सोमवार, 31 दिसंबर 2018

देश में सबसे बड़ा होगा ओखला जलशोधन संयत्र

यमुना कार्य योजना की परियोजनाओं की हुई शुरूआत
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
नमामि गंगे मिशन के तहत अब दिल्ली में यमुना नदी के स्वच्छ अभियान की दिशा में 11 परियोजनाओं को पटरी पर उतारा गया है, जिसमें ओखला स्थित जल शोधन संयंत्र की क्षमता और उसका विस्तार भी शामिल है, जिसके पूरा होने पर यह एसटीपी देश का सबसे बड़ा जलशोधन संयंत्र में शुमार होगा।
नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में गुरुवार को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने जल संसाधन राज्य मंत्री डा. सत्यपाल व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हर्षर्धन के अलावा दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की मौजूदगी में दिल्ली में जल संबन्धी समस्याओं और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए यमुना नदी को स्वच्छ बनाने की दिशा में 11 परियोजनाओं की शुरूआत की है। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 11 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सात साल का लक्ष्य तय किया गया है। इस कार्य योजना के तहत आठ परियोजनाएं दिल्ली के तीन ड्रेनेज जोन कोंडली, रिठाला और ओखला में स्थित हैं जिनकी कुल जल शोधन क्षमता प्रतिदिन 950 मिलियन लीटर है। ओखला एसटीपी के विस्तार और उसकी क्षमता बढ़ाने के लिए शुरू की गई परियोजना पूरा होने पर यह जल शोधन संयंत्र देश का सबसे बड़ा प्लांट होगा। उन्होंने बताया कि यमुना कार्य योजना के पहले और दूसरे चरण के बाद जापान इंटरनेशलन कॉरर्पोरेशन एजेंसी की मदद से 1656 करोड़ रूपये की लागत से यमुना कार्य योजना के तीसरे चरण को नमामि गंगे मिशन के तहत दिल्ली सरकार के साथ समन्वय व सहमति के बाद एनएमसीजी ने मंजूरी दी है।
क्या होगा परियोजनाओं का स्वरूप
दिल्ली के लिए शुरू की गई 11 परियोजनाओं के तहत कोंडली में ट्रंक सीवर संख्या 4 व 5 के पुनर्वास हेतु 2019 तक क्रमश: 87.43 व 83.40 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसी प्रकार वर्ष 2020 तक 59.13 करोड लागत से कोंडली डब्ल्यूडबल्यूटीपी में 700-900 मि.मी. डायमीटर डीआई पाइपों के प्रेशर मेन उपलब्ध कराने और और बिछाने का काम पूरा किया जाएगा। इसी प्रकार रिठाला में अशोक विहार और जहांगीरपुरी क्षेत्र में वर्ष 2020 तक दो परियोजनाओं आर1ए में 43.9 करोड़ रुपये तथा आर1बी में 45.40 करोड़ की लागत से 600 मिमी से 1400 मिमी डायमीटर के विविध आकारों के सीवरों का पुनर्वास प्रदान किया जाएगा।
रिठाला में एसटीपी का विस्तार
यमुना कार्य योजना के तहत ही दिल्ली में वर्ष 2020 तक 211.79 करोड़ रुपये की लागत से तृतीयक शोधन संयंत्र सहित मौजूदा 182 एमएलडी रिठाला चरण-I एसटीपी का पुनर्वास और उन्नयन किया जाएगा। जबकि कोंडली में तीन चरणों के तहत 204 एमएलडी एसटीपी का पुर्नवास और उन्नयन शामिल है, जिस पर 239.11 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसी प्रकार ओखला में 665.78 करोड़ की लागत से 564 एमएलडी (124 एमजीडी) एसटीपी का निर्माण और मौजूदा 136 एमएलडी (चरण-1), 55 एमएलडी (चरण-2), 204 एमएलडी (चरण-3) और 168 एमएलडी (चरण-4) डब्ल्यूडबल्यूटीपी का विध्वंस शामिल है।
डीबीओटी योजना                                       
जल संसाधन मंत्रालय ने बताया कि गत अक्टूबर में एनएमसीजी द्वारा डिजाइन बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (डीबीओटी) आधार पर 65.24 करोड़ रुपये की अनुमानित राशि वाली सीवेज पंपिंग स्टेशन की स्थापना की जाएगी और दिल्ली के छत्तरपुर में प्रतिदिन 2.25 करोड़ लीटर क्षमता वाली 9 विकेन्‍द्रीकृत एसटीपी का निर्माण होगा।
एनजीटी की सख्ती का असर
दरअसल यमुना नदी में प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण लगातार उसके जल को निर्मल करने हेतु यमुना पुनरुद्धार योजना शुरू करने की नसीहत देता रहा है। इसी परियोजना के तहत गुरुवार को एनएमसीजी ने 344.81 करोड़ रुपये की अनुमानित राशि दिल्ली में नज़फगढ़ नाला (धांसा से केशोपुर) के कमांड क्षेत्र में एसटीपी कार्य पूरा करने की परियोजना को भी मंजूरी दी है।

-----
कम हुआ दिल्ली का जाम व प्रदूषण          
दिल्ली–एनसीआर में करीब 50 हजार करोड़ की योजना
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र व दिल्ली में यातायात जाम और वाहन प्रदूषण की समस्या से आम जनता को निजात दिलाने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की लागत से एक योजना तैयार की है।
यह जानकारी गुरूवार को विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने देते हुए कहा कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हर्ष वर्धन तथा दिल्ली सरकार के बीच समन्वय स्थापित करने के बाद तैयार की गई 50 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस योजना के जरिए दिल्ली–एनसीआर में आए दिन यातायात जाम और वाहन प्रदूषण की समस्या को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली से गुजरने वाले 5 राष्ट्रीय राजमार्गों से प्रत्येक दिन साढ़े पांच लाख वाहन चलते हैं, जिसमें करीब डेढ़ लाख व्यावसायिक वाहन शामिल हैं। इस योजना के तहत जहां 10 हजार करोड़ की लागत से 135 किमी लंबा ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे गत मई में चालू हो चुका है, वहीं छह हजार करोड़ की लागत से 28 किमी द्वारका एक्सप्रेस-वे भी पिछले माह जनता को समर्पित किया जा चुका है। इसके अलावा 280 करोड़ रुपये की लागत से धौलाकुआं एयरपोर्ट कॉरिडोर तैयार किया जा रह है। इसी प्रकार इस योजना में 10 हजार करोड़ की लागत से 150 किमी लंबा अक्षरधाम-लोनी-बागपत (दिल्ली-सहारनपुर) मार्ग, सात हजार करोड़ की लागत से 90 किमी लंबा दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के अलावा चार हजार करोड़ की लागत से यूईआर फेज-2 (न्यू रिंग रोड दिल्ली), 2300 करोड़ रुपये की लागत मुकरबा चौक से पानीपत मार्ग तथा  चार हजार करोड़ की लागत से 60 किमी लंबा कालिंदीकुज-फरीदाबाद-बल्लभगढ़-सोहना मार्ग का निर्माण का काम किया जा रहा है।
ईपीई से कम हुआ यातायात                            
गडकरी ने दावा किया है कि ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे के बन जाने से दूसरे राज्यों से दिल्ली आने वाला 40 प्रतिशत यातायात कम हो गया है। जबकि इस एक्सप्रेस-वे के कारण दिल्ली में वाहन कम होने से 27 फीसदी प्रदूषण में कमी आयी है। इस एक्सप्रेस-वे पर आवागमन शुरू होने के कारण हाईवे दिल्ली-अमृतसर पर 38 फीसदी, फरीदाबाद-मथुरा पर 37 फीसदी, दिल्ली-इटावा पर 11 फीसदी, दिल्ली-हापुड़ पर छह फीसदी यातायात में कमी दर्ज की गई है। इसके अलावा द्वारका एक्सप्रेस वे से दिल्ली-जयपुर हाईवे पर 17 फीसदी तथा दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के कारण गाजियाबाद-नोएडा  मार्ग पर 15.5 यातायात कम हुआ है।
28Dec-2018
आज होगी सीवेज व जलशोधन परियोजनाओं की शुरूआत 
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना नमामि गंगे मिशन के तहत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना नदी के प्रदूषण और उसके जल को निर्मल बनाने की कवायद में जिन 11 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, उनकी शुरूआत कल गुरुवार को होगी, जिसमें दिल्ली में आठ सीवेज तथा तीन जल शोधन संयंत्र की परियोजनाएं शामिल हैं।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि नमामि गंगे मिशन के तहत राष्‍ट्रीय स्‍वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा दिल्‍ली में यमुना नदी के संरक्षण के लिए परियोजनाएं यमुना कार्य योजना-3 के रूप में 11 परियोजनाओं को लागू करने का दायित्व लिया है, जिसमें ज्‍यादातर परियोजनाएं सीवेज की बुनियादी सुविधाओं को विभिन्न चरणों में दुरस्त किया जाएगा। जबकि दिल्ली के तीन ड्रैनेज जोन्स कोंडली, रिठाला और ओखला में जल शोधन संयंत्रों का विकेन्द्रीकरण को भी कार्यान्वित किया जाएगा। मंत्रालय के अनुसार दिल्‍ली शहर में इस समय प्रतिदिन 327 करोड़ लीटर सीवेज उत्पन्न होता है, जबकि उसके पास प्रतिदिन 276 करोड़ लीटर की जल शोधन क्षमता है। दिल्‍ली में यमुना कार्य योजना-1 1993-2003 संचालित किया गया था और दिल्‍ली के साथ-साथ उत्तर  प्रदेश तथा हरियाणा को कवर करने के लिए यमुना कार्य योजना-2 का विस्‍तार 2003 में किया गया था। इन दोनों चरणों की सफलता और इनसे मिले सबक के आधार पर केंद्र सरकार ने जेआईसीए की सहायता से दिल्‍ली में 1656 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से यमुना कार्य योजना-3 शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसे नमामि गंगे मिशन के घटक के तौर पर कार्यान्वित किया जा रहा है। इन परियोजनाओं की कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में दिल्‍ली जल बोर्ड के सहयोग से होगा।
राजधानी में बढ़ेगी जल शोधन क्षमता
राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली की लगभग 2 करोड़ की आबादी वाले महानगर में बढ़ती आबादी और क्षेत्र के विस्तार के कारण यमुना नदी में गिरने वाले अशोधित सीवेज की मात्रा लगातार बढ़ रही है। दिल्‍ली में परियोजना-III के तहत कुल आठ सीवेज अवसंरचना परियोजनाओं में ओखला में प्रतिदिन 56.4 करोड़ लीटर की एसटीपी क्षमता में प्रतिदिन 38.6 करोड़ लीटर क्षमता की बहाली और सुधार होगा, तो वहीं कोंडली और रिठाला जोन में 35 किलोमीटर लंबाई वाले ट्रंक सीवर और राइजिंग मेन की बहाली की जाएगी। कोंडली के लिए चार पैकेज, रिठाला के लिए तीन पैकेज तथा ओखला जोन के लिए एक पैकेज को दुरस्त किया जाएगा। इसके अलावा जल शोधन क्षमता बढ़ाने की दिशा में 580 करोड़ रुपये की कुल लागत वाली दो परियोजनाओं के तहत 515.07 करोड़ रुपये की लागत से प्रतिदिन 31.8 करोड़ लीटर क्षमता वाला अशोधित जल उपचारित संयंत्र स्थापित करने तथा छतरपुर में 65.24 करोड़ रुपये की लागत पर प्रतिदिन 2.25 करोड़ लीटर क्षमता वाली 9 विकेन्‍द्रीकृत एसटीपी को मंजूरी दी गई है।
नितिन गडकरी करेंगे शिलान्यास
गुरुवार को यहां विज्ञान भवन में एक समारोह में नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत यमुना संरक्षण की इन 11 परियोजनाओं का शिलान्‍यास केंद्रीय जल संसाधन नितिन गडकरी करेंगे, जिसमें केंद्रगीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन तथा दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मौजूद रहेंगे।  
27Dec-2018  

संसद में जारी गतिरोध ने बढ़ाई सरकार की चुनौती!

आज भी हंगामे के बादल छंटने के आसार नहीं   
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामे की भेंट चढ़ी कार्यवाही अब पांच दिन के अवकाश के बाद कल गुरुवार को शुरू होगी, जिसमें सरकार और विपक्ष के बीच विभिन्न मुद्दों पर जारी गतिरोध के कारण हंगामे के आसार बने हुए है। इसलिए सरकार के सामने सरकारी कामकाज को आगे बढ़ाने के लिए चुनौती बनी हुई है, जबकि गुरुवार को लोकसभा में तीन तलाक संबन्धी विधेयक पर चर्चा भी होनी है।
संसद के शीतकालीन सत्र में अभी तक पहले दो सप्ताह की कार्यवाही के दौरान राफेल, राम मंदिर, कावेरी और आंध्र प्रदेश जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्ष आक्रमक तेवर अपनाए हुए है, जिसके कारण लोकसभा और राज्यसभा में प्रश्नकाल व शून्यकाल तक नहीं हो पाए। हालांकि इसी हंगामे में सरकार केवल दिव्यांगों से संबन्धित राष्ट्रीय स्वपरायणता प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु-निशक्तता ग्रस्त कल्याण न्यास (संशोधन) विधेयक को ही दोनो सदनों की मंजूरी मिल सकी है। हंगामे के बीच ही इसके अलावा लोकसभा में पारित कराए गये सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, कंपनी (संशोधन) विधेयक प्रमुख रूप से पारित किये गये हैं, जबकि बांध सुरक्षा विधेयक, केन्द्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक के अलावा अध्यादेश में बदले जाने वाले मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) अध्यादेश-2018, भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश तथा कंपनी संशोधन अध्यादेशों को विधेयकों के रूप में लोकसभा में पेश किया जा चुका है, जिनमें कंपनी विधेकय पारित करा लिया गया है और इनमें कल गुरुवार को मुस्लिम महिलाएं (विवाह अधिकारों संरक्षण) विधेयक-2017 पर चर्चा होनी है। संसद में सरकार और विपक्ष के बीच बने गतिरोध के कारण दोनों सदनों में गुरुवार को भी हांगामे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
संसद में आज
संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे सप्ताह की गुरुवार को होने वाली बैठकों में लोकसभा में विधायी कार्य में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए प्रमुख स्थान दिया गया है। इसके अलावा भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (संशोधन) विधेयक, नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय माध्यस्थम केंद्र विधेयक भी कार्यसूची में शामिल है। वहीं लोकसभा में जम्मू-कश्मीर में गत 19 दिसंबर को लागू राष्ट्रपति शासन के अनुमोदन का सांविधिक संकल्प भी तय है। दूसरी ओर राज्यसभा में नालंदा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (संशोधन) विधेयक, बच्चों की नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा (संशोधन) विधेयक तथा लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक सूचीबद्ध है।
तीन तलाक पर तल्खी
पिछले साल लोकसभा में पारित कराए गये तीन तलाक संबन्धी विधेयक राज्यसभा में अटक गया था, जहां राज्यसभा सांसदों की बिल पर आपत्तियों के कारण पारित नहीं हो सका था। इसलिए सरकार इस विधेयक में आई आपत्तियों को देर करने और संशोधन लाने की दिशा में अध्यादेश लेकर आई थी, जो अभी अस्तित्व में है, जिसे लोकसभा में पेश करके उसे विधेयक के रूप में पेश कर चुकी है, जिस पर गुरूवार को चर्चा कराना तय है। हालांकि इस विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तल्खी बरकरार है, लेकिन यदि लोकसभा में चर्चा हुई तो इसे पारित करा लिया जाएगा, लेकिन इसका भविष्य राज्यसभा में तय होगा।
27Dec-2018

घरेलू नौकरों पर जल्द आएगी राष्ट्रीय नीति!



घरों में महिला श्रमिकों की संख्या ज्यादा 
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार संगठित क्षेत्र के श्रमिकों तर्ज पर घरेलू नौकरों की दशा सुधारने और उनकी सामाजिक सुरक्षा के साथ सभी सुविधाएं देने के लिए जल्द ही राष्ट्रीय नीति लेकर आएगी। हालांकि घरेलू नौकरों के लिए पहले यूपीए सरकार और फिर राजग सरकार ने मसौदा तैयार किया, लेकिन अभी तक उसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। 
देश में श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही श्रमिक कानूनों में व्यापक फेरबदल करते हुए ठोस कदम उठाए हैं, जिसमें घरेलू श्रमिकों को भी संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की तरह ही ईएसआई, भविष्य निधि, सवेतन अवकाश तथा मातृत्व अवकाश जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार किया है। इस संबन्ध में पिछले सप्ताह संसद में उठाए गये इस मामले के बारे में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने बताया है कि घरेलू नौकरों को विभिन्न प्रकार के शोषण से मुक्ति दिलाकर उन्हें सुविधाएं मुहैया कराने की दिशा में राष्ट्रीय नीति के मसौदे को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है। मंत्रालय के अनुसार इस मसौदे को जल्द ही अंतिम रूप देकर एक कैबिनेट नोट तैयार करके सरकार से इसकी मंजूरी ली जाएगी। राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा सर्वेक्षण संगठन के जारी आंकड़ो के अनुसार देश में निजी परिवारों में 3.9 मिलियन घरेलू नौकर नियोजित हैं, जिनमें 2.6 मिलियन महिला घरेलू श्रमिकों के रूप में आजीविका चला रही हैं।
यूपीए में भी अटका रहा मसौदा                                         
सूत्रों के अनुसार घरेलू नौकरों के हित में वर्ष 2011-12 के दौरान राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा सर्वेक्षण संगठन के जारी हुए आंकड़ों के बाद वर्ष 2013 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सिफारिश पर राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार किया था,लेकिन इसका मसौदा कागजों में सिमट कर रह गया और मंजूरी के लिए केंद्रीय कैबिनेट तक भी नहीं पहुंच पाया। इसके बाद सत्ता में आई मोदी सरकार ने इसके लिए नए सिरे से मसौदा तैयार कराने का निर्णय लिया, लेकिन अभी तक घरेलू नौकरों पर इस राष्ट्रीय नीति के मसौदे को अंतिम रूप तक नहीं दिया गया है। हालांकि मंत्रालय का दावा है कि कैबिनेट की मंजूरी से पहले इस मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न पक्षों खासकर विशेषज्ञों, श्रम संगठनों और जनता की राय ली जा रही है जिसे चर्चा के बाद जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि इस प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति में सेवायोजक और नौकर के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते का प्रावधान किया जा रहा है, जिसमें तीसरा पक्ष ट्रेड यूनियन होगा।
मसौदे में ये हैं प्रमुख प्रावधान
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की घरेलू नौकरों के लिए तैयार किये जा रहे राष्ट्रीय नीति के मसौदे में प्रमुख रूप से मौजूदा विधानों में घरेलू श्रमिकों को शामिल करते हुए उन्हें असंगठित कामगार के रूप में पंजीकरण कराने का अधिकार देना है। नीति में उनकी न्यूनतम मजदूरी का अधिकार के साथ सामाजिक सुरक्षा की सुलभता दी जाएगी और उन्हें दुराचार और शोषण से भी संरक्षण मिलेगा। इस अधिकार के बाद घरेलू नौकरों को अपने अधिकारों और लाभों की सुविधाएं मिल सकेगी। यही नहीं घरेलू श्रमिक भी अपना संगठन या श्रमिक संघ बनाने के लिए स्वतंत्र होंगे। मसौदे में घरेलू श्रमिकों को शिकायतों के निवारण हेतु कोर्ट तथा ट्रिब्यूनल आदि तक जाने की सुविधा दी जाएगी। वहीं निजी प्लेसमेंट एजेंसियों के विनियमन के लिए एक तंत्र की स्थापना का भी प्रावधान है।
26Dec-2018

सीमाओं पर खुफिया ईकाई को मजबूत करेगी सरकार



सशस्त्र सीमा बल के समारोह में बोले किरेन रिजिजू
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारत से लगी चीन, नेपाल व बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर प्रहरी के रूप में मानव और अन्य गैर कानूनी सामानों की तस्करी को रोकने के लिए प्रहरी बने सशस्त्र सीमा बल ने अपनी 55वीं वर्षगांठ मनाई। इस मौके पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर एसएसबी के खुफिया तंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार ने 650 पदों के सृजन को मंजूरी दी है।
सोमवार को यहां नई दिल्ली स्थित सशस्त्र सीमा बल ने 25वीं बटालियन, घिटोरनी में अपनी 55वीं वर्षगांठ परेड का जश्न मनाया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने परेड की सलामी लेने के बाद एसएसबी के जवानों का हौंसाल बढ़ाते हुए कहा कि चीन, नेपाल और बांग्लादेश से लगी भारतीय सीमा पर सशक्त प्रहरी के रूप में जवान तस्करी जैसे अपराध पर शिकंजा कसे हुए हैं, इसके लिए पिछले साल ही एसएसबी की खुफिया ईकाई को सुदृढ़ करने के लिए गृह मंत्रालय अधिसूचना जारी कर चुका है, जिसमें पर्याप्त संसाधनों से लैस जवानों को इंटेलिजेंट ब्यूरो में भेजकर प्रशिक्षित करना भी शामिल है। उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय ने एसएसबी की खुफिया ईकाई के लिए पिछले दिनों ही 650 नए पदों को मंजूरी दी है, ताकि सीमाओं पर होने वाले मानव तस्तरी, मादक पदार्थो, हथियारों और अन्य सामनों की तस्करी पर लगामा लगाई जा सके। इस मौके पर परेड के बाद किरेन रिजिजू ने राष्ट्र के लिए उनकी सेवा की प्राप्ति में सराहनीय सेवा के लिए विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक और पुलिस पदक से सम्मानित किया। इस मौके पर एसएसबी के जवानों, डॉग स्क्वायड, डेयर डेविल टीम और एसएसबी के जवानों द्वारा अन्य कलाओं का प्रदर्शन भी किया। उन्होंने ‘सेवा, सुरक्षा और बंधुत्व’ के आदर्श वाक्य के साथ राष्ट्र की सेवा करने के लिए SSB की सराहना की और कहा कि कि एसएसबी आज देश की दूसरी सीमा सुरक्षा बल का दर्जा हासिल कर चुकी है। यहीं नहीं सीमाओं के अलावा एसएसबी देश के अन्य हिस्सों जैसे जेएंडके, एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों और प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भी अपना कर्तव्य निभा रहा है।
मानव तस्करी से बचाए 752 लोग
इस मौके पर एसएसबी के महानिदेशक एसएस देशवाल ने एसएसबी के गौरवशाली इतिहास और पहलों का जिक्र करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर एसएसबी पूरी तरह से सतर्कता बरत रहा है। इसी का परिणाम है कि एसएसबी ने सीमाओं पर 260 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी जब्त की है और 6,500 से अधिक ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है, जो मानव और अन्य गैर कानूनी सामानों की तस्करी में लिप्त पाए गये। एसएसबी ने पिछले एक साल में 254 मानव तस्करों को भी गिरफ्तार किया है और उनके कब्जे से मानव तस्करी के लिए इधर से उधर सीमा पार कराने के प्रयास 752 लोगों को बचाया है, जिनमें बच्चे व महिलाएं भी शामिल रही।
25Dec-2018

15 जनवरी के बाद पहनना होगा सिर्फ यह खास हेलमेट

मोदी सरकार का 'विशेष' फरमान

हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देशभर में दोपहिया वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने हेलमेट के नए मानक तय कर दिए हैं। इसमें 15 जनवरी के बाद केवल आईएसआई प्रमाणित हेलमेट्स ही बेचे जाएंगे।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार हेलमेट बनाने वाली कंपनियों को 15 जनवरी से इन मानकों का पालन हर हाल में करना होगा। यदि कंपनियां इन मानकों का पालन नहीं करती हैं तो उनको दो साल की जेल या 2 लाख रुपए तक का जुर्माना लग सकता है। साथ ही हेलमेट की बिक्री करने वालों और इनका भंडारण करने वालों पर भी यह मानक लागू होंगे। ट्रैफिक नियमों को नहीं मानने और हेलमेट नहीं पहनने की वजह से हर साल हजारों लोगों की सड़क हादसे में मौत हो जाती है. इसलिए, परिवहन विभाग की तरफ से समय-समय पर लोगों को जागरूक किया जाता है कि वे हमेशा हेलमेट पहन कर चलें. चालान से बचने के लिए मार्केट में सस्ता हेलमेट बिकता है। लेकिन, नए साल में दोपहिया वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने हेलमेट की गुणवत्ता को लेकर नए मानक तय कर दिए हैं।
बिना वारंट के होगी गिरफ्तारी
नए नियम के मुताबिक, हेलमेट बनाने वाले, स्टोर करने वाले और बेचने वालों को बिना किसी वारंट के भी गिरफ्तार किया जा सकता है। सरकार के इस फैसले की टू व्हीलर हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने सराहना की है। एसोसिएशन का कहना है कि जिस तरह नकली दवा जहरीली होती हैं, उसी तरह बिना ISI होलमार्क वाले हेलमेट नकली होते हैं।
क्या हैं नए मानक?
15 जनवरी के बाद केवल आईएसआई हॉलमार्क वाले हेलमेट बेचे जाएंगे।
यह हेलमेट ब्यूरो आफ इंडियन स्टेंडर्ड (‌बीआईएस) के आईएस 4151:2015 के मानकों पर खरे होने चाहिए.
हेलमेट का वजन 1.2 किलोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अब यह सीमा 1.5 किलोग्राम है।
बिना आईएसआई मानक बनाने, बेचने और भंडारण करने वालों पर कानूनी कार्रवाई होगी।
इंडस्ट्रियल हेलमेट पहनने वालों पर की जाएगी कार्रवाई।
हेलमेट निर्माताओं ने किया स्वागत
हेलमेट के लिए सरकार की ओर से जारी किए गए नए मानकों का हेलमेट निर्माताओं ने स्वागत किया है। स्टीलबर्ड हेलमेट्स के एमडी राजीव कपूर का कहना है कि नॉन-आईएसआई मार्क वाले हेलमेट बेचना नकली दवा बेचने के बराबर है। जिस तरह नकली दवाएं हानिकारक और जहरीली होती हैं, उसी तरह नकली हेलमेट भी जानलेवा साबित होते हैं। उन्होंने कहा कि नए हेलमेट मानकों को सुरक्षा से समझौता किए बिना दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट के उपयोग को बढ़ाने के एकमात्र उद्देश्य के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
नए मानकों के अनुसार बनाए सभी हेलमेट
एशिया की सबसे बड़ी हेलमेट निर्माता कंपनी स्टीलबर्ड हाईटेक इंडिया ने नए मानकों के अनुसार हेलमेट बनाए जाने की घोषणा की है। स्टीलबर्ड के अनुसार, उसने अपने सभी हेलमेट्स में नए मानकों के अनुसार बदलाव कर दिया है और नए मानकों को पूरा करने के लिए बीआईएस की ओर से जरूरी अनुमति और सर्टीफिकेशन प्राप्त कर लिए हैं। उन्होंने कहा कि स्टीलबर्ड नए बीआईएस स्टैंडर्ड आईएस 4151: 2015 की अनुमति लेने वाली पहली हेलमेट कंपनी बन गई है।  राजीव कपूर ने कहा कि हमारे पास हेलमेट के 60 से अधिक मॉडल हैं जो प्रत्येक 3 अलग-अलग आकारों में बने हैं। किसी भी प्वाइंट पर हमारे पास 180 हेलमेट हैं जिन्हें नए मानकों के अनुसार तैयार करने के लिए परीक्षण और टेस्ट किए गए थे।
25Dec-2018


देश में सभी मानव रहिल रेलवे क्रासिंग बंद



रेल संरक्षा पर किये उपायों से आई रेल हादसों में कमी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में हो रहे रेल हादसों में मानव रहित फाटकों पर भी हर साल हजारों जाने चली जाती हैं। जबकि मानव रहित फाटकों पर होने वाले हादसों को लेकर सुरक्षा के उपायों के मुद्दे पर कैग और संसदीय समितियां भी अपनी रिपोर्टो में लगातार सरकार पर सवालिया निशान लगाती रही हैं, जिसमें यहां तक टिप्पणी की गई हैं कि सरकार दावों के बावजूद मानवरहित रेलवे क्रासिंग पर सुरक्षा उपाय करने के प्रति गंभीर नहीं हैं?
दरअसल यूपी के कुशीनगर में गुरुवार की सुबह एक मानव रहित फाटक पर ट्रेन की टक्कर से वैन के फरकच्चे उड गये, जिसमें सवार एक दर्जन से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई। इस हादसे को लेकर रेलवे की रेल संरक्षा और सुरक्षा के मुद्दे पर सियासत तो शुरू हो गई है, लेकिन पिछले एक दशक में मानव रहित फाटकों पर हुए हादसों में हो रही मौतों के लिए कैग ने भी रेल मंत्रालय के प्रति जिस तरह से टिप्पणियों के साथ सुरक्षा इंतजामों को लेकर सिफारिशें की थी, जिसमें पूर्ववर्ती सरकार ने 2015 तक तमाम मानवरहित फाटकों को बंद करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब मौजूदा केंद्र सरकार ने 2020 तक ऐसे मानवरित फाटकों को बंद करने का लक्ष्य तय करके योजना तैयार की है। इसी माह समाप्त हुए संसद के बजट सत्र में मानवरहित समपरों पर सुरक्षा प्रावधान संबन्धी लोकसभा सदस्य भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता वाली संसदीय रेल अभिसमय समिति ने एक रिपोर्ट संसद में पेश करते हुए रेल मंत्रालय पर सवाल खड़े किये और रेल मंत्रालय के मानवरहित फाटकों पर सुरक्षा के उपायों के जवाबों पर असंतुष्टि जाहिर की है। गौरतलब है कि रेल संरक्षा और मानव रहित रेलवे फाटकों को पूरी तरह बंद करने के लक्ष्य को लेकर पिछले दिनों रेल मंत्री पीयूष गोयल ने देशभर के रेल मंडल स्तर के अधिकारियों के साथ बैठक करने व्यापक स्तर पर योजना को लागू करने के निर्देश दिये थे।
वर्ष 2020 तक बंद करने का लक्ष्य
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने हरिभूमि को देश में मानव रहित फाटकों पर सुरक्षा के उपाय और हादसों को रोकने की योजना के बारे में बताया कि रेलवे 2014-2015 में 1148 और 2015-16 में 1253 मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग्स समाप्त कर चुका है। देश में फिलहाल ब्रॉड गेज पर 4943 मानव रहित समपारों यानि क्रासिंग को वर्ष 2020 तक पूरी तरह बंद करने की योजना चलाई जा रही है, जिसमें हर वर्ष 1500 ऐसे फाटकों को समाप्त करने हेतु निगरानी हो रही है। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जब तक इन फाटकों को समाप्त नहीं किया जाता, तब तक पिछले साल एक अप्रैल से रेलवे ने विभिन्न जोनल रेलवे के जरिए 3941 गेट मित्रों को तैनात करने की प्रक्रिया शुरू की है, जो मानव रहित फाटकों की निगरानी करने और सड़क वाहन उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित मानकों का पालन करने का परामर्श देने के साथ उन्हें अलर्ट भी करते आ रहे हैं। रेलवे का यह भी दावा है कि गेट मित्रों और परामर्शियों की तैनाती के बाद मानव रहित फाटकों पर हादसों में लगातार कमी आई है।
रेलवे सुरक्षा के उपाय
रेल मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि रेलवे ने मानव रहित समपारों को खत्म करने तक कई तकनीकी उपाय भी किये हैं। इनमें ट्रेन वाहन इकाई वाले मानव रहित समपारों को पूर्णतः बंद करने का निर्णय लिया गया है, तो कुछ विलय-मानव रहित क्रासिंग फाटक को मानवयुक्त बनाने तथा ऐसे फाटकों पर सडक मार्ग के लिए अंडर पास व ओवर ब्रिज बनाकर किया जा रहा है।
इसके अलावा सड़क का उपयोग करने वालों को अलर्ट करने के लिए कुछ तकनीकी उपाय भी किये गये हैं। इनमें जीपीएस आधारित अलार्म का पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया जा चुका है, ताकि अलर्ट प्रणाली के जरिए रेलवे क्रॉसिंग पर वाहन चालकों व अन्य लोगों को सचेत किया जा सके।
23Dec-2018