सोमवार, 31 दिसंबर 2018

देश में सबसे बड़ा होगा ओखला जलशोधन संयत्र

यमुना कार्य योजना की परियोजनाओं की हुई शुरूआत
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
नमामि गंगे मिशन के तहत अब दिल्ली में यमुना नदी के स्वच्छ अभियान की दिशा में 11 परियोजनाओं को पटरी पर उतारा गया है, जिसमें ओखला स्थित जल शोधन संयंत्र की क्षमता और उसका विस्तार भी शामिल है, जिसके पूरा होने पर यह एसटीपी देश का सबसे बड़ा जलशोधन संयंत्र में शुमार होगा।
नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में गुरुवार को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने जल संसाधन राज्य मंत्री डा. सत्यपाल व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हर्षर्धन के अलावा दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की मौजूदगी में दिल्ली में जल संबन्धी समस्याओं और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए यमुना नदी को स्वच्छ बनाने की दिशा में 11 परियोजनाओं की शुरूआत की है। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 11 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सात साल का लक्ष्य तय किया गया है। इस कार्य योजना के तहत आठ परियोजनाएं दिल्ली के तीन ड्रेनेज जोन कोंडली, रिठाला और ओखला में स्थित हैं जिनकी कुल जल शोधन क्षमता प्रतिदिन 950 मिलियन लीटर है। ओखला एसटीपी के विस्तार और उसकी क्षमता बढ़ाने के लिए शुरू की गई परियोजना पूरा होने पर यह जल शोधन संयंत्र देश का सबसे बड़ा प्लांट होगा। उन्होंने बताया कि यमुना कार्य योजना के पहले और दूसरे चरण के बाद जापान इंटरनेशलन कॉरर्पोरेशन एजेंसी की मदद से 1656 करोड़ रूपये की लागत से यमुना कार्य योजना के तीसरे चरण को नमामि गंगे मिशन के तहत दिल्ली सरकार के साथ समन्वय व सहमति के बाद एनएमसीजी ने मंजूरी दी है।
क्या होगा परियोजनाओं का स्वरूप
दिल्ली के लिए शुरू की गई 11 परियोजनाओं के तहत कोंडली में ट्रंक सीवर संख्या 4 व 5 के पुनर्वास हेतु 2019 तक क्रमश: 87.43 व 83.40 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसी प्रकार वर्ष 2020 तक 59.13 करोड लागत से कोंडली डब्ल्यूडबल्यूटीपी में 700-900 मि.मी. डायमीटर डीआई पाइपों के प्रेशर मेन उपलब्ध कराने और और बिछाने का काम पूरा किया जाएगा। इसी प्रकार रिठाला में अशोक विहार और जहांगीरपुरी क्षेत्र में वर्ष 2020 तक दो परियोजनाओं आर1ए में 43.9 करोड़ रुपये तथा आर1बी में 45.40 करोड़ की लागत से 600 मिमी से 1400 मिमी डायमीटर के विविध आकारों के सीवरों का पुनर्वास प्रदान किया जाएगा।
रिठाला में एसटीपी का विस्तार
यमुना कार्य योजना के तहत ही दिल्ली में वर्ष 2020 तक 211.79 करोड़ रुपये की लागत से तृतीयक शोधन संयंत्र सहित मौजूदा 182 एमएलडी रिठाला चरण-I एसटीपी का पुनर्वास और उन्नयन किया जाएगा। जबकि कोंडली में तीन चरणों के तहत 204 एमएलडी एसटीपी का पुर्नवास और उन्नयन शामिल है, जिस पर 239.11 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसी प्रकार ओखला में 665.78 करोड़ की लागत से 564 एमएलडी (124 एमजीडी) एसटीपी का निर्माण और मौजूदा 136 एमएलडी (चरण-1), 55 एमएलडी (चरण-2), 204 एमएलडी (चरण-3) और 168 एमएलडी (चरण-4) डब्ल्यूडबल्यूटीपी का विध्वंस शामिल है।
डीबीओटी योजना                                       
जल संसाधन मंत्रालय ने बताया कि गत अक्टूबर में एनएमसीजी द्वारा डिजाइन बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (डीबीओटी) आधार पर 65.24 करोड़ रुपये की अनुमानित राशि वाली सीवेज पंपिंग स्टेशन की स्थापना की जाएगी और दिल्ली के छत्तरपुर में प्रतिदिन 2.25 करोड़ लीटर क्षमता वाली 9 विकेन्‍द्रीकृत एसटीपी का निर्माण होगा।
एनजीटी की सख्ती का असर
दरअसल यमुना नदी में प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण लगातार उसके जल को निर्मल करने हेतु यमुना पुनरुद्धार योजना शुरू करने की नसीहत देता रहा है। इसी परियोजना के तहत गुरुवार को एनएमसीजी ने 344.81 करोड़ रुपये की अनुमानित राशि दिल्ली में नज़फगढ़ नाला (धांसा से केशोपुर) के कमांड क्षेत्र में एसटीपी कार्य पूरा करने की परियोजना को भी मंजूरी दी है।

-----
कम हुआ दिल्ली का जाम व प्रदूषण          
दिल्ली–एनसीआर में करीब 50 हजार करोड़ की योजना
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र व दिल्ली में यातायात जाम और वाहन प्रदूषण की समस्या से आम जनता को निजात दिलाने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की लागत से एक योजना तैयार की है।
यह जानकारी गुरूवार को विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने देते हुए कहा कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हर्ष वर्धन तथा दिल्ली सरकार के बीच समन्वय स्थापित करने के बाद तैयार की गई 50 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस योजना के जरिए दिल्ली–एनसीआर में आए दिन यातायात जाम और वाहन प्रदूषण की समस्या को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली से गुजरने वाले 5 राष्ट्रीय राजमार्गों से प्रत्येक दिन साढ़े पांच लाख वाहन चलते हैं, जिसमें करीब डेढ़ लाख व्यावसायिक वाहन शामिल हैं। इस योजना के तहत जहां 10 हजार करोड़ की लागत से 135 किमी लंबा ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे गत मई में चालू हो चुका है, वहीं छह हजार करोड़ की लागत से 28 किमी द्वारका एक्सप्रेस-वे भी पिछले माह जनता को समर्पित किया जा चुका है। इसके अलावा 280 करोड़ रुपये की लागत से धौलाकुआं एयरपोर्ट कॉरिडोर तैयार किया जा रह है। इसी प्रकार इस योजना में 10 हजार करोड़ की लागत से 150 किमी लंबा अक्षरधाम-लोनी-बागपत (दिल्ली-सहारनपुर) मार्ग, सात हजार करोड़ की लागत से 90 किमी लंबा दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के अलावा चार हजार करोड़ की लागत से यूईआर फेज-2 (न्यू रिंग रोड दिल्ली), 2300 करोड़ रुपये की लागत मुकरबा चौक से पानीपत मार्ग तथा  चार हजार करोड़ की लागत से 60 किमी लंबा कालिंदीकुज-फरीदाबाद-बल्लभगढ़-सोहना मार्ग का निर्माण का काम किया जा रहा है।
ईपीई से कम हुआ यातायात                            
गडकरी ने दावा किया है कि ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे के बन जाने से दूसरे राज्यों से दिल्ली आने वाला 40 प्रतिशत यातायात कम हो गया है। जबकि इस एक्सप्रेस-वे के कारण दिल्ली में वाहन कम होने से 27 फीसदी प्रदूषण में कमी आयी है। इस एक्सप्रेस-वे पर आवागमन शुरू होने के कारण हाईवे दिल्ली-अमृतसर पर 38 फीसदी, फरीदाबाद-मथुरा पर 37 फीसदी, दिल्ली-इटावा पर 11 फीसदी, दिल्ली-हापुड़ पर छह फीसदी यातायात में कमी दर्ज की गई है। इसके अलावा द्वारका एक्सप्रेस वे से दिल्ली-जयपुर हाईवे पर 17 फीसदी तथा दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के कारण गाजियाबाद-नोएडा  मार्ग पर 15.5 यातायात कम हुआ है।
28Dec-2018

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें