सोमवार, 31 दिसंबर 2018

घरेलू नौकरों पर जल्द आएगी राष्ट्रीय नीति!



घरों में महिला श्रमिकों की संख्या ज्यादा 
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार संगठित क्षेत्र के श्रमिकों तर्ज पर घरेलू नौकरों की दशा सुधारने और उनकी सामाजिक सुरक्षा के साथ सभी सुविधाएं देने के लिए जल्द ही राष्ट्रीय नीति लेकर आएगी। हालांकि घरेलू नौकरों के लिए पहले यूपीए सरकार और फिर राजग सरकार ने मसौदा तैयार किया, लेकिन अभी तक उसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। 
देश में श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही श्रमिक कानूनों में व्यापक फेरबदल करते हुए ठोस कदम उठाए हैं, जिसमें घरेलू श्रमिकों को भी संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की तरह ही ईएसआई, भविष्य निधि, सवेतन अवकाश तथा मातृत्व अवकाश जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार किया है। इस संबन्ध में पिछले सप्ताह संसद में उठाए गये इस मामले के बारे में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने बताया है कि घरेलू नौकरों को विभिन्न प्रकार के शोषण से मुक्ति दिलाकर उन्हें सुविधाएं मुहैया कराने की दिशा में राष्ट्रीय नीति के मसौदे को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है। मंत्रालय के अनुसार इस मसौदे को जल्द ही अंतिम रूप देकर एक कैबिनेट नोट तैयार करके सरकार से इसकी मंजूरी ली जाएगी। राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा सर्वेक्षण संगठन के जारी आंकड़ो के अनुसार देश में निजी परिवारों में 3.9 मिलियन घरेलू नौकर नियोजित हैं, जिनमें 2.6 मिलियन महिला घरेलू श्रमिकों के रूप में आजीविका चला रही हैं।
यूपीए में भी अटका रहा मसौदा                                         
सूत्रों के अनुसार घरेलू नौकरों के हित में वर्ष 2011-12 के दौरान राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा सर्वेक्षण संगठन के जारी हुए आंकड़ों के बाद वर्ष 2013 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सिफारिश पर राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार किया था,लेकिन इसका मसौदा कागजों में सिमट कर रह गया और मंजूरी के लिए केंद्रीय कैबिनेट तक भी नहीं पहुंच पाया। इसके बाद सत्ता में आई मोदी सरकार ने इसके लिए नए सिरे से मसौदा तैयार कराने का निर्णय लिया, लेकिन अभी तक घरेलू नौकरों पर इस राष्ट्रीय नीति के मसौदे को अंतिम रूप तक नहीं दिया गया है। हालांकि मंत्रालय का दावा है कि कैबिनेट की मंजूरी से पहले इस मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न पक्षों खासकर विशेषज्ञों, श्रम संगठनों और जनता की राय ली जा रही है जिसे चर्चा के बाद जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि इस प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति में सेवायोजक और नौकर के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते का प्रावधान किया जा रहा है, जिसमें तीसरा पक्ष ट्रेड यूनियन होगा।
मसौदे में ये हैं प्रमुख प्रावधान
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की घरेलू नौकरों के लिए तैयार किये जा रहे राष्ट्रीय नीति के मसौदे में प्रमुख रूप से मौजूदा विधानों में घरेलू श्रमिकों को शामिल करते हुए उन्हें असंगठित कामगार के रूप में पंजीकरण कराने का अधिकार देना है। नीति में उनकी न्यूनतम मजदूरी का अधिकार के साथ सामाजिक सुरक्षा की सुलभता दी जाएगी और उन्हें दुराचार और शोषण से भी संरक्षण मिलेगा। इस अधिकार के बाद घरेलू नौकरों को अपने अधिकारों और लाभों की सुविधाएं मिल सकेगी। यही नहीं घरेलू श्रमिक भी अपना संगठन या श्रमिक संघ बनाने के लिए स्वतंत्र होंगे। मसौदे में घरेलू श्रमिकों को शिकायतों के निवारण हेतु कोर्ट तथा ट्रिब्यूनल आदि तक जाने की सुविधा दी जाएगी। वहीं निजी प्लेसमेंट एजेंसियों के विनियमन के लिए एक तंत्र की स्थापना का भी प्रावधान है।
26Dec-2018

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