सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

संसद में पेश हुई आर्थिक समीक्षा 2020-21: वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी 11 प्रतिशत रहने का अनुमान

वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी 11 प्रतिशत रहने का अनुमान इस साल 7.7 फीसदी तक गिर सकती है जीडीपी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। संसद के शुरू हुए बजट सत्र में राष्ट्रपति अभिभाषण के बाद लोकसभा और राज्यसभा में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2021-22 में तेजी से पुनरूद्धार की उम्मीद जताई गई। वहीं अनुमान लगाया गया कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की वास्‍तविक जीडीपी वृद्धि दर 11 प्रतिशत और सांकेतिक जीडीपी वृद्धि दर 15.4 प्रतिशत रहेगी, जो देश की आजादी के बाद सर्वाधिक है। संसद में एक फरवरी को पेश किये जाने वाले केंद्रीय बजट से पूर्व शुक्रवार को शुरू हुए बजट सत्र के बाद लोकसभा और राज्यसभा की बैठकों में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक समीक्षा में आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये आगे किये जाने वाले सुधारों के बारे में सुझाव भी दिये गये हैं। आर्थिक समीक्षा के सार में कहा गया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2021-22 में तेजी से पुनरूद्धार की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर में 23.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। पूरे वित्त वर्ष में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। जबकि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 11 प्रतिशत और सांकेतिक जीडीपी वृद्धि दर 15.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि व्‍यापक टीकाकरण अभियान, सेवा क्षेत्र में तेजी से हो रही बेहतरी और उपभोग एवं निवेश में त्‍वरित वृद्धि की संभावनाओं की बदौलत देश में ‘वी’ आकार में आर्थिक विकास संभव होगा। आर्थिक समीक्षा 2020-21 में कहा गया है कि पिछले वर्ष के अपेक्षा से कम रहने वाले संबंधित आंकड़ों के साथ-साथ कोविड-19 के उपचार में कारगर टीकों का उपयोग शुरू कर देने से देश में आर्थिक गतिविधियों के निरंतर सामान्य होने की बदौलत ही आर्थिक विकास फिर से तेज रफ्तार पकड़ पाएगा। अगले दो वर्ष में तेजी से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था आईएमएफ के अनुसार भारत अगले दो वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था बन जाएगा। देश के बुनियादी आर्थिक तत्व अब भी मजबूत हैं, क्‍योंकि लॉकडाउन को क्रमिक रूप से हटाने के साथ-साथ आत्‍मनिर्भर भारत मिशन के जरिए दी जा रही आवश्यक सहायता के बल पर अर्थव्‍यवस्‍था बड़ी मजबूती के साथ बेहतरी के मार्ग पर अग्रसर है, जिसकी बदौलत वर्ष 2019-20 की विकास दर की तुलना में वास्‍तविक जीडीपी में 2.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होगी, जिसका मतलब यही है कि अर्थव्‍यवस्‍था दो वर्षों में ही महामारी पूर्व स्‍तर पर पहुंचने के साथ-साथ इससे भी आगे निकल जाएगी। ये अनुमान दरअसल आईएमएफ के पूर्वानुमान के अनुरूप ही हैं जिनमें कहा गया है कि भारत की वास्‍तविक जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 11.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022-23 में 6.8 प्रतिशत रहेगी। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ‘सौ साल में एक बार’ भारी कहर ढाने वाले इस तरह के गंभीर संकट से निपटने के लिए भारत ने अत्‍यंत परिपक्‍वता दिखाते हुए जो विभिन्न नीतिगत कदम उठाए हैं। भारत के ये नीतिगत कदम दीर्घकालिक लाभों पर फोकस करने के महत्‍वपूर्ण फायदों को भी दर्शाते हैं। भारत ने नियंत्रण, राजकोषीय, वित्तीय और दीर्घकालिक ढांचागत सुधारों के चार स्‍तम्‍भों वाली अनूठी रणनीति अपनाई। देश में उभरते आर्थिक परिदृश्य को ध्‍यान में रखते हुए सुव्‍यवस्थित ढंग से राजकोषीय और मौद्रिक सहायता दी गई। कृषि क्षेत्र विकास में आशा की किरण भारत में कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद बढ़ती गति‍शीलता पर फोकस करने से पता चलता है कि ई-वे बिल, रेल माल भाड़ा, जीएसटी संग्रह और बिजली की मांग बढ़ने जैसे संकेतक पिछले वर्ष के स्‍तरों को भी पार कर गये है। वहीं रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे मासिक जीएसटी संग्रह इस बात का संकेत है कि देश में औद्योगिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियों को किस हद तक उन्‍मुक्त कर दिया गया है। वाणिज्यिक प्रपत्रों की संख्‍या में तेज वृद्धि, यील्ड में कमी आने और एमएसएमई को मिले कर्जों में उल्‍लेखनीय वृद्धि कि विभिन्न उद्यमों को अपना अस्तित्व बनाए रखने और विकसित होने के लिए व्‍यापक मात्रा में कर्ज देने की नीतियों का नतीजा हैं। यहीं कारण है कि आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में भी उल्‍लेखनीय मजबूती देखी गई, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती मांग से समग्र आर्थिक गतिविधियों को आवश्यक सहारा मिला और इसके साथ ही तेजी से बढ़ते डिजिटल लेन-देन के रूप में उपभोग संबंधी ढांचागत बदलाव देखने को मिले। समीक्षा में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र की बदौलत वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को कोविड-19 महामारी से लगे तेज झटकों के असर काफी कम हो जाएंगे। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर पहली तिमाही के साथ-साथ दूसरी तिमाही में भी 3.4 प्रतिशत रही है। सरकार द्वारा लागू किए गए विभिन्न प्रगतिशील सुधारों ने जीवंत कृषि क्षेत्र के विकास में उल्‍लेखनीय योगदान दिया है जो वित्त वर्ष 2020-21 में भी भारत की विकास गाथा के लिए आशा की किरण है। 30Jan-2021

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