा अनेक बार प्रतिभाग किया गया परंतु यह पहला अवसर है, जब उत्तराखण्ड की झांकी को पुरस्कार के लिए चुना गया है। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण कर इसे पहले से भी अधिक भव्य रूप प्रदान किया गया है। मुख्यमंत्री ने झांकी को पुरस्कार के लिए चुने जाने पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए सचिव सूचना दिलीप जावलकर, सूचना महानिदेशक डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट, टीम लीडर व उपनिदेशक सूचना केएस चौहान और झांकी बनाने वाले कलाकारों तथा झांकी में सम्मलित सभी कलाकारों को बधाई दी है। गौरतलब है कि राजपथ नई दिल्ली गणतंत्र दिवस समारोह में उत्तराखण्ड राज्य की ओर से ‘केदारखंड’ की झांकी प्रदर्शित की गई थी। उत्तराखण्ड सूचना विभाग के उपनिदेशक/झांकी के टीम लीडर के.एस.चौहान के नेतृत्व में 12 कलाकारों के दल ने भी झांकी में अपना प्रदर्शन किया। झांकी का थीम सांग “जय जय केदारा” था। गणतंत्र दिवस परेड-2021 समारोह में उत्तराखण्ड राज्य की झांकी में सम्मिलित होने वाले कलाकारों में झांकी निर्माता श्रीमती सविना जेटली, मोहन चन्द्र पाण्डेय, विशाल कुमार, दीपक सिंह, देवेश पन्त, वरूण कुमार, अजय कुमार, श्रीमती रेनू, कु. नीरू बोरा, कु. दिव्या, कु. नीलम और कु. अंकिता नेगी शामिल थे। यूपी की झांकी को पहला पुरस्कार नई दिल्ली में राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुई उत्तर प्रदेश की झाँकी श्रीराम मंदिर को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। दिल्ली कैंट स्थित रविन्द्र राष्ट्रीय रंगशाला में आयोजित रंगारंग कार्यक्रम में ट्राफी और प्रशस्ति पत्र युवा कल्याण एवं खेल राज्य मंत्री किरन रिजिजू के कर-कमलों से प्राप्त किया सूचना विभाग उप्र के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल, सूचना निदेशक, उप्र शिशिर कुमार सिंह और टीम ने। इस अवसर पर झाँकी के कलाकारों ने मंच पर अपनी शानदार प्रस्तुति से उपस्थितजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जबकि त्रिपुरा की झांकी को दूसरा सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार दिया गया। त्रिपुरा की झांकी ने सामाजिक-आर्थिक मापदंडों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल परंपरा को बढ़ावा दिया। पूर्वोत्तर राज्य 19 जनजातियों का घर है और दुनिया की 21 प्रजातियों का समर्थन करने वाले बांस का समृद्ध संसाधन है। झांकी में बांस की प्रजाति और जनजातियों की समृद्ध विरासत को दिखाया गया, जिसमें उनके पारंपरिक परिधान प्रदर्शित होते थे, जो बांस और बेंत से बने उत्पादों को पहने हुए थे। गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस परेड में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 32 झांकी शामिल हुई, जिनमें 17 सबसे अच्छी झांकी का चयन किया गया। इनमें नौ विभिन्न मंत्रालयों और विभागों और अर्धसैनिक बलों से और छह रक्षा मंत्रालय के अलावा देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, आर्थिक प्रगति और रक्षा कौशल का चित्रण करने वाली शामिल हैं। 29Jan-2021

अब मिशन मोड़ पर चलेगी उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना

परियोजना की प्रगति की समीक्षा के बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने दिये निर्देश हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश के विभिन्न इलाकों से कश्‍मीर घाटी को जोड़ने वाली 272 किलोमीटर लंबी उधमपुर-बारामूला रेल लिंग परियोजना का अधिकांश हिस्सा पूरा होने के बाद बाकी बचे कार्य को मिशन मोड़ पर तेजी से किया जाएगा। ऐसा आदेश रेल मंत्री पीयूष गोयल ने जारी किया है। रेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि देश की महत्‍वाकांक्षी राष्‍ट्रीय परियोजना इस परियोजना के 272 किलोमीटर में से 161 किलोमीटर का कार्य पूरा हो गया है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस परियोजना की प्रगति की समीक्षा करने के बाद उत्तर रेलवे और परियोजना से जुड़े अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस परियोजना के बाकी बचे कार्य को जल्द पूरा करने की दिशा में कार्य को मिशन मोड़ पर किया जाए। दरअसल अभी इस परियोजना के तहत 111 किलोमीटर लंबे कटरा-बनिहाल सेक्शन का कार्य प्रगति पर है। इस सेक्शन पर 111 किमी में से 97 किलोमीटर यानि 87 फीसदी कार्य मुख्य रूप से सुरंगों का है। समीक्षा बैठक के दौरान बताया गया कि इस सेक्शन पर 97.6 किलोमीटर लंबी 27 मुख्य सुरंगें और 66.4 किमी लंगी 8 एस्‍केप सुरंगें का काम किया जा रहा है। इस प्रकार कटरा-बनिहाल सेक्शन पर कुल मिलाकर 164किलोमीटर सुरंगों का निर्माण कार्य किया जा रहा है। रेल मंत्री को अधिकारियों ने जानकारी दी कि इस परियोजना में उधमपुर-कटरा 25 किमी, क़ाज़ीगुंड-बारामूला 118 किमी और बनिहाल-क़ाज़ीगुंड 18 किमी का कार्य पूरा करने के बाद इसे चालू कर दिया गया है। अब केवल 111 किमी लंबे कटड़ा-बनिहाल सेक्सन का चुनौतीपूर्ण कार्य किया जा रहा है। रेलवे के अनुसार इस परियोजना के तहत वर्तमान में 136 किमी मुख्य सुरंग मार्ग, जिसमें मुख्य सुरंग के 97 किलोमीटर में से 83 किमी और 66.4 किमी के सुरंग मार्ग में से 55 किलोमीटर का कार्य पूरा हो चुका है। इसमें कुल 37 पुलों में से 26 बड़े पुल और 11 छोटे पुल हैं। वर्तमान में 12 बड़े पुलों और 10 छोटे पुलों का कार्य पूरा हो चुका है और शेष पुलों का कार्य तीव्र गति पर है। मार्च तक पूरा होगा चिनाब ब्रिज का कार्य इसी परियोजना के तहत बनाए जा रहे इन पुलों में चिनाब पुल का कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण है, जो दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल को चिनाब नदी की तलहटी से जिसकी कुल लंबाई 1315 मीटर, आर्क स्पैन 467 मीटर और ऊंचाई 359 मीटर तक के कार्य भी शामिल है। फिलहाल चिनाब पुल के आर्क को बनाने का कार्य प्रगति पर है। इसके 550 मीटर में से 516 मीटर का कार्य पूरा हो चुका है और शेष 34 मीटर का कार्य ही बाकी है। इसे मार्च 2021 तक पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है। रेलवे के अनुसार भारतीय रेल के पहले केबल स्टे्ड पुल का निर्माण भी अंजी खड्ड पर किया जा रहा है। इसके 193 मीटर के मुख्य पायलन के कार्य में से 120 मीटर का कार्य पूरा हो गया है। अंजी पुल के सहायक पुल के हिस्से का कार्य पुरा हो चुका है। अन्य बड़े पुलों में पुल संख्या 39 और 43 का कार्य प्रगति पर है, जिनके निर्माण का क्रमश: 191 मीटर और 141 मीटर का कार्य पूरा हो चुका है। 28Jan-2021