सोमवार, 31 दिसंबर 2018

संसद में जारी गतिरोध ने बढ़ाई सरकार की चुनौती!

आज भी हंगामे के बादल छंटने के आसार नहीं   
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामे की भेंट चढ़ी कार्यवाही अब पांच दिन के अवकाश के बाद कल गुरुवार को शुरू होगी, जिसमें सरकार और विपक्ष के बीच विभिन्न मुद्दों पर जारी गतिरोध के कारण हंगामे के आसार बने हुए है। इसलिए सरकार के सामने सरकारी कामकाज को आगे बढ़ाने के लिए चुनौती बनी हुई है, जबकि गुरुवार को लोकसभा में तीन तलाक संबन्धी विधेयक पर चर्चा भी होनी है।
संसद के शीतकालीन सत्र में अभी तक पहले दो सप्ताह की कार्यवाही के दौरान राफेल, राम मंदिर, कावेरी और आंध्र प्रदेश जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्ष आक्रमक तेवर अपनाए हुए है, जिसके कारण लोकसभा और राज्यसभा में प्रश्नकाल व शून्यकाल तक नहीं हो पाए। हालांकि इसी हंगामे में सरकार केवल दिव्यांगों से संबन्धित राष्ट्रीय स्वपरायणता प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु-निशक्तता ग्रस्त कल्याण न्यास (संशोधन) विधेयक को ही दोनो सदनों की मंजूरी मिल सकी है। हंगामे के बीच ही इसके अलावा लोकसभा में पारित कराए गये सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, कंपनी (संशोधन) विधेयक प्रमुख रूप से पारित किये गये हैं, जबकि बांध सुरक्षा विधेयक, केन्द्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक के अलावा अध्यादेश में बदले जाने वाले मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) अध्यादेश-2018, भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश तथा कंपनी संशोधन अध्यादेशों को विधेयकों के रूप में लोकसभा में पेश किया जा चुका है, जिनमें कंपनी विधेकय पारित करा लिया गया है और इनमें कल गुरुवार को मुस्लिम महिलाएं (विवाह अधिकारों संरक्षण) विधेयक-2017 पर चर्चा होनी है। संसद में सरकार और विपक्ष के बीच बने गतिरोध के कारण दोनों सदनों में गुरुवार को भी हांगामे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
संसद में आज
संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे सप्ताह की गुरुवार को होने वाली बैठकों में लोकसभा में विधायी कार्य में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए प्रमुख स्थान दिया गया है। इसके अलावा भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (संशोधन) विधेयक, नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय माध्यस्थम केंद्र विधेयक भी कार्यसूची में शामिल है। वहीं लोकसभा में जम्मू-कश्मीर में गत 19 दिसंबर को लागू राष्ट्रपति शासन के अनुमोदन का सांविधिक संकल्प भी तय है। दूसरी ओर राज्यसभा में नालंदा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (संशोधन) विधेयक, बच्चों की नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा (संशोधन) विधेयक तथा लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक सूचीबद्ध है।
तीन तलाक पर तल्खी
पिछले साल लोकसभा में पारित कराए गये तीन तलाक संबन्धी विधेयक राज्यसभा में अटक गया था, जहां राज्यसभा सांसदों की बिल पर आपत्तियों के कारण पारित नहीं हो सका था। इसलिए सरकार इस विधेयक में आई आपत्तियों को देर करने और संशोधन लाने की दिशा में अध्यादेश लेकर आई थी, जो अभी अस्तित्व में है, जिसे लोकसभा में पेश करके उसे विधेयक के रूप में पेश कर चुकी है, जिस पर गुरूवार को चर्चा कराना तय है। हालांकि इस विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तल्खी बरकरार है, लेकिन यदि लोकसभा में चर्चा हुई तो इसे पारित करा लिया जाएगा, लेकिन इसका भविष्य राज्यसभा में तय होगा।
27Dec-2018

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