गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

वैश्विकरण के दौर में भारत को सहन करना होगा

ग्लोबलाइजेशन में भारत को सहन करना होगा - प्रशान्त दीक्षित (विदेशी मामलों के विशेषज्ञ) दुनिया में भारत की सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में पहचान है। किसान आंदोलन के समर्थन में विदेशी हस्तियों की प्रतिक्रियाओं का आना इसलिए स्वाभाविक है, क्योंकि जिस प्रकार से सरकार ने सड़कों को खोदकार कंटीली तारों के जाल बिछाकर आंदोलन को रोकने का प्रयास किया है उसके लिए इस वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन में हमारे देश को स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, इंटरनेशनल पॉप सिंगर रिहाना के बाद ऑस्कर जीत चुकी अमेरिका एक्ट्रेस सूजन सैरंडन जैसी विदेशी हस्तियों की बयानबाजी को सहन करना पड़ेगा।भारत में किसान आंदोलन के दौरान कंटीली तारों का प्रयोग ठीक उसी प्रकार से किया गया जब कुछ अरसे पहले आंदोलकारियों को रोकने के लिए जर्मनी में हुआ था। दुनिया के हर देश में भारतीय हैं और इस संचार यानि डिजिटल युग में किस देश में क्या हो रहा है सब एक दूसरे को पता लग रहा है। खास बात ये भी है कि भारत में किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही टिप्पणी करने वाले युवा हैं जो भारतीय लोकंत्रक इतिहास को पढकर गणतंत्र में सरकार की गतिविधियों को लोकतांत्रिक विरोधी के रुप में देखते हुए किसान आंदोलन के समर्थन में पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस प्रकार की बयानबाजी न तो अंर्राष्टीय साजिश है औ न ही भारत को बदनाम किया जा रहा है। अमेरिका व कनाडा के अलावा अन्य देशों ने भी सरकार के किसान कानूनों और इनके विरोध में किसान आंदोलन को लेकर मिली जुली प्रतिक्रियाएं दी हैं जिसे कोई साजिश करार देने का कोई औचित्य नहीं है, बल्कि ऐसी बयानबाजी साधारण और स्वाभाविक है। जहां तक किसान आंदोलन के समर्थन में विदेशी साजिश संबन्धी टूलकिट के खुलासे के दावों का सवाल है उसके लिए जांच में सरकार और एजजंसियां की अपनी प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन इस तरह की बयानबाजी अंतर्राष्टीय साजिश तो कतई नहीं है। (बातचीत पर आधारित-ओ.पी. पाल) 07Feb-2021

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